Shishu Ki Malish Karne Ka Tarika: जन्म के बाद शिशु की मालिश करना एक पुरानी परंपरा है। जन्म के कम से कम एक महीने बाद हर डॉक्टर नवजात शिशु की मालिश करने की सलाह देता है। दरअसल, बेबी मसाज बहुत जरूरी है, क्योंकि मसाज यानि मालिश से ही शिशु की त्वचा को सही पोषण मिलता है। इसके अलावा यह उसके शारीरिक, मानसिक विकास और तंदरूस्ती के लिए बहुत आवश्यक है। इतना ही नहीं इससे बच्चों को नींद अच्छी आती है और वह हरदम एक्टिव भी रहते हैं। लेकिन कई मांओं को शिशु की मालिश को लेकर असमंजस रहता है, क्योंकि उन्हें बेबी की मालिश करने का सही तरीका नहीं पता होता। यदि आप भी पहली बार मां बनी हैं और आप खुद अपने शिशु की मालिश करना चाहती हैं, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, तो हमारा ये आर्टिकल आपके लिए बहुत उपयोगी है।
इसमें हम आपको शिशु की मालिश करने के तरीके और स्टेप बताएंगे। साथ ही आपके शिशु की मालिश से जुड़ी अन्य जानकारी भी देंगे।
विषय सूची
- शिशु की मालिश क्या है – What is baby massage in Hindi
- नवजात शिशु की मालिश करना कब शुरू करें – When to start baby massage in Hindi
- शिशु की मालिश कैसे की जाती है – Navjat shishu ki malish kaise ki jati hai in hindi
- नवजात शिशु की मालिश कैसे करें – Navjat shishu ki malish kaise kare in Hindi
- शिशु की मालिश के लिए तैयारी – Setup For Baby Massage in Hindi
- बेबी मसाज के फायदे – Benefits of Baby Massage in Hindi
- शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय – Best time to massage your baby in Hindi
- स्थितियां जहां मसाज फायदेमंद हो सकती है – Conditions where massage can be beneficial in Hindi
- बेबी मसाज टिप्स – Baby massage tips in Hindi
- शिशु की मालिश से जुड़े लोगों के सवाल और जवाब Question and answer related to baby massage in Hindi
शिशु की मालिश क्या है – What is baby massage in Hindi
नवजात शिशु के शरीर के ऊपर तेल लगाने की प्रक्रिया को मसाज या मालिश करना कहते हैं। जब शिशु के शरीर को तेल से छुआ जाता है, तो बच्चे बहुत अच्छा महसूस करते हैं। लेकिन इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं। अगर हल्के हाथों से शिशु के शरीर पर तेल लगाया जाए या नहाते वक्त साब़ुन से पूरा तेल निकाल दिया जाए, तो मसाज या मालिश शिशु के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन, अगर आप बच्चे के शरीर को मालिश करते वक्त रगड़ेंगे, तो इससे चमड़ी को नुकसान पहुंच सकता है, शरीर पर दाने निकल सकते हैं और बच्चे को नुकसान हो सकता है। बता दें, कि सही तरीके से की जाने वाली मालिश शिशु के लिए सुखदायक साबित होती है, साथ ही यह माता-पिता के साथ उनका गहरा संबंध बनाने का अवसर भी प्रदान करती है।
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नवजात शिशु की मालिश करना कब शुरू करें – When to start baby massage in Hindi
