Ayurveda Dinacharya in Hindi आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या का मतलब हमारे सुबह उठने से लेकर शाम को सोने तक की गतिविधियों से है। आमतौर पर यह माना जाता है कि स्वस्थ रहने के लिए एक अच्छी दिनचर्या का होना बेहद जरूरी है। ज्यादातर लोग अपनी दिनचर्या तो बनाते हैं लेकिन वह कहीं न कहीं अधूरी होती है जिसका नियमित पालन करने के बाद भी कोई विशेष स्वास्थ्य लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है। आयुर्वेद का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक अलग ही महत्व है। इसलिए आप आयुर्वेद के अनुसार अपनी दिनचर्या रखते हैं तो इससे सिर्फ आपके जीवन में ही सुधार नहीं होगा बल्कि एक बेहतर जीवन शैली से आप स्वस्थ, प्रसन्न और निरोगी रहेंगें। इसी को ध्यान में रखते हुए इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आयुर्वेद के अनुसार कैसी होनी चाहिए आपकी दिनचर्या।
विषय सूची
- आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या में तड़के सुबह उठना – Wake Up Early in the Morning Ayurveda daily routine in Hindi
- जगने के बाद चेहरे को साफ करना आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या – Clean the Face Ayurveda ke anusar dinacharya in hindi
- आयुर्वेदिक दिनचर्या में नियमित सुबह पानी पीना – Drink Water Ayurveda daily routine in Hindi
- रोजाना मल त्यागना आयुर्वेद के दिनचर्या में शामिल – Evacuation daily Dinacharya according to Ayurveda in Hindi
- आयुर्वेद के अनुसार व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें – Exercise daily dinacharya in Ayurveda in Hindi
- आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या में नियमित मेडिटेशन भी है जरूरी – Meditation daily Dinacharya according to Ayurveda in Hindi
- आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या में समय पर नाश्ता करना जरूरी – Breakfast importance of dinacharya in ayurveda in hindi
- आयुर्वेद के दिनचर्या में अभ्यांग भी है शामिल – Abhyanga in ayurvedic lifestyle in Hindi
- नियमित दिनचर्या में नहाने का समय निर्धारित करें – Bathing daily routine according to Ayurveda in Hindi
- आयुर्वेद के अनुसार समय पर लंच करें – Lunch daily Practicing Ayurvedic Eating Habits in Hindi
- आयुर्वेद के अनुसार रात का खाना हल्का रखें – Dinner daily routine according to Ayurveda in Hindi
- आयुर्वेद के अनुसार समय पर सोना बेहद जरूरी – Sleep daily dinacharya according to Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या कैसी होनी चाहिए – Ayurveda ke anusar dinacharya in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या को अपनाकर अच्छी सेहत पायी और बरकरार रखी जा सकती है आयुर्वेद और दिनचर्या का एक दुसरे से घनिष्ट संबंध माना जाता है इसलिए यदि आप अपने दिन की शुरुआत आयुर्वेदिक तरीकों को अपनाकर करते है तो आप जीवन भर निरोगी रह सकते हैं आइये जानतें हैं आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या कैसी होनी चाहिए के बारे में।
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या में तड़के सुबह उठना – Wake Up Early in the Morning Ayurveda daily routine in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार सुबह सूरज निकलने से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। तड़के सुबह चार बजे से छह बजे के बीच जगना सबसे आदर्श समय होता है। माना जाता है कि इस दौरान प्रकृति में सात्विक गुण उपस्थित होते हैं जो मन में शांति और इंद्रियों में ताजगी लाते हैं। उठने के ठीक बाद, कुछ क्षणों के लिए अपने हाथों को देखें, फिर अपनी छाती और कमर तक धीरे धीरे ले जाएं। इससे चेहरे की आभा साफ होती है। इसके बाद गहरी सांस लें और नए दिन की शुरूआत करने के लिए सकारात्मक विचार मन में लाएं।
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जगने के बाद चेहरे को साफ करना आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या – Clean the Face Ayurveda ke anusar dinacharya in Hindi
आयुर्वेद मानता है कि बिस्तर छोड़ने के बाद अपने चेहरे पर ठंडे पानी की छींटें मारकर चेहरा साफ करना चाहिए साथ ही आंख और मुंह रगड़कर साफ करना चाहिए। आंखों को सभी दिशाओं में सात बार घुमाएं और पलकों को झपकाकर इसे पानी से साफ करना चाहिए। इसके बाद साफ तौलिए से चेहरा पोंछना चाहिए। अगर आपको वात दोष है तो एक कप पानी में त्रिफला चूर्ण डालकर दस मिनट तक उबालें और इसे छानकर और ठंडा करके आंख धोएं। अगर पित्त दोष है तो ठंडे पानी या गुलाब जल से आंखों को साफ करें और यदि कफ दोष है तो क्रैनबेरी (करोंदे) के रस को आसुत (समान्य पानी) जल में मिलाकर आंखों को साफ करें।
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आयुर्वेदिक दिनचर्या में नियमित सुबह पानी पीना – Drink Water Ayurveda daily routine in Hindi
सुबह जगने के बाद नियमित एक गिलास गुनगुना पानी पीने की आदत डालें। यदि संभव हो तो रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखें और सुबह उठने के बाद इस शीतल जल को पीएं। इससे किडनी में सूजन नहीं होती और लिवर में रोग नहीं होता है। इसके अलावा आपको नित्य क्रिया करने यानि पेट साफ होने में भी आसानी होती है। आयुर्वेदिक दिनचर्या में सुबह चाय या कॉफी का सेवन कदापि न करे क्योंकि यह गुर्दे की ऊर्जा को घटाता है और अधिवृक्क पर अधिक जोर पड़ने के कारण कब्ज की समस्या हो सकती है।
