कैंसर असामान्य रूप से कोशिका वृद्धि से संबंधित बीमारी है। कैंसर के होने पर शरीर के अन्य भागों में इसके फेल जाने की अधिक संभावना होती है किंतु नए ट्यूमर के साथ ऐसा नहीं होता। क्योंकि ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलता है। कैंसर एक घातक बीमारी है तथा अधिकांश व्यक्तियों में मौत का कारण भी बनती है। अतः इसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति का जागरूक होना आवश्यक होता है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा कैंसर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस लेख में आप जानेंगे कि कैंसर क्या होता है, कैंसर किस प्रकार के लक्षण को प्रदर्शित करता है ,कैंसर के प्रकार कौन से हैं, कैंसर का निदान कैसे किया जाता है तथा कैंसर के बचने के उपाय कौन से हैं। इन सभी प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में प्राप्त होंगे आइए जानते हैं कैंसर क्या है।
विषय सूची
कैंसर क्या है – What is cancer in Hindi
वर्तमान में कैंसर सबसे गंभीर बीमारियों में एक है। कैंसर रोगों का एक बड़ा समूह है, जिसमें शरीर के अन्य भागों पर आक्रमण करने या फैल जाने की क्षमता होती है। कैंसर होने का मुख्य कारण कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि को माना जाता है। कैंसर नियोप्लाज्म के एक सबसेट का निर्माण करते हैं। नियोप्लाज्म ट्यूमर कोशिकाओं का एक समूह होता है, जो अनियमित रूप से विकसित होता है और अक्सर एक गांठ के रूप में दिखाई देता है।
लगभग 14.1 मिलियन नए मामले प्रतिवर्ष कैंसर के आते हैं, इसमें से 8.8 मिलियन लोगों की कैंसर की बजह से मृत्यु हो जाती है। कैंसर के प्रति जागरुकता लाना बहुत जरूरी है, ताकि कैंसर के प्राथमिक स्टेज पर ही उसका पता लगा लगाया जा सके और उसका उचित उपचार किया जा सके।
तंबाकू का उपयोग करने से लगभग 22 प्रतिशत मौतों का कारण कैंसर होता है जबकि 10% कैंसर का कारण मोटापा, खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और अत्यधिक शराब पीना हो सकता है। विकासशील देशों में लगभग 20% कैंसर के केस हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और ह्यूमन पेपिलोमावायरस संक्रमण के कारण उत्पन्न होते हैं।
कुछ कारक आंशिक रूप से कोशिकाओं के जीन में बदलाव कर कैंसर को उत्पन्न करने का कार्य करते हैं। लगभग 5 से 10% कैंसर का विकास किसी व्यक्ति के माता-पिता से वंशानुगत अनुवांशिक दोषों के कारण होता है। कैंसर होने का पता कुछ लक्षणों से या स्क्रीनिंग परीक्षणों से लगा सकते हैं और अंत में बायोप्सी द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है।
कैंसर के लक्षण – Symptoms of cancer in Hindi
जब कैंसर शुरू होता है तो यह कोई भी लक्षण प्रदर्शित नहीं करता है। कैंसर के लक्षण कैंसर के प्रकार और होने वाले स्थान पर निर्भर करते हैं। कुछ लक्षण विशिष्ट होते हैं। कई बार ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिनको कैंसर के सामान्य लक्षण दिखते हैं, लेकिन उन्हें कोई अन्य बीमारी होती है।
हालाँकि कैंसर को एक छुपी हुई बीमारी के रुप में जाना जाता है। इस प्रकार कई लोगों को कैंसर का पता तब चलता है, जब वह अपनी किसी दूसरी बीमारी का इलाज कराने के लिए जांच कराते हैं और उनके लक्षण कैंसर के लक्षणों से मेल खाते हैं। कैंसर की जांच के बाद ज्यादातर लोग उदास और चिंतित हो जाते हैं, कैंसर वाले लोगों में आत्महत्या का खतरा लगभग डबल हो जाता है।
कैंसर के मुख्य लक्षण – Major symptoms of cancer in Hindi
व्यक्तियों में कैंसर के सबसे प्रमुख लक्षणों में निम्न शामिल हैं:
- कैंसर का सबसे आम लक्षण ट्यूमर का बनना है।
- फेफड़े के कैंसर में खांसी या निमोनिया हो सकता है।
- कोलोरेक्टल कैंसर से आंत में संकुचन या रुकावट उत्पन्न होती है और आंत की गतिविधि भी प्रभावित होती है।
- स्तन कैंसर में स्तन पर गांठो का उत्पादन हो सकता है।
- पेशाब के साथ खून का आना एनीमिया या गुदा कैंसर का संकेत हो सकता है।