शिशु की मालिश जन्म के एक महीने बाद से शुरू करनी चाहिए। इसका कारण यह है, कि शिशु की त्वचा जन्म के दौरान ठीक से विकसित नहीं हो पाती और त्वचा को पानी प्रतिरोधी होने में कम से कम 15 दिन का समय लगता है। इसके अलावा गर्भनाल का घाव भी अभी ताजा होता है, इसलिए जन्म के तुंरत बाद शिशु की मालिश न करें। आप चाहें, तो जन्म के 15 दिन में भी मालिश शुरू कर सकती हैं। अगर बच्चा पूरे 9 महीने में पैदा हुआ है, तो और उसका वजन ढाई किलो से ज्यादा है तो भी।
अगर आप अपने बेबी को ग्रुप मसाज सेशन्स में ले जाने की योजना बना रही हैं, तो जब तक वह छह सप्ताह का न हो जाए, इंतजार करें। क्योंकि बहुत छोटे बच्चे भीड़ भरे माहौल में तनावग्रस्त हो जाते हैं। कुल मिलाकर एक महीना आदर्श समय है, क्योंकि इसके कई लाभ हैं। इस समय तक शिशु की नाभि सूख जाती है, स्किन बैरियर मजबूत होता है और इस उम्र में बच्चा स्पर्श के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
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शिशु की मालिश कैसे की जाती है – Navjat shishu ki malish kaise ki jati hai in Hindi
मालिश करने के लिए जरूरी है, कि सबसे पहले आप अपने बच्चे के शरीर को थोड़ा सहलाएं। जरूरी नहीं, कि मालिश के लिए तेल ही यूज करें, बल्कि आप इसकी जगह क्रीम या मॉइश्चराइजर का भी उपयोग कर सकती हैं। हमेशा शिशु की छाती, पेट, पीठ, हाथ, सिर और पैर की मालिश की जाती है। अगर आप मालिश करते समय बच्चे के साथ बात करेंगी या गाना गुनगुनाएंगी, तो बच्चे को काफी आराम मिलेगा। इससे आपके बच्चे के शरीर से ऑक्सीटोसीन नामक हार्मोन रिलीज होगा। यह हार्मोन किसी भी इंसान में खुशी महसूस कराने के लिए जाना जाता है।
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नवजात शिशु की मालिश कैसे करें – Navjat shishu ki malish kaise kare in Hindi
अपने बच्चे की मालिश कैसे करनी है, कई मां इस बारे में नहीं जानती। आपकी मदद के लिए हम आपको यहां शिशु की मालिश करने का सही तरीका स्टेप बाय स्टेप बता रहे हैं।
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शिशु की मालिश के लिए तैयारी – Setup For Baby Massage in Hindi
वैसे तो बच्चे के जन्म के 15 या एक महीने बाद मालिश करने के लिए किसी महिला को नियुक्त किया जाता है, क्योंकि उन्हें मालिश करने की सही तकनीक पता होती है। लेकिन अगर आप खुद बेबी मसाज करने का सही तरीका सीख लें, तो आपको किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी और आप जब चाहें, अपने शिशु की मालिश कर सकेंगी। इससे पहले, कि आप अपने शिशु की मालिश करने के लिए तैयार हों, आपको एक सेटअप बनाने की जरूरत पड़ेगी। यहां नीचे दिए गए सेटअप के अनुसार आप अपने बच्चे की मालिश शुरू कर सकती हैं।
- सबसे पहले फर्श पर या बेड पर अपने साथ तौलिया लेकर बैठें। अगर आप खड़े होकर मालिश कर रही हैं, तो अपने सामने की टेबल पर तौलिया रखें। तौलिया अतिरिक्त तेल को अवशोषित करने में मदद करती है।
- कमरे का तापमान बच्चे के लिए आरामदायक बनाएं। सर्दियों के दौरान ध्यान रखें, कि कमरा गर्म हो और गर्मी के दौरान सुनिश्चित करें, कि कमरे में ठंडी और ताजी हवा आती रहे, क्योंकि शिशुओं को जल्दी गर्मी लगती है, इससे वह चिड़चिड़े भी हो सकते हैं।
- मालिश करने से पहले कमरे में प्राकृतिक रोशनी आना बहुत जरूरी है। जितना संभव हो, प्राकृतिक रोशनी का ही प्रयोग करें।