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रोजाना मल त्यागना आयुर्वेद के दिनचर्या में शामिल – Evacuation daily Dinacharya according to Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद का मानना है कि सुबह उठने के बाद अपने मूत्राशय और बृहदान्त्र को खाली करना चाहिए। एक गिलास गर्म पानी पीने के बाद ही शौचालय जाना चाहिए। यह ऊतकों को फिर से सक्रिय करने और रात भर जमा हुए विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा पाचन अग्नि को उत्तेजित करता है जिससे आपको मल त्यागने में सुविधा होती है। प्रत्येक दिन सुबह एक निर्धारित समय पर ही शोंच करना चाहिए और मल त्यागने के बाद गुदा छिद्र को गुनगुने पानी से धोना चाहिए और फिर साबुन से हाथ साफ करना चाहिए।
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आयुर्वेद के अनुसार व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें – Exercise daily dinacharya in Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार दैनिक व्यायाम, प्राणायाम या योगाभ्यास से ऊतकों का परिसंचरण और ऑक्सीजन बढ़ जाता है और अग्नि को मजबूत करता है, शरीर को टोन करता है, वसा कम करता है और जीवन शक्ति बढ़ाता है। व्यायाम करने के लिए सबसे अच्छा समय निर्धारित करें। सुबह प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर की जरूरत के अनुसार व्यायाम करना चाहिए जो शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने और लंबे समय तक आपको फिट रखने का काम करता है।
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आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या में नियमित मेडिटेशन भी है जरूरी – Meditation daily Dinacharya according to Ayurveda in Hindi
जिस तरह हम हर दिन अपने शरीर को साफ करते हैं, उसी तरह हमें अपने मस्तिष्क में संचित विचारों को भी साफ करना चाहिए। इसलिए आयुर्वेद में मन की शांति और मानसिक मजबूती के लिए ध्यान और चिंतन (Meditation) को बहुत महत्व दिया गया है। रोजाना शांत वातावरण में बैठकर कुछ मिनट तक अपनी सांस पर ध्यान दें। यह अभ्यास बाहरी वातावरण के अस्थिर प्रभावों के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।
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आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या में समय पर नाश्ता करना जरूरी – Breakfast importance of dinacharya in ayurveda in Hindi
आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या का निर्धारण करने में नाश्ते को बहुत महत्व दिया गया है। आयुर्वेद का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को सुबह आठ बजे से पहले नाश्ता कर लेना चाहिए। सुबह का नाश्ता हल्का और पौष्टिक होना चाहिए। यदि आप आयुर्वेद के अनुसार अपनी दिनचर्या रखते हैं तो प्रतिदिन एक निर्धारित समय पर ही नाश्ता करें।
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आयुर्वेद के दिनचर्या में अभ्यांग भी है शामिल – Abhyanga in ayurvedic lifestyle in Hindi
नहाने से पहले गुनगुने तेल से पूरे शरीर की मालिश करें। सिर और शरीर पर तेल लगाकर मसाज करने से बाल मजबूत होते हैं और गंजापन नहीं होता है। संभव हो तो रात में सोने से पहले ही शरीर पर तेल से मालिश कर लें। यदि आपको वात दोष है तो गर्म तिल के तेल से मालिश करें। यदि आपको पित्त दोष है तो सूरजमुखी या नारियल के तेल से और यदि आपको कफ दोष है तो सरसों के तेल से मालिश करना उपयोगी है। तेल से मालिश करने के बाद स्नान करने की बारी आती है।
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नियमित दिनचर्या में नहाने का समय निर्धारित करें – Bathing daily routine according to Ayurveda in Hindi
अक्सर देखा गया है कि लोगों के नहाने का समय निर्धारित नहीं होता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या अपनाने के लिए आपको नियमित एक ही समय पर नहाना चाहिए। आयुर्वेद में लिखा गया है कि नहाने से शरीर की सफाई हो जाती है और ताजगी मिलती है। यह पसीने, गंदगी और थकान को दूर करता है, शरीर में ऊर्जा लाता है, मन को स्वच्छ रखता है और आपके जीवन में पवित्रता लाता है।
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आयुर्वेद के अनुसार समय पर लंच करें – Lunch daily Practicing Ayurvedic Eating Habits in Hindi
मध्याह्न के समय अग्नि सबसे मजबूत होती है। इसलिए इस समय दिन का सबसे बड़ा भोजन खाएं यानि भोजन में कई तरह की चीजें शामिल करें।
पाचन में सहायता के लिए खाने के बाद टहलें। यह ध्यान रखें कि आपका भोजन सादा और सामान्य होना चाहिए।
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आयुर्वेद के अनुसार रात का खाना हल्का रखें – Dinner daily routine according to Ayurveda in Hindi
आमतौर पर रात को सोने से चार घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए, यदि आप आयुर्वेद के अनुसार अपनी दिनचर्या बनाना चाहते हैं।
रात का भोजन काफी हल्का होना चाहिए और भोजन करने के लगभग तीन घंटे बाद ही बिस्तर पर जाना चाहिए। संभव हो तो सोने से पहले प्रतिदिन रात में हल्दी वाला दूध जरूर पीएं।
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आयुर्वेद के अनुसार समय पर सोना बेहद जरूरी – Sleep daily dinacharya according to Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद मानता है कि प्रत्येक व्यक्ति को रात 10 बजे तक सो जाना चाहिए और कम से कम 6 से 8 घंटे की अच्छी नींद लेनी चाहिए। तंत्रिका तंत्र को शांत रखने और नींद को बढ़ावा देने के लिए बिस्तर पर जाने से पहले सिर और पैरों के तलवों में तेल जरूर लगाएं।
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