Virabhadrasana 2 in Hindi वीरभद्रासन-2 या वॉरईयर पोज़ (Warrior-2 Pose) एक स्थाई योग मुद्रा हैं जो शक्ति, स्थिरता और एकाग्रता को बढ़ता हैं। योद्धा पोज़-2 को करने के लिए ताकत और स्थिरता दोनों की आवश्यकता होती है। इस आसन को करने के लिए ऊपरी शरीर के साथ-साथ कूल्हों में भी लचीलापन की आवश्यकता होती है। वीरभद्रासन शरीर की स्थिरता और ख़ुशी दोनों को संतुलित करता है। यह आसन हमारे शरीर को आंतरिक रूप से भी मजबूत करता हैं। आइये वीरभद्रासन-2 करने की विधि और इससे होने वाले लाभों को विस्तार से जानते हैं।
विषय सूची
1. वीरभद्रासन-2 क्या हैं – What is Virabhadrasana-2 (Warrior- 2 Pose) in Hindi
2. वीरभद्रासन-2 करने से पहले यह आसन करें – Virabhadrasana-1 karne se pehle yeh aasan kare in Hindi
3. वीरभद्रासन-2 करने का तरीका – Steps to do Virabhadrasana-2 (Warrior-2) Pose in Hindi
4. शुरुआती लोगों के लिए वीरभद्रासन-2 करने की प्रारंभिक टिप – Beginner’s Tips to do Virabhadrasana-2 Hindi
5. वीरभद्रासन-2 के फायदे – Virabhadrasana-2 (Warrior-2) Benefits in Hindi
- सहन शक्ति बढ़ाने में लाभदायक वीरभद्रासन-2 – Virabhadrasana-2 for increases stamina in Hindi
- वीरभद्रासन-2 के फायदे हिप्स को बड़ा करने में – Virabhadrasana-2 for Increasing hips in Hindi
- मस्तिष्क के विकास के लिए फायदेमंद वीरभद्रासन-2 – Virabhadrasana-2 for brain development in Hindi
- वीरभद्रासन-2 के लाभ पेट की मांसपेशियों को मजबूत करे – Advantage of Warrior-2 strengthens stomach muscles in Hindi
वीरभद्रासन-2 क्या हैं – What is Virabhadrasana-2 (Warrior- 2 Pose) in Hindi
वीरभद्रासन मुद्रा का नाम भगवान शिव द्वारा निर्मित वीरभद्र पौराणिक चरित्र से लिया गया है। इस वीरभद्रासन योग के तीन आसन हैं जिनको वीरभद्रासन-1, वीरभद्रासन-2 और वीरभद्रासन-3 के नाम से जाना जाता हैं। आज हम वीरभद्रासन-2 के बारे में बात करेगे। वीरभद्रासन शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया हैं जो दो शब्दों से मिलके बना हैं जिसमे पहला शब्द “वीर” का अर्थ “योद्धा” हैं और दूसरा शब्द “भद्र” जिसका अर्थ “मित्र” होता हैं। इस आसन को योद्धा-2 के नाम से भी जाना जाता हैं। इस आसन को अंग्रेजी में Warrior-2 Pose के नाम से भी जाना जाता हैं। आइये वीरभद्रासन-2 करने के तरीके को विस्तार से जानते हैं।
(और पढ़ें – वीरभद्रासन 1 करने का तरीका और लाभ)
वीरभद्रासन-2 करने से पहले यह आसन करें – Virabhadrasana-1 karne se pehle yeh aasan kare in Hindi
इस आसन को करने से पहले आप नीचे दिए कुछ योग आसन को करें, इससे आपको वीरभद्रासन-2 करने में मदद मिलेगी-
- वीरभद्रासन-1
- पूर्वोत्तानासन
- सुप्त पादांगुष्ठासन
- उत्कटासन या चेयर पोज़
वीरभद्रासन-2 करने का तरीका – Steps to do Virabhadrasana-2 (Warrior-2) Pose in Hindi
वीरभद्रासन-2 को करना बहुत ही आसन हैं, इसे भी वीरभद्रासन-1 के जैसे ही किया जाता हैं। आइये वीरभद्रासन-2 को करने की विधि को विस्तार से जानते हैं-
- अगर आप वीरभद्रासन-1 कर रहे थे और वीरभद्रासन-2 करना हैं तो आप पहले अपनी प्रारंभिक अवस्था में आयें।
- इस वीरभद्रासन-2 करने के लिए आप सबसे पहले एक साफ स्थान पर योगा मैट को बिछा के उस पर सीधे खड़े हो जाएं।
- इस आसन को करने के लिए आप ताड़ासन योग मुद्रा में भी खड़े हो सकते हैं।
- अब अपने दोनों पैरों को फैला लें और दोनों पैरो के बीच 3 से 3.5 फिट का अन्तर रखें।
- अपने दोनों हाथों को सीधा करें जिससे आपके दोनों हाथ जमीन के समान्तर हो जाएं।
- अब अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमाएं।
- अपने सिर को अपने दाएं हाथ की दिशा में घुमाएं और सामने की ओर देखें।
- इसके बाद अपने दाएं पैर को घुटने के यहाँ से मोड़े और उस पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
- इस स्थिति में आपके दायं पैर की जांघ फर्श के समान्तर होगी और बायां पैर पूरी से तरह से सीधा होगा।
- इस स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें, और फिर अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें।
- फिर से यही पूरी प्रक्रिया दूसरे वाले पैर से करें।