- मालिश के लिए ऐसा तेल चुनें, तो खासतौर से शिशुओं के लिए ही बनाया गया हो। बिना सुंगध वाले तेल का उपयोग करना अच्छा है।
- अब आप बच्चे के कपड़े उतारें और आप चाहें तो नैपी में या बिना नैपी में मसाज करने का विकल्प चुन सकती हैं। पेट की मालिश करते समय नैपी को थोड़ा ढीला छोड़ दें।
आइए अब देखें कि शिशु की सही तरीके से मालिश कैसे करें।
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स्टेप -1 मालिश के लिए शिशु को तैयार करें
मालिश शुरू करने के लिए पहला कदम है, कि आप शिशु को मालिश के लिए तैयार करें। क्योंकि अगर वह मसाज में रूचि नहीं रखेगा, तो आप आसानी से उसकी मसाज नहीं कर पाएंगी। अब अपनी हथेली पर थोड़ा सा तेल लेकर बच्चे के पेट और उसके कान के नीचे धीरे से रगड़ें और फिर उसकी बॉडी लैंग्वेज पर गौर करें। अगर शिशु मालिश करते समय रोता है, तो शायद ये मालिश करने का सही समय नहीं है। यदि वह सकारात्मक संकेत दिखाता है, तो आप मालिश के साथ आगे बढ़ सकते हैं। ध्यान रखें, कि शुरूआत में मालिश के साथ आपका शिशु थोड़ा असहज महसूस कर सकता है, क्योंकि उसके लिए यह एक नया अनुभव है। लेकिन जैसे-जैसे उसे आदत हो जाएगी, वह इसका आनंद लेने लगेगा।
स्टेप – 2 शिशु के पैरों की मालिश करें
शिशु की मालिश करने के दूसरे स्टेप में आपको अपने बच्चे की पैरों की मालिश करनी चाहिए। पहले अपनी हथेलियों पर थोड़ा तेल लेकर रगड़ें और बच्चे के तलवों की मालिश करना शुरू करें। अंगूठे की मदद से पैर की उंगलियों तक एड़ी की मालिश करें। फिर अपनी हथेली का इस्तेमाल करते हुए बच्चे के पैर के नीचे और ऊपर स्ट्रोक करें। धीरे-धीरे दोनों पैरों के नीचे और फिर पैर की उंगलियों पर अंगूठे के साथ सर्कल बनाएं। पैर की मालिश करते समय उंगलियों को न खींचें। इसके बजाए आप अंगूठे पर हल्के से मालिश करें। यह तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करने में मदद करता है।
अब एक पैर को उठाएं और धीरे-धीरे जांघों की ओर मालिश के साथ आगे बढ़ें। धीरे से पैर से जांघ तक स्ट्रोक करें।
अब आप अपने दोनों हाथों से जांघों को धीरे से सहलाते हुए पैर की मालिश खत्म करें। धीरे-धीरे दिल से लेकर पैर तक हल्के हाथ से मालिश करें, जैसे कि आप तौलिया से उसका बदल पोंछ रही हों।
(और पढ़े – पैरों की देखभाल के लिए अपनाएं कुछ आसान टिप्स…)
स्टेप – 3 शिशु की बाहों की मालिश करना
पैरों की मसाज करने के बाद तीसरे स्टेप में शिशु के बाहों की मसाज की जानी चाहिए। बाहों की मालिश करने का पैटर्न पूरी तरह से पैरों के जैसा ही है। पहले बच्चे के हाथ को पकड़ें और हथेलियों पर गोलाकार घुमाएँ (स्ट्रोक करें)। धीरे -धीरे बच्चे की उंगलियों पर स्ट्रोक करें।
उसके हाथ को चारों ओर घुमाते हुए धीरे से कलाई की ओर स्ट्रोक के साथ हाथ के पीछे वाले हिस्से की मसाज करें। फिर धीरे-धीरे उसकी कलाई की सकुर्लर मोशन में मालिश करें।
अपने स्ट्रोक को धीरे-धीरे अग्र-भुजाओं (Forearms) की तरफ ले जाएं और फिर अपर आर्म की तरफ ले जाएं। सकुर्लर मोशन में शिशु के पूरे हाथ की कोमलता के साथ मसाज करें।
स्टेप – 4 शिशु की छाती और कंधे की मालिश करना
