नींद पक्षाघात या स्लीप पैरालिसिस काफी सामान्य नींद की समस्या है। यह एक अस्थायी पक्षाघात है,, जिसके तहत नींद के दौरान हिलना-डुलना मुश्किल होता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 5 से 40 प्रतिशत लोग इस स्थिति का अनुभव करते हैं। यह शारीरिक रूप से हानिकारक नहीं है और इसे रोका जा सकता है। स्लीप पैरालिसिस के एपिसोड कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक चलते हैं। यह समस्या आमतौर पर किशोरावस्था के दौरान शुरू होती है, और 20 और 30 के दशक के दौरान स्लीप पैरालिसिस बार-बार हो सकता है। आइये जानते हैं कि स्लीप पैरालिसिस क्या है, नींद पक्षाघात के कारण, लक्षण, जांच, इलाज और इससे बचने के उपाय के बारे में।
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स्लीप पैरालिसिस (नींद पक्षाघात) क्या है – What Is Sleep Paralysis in Hindi
स्लीप पैरालिसिस नींद की शुरुआत में या जागने पर, कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक हिलने-डुलने या बोलने में असमर्थ होने की भावना है। इस स्थिति में व्यक्ति की इंद्रियां और जागरूकता (चेतना) बरकरार रहती है, लेकिन पीड़ित व्यक्ति को ऐसा महसूस हो सकता है कि उसपर पर कोई दबाव है, या उसका दम घुट रहा है। यह स्थिति दु: स्वप्न और तीव्र भय के कारण भी उत्पन्न हो सकती है।
नींद पक्षाघात या स्लीप पैरालिसिस की स्थिति जानलेवा नहीं है, लेकिन यह चिंता का कारण बन सकती है। यह समस्या अन्य नींद विकारों (स्लीप डिसऑर्डर) जैसे कि नार्कोलेप्सी (Narcolepsy) के साथ उत्पन्न हो सकती है।
नार्कोलेप्सी एक क्रोनिक स्लीप डिसऑर्डर है, जो पीड़ित व्यक्ति में पूरे दिन अत्यधिक उनींदापन और अचानक नींद आने का कारण बनता है। हालांकि, जिन लोगों को नार्कोलेप्सी नहीं है, वह भी स्लीप पैरालिसिस का अनुभव कर सकते हैं।
यह समस्या आमतौर पर किशोरावस्था के दौरान शुरू होती है, और 20 और 30 के दशक के दौरान स्लीप पैरालिसिस बार-बार हो सकता है। यह कोई गंभीर खतरा नहीं है।
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स्लीप पैरालिसिस के कारण और जोखिम कारक – Sleep Paralysis Causes and Risk Factor in Hindi
नींद के दौरान, आपका शरीर REM (रैपिड आई मूवमेंट) और NREM (नॉन-रैपिड आई मूवमेंट) स्लीप पेटर्न को बारी बारी से फॉलो करता है। REM और NREM नींद का एक चक्र लगभग 90 मिनट तक रहता है। सर्वप्रथम NREM नींद चक्र पहले स्टार्ट होता है, जिसका आवर्ती काल सोने के कुल समय का 75% तक होता है। NREM नींद के दौरान, शरीर आराम करता है। NREM के अंत में, आपकी नींद REM (रैपिड आई मूवमेंट) में बदल जाती है। जिसमें आपकी आंखें तेजी से चलती हैं और सपने आते हैं, लेकिन आपका शरीर और मांसपेशियां बहुत आराम (शिथिल) अवस्था में रहती हैं। यदि आप REM चक्र समाप्त होने से पहले जागरूक होते हैं तो आप शरीर को लकवाग्रस्त निद्रा अवस्था में पाते हैं।
सभी उम्र के बच्चे और वयस्क स्लीप पैरालिसिस का अनुभव कर सकते हैं। हालांकि, कुछ जोखिम कारकों का शिकार हुए व्यक्तियों को स्लीप पैरालिसिस होने की अधिक संभावना होती है। इसके जोखिम कारकों में शामिल हैं:
- अनिद्रा (insomnia) या नींद की कमी (Lack of sleep)
- नार्कोलेप्सी (narcolepsy)
- चिंता विकार (anxiety disorders) और हाइपरटेंशन
- डिप्रेशन (major depression)
- जेट लैग (jet lag)
- बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder)
- पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) और पैनिक डिसऑर्डर (panic disorder)
- नशीले पदार्थों का सेवन, इत्यादि।
अपनी पीठ के बल सोने से स्लीप पैरालिसिस के एपिसोड उत्पन्न होने की संभावना बढ़ सकती है।
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स्लीप पैरालिसिस के लक्षण – Sleep Paralysis Symptoms in Hindi
स्लीप पैरालिसिस कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं है। स्लीप पैरालिसिस के एक एपिसोड की सबसे आम विशेषता हिलने-डुलने या बोलने में असमर्थता है। स्लीप पैरालिसिस का एक एपिसोड कुछ सेकंड से लेकर लगभग 2 मिनट तक चल सकता है।
इस स्थिति में व्यक्ति निम्न लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जैसे:
- छाती या सीने पर दबाव महसूस होना
- ऐसा महसूस करना जैसे कि कोई या कुछ कमरे में है।
- भय का कारण बनने वाली संवेदनाएं और मतिभ्रम
- नींद के दौरान, ठीक पहले या बाद में सम्मोहन अनुभव करना, जिसे मतिभ्रम के रूप में वर्णित किया जाता है।
- सांस लेने में कठिनाई होना
- ऐसा महसूस करना कि आप मरने वाले हैं
- पसीना आना
- मांसपेशी में दर्द, सिरदर्द होना, इत्यादि।
स्लीप पैरालिसिस के एपिसोड आमतौर पर अपने आप समाप्त हो जाते हैं, या जब आपको कोई अन्य व्यक्ति छूता या हिलाता है, तो इसके लक्षण दूर हो जाते हैं। इस अस्थायी पक्षाघात से बाहर आने के बाद सम्बंधित व्यक्ति प्रकरण के विवरण को याद करने में भी सक्षम हो सकता है।
दुर्लभ मामलों में, कुछ लोगों को स्वप्न जैसा मतिभ्रम (dreamlike hallucinations) का अनुभव होता है, जो भय या चिंता का कारण बन सकता है, लेकिन यह मतिभ्रम हानिरहित है।
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स्लीप पैरालिसिस का निदान – Sleep Paralysis Diagnosis in Hindi
नींद पक्षाघात का निदान करने के लिए किसी भी प्रकार के मेडिकल टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि नियमित नींद पक्षाघात और सोने में कठिनाई होने की स्थिति में सम्बंधित व्यक्ति को समस्या के निदान और इलाज के लिए डॉक्टर से पास जरुर जाना चाहिए।
स्लीप पैरालिसिस का निदान करने के लिए डॉक्टर मरीज के सोने के तरीके और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में कुछ प्रश्न पूंछ सकता है। इसके अलावा डॉक्टर, स्लीप पैरालिसिस एपिसोड के दौरान मरीज के अनुभव और महसूस होने वाले लक्षणों को एक डायरी में नोट करने की सलाह दे सकता है।
डॉक्टर मरीज की नींद का अध्ययन करने के लिए पॉलीसोम्नोग्राफी (polysomnography) का आदेश दे सकता है। इस प्रकार के अध्ययन के लिए मरीज को अस्पताल या नींद केंद्र में रात भर रुकने की आवश्यकता होती है।
स्लीप पैरालिसिस का इलाज – Sleep Paralysis Treatment in Hindi
अधिकांश व्यक्तियों को स्लीप पैरालिसिस के लिए किसी भी प्रकार के उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। स्लीप पैरालिसिस के लक्षण आमतौर पर कुछ ही मिनटों में ठीक हो जाते हैं और इससे कोई स्थायी शारीरिक प्रभाव या आघात नहीं होता है। हालांकि, इसका अनुभव आपको काफी परेशान कर सकता है और काफी भयावह हो सकता है।
लेकिन यदि आप लक्षणों को लेकर चिंतित हैं या अच्छी तरह से सो नहीं पा रहे हैं, तो आप नार्कोलेप्सी जैसी किसी भी अंतर्निहित स्थिति का इलाज प्राप्त करने के लिए डॉक्टर की मदद ले सकते हैं। उपचार के तहत निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाता है, जैसे:
- नींद की आदतों में सुधार करना – हर रात छह से आठ घंटे की पर्याप्त नींद लें।
- नींद के चक्र को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए एंटीडिप्रेसेंट दवा का उपयोग।
- स्लीप पैरालिसिस का कारण बनने वाली किसी भी मानसिक स्वास्थ्य समस्या का इलाज करना।
- नींद संबंधी विकार जैसे- नार्कोलेप्सी या पैर में ऐंठन (Leg Cramps) का इलाज करना, इत्यादि।
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स्लीप पैरालिसिस से बचाव – How to avoid sleep paralysis in Hindi
स्लीप पैरालिसिस से बचने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
- पर्याप्त नींद लें।
- तनाव को दूर करने के लिए उचित प्रयास करें।
- पीठ के बल सोने से बचें, करवट लेकर सोएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें, (सोने से कम से कम दो घंटे पहले)।
- नींद की एक निश्चित और नियमित दिनचर्या बनाए रखें।
- आपके द्वारा ली जाने वाली विभिन्न दवाओं के साइड इफेक्ट्स और इंटरैक्शन को जानें, ताकि आप स्लीप पैरालिसिस सहित अन्य संभावित साइड इफेक्ट्स से बच सकें।
- सोने से पहले नीली रोशनी से बचें और कमरे का तापमान कम रखें।
- नींद लेने से कुछ समय पहले एक शांत गतिविधि अपनाएँ, जैसे- आरामदायक संगीत सुनना।
- सोने से कम से कम 1 घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस को अलग रख दें।
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