Azoospermia means in Hindi: एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) या अशुक्राणुता पुरुषों से सम्बंधित प्रजनन समस्याओं में से एक है, जो पुरुष बाँझपन का कारण बनती है। इस स्थिति में पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु नहीं पाए जाते हैं। अर्थात यह एक ऐसी स्थिति है जो किसी पुरुष के अंडकोष को शुक्राणु निर्माण से रोकती है या शुक्राणु को शरीर से बाहर निकलने और वीर्य में मिलने नहीं देती है। पुरुष बांझपन के लगभग 10 प्रतिशत मामले एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) के कारण उत्पन्न होते हैं। वैसे तो इस स्थिति में किसी भी प्रकार के लक्षणों को महसूस नही किया जा सकता है, परन्तु एजुस्पर्मिया की कुछ स्थितियां आंतरिक समस्याओं के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। जिसके कारण इसका इलाज कराना आवश्यक हो जाता है। अतः आज के इस लेख में आप जानेंगे कि निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) क्या है, इसके कारण, लक्षण, इलाज और बचाव से सम्बंधित उपाय के बारे में।
विषय सूची
- एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) क्या है – What is Azoospermia in Hindi
- एजुस्पर्मिया के प्रकार – Types of azoospermia in Hindi
- निल शुक्राणु के लक्षण – Azoospermia Symptoms In Hindi
- एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) के कारण – Azoospermia Causes in Hindi
- ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के कारण – Causes of obstructive azoospermia in Hindi
- नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के कारण – Causes of non-obstructive azoospermia in Hindi
- एजुस्पर्मिया का निदान – Azoospermia Diagnosis In Hindi
- अशुक्राणुता (निल शुक्राणु) का उपचार – Azoospermia Treatment In Hindi
- एजुस्पर्मिया के लिए दवा – Medicine for azoospermia in hindi
- निल शुक्राणु से बचाव – Azoospermia Prevention In Hindi
एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) क्या है – What is Azoospermia in Hindi
एजुस्पर्मिया (अशुक्राणुता) पुरुष बांझपन का एक प्रमुख कारण है। जब किसी पुरुष के वीर्य में कोई भी शुक्राणु उपस्थित नहीं होता है, तब इस स्थिति को एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) के नाम से जाना जाता है। आम तौर पर, एक आदमी के टेस्टिकल्स, अंडकोष की थैली (scrotum) में शुक्राणु का उत्पादन करते हैं। वीर्य, स्खलन के दौरान लिंग से निकलने वाला गाढ़ा, सफेद द्रव होता है, जिसके साथ शुक्राणु मिश्रित होकर पुरुष प्रजनन प्रणाली के माध्यम से गमन करते हैं।
अतः जब स्खलन के दौरान निकलने वाले वीर्य में शुक्राणु अनुपस्थित होते हैं, तब यह स्थिति बांझपन का कारण बनती है। बांझपन की स्थिति के कारणों की जाँच के दौरान लगभग 5 से 10 प्रतिशत पुरुषों में निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) का निदान किया गया है। अशुक्राणुता की स्थिति जन्मजात हो सकती है या व्यक्ति के जीवनकाल में कभी भी विकसित हो सकती है। वास्तव में एजुस्पर्मिया की स्थिति में किसी भी प्रकार के लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता है। लेकिन यदि कोई पुरुष अपने साथी को गर्भवती करने की कोशिश कर रहा है, तो यह स्थिति बांझपन का कारण बनती है। तब इस स्थिति में इलाज आवश्यक हो जाता है।
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एजुस्पर्मिया के प्रकार – Types of azoospermia in Hindi
एजुस्पर्मिया दो प्रकार का होता है:
ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया (Obstructive azoospermia) – इस स्थिति में, सामान्य रूप से शुक्राणु का उत्पादन होता है, लेकिन दोनों अंडकोष के लिए प्रजनन पथ (reproductive tract) अवरुद्ध होता है। जिसके कारण इस स्थिति में कोई भी शुक्राणु, वीर्य तक नहीं पहुँच पाता है। कुछ रोगियों को प्रत्येक अंडकोश की तरफ एक अलग समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया की समस्या एपिडीडिमिस, स्खलन नलिकाओं या वास डेफरेंस के ब्लॉकेज होने के कारण उत्पन्न होती है। इस स्थिति को पोस्ट-टेस्टिकुलर एजुस्पर्मिया (Post-testicular azoospermia) के नाम से भी जाना जाता है।
नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया (Non-obstructive azoospermia) – इस प्रकार के निल शुक्राणु की स्थिति में शुक्राणु का उत्पादन नहीं होता है, या बहुत कम मात्रा में होता है। जिसके कारण शुक्राणु अंडकोष से बाहर नहीं आ पाते और वीर्य में शुक्राणु अनुपस्थित होते हैं। नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के तहत निम्न को शामिल किया जाता है, जैसे:
- प्री-टेस्टिकुलर एजुस्पर्मिया (Pretesticular azoospermia) – इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति का अंडकोष (testicles) सामान्य होता है, लेकिन शुक्राणु का निर्माण नहीं करता है। प्री-टेस्टिकुलर एज़ोस्पर्मिया की स्थिति हार्मोन के बहुत कम स्तर के कारण या कीमोथेरेपी के बाद उत्पन्न हो सकती है। यह एजुस्पर्मिया का बहुत दुर्लभ प्रकार है।
- टेस्टिकुलर एजुस्पर्मिया (Testicular azoospermia) – यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब अंडकोष की संरचना या कामकाज में दोष उत्पन्न होने के कारण सामान्य रूप से शुक्राणु का उत्पादन नहीं होता है। प्रजनन पथ में संक्रमण, वायरल ऑर्काइटिस (viral orchitis), कमर में चोट, विकिरण चिकित्सा या क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter’s syndrome) आदि स्थितियां अंडकोष को नुकसान पहुंचाकर टेस्टिकुलर एजुस्पर्मिया का कारण बन सकती हैं।
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निल शुक्राणु के लक्षण – Azoospermia Symptoms In Hindi
वास्तव में एजुस्पर्मिया की अधिकांश स्थितियों में किसी भी प्रकार के लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। इस स्थिति का पता डॉक्टर द्वारा जाँच करके लगाया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी यौन साथी को गर्भवती कराने में अक्षम है, तो उसे एजुस्पर्मिया के निदान के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। अर्थात बांझपन ही एजुस्पर्मिया का एकमात्र संकेत हो सकता है। इसके अतिरिक्त एजुस्पर्मिया की कुछ स्थितियों में निम्न लक्षणों को देखा जा सकता है, जैसे:
- शारीरिक वसा, शरीर के बाल और स्तन ऊतकों में वृद्धि होना।
- साथी को गर्भवती करने में असमर्थ होना।
- लिंग से साफ, पानीनुमा या सफेदीयुक्त तरल पदार्थ का स्राव होना।
- अंडकोश में गांठ या सूजन की उपस्थिति का अहसास होना।
- मूत्र त्याग करने में दर्द या लिंग का छोटा आकार होना।
- इरेक्शन या स्खलन के साथ कठिनाई महसूस होना, इत्यादि।
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एजुस्पर्मिया (निल शुक्राणु) के कारण – Azoospermia Causes in Hindi
उपचार योजना बनाने से पहले एज़ोस्पर्मिया के कारणों का निर्धारण करना आवश्यकता होता है। वीर्य में शुक्राणु की अनुपस्थिति के दो मुख्य कारण हो सकते हैं:
- पहला – पूरी तरह से सामान्य शुक्राणु का उत्पादन होने के साथ साथ पुरुष जननांग प्रणाली में रुकावट या अवरोध
- दूसरा – तुच्छ या दुर्बल मात्रा में शुक्राणु उत्पादन (poor sperm production)
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ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के कारण – Causes of obstructive azoospermia in Hindi
ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के अनेक कारण हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:
एपिडीडिमिस ब्लॉकेज (Epididymis blockages) – अनेक प्रकार की स्थितियां एपिडीडिमिस में रुकावट का कारण बन सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- संक्रमण
- सूजन
- अंडकोश की चोट
- आनुवंशिक स्थितियां
- पुरुष नसबंदी
- सिस्टिक फाइब्रोसिस, इत्यादि।
वास डेफरेंस पर सर्जरी (Surgery on the vas deferens) – सर्जन शुक्राणु के प्रवाह को रोकते हुए प्रत्येक वास डेफरेंस को काटता या दबाता है, जिसके कारण निल शुक्राणु की समस्या उत्पन्न हो सकती है। वास डेफरेंस पर सर्जरी करने के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे: अभिघात, चोट या हर्निया की मरम्मत, इत्यादि।
स्खलन वाहिनी में रुकावट (Ejaculatory duct blockages) – कुछ व्यक्तियों में स्खलन वाहिनी में ब्लॉकेज की स्थिति जन्मजात होती है। जबकि कुछ मामलों में निम्न स्थितियां स्खलन वाहिकाओं में रूकावट उत्पन्न कर सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- संक्रमण
- अभिघात (Trauma)
- पूर्व सर्जरी, इत्यादि।
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नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के कारण – Causes of non-obstructive azoospermia in Hindi
नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जेनेटिक्स कारण या आनुवंशिक विकार जैसे- कल्मन सिंड्रोम (Kallmann syndrome)
- Y गुणसूत्र की बरबादी (Y Chromosome deletion) – Y क्रोमोसोम में अनेक जीन होते हैं, जो शुक्राणु उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। लेकिन कुछ पुरुष में इन महत्वपूर्ण क्रोमोसोम का नाश या कमी अशुक्राणुता का कारण बन सकती है। Y गुणसूत्र का नाश लगभग 10 प्रतिशत तक एजुस्पर्मिया मामलों का कारण बनता है।
- क्रोमोसोम असामान्यता या कैरियोटाइप असामान्यता (Karyotype abnormality)
- कीमोथेरेपी या विकिरण थेरेपी
- कुछ दवाओं का साइड इफ़ेक्ट, जैसे टेस्टोस्टेरोन सप्लीमेंट, Colchicine (गाउट की दवा), साईक्लोफॉस्फोमाईड और एवरोलिमस (कैंसर की दवा), इत्यादि
- हार्मोन असंतुलन
- वैरीकोसेल (Varicocele)
- अत्यधिक शराब पीना और धूम्रपान करना, आदि।
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एजुस्पर्मिया का निदान – Azoospermia Diagnosis In Hindi
एजुस्पर्मिया की स्थिति में किसी भी प्रकार के लक्षणों का अनुभव नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसका प्रारंभिक निदान बाँझपन के संकेतन को महसूस कर किया जा सकता है। डॉक्टर द्वारा निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) की नैदानिक प्रक्रिया में पीड़ित व्यक्ति के वीर्य के नमूने की आवश्यकता होती है। इस नमूने को प्रयोगशाला में एक उच्च भेदन क्षमता वाले माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है। यदि परीक्षण के दौरान नमूने में कोई शुक्राणु नहीं दिखाई देता है, तो उस व्यक्ति को एजुस्पर्मिया (azoospermia) होता है। इसके बाद एजुस्पर्मिया के सटीक कारणों का निदान करने के लिए अन्य परीक्षणों की आवश्यकता होती है।
निल शुक्राणु (एजुस्पर्मिया) की अन्य नैदानिक प्रक्रियाओं के तहत निम्न परीक्षणों को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- मरीज के विस्तृत मेडिकल इतिहास की जानकारी प्राप्त करना।
- शारीरिक परीक्षण – इसके तहत हार्मोन असंतुलन के संकेतों या लक्षणों की तलाश की जाती है।
- हार्मोन परीक्षण या हार्मोन के स्तर को मापने के लिए रक्त परीक्षण।
- आनुवंशिक परीक्षण – जीन में कोई समस्या का निदान करने के लिए।
- अंडकोष का बायोप्सी परीक्षण।
- जेनिटल ट्रैक्ट इमेजिंग (Genital tract imaging) – इसके लिए अल्ट्रासाउंड, एमआरआई (magnetic resonance imaging) या सीटी स्कैन (computed tomography) का उपयोग किया जा सकता है।