शिशु की छाती और कंधे की मालिश करना शिशु की मालिश का चौथा स्टेप होगा। शिशु के सीने की तरफ बाएं और कंधे से कोमलता के साथ स्ट्रोक (हाथ फेरें) करें। इस गति को धीरे से दोहराएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने बच्चे की छाती के बीच में रखें और रगड़ें।
स्टेप – 5 शिशु के पेट की मसाज करना
बच्चे की मसाज के पांचवे स्टेप में आपको शिशु के पेट की मसाज करनी होती है। यह एक नाजुक हिस्सा है, इसलिए यहां कम दबाव दें। पेट की नाभि के ऊपर से और चेस्ट बोन के नीचे से मालिश करना शुरू करें। अपनी हथेली को चेस्ट बोन के नीचे रखें और नाभि के चारों ओर सकुर्लर मोशन में मसाज करें। नवजात शिशुओं में नाभि नाजुक व संवेदनशील होती है, इसलिए यहां मालिश जरा ध्यान से करें।
स्टेप – 6 शिशु के चेहरे और सिर की मालिश
पेट की मसाज के बाद अब बारी आती है शिशु के चेहरे और सिर की मालिश करने की। शिशु की मालिश करने के छठवें स्टेप में आप चेहरे और सिर की मसाज करना शुरू करें। शिशु के चेहरे और सिर की मसाज करना थोड़ा चैलेंजिंग होता है, क्योंकि इस दौरान बच्चे बहुत हलते-डुलते हैं। लेकिन यह उतना ही जरूरी है, जितना कि शरीर के अन्य हिस्सों की मालिश करना। अपनी तर्जनी (इंडेक्स फिंगर) को शिशु के माथे के मध्य में रखें और धीरे-धीरे ठुड्डी की ओर उसकी चेहरे की मसाज करें। ठोड़ी से अपनी उंगली को उसके गालों की ओर ले जाएं और एक सकुर्लर मोशन में उसके गालों की धीरे से मालिश करें।
चेहरे की मालिश करने के बाद स्कैल्प पर उंगलियों से मालिश करना शुरू करें। ठीक उसी तरह जैसे आप अपने बच्चे के बालों में शैंपू करती हैं।
अब अपनी उंगलियों की मदद से शिशु के माथे की मालिश हल्के हाथों से करें।
(और पढ़े – सिर की मालिश (हेड मसाज) कैसे करें तेल और फायदे…)
स्टेप – 7 शिशु के बैक की मालिश करें
आखिरी यानि शिशु की मालिश के सांतवे स्टेप में आपको बच्चे की पीठ की मालिश करनी है। अपने बच्चे को उसके पेट के बल लिटाएं। अब अपनी उंगलियों को बच्चे की पीठ पर रखें और क्लॉस वाइस ट्रेस करते हुए उसके बटक्स (हिप्स) की ओर ले जाएं।
फिर आप अपनी इंडेक्स और मिडिल फिंगर को रीढ़ के दोनों ओर रखें और धीरे-धीरे उंगलियों को बटक्स के पास ले जाएं। अब धीरे-धीरे बच्चे के कंधे की मालिश करें। बच्चे की पीठ के निचले हिस्से और बटक्स पर कोमल स्ट्रोक (हाथ फेरें) करें। इस लास्ट स्ट्रोक के साथ मालिश को पूरा करें।
बेबी मसाज के फायदे – Benefits of Baby Massage in Hindi
मालिश करने से शिशु को कई प्राकृतिक लाभ मिलते हैं, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
बेबी मसाज के फायदे मनोवैज्ञानिक व सामाजिक विकास को बढ़ावा दे – Baby massage promote psychological and social development in Hindi
एशियन नर्सिंग जर्नल के अनुसार बच्चे के स्पर्श की भावना को उत्तेजित करने से बच्चे के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही इससे माता-पिता के साथ शिशु का संबंध और मजूबत बनता है।
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तनाव से राहत दिलाने में फायदेमंद शिशु की मालिश – Tanav se rahat dilane me faydemand shishu ki malish in Hindi
