Pellagra In Hindi पेलाग्रा रोग एक चिकित्सकीय स्थिति है, जो त्वचा रोग, दस्त और डिमेंशिया का कारण बनती है। यह आमतौर पर कुपोषित व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करती है इसका मुख्य कारण शरीर में विटामिन बी -3 की कमी है। यह समस्या काफी गंभीर हो सकती है यदि समय पर निदान न किया जाए तो यह मृत्यु का कारण भी बन सकती है। इसके इलाज में कुछ महीनों का समय लग सकता है। हालांकि, मुख्य रूप से विटामिन बी-3 या नियासिन से परिपूर्ण आहार का सेवन इसके इलाज में मदद कर सकता है।
अतः आज के इस लेख में आप जानेंगे कि पेलाग्रा (Pellagra) (विटामिन बी 3 की कमी) क्या है, इसके लक्षण, कारण क्या हैं, तथा इसका निदान, इलाज कैसे किया जा सकता है, इसके अतिरिक्त विटामिन बी-3 के आहार के बारे में।
- पेलाग्रा क्या है – What is pellagra in Hindi
- शरीर में नियासिन (विटामिन बी -3) का कार्य – function of niacin in the body in Hindi
- पेलाग्रा रोग के लक्षण – Pellagra Symptoms In Hindi
- पेलाग्रा के प्रकार – Pellagra Types In Hindi
- पेलाग्रा के कारण – Pellagra Causes In Hindi
- पेलाग्रा रोग की जटिलताएं – Pellagra Complications In Hindi
- पेलाग्रा रोग की जांच – Pellagra Diagnosis Test In Hindi
- पेलाग्रा रोग का इलाज – Pellagra Treatment In Hindi
- पेलाग्रा से बचाव के तरीके – Pellagra Prevention In Hindi
- विटामिन बी-3 कितनी मात्रा आवश्यक है – Vitamin B3 recommended daily dose in hindi
- पेलाग्रा रोग के लिए फूड – Pellagra Treatment Foods In Hindi
पेलाग्रा क्या है – What is pellagra in Hindi
पेलाग्रा (Pellagra) एक रोग है, जो विटामिन बी-3, जिसे नियासिन (niacin) भी कहा जाता है, की कमी के कारण होता है। पेलाग्रा रोग मुख्य रूप से डिमेंशिया (dementia), दस्त (diarrhea) और डर्मेटाइटिस (dermatitis) से संबन्धित होता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो पेलाग्रा घातक हो सकता है।
विटामिन बी -3, जिसे नियासिन के नाम से भी जाना जाता है, त्वचा, पाचन और मानसिक स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तथा शरीर में उपस्थित लगभग 200 से अधिक एंजाइमों के कार्यों को समर्थन प्रदान करता है। पेलाग्रा, उन व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता है, जो ठीक तरह से नियासिन (niacin) को अवशोषित करने में असमर्थ होते हैं, या जिन्हें भोजन के द्वारा नियासिन (niacin) की उचित मात्रा नहीं मिल पाती है।
शरीर में नियासिन (विटामिन बी -3) का कार्य – function of niacin in the body in Hindi
सभी विटामिन B की तरह, नियासिन या विटामिन बी 3 भी शरीर के लिए अतिआवश्यक होता है। यह मानव शरीर द्वारा निम्न कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जैसे:
- कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में परिवर्तित करने में
- वसा और प्रोटीन को चयापचय करने में
- तंत्रिका तंत्र को ठीक तरह से काम करने में
- शरीर को सेक्स करने में मदद करने के लिए
- परिसंचरण में सुधार करने में
- कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार करने के लिए आवश्यक है।
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पेलाग्रा रोग के लक्षण – Pellagra Symptoms In Hindi
पेलाग्रा (Pellagra) के प्रमुख लक्षणों में त्वचा रोग, डिमेंशिया और दस्त को शामिल किया जाता है। नियासिन की कमी (niacin deficiency) शरीर के हिस्सों को सबसे अधिक प्रभावित करती है, जिसमें त्वचा या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट शामिल हैं।
पेलेग्रा से संबंधित त्वचा रोग आमतौर पर चेहरे, होंठ, पैर या हाथों पर चकत्ते (rash) का कारण बनता है। इसके अतिरिक्त पेलेग्रा से संबंधित त्वचा रोग के लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- लाल और परतदार त्वचा
- त्वचा रंग में परिवर्तन
- मोटी, परतदार और फटी हुई त्वचा
- त्वचा पर खुजली और सूजन
- चेहरे पर तितली के आकार के घाव या दाग,
- दाद इत्यादि।
पेलाग्रा (Pellagra) के तंत्रिका संबंधी लक्षण बहुत जल्द देखे जा सकते है, लेकिन इसके लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सजता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, पेलाग्रा से संबन्धित डिमेंशिया के लक्षण भी बढ़ते जाते हैं।
