Aak (Madar) Ke Fayde Aur Nuksaan in Hindi आक एक बारहमासी झाड़ी है जिसका अंग्रेजी नाम मदार (madar) है, यह एक आयुर्वेदिक पौधा है। इसको मंदार’, आक, ‘अर्क’ और अकौआ भी कहते हैं। आक के फायदे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किये जाते हैं। यह एक ऐसा चमत्कारिक पौधा है जिसके पत्ते, फल, फूल और इससे निकलने वाले दूध जैसे सभी उत्पादों का उपयोग विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। आप शायद आक शब्द से परिचित न हों लेकिन अकौआ शब्द से परिचित होगें। क्योंकि भारत के कुछ क्षेत्रों में इसे अकऊआ के नाम से जाना जाता है। आक के फायदे महिला बांझपन (Female infertility), कोलेरा, अस्थमा, बवासीर आदि के उपचार के लिए उपयोग किये जाते हैं। आइए जाने आक के फायदे और नुकसान के बारे में जो आपको अब तक पता नहीं थे।
विषय सूची
1. आक का पेड़ – Aak Ke Podhe in Hindi
2. आक (मदार) के पोषक तत्व – Aak Ke Poshak Tatva in Hindi
3. आक के फायदे – Aak Ke Fayde in Hindi
4. मदार के अन्य फायदे – Madar Ke Anya Fayde in Hindi
5. आक के जहरीले गुण – Aak Ke Poisoning Gun in Hindi
6. आक के नुकसान – Aak Ke Nuksan in Hindi
मदार का वनस्पतिक नाम Calotropis gigantea है। इस आयुर्वेदि पौधे की दो प्रजातियां होती हैं जिनमें से एक प्रजाति के फूलों का रंग हल्का लाल नीला होता है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में उपयोग किया जाता है और दूसरी प्रजाति के पौधे में सफेद फूल होते हैं जो कि बहुत ही दुर्लभ होते हैं। अकौआ का पौधा एक प्रकार की झाड़ी नुमा पौधा होता है जिसमें बहुत सारी शाखाएं होती हैं। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 2.5 मीटर तक हो सकती है। इसकी पत्तियां समतल और अंडाकार की होती है।
इस पौधे के फूल गुच्छों के रूप में फूलते हैं जिनमें मोम जैसी परत होती है। इसके पत्तों को तोड़ने पर इससे सफेद रंग का गाढ़ा दूध निकलता है। इस पौधे में बहुत से पोषक तत्व होते हैं जो कि इसे आयुर्वेदिक गुण प्रदान करते हैं। आइए जाने आक में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे में।
इस आयुर्वदिक दवा वाले पौधे में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व (Nutrients) मौजूद रहते हैं जिनके कारण आक पौधे और इसके उत्पादों का उपयोग कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों में ए और बी अमीरिन, साइनिडिन-3-रमोगोग्लुकोसाइड (Cyanidin-3-Rhamnoglucoside), प्रोसेस्ट्रॉल (Procesterol), बी-साइटोस्टेरॉल (B-Sitosterol), कैलेक्टिन (Calactin), कैटोक्सिन (Caotoxin), कैलोप्रोपैजेनिन (Calotropagenin), कैलोप्रोपिन (Calotropin), कैलोप्रोपेन (Calotropain), प्रोसेरोसाइड (Proceroside), प्रोसेरजेनिन (Proceragenin) इत्यादि शामिल हैं।
औषधीय उद्देश्यों के लिए आक के पौधे के फूलों (Aak flower) का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। आक के पौधों से निकलने वाले दूध का उपयोग गर्भापात के लिए उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही आक मे मौजूद पेचिश रोकने वाली औषधि (anti-dysentric), एंटी-सिफिलिटिक (anti-syphilitic), आमवातनाशक (anti-rheumatic), एंटीफंगल गुण होते हैं जो कुष्ठ रोग और अस्थमा आदि जैसी गंभीर समस्याओं का इलाज करने में मदद करते हैं। इसकी छाल का उपयोग कर दस्त (Diarrhea) का इलाज किया जा सकता है। आइए विस्तार से जानते हैं मदार के फायदे क्या हैं और इन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता हैं।
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जिन लोगों को बवासीर की समस्या है उनके लिए मदार का पौधा बहुत ही उपयोगी होता है। बबासीर से छुटकारा पाने के लिए आक की पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है। आप आक की पत्तियों को तोड़कर सुखा लें, इन सूखी हुई पत्तियों को जलाकर इसका धुआं (fume) लेने पर बवासीर रोगी को दर्द और खुजली से राहत दिलाता है। यह बवासीर (Hemorrhoids) के प्रभाव को कम करने का सबसे अच्छा विकल्प है। बवासीर रोगी को एक बार इस उपाय को जरूर अजमा कर देखना चाहिए। उनके लिए आक फायदेमंद हो सकता है।
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प्राचीन समय से ही आक के पत्तों को शरीर की सूजन को दूर करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। आप अपने शरीर की सूजन को दूर करने के लिए आक की 4 से 5 वयस्क पत्तियों को इकहट्ठा करें और इसकी चिकनी सतह (ventral side) पर दर्द निवारक किसी भी प्रकार के तेल को लगाकर गर्म करें और सूजन प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। यदि इस उपचार का उपयोग नियमित रूप से 5 से 6 दिनों तक उपयोग किया जाता है जो यह निश्चित रूप से सूजन को कम करने में मदद करती है।
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जो लोग जोड़ो के दर्द से परेशान हैं उनके लिए आक के पत्ते दवा का काम कर सकते हैं। जोड़ो के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप आक की परिपक्य पत्तियों को तोड़कर बिना पानी मिलाए पीस लें और एक महीन पेस्ट तैयार करें। आप इस पेस्ट में आवश्यक हो तो थोड़ा सा नमक भी मिला सकते हैं। इस मिश्रण को दर्द वाले जोड़ो पर लगाएं। 2 से 3 दिनों तक नियमित रूप से सुबह-शाम इस मिश्रण का उपयोग करने पर यह जोड़ो के दर्द और सूजन से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