- कैंसर में प्रारंभिक सूजन आमतौर पर दर्द रहित होती है, कुछ कैंसर छाती और पेट के भीतर तरल पदार्थ का निर्माण कर सकते हैं।
कैंसर के सामान्य लक्षण – Common symptoms of cancer in Hindi
इसके अलावा कुछ सामान्य लक्षण जो कैंसर का संकेत हो सकते हैं उनमें शामिल हैं:
- अचानक अत्यधिक वजन कम हो जाना।
- बुखार आना।
- अत्यधिक थकान और त्वचा में परिवर्तन महसूस होना।
- यकृत (लिवर) और गुर्दे (किडनी) संबंधी रोग उत्पन्न होना।
- रक्त कैंसर (ल्यूकेमिया) हो जाना।
कैंसर के प्रकार – Types of cancer in Hindi
मानव शरीर में 100 से अधिक प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं। यहां हम आपको प्रमुख्य कैंसर के प्रकार के बारे में बताने वाले हैं:
गर्भाशय का कैंसर – Uterine cancer in Hindi
गर्भाशय कैंसर, गर्भाशय की अंदरूनी परत या भीतरी अस्तर में शुरू होता है, इसे बच्चेदानी का कैंसर भी कहते हैं। छोटी उम्र में विवाह, अधिक प्रसव, हनीमून के दौरान रोग, प्रसव के दौरान गर्भाशय में किसी प्रकार का घाव होना और वह ठीक होने से पहले गर्भधारण हो जाए तो 40 की उम्र के बाद गर्भाशय का कैंसर होने का खतरा रहता है। मेनोपॉज के बाद रक्तस्राव होना, और दुर्गंध आना, पैरों व कमर में दर्द रहना इसके लक्षण हैं।
(और पढ़ें – रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के घरेलू उपाय और नुस्खे)
रक्त कैंसर –Blood cancer (leukemia) in Hindi
ल्यूकेमिया शरीर में खून का निर्माण करने वाले ऊतकों का कैंसर है, जिसमें अस्थि मज्जा और लसीका तंत्र शामिल हैं। एक्स रे और विकिरण प्रणाली से किरणें यदि शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाएं तो अस्थियों को प्रभावित करती हैं, जिससे उसके अन्दर ब्लड सेल्स भी प्रभावित होते हैं। ब्लड कैंसर में शरीर की श्वेत रक्त कणिकाओ में अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है। मुंह से खून आना, जोड़ों व हडि्डयों में दर्द, बुखार का लगातार कई दिनों तक बना रहना, डायरिया होना, प्लीहा व लसिका ग्रंथियों के आकार में वृद्धि होना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
(और पढ़ें – कैसे होता है ब्लड कैंसर कारण लक्षण और इलाज के उपाय)
गले का कैंसर – Throat cancer in Hindi
गले का कैंसर (throat cancer), व्यक्ति के गले के कुछ हिस्सों में अनियंत्रित रूप से हानिकारक कोशिकाओं या ऊतकों में होने वाली वृद्धि है। गले का कैंसर आमतौर पर संबन्धित व्यक्ति के वॉइस बॉक्स (लैरिंक्स) और ग्रसनी (pharynx) को प्रभावित करता है। तंबाकू का सेवन मुख व गले के कैंसर का मुख्य कारण है। मुंह के भीतर कोई गांठ, घाव या पित्त बन जाना, मुंह में सफेद दाग, लार टपकना, बदबू आना, मुंह खोलने, बोलने व निगलने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
(और पढ़ें – गले का कैंसर कारण, लक्षण, जाँच, इलाज और बचाव)
लंग कैंसर – Lung cancer in Hindi
फेफड़ों की कोशिकाओं का अनियंत्रित रूप से बढ़ना और फिर उनका एक ट्यूमर में बदलना फेफड़ों के कैंसर का कारण होता है। हल्की निरंतर खांसी आना, खांसी के साथ खून आना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके लक्षण हैं।
(और पढ़ें – फेफड़ों का कैंसर कारण, लक्षण, इलाज और रोकथाम)
आमाशय का कैंसर – stomach cancer in Hindi
पेट के कैंसर में पेट के अस्तर के भीतर कैंसर कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होती है। पेट में दर्द, भूख बहुत कम लगना, कभी-कभी खून की उल्टी होना, खून की कमी, पतले दस्त, शौच के समय केवल खून निकलना, आंतों में गांठ की वजह से शौच न होना आमाशय या पेट के कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को पेट का कैंसर होने की अधिक संभावना होती है।
सर्वाइकल कैंसर – Cervical cancer in Hindi
गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर तब होता है जब गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ती हैं और शरीर के अन्य ऊतकों और अंगों को प्रभावित करती हैं। इसके फैलने के बाद महिला को मेनोपॉज होने के बाद असामान्य रूप से ब्लीडिंग होना, योनि से लगातार बदबूदार गाढ़ा एवं चिपचिपा तरल पदार्थ का निकलना, बार-बार पेशाब जाना, पेशाब करने में दर्द और जलन महसूस होना, भूख की कमी, वजन का गिरना और एनीमिया सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हो सकता है।
(और पढ़ें – जानें सर्वाइकल कैंसर कैसे होता है)
ब्रेन कैंसर – Brain cancer in Hindi
ब्रेन कैंसर में मस्तिष्क या स्पाइनल कॉर्ड की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होती है, जिसके कारण तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। चक्कार आना, उल्टी होना, भूलने की बीमारी, दौरे पड़ना, मानसिक भ्रम उत्पन्न होना, सांस लेने में दिक्कत होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
(और पढ़े – स्तन कैंसर कारण, लक्षण और बचाव के तरीके)
कैंसर के अन्य प्रकार – other types of cancer in Hindi
- स्तन कैंसर
- ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer)
- कोलन कैंसर (Colon Cancer)
- एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer)
- स्किन कैंसर (Skin Cancer)
- खाने की नली में कैंसर (Esophageal Cancer), इत्यादि।
कैंसर के कारण – Causes of cancer in Hindi
अधिकांश कैंसर पर्यावरण, जीवन शैली और व्यवहार परिवर्तन के द्वारा उत्पन्न होते हैं, पर्यावरण को कैंसर का मुख्य कारण माना गया है। क्योंकि शरीर और पर्यावरण का परस्पर संबंध होता है। लेकिन पर्यावरण के साथ साथ भी जीवन शैली, आर्थिक और व्यवहारिक कारण भी कैंसर के कारणों में शामिल होते हैं।
कैंसर का कारण बनने वाले कारकों में तंबाकू के सेवन का 25 से 30% , मोटापे का 30 से 35%, संक्रमण का 15 से 20%, विकिरण का 10% तथा अन्य शारीरिक गतिविधि की कमी और कोई दूसरे पर्यावरण प्रदूषण का योगदान होता है।
यह साबित करना लगभग असंभव है कि किसी व्यक्ति में कैंसर का कारण क्या है, क्योंकि अधिकांश कैंसर के कई संभावित कारण होते हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति जो तंबाकू का प्रयोग करता है तो फेफड़ों के कैंसर का खतरा उसमें अधिक होता है। इसका मतलब तंबाकू के उपयोग के कारण फेफड़ों का कैंसर होता है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि, जो व्यक्ति तंबाकू का सेवन नहीं करता उसे कैंसर ना हो, क्योंकि वायु प्रदूषण या विकरण के परिणामस्वरुप हर किसी के फेफड़े में कैंसर विकसित हो सकता है।
(और पढ़े – शराब पीना कैंसर का कारण बन सकता है...)
कैंसर के कारणों में उम्र बढ़ने का भी संबंध पाया गया है। कैंसर को बुढ़ापे का एक जोखिम के रूप में माना जाता है। कैंसर के विकास में कई आणविक और सेल्यूलर परिवर्तन शामिल होते हैं, इसलिए बुढ़ापे की प्रक्रिया के दौरान यह परिवर्तन होने की बहुत अधिक संभावना होती है। अतः उम्र बढ़ने के साथ कैंसर के लक्षण अधिक प्रकट होने लगते हैं।
कैंसर के जोखिम कारक – Cancer Risk Factor in Hindi
कुछ मुख्य कारक ऐसे भी हैं जिनसे किसी को भी कैंसर होने का खतरा बना रहता है। इन कारकों में शामिल हैं:
- वजन बढ़ना या मोटापा।
- शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय न होना।
- एल्कोहल और अन्य नशीले पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन करना।
- कैंसर में पौष्टिक आहार न लेना।
- अपनी दिनचर्या में व्यायाम को शामिल न करना।
जोखिम कारकों को कम कर व्यक्ति 30% से अधिक कैंसर को होने से रोक सकते हैं इनमें सबसे महत्वपूर्ण है तंबाकू के सेवन पर रोक लगाना जो कि कैंसर के दौरान 20% मौतों का कारण होता है।
इसके अलावा 10% कैंसर मोटापा, असंतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और शराब पीने के कारण उत्पन्न होते हैं।
विकासशील देशों के लगभग 20% कैंसर ऐसे हैं जो हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और मानव पैपिलोमा वायरस जैसे संक्रमण के कारण होते हैं।