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डिमेंशिया से संबन्धित लक्षणों में निम्न को शामिल किया जाता है:
- उदासीनता
- डिप्रेशन
- भ्रम या मनोदशा में परिवर्तन
- चिड़चिड़ापन
- सिर दर्द
- सिर चकराना
- ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी
- बेचैनी या चिंता इत्यादि।
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पेलेग्रा (Pellagra) के अन्य संभावित लक्षणों में निम्न को शामिल किया जाता है:
- होंठ, जीभ या मसूड़ों पर घाव आना
- भूख में कमी आना
- खूनी दस्त
- अल्सर विकसित होना
- गले, छाती या पेट में दर्द और पेट में जलन
- खाने या पीने में परेशानी महसूस होना
- जी मिचलाना और उल्टी की समस्या उत्पन्न होना
- खट्टी डकार आना
- थकान महसूस होना, इत्यादि।
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पेलाग्रा के प्रकार – Pellagra Types In Hindi
पेलेग्रा (Pellagra) मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, जिन्हें प्राइमरी पेलाग्रा (Primary pellagra) और सेकेंडरी पेलाग्रा (secondary pellagra) कहा जाता है।
प्राइमरी पेलाग्रा (Primary pellagra) – प्राथमिक पेलेग्रा मुख्य रूप से, नियासिन (niacin) या ट्रिप्टोफेन (tryptophan) से समृद्ध आहार में कमी या आहार में विटामिन बी-3 की कमी के कारण उत्पन्न होता है। ट्रिप्टोफेन को शरीर के अंदर नियासिन में परिवर्तित किया जा सकता है, अतः ट्रिप्टोफेन की अपर्याप्त मात्रा भी नियासिन की कमी का कारण बनता है।
सेकेंडरी पेलाग्रा (secondary pellagra) – सेकेंडरी पेलाग्रा (secondary pellagra) उस स्थिति में होता है, जब व्यक्ति का शरीर नियासिन को अच्छी तरह से अवशोषित करने में असमर्थ होता है। शराब का अत्यधिक सेवन, कुछ दवाएं और आंतरिक रोग, नियासिन को अवशोषित करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
पेलाग्रा के कारण – Pellagra Causes In Hindi
पेलाग्रा (Pellagra) मुख्य रूप से शरीर में विटामिन बी 3 (नियासिन) की कमी के कारण होता है। दैनिक आहार में नियासिन की कमी या शरीर द्वारा नियासिन अवशोषित करने में कमी, पेलाग्रा का कारण बनती है। अतः शरीर में नियासिन (विटामिन बी 3) की कमी का कारण बनने वाले कारक निम्न हैं:
- भोजन संबंधी विकार
- भोजन में नियासिन (विटामिन बी 3) के कम स्तर
- शराब का अत्यधिक सेवन
- कुछ दवाएं, जैसे- immunosuppressive drugs और anti-convulsants drugs
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियां जैसे क्रोन रोग (Crohn’s disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis)
- लिवर का सिरोसिस (cirrhosis)
- कार्सिनॉइड ट्यूमर (carcinoid tumors)
- हर्टनप रोग (Hartnup disease) इत्यादि।
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पेलाग्रा रोग की जटिलताएं – Pellagra Complications In Hindi
पेलाग्रा का उचित समय पर इलाज न किए जाने पर, यह निम्न जटिलताओं का कारण बन सकता है:
- संक्रमित त्वचा
- ग्लोसाइटिस (जीभ की सूजन)
- कोमा (Coma)
- डिप्रेशन (Depression)
- डिस्फेजिया (Dysphagia)
- मृत्यु, इत्यादि।
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पेलाग्रा रोग की जांच – Pellagra Diagnosis Test In Hindi
पेलाग्रा (Pellagra) का निदान करना अत्यंत मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसमें लक्षणों की एक श्रृंखला प्रगट होती है। नियासिन की कमी का निदान करने के लिए कोई विशिष्ट परीक्षण नहीं है। डॉक्टर पेलाग्रा का निदान करने के लिए गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं, चकत्ते या मानसिक स्थिति में बदलाव की जांच कर सकता है। तथा पेलाग्रा के निदान में सहायता प्राप्त करने के लिए रक्त और मूत्र परीक्षण का आदेश दे सकता है। पेलाग्रा के निदान में निम्न प्रयोगशाला परीक्षण मदद कर सकते हैं जैसे:
- पूर्ण रक्त गणना (CBC)
- हाइपोप्रोटीनेमिया जांच (hypoproteinemia diagnosis test)
- लिवर फंक्शन टेस्ट (liver function test)
- सीरम पोरफाइरिन टेस्ट (serum porphyrin test), इत्यादि।
रक्त परीक्षण (blood test) – रक्त परीक्षण के तहत नियासिन (niacin), ट्रायप्टोफान (tryptophan), NAD (Nicotinamide adenine dinucleotide) और NADP (Nicotinamide adenine dinucleotide phosphate) के निम्न स्तर नियासिन की कमी को प्रदर्शित कर सकते हैं और पेलाग्रा के निदान की पुष्टि कर सकते हैं।
