Pancreatic Cancer In Hindi पैन्क्रीऐटिक कैंसर को हिंदी में अग्नाश्य का कैंसर कहा जाता है। अग्न्याशय (pancreas) एक 6 इंच लंबा अंग होता है जो पेट के पीछे पित्ताशय (gall bladder) के पास स्थित होता है। इसमें ग्रंथियां होती हैं जो अग्नाशयी रस (pancreatic juice), हार्मोन और इंसुलिन बनाती हैं। अग्नाशय (pancreas) में दो तरह की ग्रंथियां होती है एक होती है एक्सोक्राइन ग्रंथियां और दूसरी एंडोक्राइन ग्रंथियां।
एक्सोक्राइन ग्रंथियां (Exocrine glands) रस और एंजाइम का उत्पादन करती हैं, जो आंतों (intestines) में प्रवेश करती हैं और वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को पचाने में मदद करती हैं। ये अधिकांश अग्नाशय को बनाती हैं।
एंडोक्राइन ग्रंथियां कोशिकाओं के छोटे समूह जैसे होते हैं जिन्हें लैंगरहैंस के आइलेट्स के रूप में जाना जाता है। यह ग्रंथियां हार्मोन, इंसुलिन और ग्लूकागन (glucagon) को रक्तप्रवाह में छोड़ते हैं। वहां, यह रक्त शर्करा (blood sugar level) के स्तर का प्रबंधन करते हैं। परन्तु जब यह ग्रंथियां ठीक से काम नहीं करती हैं, तो अक्सर मधुमेह होने की आशंका होती है।
अग्नाशय कैंसर दोनों में से किसी भी ग्रंथियो में हो सकता है, कैंसर का प्रकार इस बात पर भी निर्भर करता है कि कैंसर किस ग्रंथि के कार्य को प्रभावित कर रहा है। शोध में पाया गया है की महिलओं के मुकाबले पुरुषों में अग्नाशय कैंसर होने की ज्यादा संभावना होती है।
आज के लेख में हम अग्नाशय कैंसर क्या है इसके लक्षण कारण जांच इलाज और बचाव के बारे में जानेंगे।
1. अग्नाशय कैंसर क्या है – Agnashay cancer kya hai in hindi
2. अग्नाशय कैंसर के प्रकार – Agnashay cancer ke prakar in hindi
- एक्सोक्राइन अग्नाशय का कैंसर – Exocrine pancreatic cancer in hindi
- एंडोक्राइन अग्नाशय का कैंसर- Endocrine pancreatic cancer in hindi
3. अग्नाशय कैंसर के लक्षण – Agnashay cancer ke lakshan in hindi
4. अग्नाशय कैंसर होने का कारण – Agnashay cancer hone ka karan in hindi
- अग्नाशय कैंसर होने का जेनेटिक कारक -Agnashay cancer hone ka karan genetic factors in hindi
- अग्नाशय कैंसर होने का कारण पर्यावरण के विषाक्त पदार्थ – Agnashay cancer hone ka karan Environmental toxins in hindi
- अग्नाशय कैंसर होने के जीवनशैली के कारक – Pancreatic Cancer Causes lifestyle factors in hindi
5. अग्नाशय कैंसर की जांच – Agnashay cancer ki janch in hindi
- अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण – Agnashay cancer ki janch ke liye Laboratory test in hindi
- अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए इमेजिंग परीक्षण – Agnashay cancer ki janch ke liye Imaging test in hindi
- अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी – Agnashay cancer ki janch ke liye Biopsy in hindi
6. अग्नाशय कैंसर के चरण -Agnashay cancer ke charan in hindi
7. अग्नाशय के कैंसर का इलाज – Agnashay ke cancer ka ilaj in hindi
8. अग्नाशय कैंसर से बचाव – Agnashay cancer se bachav in hindi
अग्नाशय कैंसर क्या है – Agnashay cancer kya hai in hindi
अग्नाशय कैंसर तब होता है जब अग्नाशय के एक हिस्से में अनियंत्रित कोशिका वृद्धि (uncontrolled cell growth) शुरू होती है। जिससे ट्यूमर विकसित हो जाता हैं, और ये अग्नाशय के काम करने के तरीके में हस्तक्षेप करने लगता हैं।
(और पढ़े – पैनक्रियाज (अग्नाशय) क्या है, कार्य, रोग और ठीक रखने के उपाय…)