और अंत में लगभग 5 से 10% कैंसर का कारण अनुवांशिक दोष होते हैं।
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कैंसर की जाँच – cancer diagnosis in Hindi
अधिकांश कैंसर को उनके शुरूआती लक्षणों के आधार पर या स्क्रीनिंग के माध्यम से पहचाना जा सकता है। लेकिन कैंसर का निश्चित रूप से निदान करने के लिए टिशू नमूना ( tissue sample) की जाँच या बायोप्सी की आवश्यकता होती है। संदिग्ध कैंसर वाले व्यक्तियों की जांच में आमतौर पर रक्त परीक्षण, एक्स-रे, सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी जैसी प्रक्रियाओं को शामिल किया जाता है।
बायोप्सी के अंतर्गत ऊतक की जाँच करने पर यह पता चलता है कि कैंसर कितना बढ़ रहा है। इसके साथ ही सर्वोत्तम उपचार चुनने में सहायता भी मिलती है।
साइटोजेनेटिक्स (cytogenetic testing) और इम्युनोहिस्टोकैमिस्ट्री अन्य प्रकार के ऊतक परीक्षण हैं। ये परीक्षण आणविक परिवर्तनों (जैसे कि उत्परिवर्तन, संलयन जीन और संख्यात्मक गुणसूत्र परिवर्तन) के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं और इस तरह से रोग का निदान और सर्वोत्तम उपचार भी बता पाते हैं।
(और पढ़ें – एंडोस्कोपी कराने के कारण, तरीका, फायदे एवं नुकसान)
कैंसर का इलाज – Cancer treatment in Hindi
कैंसर के इलाज के लिए सबसे पहले कैंसर की पहचान होना आवश्यक होता है कैंसर विशेषज्ञ इसकी पहचान करते हैं। एक चिकित्सक जो कि कैंसर के उपचार में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं उन्हें ऑन्कोलॉजिस्ट (oncologist) कहा जाता है। वर्तमान में कैंसर का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न तरह की उपचार प्रक्रियाओं को अपनाते हैं, जिनमें शामिल हैं:
सर्जरी (surgery)
विकिरण चिकित्सा (radiation therapy)
कीमोथेरेपी (chemotherapy)
संयोजन उपचार (दो या तीनों उपचारों का एक संयोजन)।
(और पढ़ें – कीमोथेरेपी क्या है फायदे और नुकसान)
कैंसर के वैकल्पिक उपचार के घरेलू उपाय – Home remedies for cancer in Hindi
कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं जिन्हें कैंसर के उपचार के साथ वैकल्पिक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें एक संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन महत्वपूर्ण है। कैंसर के खतरे को कम करने वाले भोजन में निम्न को शामिल किया जा सकता है जैसे- ब्रोकली, अंगूर, सोयाबीन, ग्रीन टी, एलोवेरा और एक्यूपंचर, विटामिन जैसे पूरक आहार इत्यादि।
लगभग हर चिकित्सक का मानना है कि एक संतुलित आहार जो अच्छा पोषण देने में सक्षम होता है, कैंसर का मुकाबला करने में मदद करता है। हालांकि इन सभी से कैंसर के कुछ लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन इसके कोई भी प्रमाणित सबूत मौजूद नहीं है कि वह किस प्रकार के कैंसर का इलाज करने में सहायता करते हैं। इसलिए कैंसर के मरीज को ऊपर बताए गए आहार का सेवन करने से पहले कैंसर के डॉक्टर के साथ अवश्य ही चर्चा करनी चाहिए।
उचित आहार अपनाकर और अपने शारीरिक व्यायाम को बढ़ाकर कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि मोटापा लगभग 30 से 35% कैंसर से होने वाली मृत्यु का कारण बनता है, इसलिए आप उचित व्यायाम अपनाकर अपने आप को कैंसर से दूर रख सकते हैं।
कैंसर से बचाव के तरीके – Cancer prevention methods in hindi
ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि क्या कैंसर को रोकना संभव है। इस पर अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि कई प्रकार के कैंसर को रोका जा सकता है या फिर कैंसर से विकसित होने वाले खतरों को कम किया जा सकता है। इसके लिए कुछ सरल विधियां उपलब्ध है, जिनके आधार पर आप कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं और उससे बच सकते हैं। कैंसर से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है, कैंसर के कारणों को जानकर उनसे बचना।