मूत्र परीक्षण (urine test) – मूत्र परीक्षण के दौरान मूत्र में N-मेथिलनिकोटीनामाइड (N- methylnicotinamide) और पिरिडीन (pyridine) के निम्न स्तर, नियासिन की कमी की ओर संकेत देते हैं और पेलाग्रा के निदान की पुष्टि कर सकते हैं। 24 घंटों के मूत्र संग्रह के नमूने में 1.5 मिलीग्राम से कम N-मेथिलनिकोटीनामाइड और पिरिडीन के संयुक्त परिणाम गंभीर नियासिन की कमी को दर्शाते हैं।
अन्य टेस्ट (Other Tests) – आवश्यकतानुसार डॉक्टर पेलाग्रा का निदान करने के लिए न्यूरोलॉजिकल (neurologic) या मनोवैज्ञानिक (psychiatric) परीक्षण का आदेश दे सकता है।
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पेलाग्रा रोग का इलाज – Pellagra Treatment In Hindi
पेलाग्रा (Pellagra) का इलाज करने के लिए मुख्य रूप से विटामिन बी -3 की कमी को पूरा करने कोशिश की जाती है। तथा गंभीर स्थितियों में इसके लक्षणों को कम करने एवं इसकी जटिलताओं को रोकने के लिए अन्य उपचार प्रक्रियाओं को भी अपनाया जा सकता है।
जिन लोगों के पास पेलाग्रा की स्थिति हैं, तो वह व्यक्ति विटामिन बी -3 की कमी को पूरा करने के लिए अपने आहार में बदलाव कर इलाज करने का प्रयास कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त डॉक्टर नियासिन सप्लीमेंट (Niacin supplements), निकोटीनामाइड (nicotinamide) या मल्टीविटामिन / मिनरल्स सप्लीमेंट (multivitamin/mineral supplements) की भी सिफ़ारिश कर सकता है, जो आमतौर पर पेलाग्रा (Pellagra) का इलाज करने के लिए नियासिन की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लक्षणों में पूर्ण रूप से सुधार लाने में कई महीने लग सकते हैं।
नोट: सप्लीमेंट का चयन करने और सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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पेलाग्रा से बचाव के तरीके – Pellagra Prevention In Hindi
पेलाग्रा (Pellagra) की रोकथाम और इसकी जटलताओं से बचने के लिए व्यक्तियों द्वारा निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
- मरीजों को बीमारी की प्रारम्भिक स्थिति में सूर्य के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
- मरीजों को एक विशिष्ट आहार (विटामिन बी -3 से समृद्ध आहार) का सेवन करना चाहिए।
- शराब के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए
- धूम्रपान के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए
- सप्लीमेंट का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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विटामिन बी-3 कितनी मात्रा आवश्यक है – Vitamin B3 recommended daily dose in hindi
व्यक्ति के लिए सिफ़ारिश की जाने वाली नियासिन या विटामिन बी-3 (vitamin B-3) की दैनिक मात्रा का सेवन उम्र, लिंग और उसकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। एक स्वास्थ्य व्यक्ति के लिए सभी स्त्रोत से प्राप्त विटामिन बी-3 की दैनिक आवश्यकता निम्नलिखित है:
- 0-6 महीने के शिशु के लिए – 2 मिलीग्राम
- 7-12 महीने के शिशु के लिए – 4 मिलीग्राम
- 1-3 साल तक के बच्चे के लिए – 6 मिलीग्राम
- 4-8 साल तक के बच्चे के लिए – 8 मिलीग्राम
- 9-13 साल के बच्चे के लिए – 12 मिलीग्राम
- 14-18 साल के लड़कों के लिए – 16 मिलीग्राम
- 14-18 साल की लड़कियों के लिए – 14 मिलीग्राम
- 19 साल और उससे अधिक उम्र के पुरुषों के लिए – 16 मिलीग्राम
- 19 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए – 14 मिलीग्राम
- गर्भवती महिलाओं के लिए – 18 मिलीग्राम
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए – 17 मिलीग्राम।
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पेलाग्रा रोग के लिए फूड – Pellagra Treatment Foods In Hindi
पेलाग्रा रोग (Pellagra) के इलाज के लिए विटामिन बी-3 में उच्च आहर के सेवन की सलाह दी जाती है। अतः पेलाग्रा रोग की स्थिति में नियासिन के अच्छे स्रोतों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- मशरूम
- मछली
- पके हुए आलू
- मूंगफली
- चोकरयुक्त अनाज (bran cereal)
- अंकुरित अनाज
- लाल मांस
- दलिया (oatmeal)
- पनीर
- अंडे
- सोया मिल्क
- ट्यूना मछली (canned tuna)
- सोया बर्गर (soy burgers)
- कद्दू के बीज (pumpkin seeds), इत्यादि।
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