अग्नाशय कैंसर के प्रकार – Agnashay cancer ke prakar in hindi
- एक्सोक्राइन अग्नाशय का कैंसर – Exocrine pancreatic cancer in hindi
- एंडोक्राइन अग्नाशय का कैंसर- Endocrine pancreatic cancer in hindi
अग्नाशय कैंसर दो प्रकार के होते है परन्तु यह इस बात पर निर्भर करते है की यह एक्सोक्राइन या एंडोक्राइन दोनों में से किस ग्रंथि को ज्यादा प्रभावित कर रहे है।
एक्सोक्राइन अग्नाशय का कैंसर – Exocrine pancreatic cancer in hindi
एक्सोक्राइन ग्रंथि के कार्यों को प्रभावित करने वाले ट्यूमर सबसे आम प्रकार के होते हैं। यह ट्यूमर निंदनीय (malignant) या सौम्य (benign) हो सकते हैं। सौम्य ट्यूमर (benign tumor) या सिस्ट को सिस्टेडेनोमा (cystadenomas) कहा जाता है। ज़्यादातर अग्नाशय के ट्यूमर घातक या कैंसरग्रस्त होते हैं। विभिन्न प्रकार के अग्नाशय के कैंसर एक्सोक्राइन ग्रंथि के कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
इस तरह के ट्यूमर के कई प्रकार होते है जैसे-
एडेनोकार्सिनोमा (adenocarcinomas) – यह ट्यूमर आमतौर पर अग्नाशय की नलिकाओं की ग्रंथि कोशिकाओं में पैदा होता है, जिससे कैंसर हो सकता है।
एसीनार सेल कार्सिनोमा (acinar cell carcinoma) – यह ट्यूमर अग्नाशयी एंजाइम कोशिकाओं (pancreatic enzyme cells) में जाकर पैदा होता है, इससे भी अग्नाशय कैंसर होता है।
एम्पुलरी कैंसर (ampullary cancer) – यह ट्यूमर पित्त नलिका (bile duct) और अग्नाशयी नलिका (pancreatic duct) से होते हुए छोटी आंत से मिलता है और वहां पर पैदा होता है।
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एंडोक्राइन अग्नाशय का कैंसर- Endocrine pancreatic cancer in hindi
अग्नाशय के एंडोक्राइन कार्यों को प्रभावित करने वाले ट्यूमर को न्यूरोएंडोक्राइन (neuroendocrine) या आइलेट-सेल ट्यूमर (islet cell tumor) कहा जाता है। यह ट्यूमर काफी असामान्य होते हैं। एंडोक्राइन अग्नाशय कैंसर में शामिल है-
- इंसुलिनोमस (इंसुलिन) insulinomas (insulin)
- ग्लूकागोनोमास (ग्लूकागन) glucagonomas (glucagon)
- गैस्ट्रिनोमा (गैस्ट्रिन) gastrinomas (gastrin)
- सोमाटोस्टैटिनोमस (सोमाटोस्टेटिन) somatostatinomas (somatostatin)
फंक्शनिंग आइलेट सेल ट्यूमर हार्मोन बनाने का अपना काम हमेशा करते रहते हैं। इनमें से अधिकांश ट्यूमर सौम्य (benign) होते हैं, लेकिन जो आइलेट सेल कार्यशील नहीं होते है उस तरह के ट्यूमर बहुत अधिक घातक होते है और इस वजह से इनमे आइलेट-सेल कार्सिनोमा होने की अधिक संभावना होती है।
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अग्नाशय कैंसर के लक्षण – Agnashay cancer ke lakshan in hindi
अग्नाशय कैंसर के ज़्यादातर लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते जब तक यह उच्च स्तर के ट्यूमर में ना बदल जाये, इसलिए इसे साइलेंट ट्यूमर भी कहा जाता है।
फिर भी अग्नाशय कैंसर कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते है जैसे-
- पेट के ऊपरी भाग में दर्द बने रहना
- पीलिया होना जिसकी वजह से स्किन आँख और यूरिन में पीलापन आना
- तेजी से वजन घटना
- ग्रे फैटी मल निकलना
हालांकि यह सभी लक्षण अन्य बीमारियों के भी हो सकते है इसलिए ज़्यादातर डॉक्टर अग्नाशय कैंसर की जांच सही समय पर नहीं कर पाते है जब तक यह अपने घातक स्तर पर ना पहुँच जाये।
न्यूरोएंडोक्राइन (neuroendocrine) या आइलेट-सेल ट्यूमर (islet cell tumor) की वजह से अग्नाशय में बहुत अधिक इन्सुलिन और हॉर्मोन पैदा होते है जिसकी वजह से-
- व्यक्ति को बहुत अधिक ठण्ड लगती है
- कमजोरी और चक्कर आते है
