Garbhapat ki goli in Hindi मेडिकल एबॉर्शन अर्थात् गोली के द्वारा गर्भपात, अनचाही प्रेगनेंसी को खत्म करने या बच्चा न पैदा करने की चाह रखने वाली महिलाएं गर्भपात के जरिए गर्भाशय से भ्रूण को बाहर निकलवा देती है जिसके कारण प्रेगनेंसी आगे नहीं बढ़ पाती है। गर्भपात कराने का तो आमतौर पर कई तरीका होता है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी प्रेगनेंसी कितने दिनों या हफ्तों की है। इस आर्टिकल में हम मेडिकल एबॉर्शन अर्थात् गोली के द्वारा गर्भपात के बारे में बताने जा रहे हैं।
इस लेख में आप जानेंगे गोली द्वारा गर्भपात (मेडिकल एबॉर्शन) कैसे किया जाता है, सुरक्षित गर्भपात समय सीमा, कानून, घर पर गर्भपात किट का इस्तेमाल कैसे करें, गर्भपात की गोली के साइड इफेक्ट, गर्भपात के बाद क्या करे, गर्भपात के बाद मासिक धर्म, अपूर्ण, असफल गर्भपात (आधे गर्भपात) के लक्षण के बारे में।
मेडिकल एबॉर्शन या गोली द्वारा गर्भपात कई चरणों में पूरा होता है। आप चाहें तो घर पर बहुत आसानी से ही गोली द्वारा गर्भपात कर सकती हैं, लेकिन यदि आपको किसी तरह का डर या शंका हो तो आपको डॉक्टर के पास जाकर मेडिकल एबॉर्शन कराना चाहिए। गोली द्वारा एबॉर्शन करने के लिए आमतौर पर मिफेप्रिस्टोन(mifepristone) और मिसोप्रोस्टोल(misoprostol) नामक दो दवाएं खानी पड़ती हैं।
मेडिकल एबॉर्शन करने के लिए नर्स सबसे पहले आपको मिफेप्रिस्टोन (mifepristone) नामक एक दवा खिलाती है। गर्भावस्था को बढ़ाने में प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन की भूमिका होती है और इसी के कारण गर्भ में भ्रूण विकसित होता है। मिफेप्रिस्टोन नामक दवा शरीर में प्रोजेस्टेरोन को ब्लॉक कर देती है। मिफेप्रिस्टोन लेने के बाद कुछ महिलाओं को तुरंत उल्टी और ब्लीडिंड शुरू हो जाती है हालांकि सबको ऐसा नहीं होता है। इसके बाद नर्स या डॉक्टर संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक्स देती है।
इसके बाद डॉक्टर महिला को दूसरी दवा यानि मिजोप्रोस्टोल खाने के लिए लिए देती है। इस दवा को पहली दवा यानि मिफेप्रिस्टोन लेने के छह से 48 घंटे के अंदर खाया जाता है इसलिए आप इस दवा को घर पर भी खा सकती है। मिजोप्रोस्टोल खाने के बाद गर्भाशय सिकुड़ जाता है और भ्रूण एवं गर्भाशय की परत के ऊत्तकों को बाहर निकाल देता है। इस दौरान शरीर में तेज ऐंठन और ब्लीडिंग होने लगती है और गर्भाशय से सबकुछ निकलकर बाहर आ जाता है। यह सामान्य पीरियड से कहीं ज्यादा भारी होता है और इसमें तेज दर्द भी होता है।
ज्यादातर महिलाओं को आमतौर पर दूसरी गोली लेने के एक से चार घंटे बाद ब्लीडिंग और ऐंठन शुरू होती है और योनि के माध्यम से खून के बड़े बड़े थक्के बाहर निकलते हैं और ऊत्तकों के टुकड़े भी बाहर निकल सकते है। इसका साफ अर्थ यह है कि आपका गर्भपात सफल रहा। हालांकि ब्लीडिंग और शरीर में ऐंठन और दर्द कई घंटों तक होता रहता है। जब ब्लीडिंग होनी बंद हो जाती है इसके बाद भी एक या दो दिन तक महिला की योनि से हल्का ब्लड निकलता रहता है।
आमतौर पर प्रेगनेंसी का समय अंतिम मासिक धर्म के पहले दिन से जोड़ा जाता है। इसलिए गोली द्वारा एबॉर्शन कराने के लिए अंतिम पीरियड के पहले दिन से अब तक यदि आपकी प्रेगनेंसी 70 दिन अर्थात् दस हफ्तों की हो चुकी हो तो आप घर पर ही बहुत आसानी से गोली द्वारा गर्भपात कर सकती हैं। लेकिन यदि इससे एक भी दिन ज्यादा की प्रेगनेंसी हो चुकी हो तो आपको डॉक्टर के क्लिनिक में जाकर एबॉर्शन कराना चाहिए। वास्तव में मेडिकल एबॉर्शन आठ से दस हफ्ते की ही प्रेगनेंसी होने पर किया जाता है। इस दौरान गर्भपात कराना सुरक्षित माना जाता है और ज्यादातर मामलों में यह पूरी तरह सफल भी होता है। लेकिन दस हफ्ते से ज्यादा समय की प्रेगनेंसी होने पर गर्भपात करने के लिए सर्जिकल प्रक्रिया अपनायी जाती है।
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मेडिकल एबॉर्शन कराने के लिए महिला को दो तरह की गोलियां खानी पड़ती हैं जिसके बाद उनका गर्भपात होता है। आइये जानते हैं कि इन गोलियों से क्या नुकसान होता है।
गर्भपात के लिए गोलियां खाने के बाद पेट और श्रोणि(pelvic region) के आसपास तेज दर्द होता है। यह दर्द सामान्य नहीं होता है और मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द से कहीं अधिक तीव्र होता है। इसके अलावा कमर में भी तेज दर्द होता है। इसे ठीक करने के लिए अलग से दर्दनिवारक दवाएं खानी पड़ती हैं।