मालिश करने से शिशु के शरीर से ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होता है, जो शिशुओं को तनाव से राहत देता है और कोर्टिसोल के स्तर को कम कर देता है। बता दें कि, कोर्टिसोल एक स्ट्रेस हार्मोन है। ऑक्सीटोसीन हार्मोन मांसपेशियों को आराम देने के साथ ही शिशु के विकास को बढ़ावा भी देता है। (और पढ़े – मानसिक तनाव के कारण, लक्षण एवं बचने के उपाय…)
तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद शिशु की मसाज – Baby massage benefits for the nervous system in Hindi
शिशु मालिश की तंत्रिका तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। क्योंकि यह शिशु के कौशल विकास में सुधार करती है। (और पढ़े – बच्चे को स्मार्ट और इंटेलीजेंट कैसे बनाएं…)
मालिश के फायदे शिशु को बेहतर नींद दे – Shishu ko behtar neend de malish in Hindi
मालिश करने पर बच्चे बेहतर नींद लेते हैं। यह तेजी से मांसपेशियों में लाभ और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है। सोने से ठीक पहले शिशु की मालिश करने से शिशु अधिक मेलाटोनिन का उत्पादन करते हैं।
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बेबी मसाज के लाभ जीवन की गुणवत्ता में सुधार करे – Baby massage improve the quality of life in Hindi
यह डाउन सिंड्रोम या सेरेब्रल पॉलिसी से ग्रसित बच्चों को रात प्रदान करने का सबसे अच्छा और असरदार तरीका है। नियमित रूप से बच्चों की मालिश करने पर समय से पहले बच्चों में बेहतर विकास दिखाई देता है। यहां तक की समय से पहले उनके वजन में वृद्धि होती है। (और पढ़े – डाउन सिंड्रोम होने के कारण, लक्षण और इलाज…)
शिशु की मालिश के फायदे संचार प्रणाली के लिए – Shishu ki malish ke fayde sanchar pranali ke liye in Hindi
शिशु की मालिश रक्त परिसंचरण में सुधार करती है। इसके साथ ही गैस या अम्लता की वजह से शिशु को हो रही असुविधा के स्तर को भी कम करती है, जिससे पाचन तंत्र को लाभ होता है। (और पढ़े – ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने के घरेलू उपाय…)
प्रसवोत्तर अवसाद से निपटने में फायदेमंद बेबी मसाज – Baby massage beneficial in postpartum depression in Hindi
नई मां के बीच प्रसवोत्तर अवसाद से निपटने के लिए अवसाद एक प्रभावी तरीका है। जब पिता की बात आती है, तो कई शोध में पता चला है, कि उनके द्वारा नियमित रूप से बच्चों की मालिश करने पर उनके आत्म सम्मान में सुधार होता है। वहीं एक मां की मनोदशा और व्यवहार में बहुत अंतर दिखाई देता है।
(और पढ़े – डिलीवरी के बाद डिप्रेशन (पोस्टपार्टम डिप्रेशन) के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव…)
शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय – Best time to massage your baby in Hindi
अपने शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा समय वह है, जब वक सर्तक होकर अच्छी तरह से आराम करता है। दो फीडिंग सेशन के बीच मालिश करने का समय सेट करें, जब उसके भूख महसूस करने की संभावना कम हो। शिशु के मसाज करते समय आखिरी फीडिंग सेशन से कम से कम 45 मिनट का अंतर होना चाहिए। इसके बाद मालिश करने के बाद बच्चे को फिर से फीडिंग कराने से पहले 15 मिनट तक प्रतीक्षा करें।