- मासपेशियों में ऐंठन होती है
दस्त लग जाते है अग्नाशयी कैंसर कई बार अलग तरह से भी उत्पन्न होता है, यह निर्भर करता है कि अग्नाशय के किस हिस्से में ट्यूमर है, हेड या टेल में । अग्नाशय के टेल में ट्यूमर के परिणामस्वरूप दर्द और वजन कम होने की संभावना अधिक होती है। परन्तु सिर के ट्यूमर में फैटी मल, वजन घटने और पीलिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।यदि कैंसर फैलता है या मेटास्टेसिस (metastasizes) करता है, तो प्रभावित क्षेत्र और शरीर के बाकी हिस्सों में नए लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
(और पढ़े – पीलिया के कारण, लक्षण और उपचार…)
अग्नाशय कैंसर होने का कारण – Agnashay cancer hone ka karan in hindi
- अग्नाशय कैंसर होने का जेनेटिक कारक -Agnashay cancer hone ka karan genetic factors in hindi
- अग्नाशय कैंसर होने का कारण पर्यावरण के विषाक्त पदार्थ – Agnashay cancer hone ka karan Environmental toxins in hindi
- अग्नाशय कैंसर होने के जीवनशैली के कारक – Pancreatic Cancer Causes lifestyle factors in hindi
अग्नाशय कैंसर होने के क्या कारण है इनका पता साइंटिस्ट भी नही लगा पाए है परन्तु इस तरह के ट्यूमर होने के कुछ मुख्य कारण हो सकते है जैसे-
अग्नाशय कैंसर होने का जेनेटिक कारक -Agnashay cancer hone ka karan genetic factors in hindi
यदि किसी व्यक्ति के डीएनए में क्षति पहुँचे तो यह परिवर्तन, कोशिका विभाजन (cell division) को नियंत्रित करने वाले जीन (genes) को नुकसान पहुंचा सकता है। जिसकी वजह से अग्नाशय का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। अग्नाशय का कैंसर अनुवांशिक भी हो सकता है जिसके चलते यह हो सकता है की यदि किसी व्यक्ति के परिवार में से किसी को कभी अग्नाशय की कोई गंभीर बीमारी रही हो तो यह अग्नाशय का कैंसर होने का कारण हो सकता है और उस व्यक्ति को भी यह कैंसर होने की पूरी संभावना है। ज्यादा धुम्रपान करने से भी अग्नाशय का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए यह बीमारी महिलओं से अधिक पुरुषों में पाई जाती है।
यदि किसी व्यक्ति को कोई अनुवांशिक सिंड्रोम है तब भी उसमे यह कैंसर उत्पन्न होने की संभावना होती है जैसे-
- वंशानुगत स्तन और अंडाशय के कैंसर का सिंड्रोम
- मेलेनोमा (melanoma)
- अग्नाशयशोथ (pancreatitis)
- गैर-पॉलीपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर (लिंच सिंड्रोम) non-polyposis colorectal cancer (Lynch syndrome)
(और पढ़े – अग्नाशयशोथ क्या है, कारण, लक्षण और बचाव…)
अग्नाशय कैंसर होने का कारण पर्यावरण के विषाक्त पदार्थ – Agnashay cancer hone ka karan Environmental toxins in hindi
कीटनाशकों के संपर्क में आना – कीटनाशकों के संपर्क में आने से विभिन्न बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है और अग्नाशयी कैंसर इनमें से एक मुख्य कारण हो सकता है।
अग्नाशयी कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले पदार्थों की सूचि इस प्रकार हैं-
- कीटनाशक से
- रंगों से
- धातु शोधन (metal refining) में उपयोग किया गया रसायन
जब शरीर एक कार्सिनोजेन (carcinogen) के संपर्क में आता है, तो मुक्त कण (free radicals) बनते हैं जिससे यह कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। ये क्षति, कोशिकाओं और सामान्य रूप से कार्य करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करते हैं जिससे अग्नाशय कैंसर की संभावना में वृद्धि हो सकती है।