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अशुक्राणुता (निल शुक्राणु) का उपचार – Azoospermia Treatment In Hindi
निल शुक्राणु या अशुक्राणुता का इलाज तब जरुरी हो जाता है, जब कोई पुरुष बच्चे पैदा करना चाहता है। यदि निल शुक्राणु का कारण ब्लॉकेज होता है, तो इसके इलाज के लिए सर्जरी की सिफारिश की जा सकती है। अतः प्रजनन पथ में रुकावट की स्थिति का सफल इलाज सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है। लेकिन जो व्यक्ति सर्जरी कराना नहीं चाहते हैं, तो वह व्यक्ति इस स्थिति में एक छोटी और पतली सुई का उपयोग अंडकोष से शुक्राणु को निकालने के लिए कर सकते हैं। फिर, शुक्राणु के इस नमूने को इन विट्रो निषेचन (in vitro fertilization (IVF)) में उपयोग करने के लिए फ्रीज करके रखा जा सकता है। एजुस्पर्मिया का उपचार, इसके प्रकार और कारणों पर निर्भर करता है, जैसे-
- ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया (obstructive azoospermia) के लिए माइक्रोसर्जरी की सिफारिश की जा सकती है, इस प्रक्रिया के दौरान प्रजनन पथ को अनब्लॉक किया जाता है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव तकनीक है। एंडोस्कोपिक सर्जरी वास डेफरेंस (vas deferens) की रुकावट को दूर कर सकती है।
- नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया के इलाज के दौरान पीड़ित व्यक्ति को कभी-कभी जीवनशैली या दवा में परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त अशुक्राणुता की स्थिति में सुधार के लिए हार्मोन थेरेपी की सलाह भी दी जा सकती है। हार्मोन थेरेपी के तहत फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (FSH), ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG), क्लोमीफेन (Clomiphene), अनस्ट्रोजॉल (Anastrazole) और लेट्रोज़ोल (Letrazole) इत्यादि का उपयोग किया जा सकता है।
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एजुस्पर्मिया के लिए दवा – Medicine for azoospermia in hindi
कुछ मामलों में, एजुस्पर्मिया का इलाज दवा के माध्यम से किया जा सकता है। जैसे कि, कभी-कभी प्रतिगामी स्खलन (retrograde ejaculation) का इलाज दवाओं के साथ किया जाता है, जो प्राकृतिक गर्भाधान को सक्षम बना सकता है।
अन्य मामलों में पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए हार्मोन या हार्मोनल ड्रग्स जैसे क्लोमिड (Clomid), लेट्रोज़ोल, एफएसएच इंजेक्शन या एचसीजी इंजेक्शन आदि उपयोग में लाये जा सकते हैं।
नोट – किसी भी पारकर की दवा को डॉक्टर की सलाह के बिना ना लें वरना इसके घटक परिणाम हो सकते हैं।
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निल शुक्राणु से बचाव – Azoospermia Prevention In Hindi
यदि निल शुक्राणु (Azoospermia) या अशुक्राणुता का कारण आनुवंशिक समस्या है, तो इसकी रोकथाम का कोई उचित तरीका ज्ञात नहीं है। अन्य कारणों से होने वाले एजुस्पर्मिया की रोकथाम के लिए कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित उपाय अपना सकता है, जैसे:
- ऐसी किसी भी प्रकार की गतिविधियों से बचें, जो प्रजनन अंगों में चोट का कारण बन सकती हैं।
- प्रजनन अंगों को विकिरण के संपर्क में आने से बचाएं।
- विषाक्त पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में आने से बचें।
- सेवन की जाने सभी उन दवाओं के जोखिम और लाभों की जानकारी प्राप्त करें, जो शुक्राणु उत्पादन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- डॉक्टर की अनुमति के बगैर कभी कोई दवा या सप्लीमेंट्स का सेवन न करें।
- लंबे समय वृषण के गर्म तापमान पर रहने के जोखिम को कम करें, इत्यादि।
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