- धूम्रपान कैंसर के मुख्य कारणों के रूप में जाना जाता है। अतः आप कैंसर से बचने के लिए धूम्रपान को त्याग सकते हैं।
- इसके अलावा अतिरिक्त सूरज की रोशनी से बचने तथा यूवी किरणों के जोखिम को कम करने के लिए आप सनस्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं।
- कुछ वायरस और अन्य रोगजनकों के संपर्क से बचने से भी कुछ कैंसर को रोकने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
- कैंसर के उच्च जोखिम वाले व्यक्ति जैसे- एक्स रे तकनीशियन, आयोनायजिंग विकरण शोधकर्ता और एसबेस्टस श्रमिक इत्यादि को इस प्रकार के माहौल में कार्य करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे वह कैंसर के खतरे से बच सकें।
मोबाइल फोन का उपयोग भी कैंसर कारण माना जाता है लेकिन कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण अभी तक मोबाइल फोन के कारण होने वाले कैंसर के लिए उपलब्ध नहीं है। इस पर अभी शोध जारी है और यह संकेत देता है कि मोबाइल फोन का उपयोग करने से कैंसर का जोखिम होता है।
(और पढ़े – मोबाइल के साथ सोना कैंसर का ख़तरा बढ़ा सकता है)
कैंसर को रोकने के लिए टीकाकरण – Vaccination to prevent cancer in Hindi
इसके अलावा विशिष्ट प्रकार के कैंसर को रोकने के लिए वर्तमान में एफडीए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने दो टीके अनुमोदित किए हैं। जिसमें हेपेटाइटिस बी वायरस के खिलाफ लड़ने वाले टीके और human papillomavirus HPV प्रकार के टीके उपलब्ध हैं। हेपेटाइटिस बी और HPV को यकृत कैंसर का कारण माना जाता है।
NCI के अनुसार HPV वायरस लगभग 70% गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (cervical cancers) के लिए जिम्मेदार है। यह वायरस सिर और गर्दन में पैदा होने वाले कैंसर का कारण भी होता है साथ ही साथ गुदा क्षेत्र में कैंसर उत्पन्न करने में मुख्य भूमिका निभाता है। एचपीवी के खिलाफ टीकाकरण किशोरों और युवा वयस्कों में अनुशंसित किया जाता है। एचपीवी वायरस इतना आम है कि 50 वर्ष की आयु से या उससे अधिक आयु के लोगों में इसके होने का खतरा सर्वाधिक होता है।
प्रोटेस्ट कैंसर का इलाज करने के लिए एफडीए द्वारा अनुमोदित एक नया टीका जिससे Sipuleucel-T कहते हैं का इस्तेमाल किया जाता है। यद्यपि वैक्सीनेशन प्रोटेस्ट कैंसर का इलाज नहीं करता है। यह प्रोटेस्ट कैंसर वाले व्यक्तियों की उम्र बढ़ने में मदद करते हुए दिखाया गया है।
कैंसर से बचाव के उपाय – Cancer prevention methods in Hindi
अनुवांशिक रुप कैंसर इतिहास से जुड़े हुए किसी दूसरे व्यक्ति में कैंसर विकसित होने से रोकना मुमकिन नहीं है। क्योंकि उनके जेनेटिक रूप में बदलाव करना संभव नहीं है हालाँकि कुछ व्यक्ति जिनके पास अनुवांशिक रुप से कैंसर से जुड़े कारण होने की उच्च संभावना है, वह कैंसर के विकास को रोकने के लिए प्रयास कर सकते हैं।
कैंसर का प्रारंभिक चरण में परीक्षण और स्क्रीनिंग के द्वारा पता लगाया जाना कैंसर से बचने का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। क्योंकि इस समय कैंसर के कारणों का संभावित इलाज होने की संभव और आसान होता है। स्क्रीनिंग परीक्षण में स्तन परीक्षण, वृषण परीक्षण, कोलन रेक्टल परीक्षण, कोलोनोस्कोपी मैमोग्राफी, कुछ रक्त परीक्षण, प्रोटेस्ट परीक्षण, मूत्र परीक्षण और अन्य प्रकार के परीक्षण शामिल होते हैं।
जिन लोगों को संदेह है कि उन्हें कैंसर हो सकता है, उन्हें जल्द से जल्द अपने चिकित्सक से इस बारे में चर्चा करनी चाहिए। ताकि वह अपने लक्षणों को पहचान सके और कैंसर होने पर उचित उपचार ले सकें और इस अनजान खतरे से बच सकें।
कैंसर के कारण लक्षण और बचाव के उपाय (Cancer Causes, Symptoms And Prevention in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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cancer ke bare me aapki ye jankari sabse best hai , aapka likhne ka skill bhi mujhe bahut acha laga |