अग्नाशय कैंसर होने का कारण उम्र (Age) – उम्र भी एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है अग्नाशय कैंसर के लिए क्योकि ज़्यादातर 60 की उम्र से ऊपर वाले व्यक्ति में ही अग्नाशय कैंसर की संभावना अधिक होती है।
साइंटिस्ट का मानना है की अग्नाशय के कैंसर और अन्य बीमारियों के बीच सम्बन्ध हो सकता है जैसे –
- सिरोसिस या लीवर का कोई जख्म
- अल्सर पैदा करने वाले बैक्टीरिया के साथ पेट का संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया जैसे हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच.पाइलोरी)
- मधुमेह
- पुरानी अग्नाशयशोथ (pancreatitis) या अग्न्याशय की सूजन
- मसूड़े की सूजन
यह सभी कारण अग्नाशय के कैंसर को उत्पन्न कर सकते है।
(और पढ़े – लीवर की कमजोरी कारण लक्षण और दूर करने के उपाय…)
अग्नाशय कैंसर होने के जीवनशैली के कारक – Pancreatic Cancer Causes lifestyle factors in hindi
हमारे जीवनशैली का असर भी हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है इसलिए यह भी अग्नाशय का कैंसर होने का एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है जैसे-
- बहुत ज्यादा धुम्रपान करना
- वजन बढ़ना
- किसी भी प्रकार की एक्सरसाइज ना करना
- लाल मांस या वसायुक्त भोजन का सेवन करना
- फल और हरी सब्जियों का सेवन ना करना
- बहुत अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना
इन सभी कारणों से अग्नाशय कैंसर होने की संभावना बढ़ सकती है।
(और पढ़े – शराब पीना कैंसर का कारण बन सकता है…)
अग्नाशय कैंसर की जांच – Agnashay cancer ki janch in hindi
- अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण – Agnashay cancer ki janch ke liye Laboratory test in hindi
- अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए इमेजिंग परीक्षण – Agnashay cancer ki janch ke liye Imaging test in hindi
- अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी – Agnashay cancer ki janch ke liye Biopsy in hindi
अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए कई तरह के टेस्ट उपलब्ध है जिन्हें करवाकर आप ट्यूमर का पता कर सकते है, इन टेस्ट में मुख्य है-
अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए प्रयोगशाला परीक्षण – Agnashay cancer ki janch ke liye Laboratory test in hindi
अग्नाशय कैंसर की जाँच के परीक्षणों में शामिल हैं-
- रक्त परीक्षण (blood test)
- मूत्र परीक्षण (urine test)
- मल परीक्षण (stool test)
- रक्त परीक्षण में उस रसायन के बारे में पता लगाया जाता है जो अग्नाशयी कैंसर कोशिकाओं को रक्त में छोड़ता है।
- पित्त नलिका (bile duct blockage) की रुकावट के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट की जाँच करवाई जा सकती हैं।
(और पढ़े – लिवर फंक्शन टेस्ट क्या है, कब और क्यों किया जाता है परिणाम और कीमत…)
अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए इमेजिंग परीक्षण – Agnashay cancer ki janch ke liye Imaging test in hindi
डॉक्टर यह पता लगाने के लिए इमेजिंग टेस्ट करवाते है की क्या अग्नाशय कोई ट्यूमर मौजूद है और यदि ऐसा है, तो यह कितना ज्यादा फ़ैल गया है यह देखना भी जरुरी है।
आम इमेजिंग टेस्ट कई प्रकार के होते हैं जैसे-
- अल्ट्रासाउंड या एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड
- सीटी, एमआरआई, या पीईटी स्कैन
- एक्स-रे
- एंजियोग्राम
(और पढ़े – सीटी स्कैन क्या है कैसे होता है, कीमत, फायदे और नुकसान…)
अग्नाशय कैंसर की जांच के लिए बायोप्सी – Agnashay cancer ki janch ke liye Biopsy in hindi