वैसे तो आप सुबह, शाम और दिन में भी शिशु की मालिश कर सकती हैं। लेकिन, शिशु के मालिश करने का समय हर दिन एक ही होना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चा इससे रूटीन में आ जाता है और उसे पता होता है, कि आगे क्या होने वाला है। एक समान चीजों को करने से बच्चा सुरक्षित महसूस करता है और खुश रहता है। फिर भी, जब बात शिशु के मसाज करने के आदर्श समय की आती है, तो शिशु के नहाने के बाद उसकी मसाज करना सबसे बेस्ट होता है। इसके बाद वह आराम से झपकी ले सकता है। नहाने से पहले भी आप शिशु की मालिश कर सकती हैं, क्योंकि आप शिशु की संवेदनशील त्वचा पर लोशन के संचय को रोकने के लिए नहलाने के दौरान तेल को धो सकती हैं। यदि आप नियमित रूप से रात में शिशु की मालिश करें, तो इसके बहुत फायदे होते हैं।
(और पढ़े – बच्चे को दूध पिलाने (स्तनपान कराने) के तरीके और टिप्स…)
स्थितियां जहां मसाज फायदेमंद हो सकती है – Conditions where massage can be beneficial in Hindi
ऐसी कुछ मेडिकल कंडीशन्स हो सकती हैं, जहां आपका शिशु मालिश के माध्यम से आराम पा सकता है। यहां हम आपको कुछ ऐसी स्थितियों से परीचित करा रहे हैं, जिनमें मालिश करना बहुत फायदेमंद साबित होता है।
कब्ज व गैस – Constipation and gas in Hindi
जब आपका शिशु कब्ज, गैस या पेट दर्द से पीड़ित हो, तो मालिश करना सबसे अच्छा है। बता दें, कि मालिश में अक्षरों का पैटर्न समझना बहुत जरूरी है। यह आंतों के लेआउट का अनुसरण करता है, इस प्रकार उन्हें गैस और कब्ज को कम करने में मदद मिलती है। (और पढ़े – नवजात बच्चे को गैस हो जाए तो क्या करना चाहिए…)
खांसी और कफ – Cough and congestion in Hindi
जब शिशु खांसी, सर्दी से पीड़ित हो, तो मालिश बहुत फायदा पहुंचाती है। सबसे पहले अपनी हथेली पर लोशन या तेल लें और इसे रगड़ें। अब इस तेल को अपने बच्चे की छाती पर रगड़ें। फिर पूरी छाती को केवल एक हाथ का उपयोग कर गोलाकर गति में कोमलता के साथ रगड़ें।
अब बच्चे के चेहरे की मालिश शुरू करें। यहां आप अपनी उंगलियों को भौं के भीतरी सिरे से नाक तक और फिर गाल तक धीरे-धीरे चलाकर साइनस की मालिश करें। इस गति को दो बार दोहराएं। यह साइनस में मौजूद किसी भी तरह के बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है।
आखिरी में आप बच्चे की पैर की मालिश करें। मालिश करने से गर्मी पैदा होती है, जो छाती के अंदर जमा बलगम को ढीला करने में मददगार है।
(और पढ़े – बच्चों की खांसी के घरेलू उपाय…)
गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स – Gastroesophageal reflux in Hindi
यदि आपके बच्चे में एसिड रिफ्लक्स है, तो उसे जमीन पर सपाट लेटने में मुश्किल हो सकती है। ऐसी स्थिति में उसकी अपर बैक के नीचे एक तकिया रखें। तकिया इस तरह रखें, कि बच्चा 45 डिग्री के कोध पर टिका हो। फिर ऊपर बताए गए स्टेप्स के अनुसार बच्चे के पेट की मालिश करें।
(और पढ़े – एसिड रिफ्लक्स के कारण, लक्षण, जांच, इलाज, और परहेज…)
हिचकी – Hiccups in Hindi