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यदि आप श्वास से संबंधित बीमारी से परेशान हैं जिनमें अस्थमा और खांसी भी शामिल है तो आप आक के फूलों का उपयोग कर सकते हैं। यह अस्थमा और पुरानी खांसी का सर्तिया इलाज हो सकता है। इसके लिए आप मदार के फूलों को इकहट्ठा करें और इसे छांव (sunshade) में सुखा लें। इन सूखे हुए फूलों को पीस कर पाउडर बना लें और इसमें थोड़ा सा खड़ा नमक (Rock salt) को पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को आप ऐसे ही खा सकते हैं या फिर इसे गर्म पानी के साथ मिलाकर पिया भी जा सकता है। इस तरह आक के फूलों का उपयोग कर आप अस्थमा (Asthma), खांसी, सर्दी आदि से राहत पा सकते हैं।
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ऐसा माना जाता है कि आक के पत्तों से कान के बेहरेपन को दूर किया जा सकता है। इसके लिए आपको पौधे पर लगे हुए पीले पत्तों की आवश्यकता होती है जो कि सूखने वाले होते हैं। इन पत्तों को गर्म करके इनका रस निकालने के लिए निचोड़ें। इससे प्राप्त रस की कुछ बूंदों को कान में डालें। यह कान के बेहरे पन को दूर करने में मदद करता है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि आपके कान संवेदनशील अंगों में आते हैं इसलिए इस रस का उपयोग करने से पहले किसी जानकार व्यक्ति से सलाह लें या फिर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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दाद, फंगल संक्रमण और किसी कीड़े के काटने के दुष्प्रभाव से ग्रसित व्यक्तियों के लिए आक का दूध बहुत ही फायदेमंद होता है। आप आक से निकलने वाले दूध का उपयोग कर त्वचा की विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके लिए आपको केवल आक के दूध को इक्हट्ठा करने की आवश्यकता है और इस दूध को आप त्वचा रोग, दाद (Ringworm), फोड़े या घावों के ऊपर लगाएं। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट आपकी त्वचा समस्याओं को दूर करने और उन्हें ठीक करने में मदद करते हैं।
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कोलेरा (Cholera) एक घातक बीमारी होती है जो कि एक महामारी की तरह फैलती है। आयुर्वेद के अनुसार हैजा से बचने के लिए आक की जड़ों का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप आक की जड़ों (Aak root) को अच्छी तरह से साफ कर लें। इन जड़ों को सुखा कर पाउडर बना लें। इस पाउडर में अदरक का रस और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां तैयार कर लें। कुछ दिनों तक हर दो घंटों में 1 चम्मच पोदीना के रस के साथ एक गोली का सेवन करे। यह हैजा से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
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सफेद आक प्राप्त करने में कुछ परेशानी हो सकती है क्योंकि यह आसानी से प्राप्त नहीं होते हैं। लेकिन इनके फूलों का उपयोग कर महिला बांझपन को दूर किया जा सकता है। इसके लिए आपको सफेद आक के फूलों को तोड़कर इन्हें छांव में सुखाएं और इसे पीसकर (Pulverise) पाउडर बना लें। इस पाउडर की 1 से 2 ग्राम मात्रा को प्रतिदिन 1 गिलास गाय के दूध के साथ सेवन करने से महिलाओं में बांझपन (Female infertility) की शिकायत को दूर किया जा सकता है।
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जिन लोगों को लगता है कि उन्हें यौन कमजोरी है उनके लिए मदार के फायदे बहुत अधिक हैं। इस पौधे से निकलने वाले रस का उपयोग यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है। लोग इस जड़ी बूटी को कामोद्दीपक (aphrodisiac) के रूप में उपयोग करते हैं। यदि किसी को यौन स्वास्थ्य में कमजोरी है तो उसे आक का उपयोग करके देखना चाहिए।
आप अपने पाचन को ठीक करने के लिए आक का उपयोग कर सकते हैं। आक हल्का और पाचन को आसान बनाता है जिससे पाचन शक्ति में सुधार होता है। इसके वता शांति गंणों के कारण यह भोजन के अनुचित पाचन (improper digestion) के परिणामस्वरूप सूजन, पेट फूलना और पेट के विकार को दूर करने में मदद करता है। यदि आपको पेट से संबंधित समस्या हो तो आपके लिए आक फायदेमंद हो सकता है।
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इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटी की पत्तियों से निकलने वाले रस में उल्टी कराने वाले गुण होते हैं जिसके कारण इसका उपयोग उल्टी थेरेपी (vomiting therapy) के लिए किया जाता है। विशेष रूप से यह पेट में मौजूद विषाक्तता या विष को बाहर निकालने में मदद करता है।
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आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों के साथ-साथ आक में जहरीली (Poisonous) प्रवृत्ति भी होती है। इस पौधे से निकलने वाले दूध में जहर होता है जिसका उपयोग पशुओं को बेहोस करने के लिए किया जाता है। यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो इससे मृत्यु भी हो सकती है।
आक पौधे के उत्पादों का उपयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इसका दूध आंखों में न आ पाए। यदि इसका दूध आंखों में आ जाए तो यह आंखों की दृष्टि को हानि पहुंच सकती है।
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अध्ययनों से पता चलता है कि यदि आक का अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसमें ऐसे रसायन होते हैं जो दिल की कार्य क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
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