बायोप्सी में डॉक्टर माइक्रोस्कोप से जाँच करने के लिए ऊतक (tissue) का एक छोटा सा नमूना निकालते हैं। इस विधि से डॉक्टर सबसे अच्छे से पता लगा पाते है की कैंसर के लक्षण है या नहीं।
(और पढ़े – बायोप्सी कराने का उद्देश्य, तरीका, फायदे और नुकसान…)
अग्नाशय कैंसर के चरण -Agnashay cancer ke charan in hindi
अग्नाशय के कैंसर के चरण कितने होते है यह जानना भी बहुत जरुरी है ताकि उस चरण के हिसाब से उपचार किया जा सके, इसके विभिन्न चरण कुछ बातों पर निर्भर करते है जैसे-
- प्राथमिक ट्यूमर का आकार और प्रत्यक्ष सीमा कितनी है
- कैंसर अभी तक अग्नाशय के पास लिम्फ नोड्स में फैल चुका है या नहीं
- कैंसर शरीर में अन्य अंगों तक मेटास्टेसाइज़ या फैल गया है या नहीं
- ट्यूमर की चरण स्टेज 0 से स्टेज IV तक होती है।
स्टेज 0- चरण 0 में अग्नाशय वाहिनी कोशिकाओं (pancreatic duct cells ) की ऊपरी परतों में कैंसर की कोशिकाएँ होती हैं। ट्यूमर ने गहरे ऊतकों (deeper tissues) पर आक्रमण नहीं किया है या अग्न्याशय के बाहर नहीं फैला है यह इस चरण में देखा जाता है।
स्टेज IV– चरण IV में यह पता किया जाता है की कैंसर पूरे शरीर में दूर-दूर तक फैल गया है।
स्टेज 0 पर, प्रभावी उपचार संभव हो सकता है। परन्तु चौथे चरण में, ट्यूमर दूर के अंगों में फैल चुका होता है इसलिए सर्जरी करना ही एक मात्र उपाय रहता है जिसकी सलाह डॉक्टर भी देते है इससे दर्द को कम किया जा सकता है।
(और पढ़े – मुंह का कैंसर क्या है, कारण, लक्षण, जांच, इलाज और रोकथाम…)
अग्नाशय के कैंसर का इलाज – Agnashay ke cancer ka ilaj in hindi
अग्नाशय के कैंसर के इलाज के कई उपाय है जिनकी सहायता से दर्द को कम किया जा सकता है और अगर समय रहते इसका इलाज करवाया जाये तो कैंसर पूरी तरह से ख़त्म भी हो सकता है।
इस कैंसर के इलाज के कुछ उपाय इस प्रकार है-
सर्जरी द्वारा अग्नाशय कैंसर का इलाज
सर्जरी के द्वारा अग्नाशय का कुछ हिस्सा या पूरा अग्नाशय अलग कर दिया जाता है जिससे दर्द में आराम मिलता है। अगर कैंसर अभी तक किसी एक हिस्से में ही है तो उसे पूरी तरह से ख़त्म किया जा सकता है। इन सर्जरी को करने के भी कई तरीके है जैसे-
व्हिपल प्रक्रिया द्वारा अग्नाशय कैंसर का इलाज (Whipple procedure)
यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली प्रक्रिया है। यदि ट्यूमर अग्नाशय के सिर की तरफ है तो इस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सर्जन अग्नाशय के सिर को हटा देते है, और कभी-कभी पूरे अग्नाशय को और उसके साथ पेट के एक हिस्से को या ग्रहणी (duodenum), लिम्फ नोड्स और अन्य ऊतक (tissues) को भी निकाल देते है । यह एक जटिल और जोखिम भरी प्रक्रिया है। जटिलताओं में लीक, संक्रमण, रक्तस्राव और पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
(और पढ़े – पेप्टिक अल्सर या पेट में अल्सर (छाले) क्या है, कारण, लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार…)
डिस्टल पेनक्रियाज द्वारा अग्नाशय कैंसर का इलाज (Distal Pancreatectomy)
इस प्रक्रिया में सर्जन अग्नाशय की पूंछ और कभी-कभी अग्नाशय के अन्य हिस्सों को भी स्प्लीन (spleen) के साथ हटा देते है। डॉक्टर आमतौर पर आइलेट सेल या न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के इलाज के लिए इस प्रक्रिया को इस्तेमाल करते हैं।
अग्नाशय कैंसर का इलाज कुल अग्नाशय हटाना (Total Pancreatectomy)
इस प्रक्रिया में सर्जन पूरे अग्नाशय और स्प्लीन (spleen) को हटा देते है। अग्नाशय के बिना रहना संभव है, लेकिन मधुमेह की शिकायत उत्पन्न हो सकती है क्योंकि अग्नाशय को अलग करने के बाद शरीर इंसुलिन कोशिकाओं का उत्पादन करना बंद कर देता है।