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एबॉर्शन पिल्स लेने के बाद प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन होना बंद हो जाता है और भ्रूण गर्भाशय से बाहर आ जाता है। जिसके कारण महिला को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है और वह परेशान भी हो सकती है। ब्लीडिंग के दौरान खून के बड़े बड़े थक्के निकलते हैं और महिला के शरीर में खून की कमी हो सकती है।
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एबॉर्शन की गोलियां खाने के बाद आंत पर इसका खराब असर पड़ सकता है जिसके कारण पेट में ऐंठन शुरू हो सकती है और आपको डायरिया हो सकती है। कुछ मामलों में गर्भपात की गोलियों का दुष्प्रभाव बहुत खतरनाक होता है और महिला को बहुत गंभीर डायरिया हो सकती है।
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एबॉर्शन पिल्स के सेवन से शरीर पर इसका बहुत प्रभाव पड़ता है और इसके कारण जी मिचलाना और तेज उल्टी की समस्या हो सकती है। यदि गोली खाने के एक घंटे बाद आपको उल्टी आती है तो इसका अर्थ है कि आपको बार-बार उल्टी हो सकती है और वो भी कई दिनों तक।
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एबॉर्शन पिल्स खाने के बाद कुछ महिलाओं को बहुत तेज सिर दर्द होता है। कुछ महिलाओं को चक्कर भी आता है जिसके कारण उन्हें उठने और चलने-फिरने में परेशानी होती है। इसके अलावा कुछ महिलाओं को सामान्य से अधिक बुखार भी हो सकता है।
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यदि आपका गर्भपात अपूर्ण हुआ है या पूरी तरह से सफल नहीं हुआ है तो आमतौर पर इसके लक्षण आपको पता चल जाएंगे। आमतौर पर अपूर्ण गर्भपात या गर्भपात सफल उसी स्थिति में नहीं होता है जब गर्भावस्था की अवधि आठ से दस हफ्तों से अधिक समय की हो जाती है। इस स्थिति में गोलियां काम नहीं करती हैं और गर्भपात नहीं हो पाता है। आइये जानते हैं अपूर्ण या असफल गर्भपात के लक्षण क्या हैं।
अपूर्ण गर्भपात होने पर भ्रूण या गर्भाशय के ऊत्तक पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जब खून का लोथड़ा योनि से न निकले और सिर्फ सामान्य खून बहे तो इससे पहचाना जा सकता है कि गर्भपात सफल नहीं हुआ है।
यदि गर्भपात की गोलियां खाने के कई दिनों बाद या लंबे समय तक आपको तेज ब्लीडिंग होती है और किसी भी तरह रक्तस्राव कम न हो तो इसका अर्थ यह है कि आपका गर्भपात सफल नहीं हुआ है।
यदि पेट में बहुत ज्यादा दर्द हो और यह दर्द दो दिन से ज्यादा समय तक रहे और हफ्तों तक बुखार ठीक न हो और पेट को दबाने पर तुरंत दर्द शुरू हो जाए तो आपका गर्भपात अपूर्ण है।
गर्भपात के बाद मासिक धर्म चार से छह हफ्तों में फिर से सामान्य रूप से शुरू हो जाता है। हालांकि प्रेगनेंसी हार्मोन गर्भाशय में कुछ समय तक ऐसे ही बने रहते हैं जिसके कारण मासिक धर्म आने में कुछ देरी हो सकती है। लेकिन यदि आठ हफ्ते तक मासिक धर्म न आये तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। गर्भपात कराने के बाद होने वाला पहला मासिक धर्म सामान्य मासिक धर्म से कुछ दिन ज्यादा हो सकता है और ब्लड भी ज्यादा आ सकता है। इसका कारण यह है कि हार्मोन को दोबारा से नॉर्मल अवस्था में लौटने में समय लगता है।इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एबॉर्शन कराने के बाद शरीर में दोबारा से प्रेगनेंसी हार्मोन काफी उच्च मात्रा में बनता है जिसके कारण आपका मासिक धर्म चक्र गड़बड़ हो सकता है।
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वर्ष 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट बनाया गया जिसके तहत 20 सप्ताह के गर्भ को महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए गर्भपात किया जा सकता है। लेकिन 20 हफ्ते से अधिक का गर्भ होने पर कोर्ट की सलाह लेने के बाद ही गर्भपात कराने का प्रावधान है। यदि गर्भ के कारण महिला की जान को खतरा है तो एबॉर्शन किसी भी समय कराया जा सकता है लेकन यदि गर्भपात कराने से महिला की जान को कोई खतरा हो तो गर्भपात कराने की इजाजत नहीं है। 2014 में एक ड्राफ्ट बिल तैयार किया गया जिसमें यह कहा गया है कि गर्भपात की अवधि 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर देनी चाहिए लेकिन अभी तक नया कानून नहीं लागू हुआ है और गर्भपात की अवधि 20 हफ्ते ही है।
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