अगर आपके बच्चे को हिचकी बार-बार आ रही हो, तो ऐसे में मालिश बहुत सहायक है। हिचकी पेट की गुहा में नसों में संचित गैस के कारण आती है। शिशु को हिचकी से छुटकारा दिलाने के लिए मालिश करते समय बच्चे को सही स्थिति में लिटाएं और उसकी पीठ के निचले हिस्से से लेकर कंधो तक कोमल गोल गति से मालिश करें। ध्यान रखें, मालिश करते वक्तबहुत दबाव न डालें।
(और पढ़े – नवजात शिशु को हिचकी क्यों आती है और हिचकी का घरेलू इलाज…)
पीलिया – Jaundice in Hindi
यदि बच्चा पीलिया से पीड़ित है, तो आप मालिश की प्रोसेस अपना सकते हैं। हालांकि, मालिश पीलिया का इलाज नहीं है, लेकिन यह पीलिया के लक्षणों को कम कर बच्चे को अच्छा महसूस कराती है।
(और पढ़े – नवजात शिशु में पीलिया (जॉन्डिस) के लक्षण, कारण और इलाज…)
टीकाकरण – Vaccination in Hindi
शिशुओं में टीकाकरण आपके शिशु के लिए फायदेमंद हो सकता है। इंजेक्शन के आसपास के क्षेत्र की मालिश करने से दर्द को दूर करने और बच्चे को बेहतर महसूस कराने में मदद मिलती है। इसके अलावा मालिश टीकों की प्रतिरक्षा क्षमता में सुधार करने में भी मदद करती है। ध्यान रखें, कभी भी उस बिंदु पर मालिश न करें, जहां टीका लगा है।
(और पढ़े – जानिए, बच्चे को कौन सा टीका कब लगवाना चाहिए…)
दांत निकलने पर – Teething in Hindi
बच्चे के मसूड़ों की मालिश करना दांत निकलने पर दर्द और जलन को कम करने का शानदार तरीका है। बस इसके लिए अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें। मसूड़ों के निचले हिस्से की मालिश करने के लिए साफ उंगलियों का उपयोग करें।
(और पढ़े – दांत दर्द ठीक करने के 10 घरेलू उपाय…)
बेबी मसाज टिप्स – Baby massage tips in Hindi
अपने बच्चे की मालिश करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।
- यदि मालिश के दौरान कभी आपका शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है, तो इस दौरान मालिश के उक्त स्टेप को छोड़ दें और आगे बढ़ें। यदि ज्यादा समस्या है, तो मालिश करना बंद कर दें।
- मालिश के दौरान हमेशा कोमल रहें। बच्चे के शरीर पर बहुत अधिक दबाव न डालें। क्योंकि उसकी हड्डियां और ऊतक बहुत नाजुक होते हैं।
- बच्चों के जननांगों और कमर के आसपास मालिश न करें।
- शिशु की मालिश करते समय हंसे, मुस्कुराएं और बात करें। जब वह आपकी ओर देखे, तो आई कॉन्टेक्ट करें।
- मालिश पूरी होने पर बच्चे की हथेलियों और उंगलियों पर टिशू पेपर की मदद से तेल मिटा दें।
- शिशु की मालिश करने के लिए ऐसे तेल का चयन करें, जो 100 प्रतिशत सेफ हो।
- शिशु की मसाज करने के लिए एक टाइम सेट करके रखें। यह आपका रूटीन बनाए रखेगा और बच्चे को भी अधिक आरामदायक बना देगा।
- स्तनपान कराने के कम से कम एक घंटे बाद ही शिशु की मालिश करनी चाहिए।
(और पढ़े – नवजात शिशु की देखभाल कैसे करें…)
शिशु की मालिश से जुड़े लोगों के सवाल और जवाब Question and answer related to baby massage in Hindi
शिशु की मालिश कितनी बार करनी चाहिए – How often should you massage your baby in Hindi
इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है, कि आप शिशु की मालिश कितनी बार करें। यह एक डेली रूटीन है, क्योंकि यह आपके बेबी को दीर्घकालिक लाभों को प्राप्त करने में मदद करता है। आप दिन में एक, दो या तीन बार भी शिशु की मालिश कर सकती हैं, यह जरूरत पर निर्भर करता है। यदि आपका शिशु किन्हीं समस्याओं का सामना करता है, तो मसाज रूटीन के बारे में डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
(और पढ़े – अगर बच्चों को बनाना है कामयाब तो इन चीजें को करें फॉलो…)
शिशु की मालिश कब बंद कर देना चाहिए – Shishu ki malish kab band karni chahiye in Hindi
शिशु की मालिश को बंद करने की कोई निश्चित आयु नहीं है। आप जब तक चाहें, शिशु की मालिश कर सकती हैं। मालिश आपके बच्चे के साथ संबंध बनाने का बेहतर तरीका है। मालिश के लिए एक प्रोग्राम बनाएं और कोई संदेह हो, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
एक दिन में कितनी बार शिशु की मालिश करनी चाहिए – How many times a day should massage the baby in Hindi
इसके लिए कोई खास नियम नहीं है। आप दिनभर में एक से ज्यादा बार भी उसकी मालिश कर सकती हैं। अगर आप रोजाना अपने शिशु की मालिश नहीं कर पा रही हैं, तो चिंता न करें। हफ्ते में दो से तीन दिन भी आप उसकी मालिश करेंगी, तो उसे काफी फायदा होगा।
किन स्थितियों में शिशु की मालिश नहीं करनी चाहिए – Under which conditions the baby should not be massaged in Hindi
अगर शिशु को एक्जिमा यानि खुजली की समस्या हो, बुखार हो या उसे मालिश कराना पसंद न हो, तो ऐसी स्थितियों में जबरदस्ती उसकी मालिश न करें।
बेबी मसाज के लिए कौन सा तेल अच्छा है – Bachho ki malish ke liye konsa oil best hai in Hindi
जब शिशु की मसाज की जाती है, तो ये शिशु के पूरे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। अगर आपका बच्चा बहुत छोटा है, तो आप बादाम का तेल इस्तेमाल कर सकती हैं। बादाम में पर्यापत् मात्रा में विटामिन ई होता है, जो त्वचा के रंग को गोरा करने के साथ त्वचा को कोमलता भी प्रदान करता है। लेकिन अगर आपका बच्चा छह महीने से ज्यादा उम्र का है, तो आप नारियल के तेल से उसकी मालिश करें। क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टी होती है, जो बच्चे की त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है।
इसके अलावा आप चाहें, तो अपने बेबी की मसाज सरसों के तेल से भी कर सकती हैं। सरसों का तेल तासीर में गर्म है और ठंडा भी। यह तेल हड्डियों को मजूबत बनाने के साथ शिशु को सर्दी-जुकाम से भी बचाता है। इसके अलावा जैतून तेल और कैस्टर ऑयल भी शिशु की मालिश के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
शिशु की मालिश मां और शिशु के बीच के संबंध को मजबूत करने का शानदार तरीका है। इससे बच्चों को शारीरिक और मानसिक फायदे भी होते हैं, बशर्ते मालिश सही तरीके से की जाए, तो। यहां इस लेख में बताए गए तरीकों से आप अपने बेबी की मसाज सुरक्षित तरीके से कर सकती हैं। पर ध्यान रखें, कि इस दौरान अपने बच्चे के शरीर पर दबाव कम बनाएं, जिससे उसे चोट न लगे। एक महीने का होने पर शिशु मां का स्पर्श पहचानने लगता है, जिसके बाद उनके बीच एक गहरा रिश्ता बन जाता है।
(और पढ़े – जैतून तेल की मालिश के फायदे…)
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