(और पढ़े – ताड़ासन करने के फायदे, सावधानियां और करने का तरीका…)
शुरुआती लोगों के लिए वीरभद्रासन-2 करने की प्रारंभिक टिप – Beginner’s Tips to do Virabhadrasana-2 Hindi
अगर आप बिगिनर हैं और अभी-अभी योग अभ्यास करने की शुरुआत कर रहे हैं तो हो सकता हैं कि आपको पैर को मोड़ने के बाद अपने शरीर के संतुलन बनाने में कठिनाई हो। तो इसके लिए आप एक कुर्सी का सहारा ले सकते हैं। जब आप वीरभद्रासन-2 में अपना संतुलन खोने लगें तो कुर्सी को अपनी जांघ के नीचे रख लें। इससे आप इस आसन को आसानी से कर पाएंगे।
(और पढ़ें – योग की शुरुआत करने के लिए कुछ सरल आसन)
वीरभद्रासन-2 के फायदे – Virabhadrasana-2 (Warrior-2) Benefits in Hindi
वीरभद्रासन-2 या योद्धा-2 पोस करने की अनेक लाभ हैं आइये इसके लाभ को विस्तार से जानते हैं-
सहन शक्ति बढ़ाने में लाभदायक वीरभद्रासन-2 – Virabhadrasana-2 for increases stamina in Hindi
वीरभद्रासन-2 करने के लिए आपको अधिक ताकत की आवश्यकता होती हैं जो आपके शरीर को मजबूत करता हैं और यह आसन आपकी सहनशक्ति भी बढ़ाने में मदद करता हैं। वीरभद्रासन-2 या योद्धा-2 पोज़ पैरों, गले और छाती को भी एक शक्तिशाली खिंचाव देता हैं। यह आसन पीठ में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करता हैं।
(और पढ़ें – पीठ दर्द के लिए योगासन)
वीरभद्रासन-2 के फायदे हिप्स को बड़ा करने में – Virabhadrasana-2 for Increasing hips in Hindi
वीरभद्रासन-2 हिप्स को बड़ा करने में मदद करता हैं। यह योग मुद्रा जांघों और नितंबो की मांसपेशियों को मजबूत करती हैं। यह आसन पेट, एड़ियों और पैरों को टोन करता हैं। यह योद्धा-2 पोज़ छाती और कंधे को फैलता हैं जिससे साँस लेने की क्षमता में सुधार होता हैं। यह आसन पूरे शरीर में रक्त के परिसंचरण को बढ़ाता हैं। यह आसन फ्लैट पैर, सायटिका, बांझपन और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे समस्या को ठीक करता हैं।
(और पढ़ें – हिप्स को मोटा करने के टिप्स…)
मस्तिष्क के विकास के लिए फायदेमंद वीरभद्रासन-2 – Virabhadrasana-2 for brain development in Hindi
वीरभद्रासन-2 योगासन ना केवल आपको भौतिक रूप से लाभदायक हैं बल्कि यह आपके दिमाग को भी स्वस्थ रखता हैं। योद्धा-2 आपके ध्यान को केन्द्रित करने में भी मदद करता हैं, यह आसन स्मरण शक्ति को बढ़ाता हैं जिससे किसी भी बात को लम्बे समय तक याद रखा जा सकता हैं। यह आपके मन को शांत रखता हैं और तनाव को दूर करने में मदद करता हैं।
(और पढ़ें – दिमाग तेज करने के लिए योग)
वीरभद्रासन-2 के लाभ पेट की मांसपेशियों को मजबूत करे – Advantage of Warrior-2 strengthens stomach muscles in Hindi
वीरभद्रासन-2 पेट के अंगों को उत्तेजित करने और पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करता हैं। यह आसन कार्पल सुरंग सिंड्रोम (carpal tunnel syndrome) की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता हैं। यह आसन शांति, साहस और शुभकामना को बढ़ावा देता है। यह अभ्यास करने के लिए एक बेहद खूबसूरत मुद्रा है।
(और पढ़ें – पाचन शक्ति बढ़ाने के घरेलू उपाय…)
वीरभद्रासन-2 करने से पहले रखें यह सावधानियां – Precautions to do Virabhadrasana-2 (Warrior-2) in Hindi
वीरभद्रासन-2 या योद्धा-2 पोज़ करने से पहले आपको कुछ सावधानी रखना बहुत ही आवश्यक हैं-
- अगर आपको रीढ़ की हड्डी में समस्या हैं या आप अभी-अभी किसी पुरानी बीमारी से ठीक हुये हैं तो आप इस आसन को करने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
- उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोग पूरी तरह से इस मुद्रा का अभ्यास करने से बचना चाहिए।
- यह मुद्रा गर्भवती महिलाओं को दूसरी और तीसरी तिमाही में लाभ देती है, हालांकि इस मुद्रा को करने से पहले उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
- अगर आपको दस्त हो तो इस आसन से बचना सबसे अच्छा है।
- अगर आपको गर्दन दर्द की समस्या है, तो अपने सिर को सीधे रखें और मुद्रा को करें।
- आपको घुटने की समस्याएं या गठिया हैं तो आप इस आसन को ना करें।
(और पढ़ें – गठिया (आर्थराइटिस) के लिए योग…)
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