Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक आम बीमारी है और यह बड़ी आंत (large intestine) को प्रभावित करती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द एवं मरोड़ होना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया होना इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) के मुख्य लक्षण हैं। यदि लंबे समय तक इस समस्या की अनदेखी की जाए तो यह अधिक गंभीर हो सकती है। कुछ मामलों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की आंत भी क्षतिग्रस्त (intestine) हो सकती है। हालांकि यह बहुत सामान्य नहीं होता है।
शुरूआत में खानपान जीवनशैली में बदलाव एवं तनाव कम करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। आपको बता दें कि इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का खतरा नहीं होता है लेकिन यह बीमारी दैनिक दिनचर्या को अधिक प्रभावित करती है।
1. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण – Causes of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
2. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण – Symptoms of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
3. महिलाओं में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण – Irritable Bowel Syndrome (IBS) Symptoms in Women in Hindi
4. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का निदान – Diagnosis of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
5. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज – Treatment of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
6. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की दवा – Irritable Bowel Syndrome (IBS) Tablet in Hindi
7. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचने के लिए खाद्य पदार्थ – Foods to avoid with IBS in hindi
8. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचाव – Prevention of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण – Causes of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम कोई संक्रामक (contagious) या आनुवांशिक समस्या नहीं है। लेकिन यह पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इस समस्या से अधिक ग्रसित होती हैं। ज्यादातर मामलों में 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को यह समस्या होती है। जबकि बच्चों में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने की संभावना 5 से 20 प्रतिशत तक होती है। इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम कई कारणों से होता है। माना जाता है कि जब कोलन अतिसंवेदनशील (hypersensitive) हो जाता है तो इसमें हल्की उत्तेजना शुरू होती है। जिसके कारण पेट में कब्ज हो जाता है या डायरिया शुरू हो जाती है। इसके अलावा कुछ एक्सपर्ट भोजन से हुए एलर्जी या कुछ विशेषप्रकार के भोज्य पदार्थों के प्रति कोलन का संवेदनशील होना भी इस समस्या का कारण मानते हैं। इसके अलावा भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के कई कारण (causes) हैं।
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आंत की मांसपेशियों में संकुचन (contractions)
हमारे आंत की दीवार मांसपेशियों की परत से मिलकर बनी होती है। जब हम भोजन करते हैं तो भोजन को पाचन तंत्र में भेजने की क्रिया के दौरान ये मांसपेशियां सिकुड़ती हैं। लेकिन जब मांसपेशियां सामान्य से अधिक सिकुड़ (contract) जाती हैं तो पेट में गैस बनने लगती है और सूजन हो जाता है जिसके कारण आंत कमजोर हो जाती है और भोजन को पाचन तंत्र में भेज नहीं पाती है। इसके कारण व्यक्ति को डायरिया होने लगता है और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या हो जाती है।
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नर्वस सिस्टम में असामान्यता
पाचन तंत्र के नसों में असामान्यता के कारण पेट में गैस बनता है जिसके कारण पेट में अधिक तनाव (stretches) उत्पन्न होता है और मल कड़ा हो जाता है। इसके कारण पेट में दर्द शुरू हो जाता है और भोजन भी आसानी से नहीं पच (digest) पाता। परिणामस्वरूप व्यक्ति को डायरिया भी होने लगती है।
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आंत में सूजन
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम होने पर कुछ लोगों के आंत में इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है। इसी कारण से पेट में दर्द होता है और डायरिया होने लगती है।
संक्रमण
आंत में बैक्टीरिया या वायरस की संख्या बढ़ जाने से पेट में हलचल (movement) शुरू हो जाती है जिसके कारण व्यक्ति को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या हो जाती है।
एक स्टडी में पाया गया है हार्मोन के कारण (hormonal problem) भी कुछ लोगों को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या होती है।
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण – Symptoms of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग दिखायी देते हैं। आपको बता दें कि मल के साथ खून आना इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण नहीं है। मल के साथ खून निकलना (bleeding), लगातार दर्द होना और बुखार रहना हेमोरॉइड (hemorrhoids) और अल्सरेटिव कोलाइटिस के लक्षण हैं इसलिए तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
IBS इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण निम्न हैं–
- पेट में कब्ज होना।
- गंभीर रूप से डायरिया से पीड़ित होना। (और पढ़े – दस्त ठीक करने के घरेलू उपाय…)
- कब्ज के साथ डायरिया भी होना।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द और मरोड़ होना, भोजन करने के बाद पेट में मरोड़ और दर्द अधिक बढ़ जाना।