(और पढ़े – टाइप 2 मधुमेह क्या है, कारण, लक्षण, उपचार, रोकथाम और आहार…)
अग्नाशय कैंसर का इलाज उपशामक सर्जरी द्वारा (Palliative Surgery)
पैलिएटिव सर्जरी का विकल्प तब इस्तेमाल किया जाता है जब अग्नाशय में उत्पन्न कैंसर को दूर करना संभव नहीं होता है।
यदि पित्त नली (bile duct) या ग्रहणी (deodenum) में रुकावट आती है, तो सर्जन एक बाईपास बना देता है ताकि पित्त लीवर से बहना जारी रख सके। ऐसा करने से दर्द और पाचन समस्याओं को कम किया जा सकता है।
पित्त नली की रुकावट को राहत देने का एक तरीका यह भी है कि इसे खुला रखने के लिए डक्ट में एक छोटा सा स्टेंट डाला जाए। यह एक कम दर्द देने वाली प्रक्रिया है जिसे एंडोस्कोप का उपयोग करके किया जा सकता है।
(और पढ़े – एंडोस्कोपी कराने के कारण, तरीका, फायदे एवं नुकसान…)
कीमोथेरपी द्वारा अग्नाशय कैंसर का इलाज (Chemotherapy)
कीमोथेरेपी दवा का एक ऐसा रूप है जो कोशिका विभाजन प्रक्रिया (cell division process) में हस्तक्षेप करके उन कैंसर बढ़ाने वाली कोशिकाओ को बढ़ने से रोकता हैं। जैसे-जैसे दवा शरीर में जाती है यह कैंसर को फैलने से रोकती है।
उपचार कई तरह के चक्रों में संपन्न होता है, ताकि शरीर को ठीक होने के लिए थोड़ा समय मिल जाये। इस प्रक्रिया के कई तरह के साइड इफ़ेक्ट भी होते है जैसे-
संयोजन उपचार (combination therapy) में अन्य उपचार विकल्पों के साथ विभिन्न प्रकार की कीमोथेरेपी शामिल हो सकती हैं।
(और पढ़े – कीमोथेरेपी क्या है फायदे और नुकसान…)
अग्नाशय कैंसर का इलाज विकिरण थेरेपी द्वारा (Radiation therapy)
विकिरण चिकित्सा (radiation therapy) कैंसर कोशिकाओं पर उच्च-ऊर्जा किरणों (high energy rays) को केंद्रित करके कैंसर को नष्ट करती है।
यह एक स्टैंडअलोन उपचार के रूप में माना जाता है, क्योकि यह ट्यूमर को सिकोड़ सकता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है। डॉक्टर इसे अन्य कैंसर उपचारों जैसे कि कीमोथेरेपी और सर्जरी के साथ भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
कोई भी व्यक्ति सामान्य रूप से 5 से 6 सप्ताह के लिए अग्नाशय के कैंसर के लिए सप्ताह में 5 दिन विकिरण चिकित्सा प्राप्त कर सकता है। जब सामान्य पित्त नली या ग्रहणी में रुकावट होती है तब विकिरण चिकित्सा दर्द या पाचन समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।
विकिरण चिकित्सा के कुछ दुष्प्रभाव में होते हैं जैसे-
- सौम्य त्वचा परिवर्तन सनबर्न या सनटैन जैसा दिखता है
- उल्टी और दस्त होना
- थकान लगना
- भूख में कमी होना
- तेजी से वजन घटना
इन सभी इलाजों से अग्नाशय कैंसर के दर्द से राहत पायी जा सकती है।
(और पढ़े – महिलाओं में कैंसर के लक्षण…)
अग्नाशय कैंसर से बचाव – Agnashay cancer se bachav in hindi
अग्नाशय कैंसर से बचाव का वैसे तो कोई ख़ास उपाय नहीं है परन्तु हम अपनी जीवनशैली और खानपान को सुधार कर इस तरह की गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।
इसमें कुछ बचाव के निम्न उपाय इस प्रकार है-
- धुम्रपान छोड़कर
- विभिन्न तरह की एक्सरसाइज करके
- वजन को नियंत्रित करके
- फल और ताज़ी सब्जियों का सेवन करके
- लाल मांस और वसाउक्त भोजन छोड़कर
- इन सभी उपायों से आप अग्नाशय कैंसर की समस्या से निजात पा सकते है और इसकी रोकथाम कर सकते है।
(और पढ़े – धूम्रपान छोड़ने के सबसे असरदार घरेलू उपाय और तरीके…)
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