- पेट में अधिक गैस बनना और सूजन होना
- सामान्य से अधिक पतला या सूखा मल (hard stool) निकलना।
- पेट चिपक जाना।
- पेट में अलग-अलग तरह से मरोड़ और दर्द होना।
- मल में श्लेष्म (mucus) निकलना।
- इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से पीड़ित कुछ लोगों को पेशाब या यौन संबंधी (sexual issues) समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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महिलाओं में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण – Irritable Bowel Syndrome (IBS) Symptoms in Women in Hindi
महिलाओं आमतौर पर मासिक धर्म के समय इस समस्या से पीड़ित होती है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि जिन महिलाओं को मेनोपॉज हो गया हो उनमें इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण कम दिखायी देते हैं। कुछ महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण दिखायी देते हैं।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में डायरिया और कब्ज दोनों एकसाथ होना सामान्य नहीं है। पेट में मरोड़ (cramping)शुरू होने के बाद आमतौर पर पेट में सूजन और गैस की समस्या खत्म हो जाती है। इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम के लक्षण स्थायी नहीं होते हैं और इन्हें ठीक किया जा सकता है। हालांकि कुछ लोग अधिक समय तक और लगातार इन लक्षणों से पीड़ित रहते हैं।
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का निदान – Diagnosis of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के निदान के लिए डॉक्टर मरीज का शारीरिक परीक्षण (physical examination) करते हैं। कुछ विशेष लक्षणों जैसे बुखार, ब्लीडिंग, असामान्य ढंग से वजन कम होना आदि गंभीर लक्षणों के आधार पर इस बीमारी का निदान किया जाता है। इस समस्या के निदान के लिए एक्सरे या निचले गैस्ट्रोइंटेस्टाइन की एंडोस्कोपी की जाती है। इसके जरिए कोलन के अंदर की स्थिति की जांच की जाती है। इसके अलावा पेट का अल्ट्रासाउंट या आंत का एक्स-रे (intestine x ray) भी किया जाता है। खून में संक्रमण का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट, मल का टेस्ट ( Stool tests) आदि किया जाता है।
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज – Treatment of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम को ठीक करने के लिए कोई विशेष इलाज मौजूद नहीं है। डॉक्टर आमतौर पर इस समस्या के लक्षणों को कम करने के लिए मरीज को अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव (changes in lifestyle) करने की सलाह देते हैं। जीवनशैली में बदलाव के अलावा कुछ घरेलू उपायों से भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को कम किया जा सकता है। आइये जानते हैं इस समस्या के लक्षणों को कम करने के लिए आपको कौन से घरेलू उपाय करना चाहिए।
- एक्सरसाइज तनाव को कम कर देता है इसलिए प्रतिदिन एक्सरसाइज करने से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) की समस्या खत्म हो जाती है।
- इस समस्या से पीड़ित होने के बाद हल्का भोजन (light food) करें, इससे यह समस्या काफी हद तक कम हो सकती है।
- आंत को उत्तेजित करने वाले कैफीन युक्त पेय पदार्थ न पिएं।
- फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियां, होल ग्रेन और अखरोट (nut) खाएं।
- प्रतिदिन तीन से चार गिलास पानी पिएं और स्मोकिंग न करें।
- कम मात्रा में पनीर (cheese) या दूध का सेवन करें।
- मसालेदार भोजन न करें।
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की दवा – Irritable Bowel Syndrome (IBS) Tablet in Hindi
आईबीएस के इलाज के लिए डाइसाइक्लोमिन (dicyclomine) एवं हायोससाइएमिन (hyoscyamine) नामक दवाएं दी जाती हैं जो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को कम कर देता है। इसके अलावा लोपरामाइड (loperamide) और डाइफिनोक्सीलेट (iphenoxylate) जैसी एंटीडायरियल दवाएं भी दी जाती हैं।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचने के लिए खाद्य पदार्थ – Foods to avoid with IBS in hindi
यदि आपको इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम है तो आप अपने आहार का प्रबंधन कर इससे कुछ हद तक रहत पा सकते है इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम से बचने के लिए आपको डेयरी प्रोडक्ट, तला हुआ भोजन, अपरिष्कृत शर्करा, और सेम जैसे कुछ खाद्य पदार्थों को कम करने या समाप्त करने से IBS के विभिन्न लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा कुछ लोगों के लिए, अदरक, पुदीना और कैमोमाइल की चाय जैसे मसालों और जड़ी बूटियों को अपने आहार में शामिल करने से कुछ आईबीएस के लक्षणों को कम करने में मदद मिली है।
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इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से बचाव – Prevention of Irritable Bowel Syndrome (IBS) in Hindi
इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम से बचने के लिए स्ट्रेस कम लेना चाहिए। एक स्टडी में पाया गया है कि साइकोथेरपी (psychotherapy) के जरिए इस समस्या से बचा जा सकता है।
खानपान पर विशेष ध्यान देकर भी इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके साथ ही एक नियमित एवं सही दिनचर्या, प्रतिदिन व्यायाम और योग के जरिए भी इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम से बचा जा सकता है।
धूम्रपान अधिक करने एवं एलर्जिक फूड के सेवन से भी इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की समस्या होती है इसलिए इन चीजों से परहेज करें।
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