Activity Based Learning In Hindi: एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग क्या है और भारत के स्कूलों में इसकी क्या आवश्कता है, ये बहुत से लोग जानना चाहते हैं। तो हम आपको बता दें, कि एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग एक एक्टिव टीचिंग लर्निंग मैथेडोलॉजी है। भारत में प्राथमिक कक्षाओं में यह अधिक उपयोगी साबित होती है। इस पद्धति की मदद से शिक्षण को अधिक रोचक बना सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है, कि यह गतिविधियां छात्रों में एक्टिवनेस और स्मार्टनेस लाती हैं। अच्छी बात यह है, कि अब भारत के कई प्राथमिक स्कूलों में भी इसे लागू किया जा रहा है। तमिलनाडु इसका सबसे अच्छा उहारण है, जहां कई काम एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग (Activity Based Learning In Hindi ) पर किए गए हैं। एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग से स्टूडेंट्स में स्किल्स डेवलप हो सकती है।
स्कूलों में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग अन्य पद्धतियों की तुलना में ज्यादा प्रभावी है। यही वजह है, कि आजकल भारत के कई स्कूलों में स्मार्ट क्लास छात्रों को इंटरेक्टिव लर्निंग का माहौल प्रदान करने लगे हैं। इससे छात्र केवल किताबी ज्ञान में न फंसे रहकर अपनी योग्यता और क्षमताओं का विकास कर रहे हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग से जुड़ी सभी जानकारी देने जा रहे हैं। साथ ही इसके फायदों के बारे में भी आप यहां जान सकते हैं।
एक्टिीविटी बेस्ड लर्निंग छात्र केंद्रित शिक्षण पद्धति है। यह बच्चों की इंद्रियों को उत्तेजित कर स्मेल, विजन, फीलिंग और व्यवहारिक गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसमें बच्चों का काम केवल नोट्स लेकर पढ़ने और सुनने का नहीं होता, बल्कि उन्हें कई अलग-अलग एक्टिविटीज के जरिए पढ़ाया और सिखाया जाता है। इसका मकसद छात्रों को विविध ज्ञान और अनुभव प्रदान कराना है, जिससे उनके ज्ञान, कौशल और मूल्यों का निर्माण होता है।
इसके अलावा प्रेजेंटेशन के माध्यम से भी एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। कुल मिलाकर एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग कई एक्टिविटी पर आधारित रहती है, जिसमें बच्चे केवल क्लास में बैठकर पढ़ने से ही नहीं, बल्कि कई चीजों की प्रैक्टिकल रूप से करते हुए ज्ञान प्राप्त करते हैं।
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आजकल उद्यमी (Entrepreneur) छात्रों को किताबों के ज्ञान के अलावा अन्य कौशल जैसे संसाधनों का उपयोग करना, स्थितियों को हैंडल करना, बोलने व बातचीत करने का कौशल, रचनात्मकता के साथ स्वीकारा जाता है। हर उद्यमकर्त्ता ऐसे बच्चों को ही अपनी कंपनी में आने का मौका देता है, जिनके पास केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि कुछ रचनात्मक और अलग हटकर करने की स्किल्स होती हैं। इस वजह से आज के समय में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बहुत जरूरी है। इससे छात्रों के आत्मविश्वास का निर्माण होता है और वे कहीं पर भी खुद को साबित कर सकते हैं, कि वे कितने काबिल हैं।
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बच्चों को सीखने के अनुभव का आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग के कई फायदे हैं, जिनके बारे में हम आपको यहां बता रहे हैं।
एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से सीखने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस प्रक्रिया में खुद को शामिल करके छात्र कई चीजों को लंबे समय तक याद रख सकते हैं।
यह शिक्षण पद्धति बच्चों को नए अनुभवों की तलाश करने, सीखने में रूचि पैदा करने, उनकी शब्दावली को मजबूत करने और नई किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। इन कामों से छात्रों में जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच बढ़ती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह बच्चों को स्वयं के अनुभव से समझने और सीखने में उन्हें सक्षम बनाती है।
एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग की मदद से बच्चे स्वतंत्र और जिज्ञासु बनते हैं। यह पूरी तरह इंडिपेंडेट इनवेस्टीगेशन और एनालिसिस पर आधारित है। इस प्रक्रिया में यदि बच्चे ग्रुप्स में रहकर काम करते हैं, तो यह शिक्षण पद्धति छात्रों को स्वतंत्र रूप से जिज्ञासु होने, गंभीर रूप से सोचने और स्वयं के अनुभव से सीखने के लिए प्रोत्साहित करती है।
एक्सपेरीमेंटल लर्निंग छात्रों को उनके जीवन से करीब से जोड़ती है। इसके जरिए बच्चे हर मुश्किल सवाल का जवाब खुद हल करना सीख जाते हैं, जो उनके जीवन को आसान बनाने के लिए बहुत जरूरी है।
एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग के माध्यम से बच्चे टीम वर्क सीखते हैं। और उनमें सामाजिक कौशल विकसित होता है। ये कौशल स्कूल के बाद भविष्य में उनके करियर और सामाजिक जीवन में बहुत काम आता है।
एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बच्चों को यथार्थवादी समस्याओं और परिदृश्यों का पता लगाने और उन्हें हल करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे बच्चों को वास्तिविक जीवन की प्रासंगिता को समझने में मदद मिलती है।
इस शिक्षण पद्धति की मदद से बच्चों को खुद को अलग-अलग तरह से व्यक्त करने का मौका मिलता है। यह बच्चों को अपनी नॉलेज को रचनात्मक तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके अलावा इससे छात्र सीखने की विधि भी जान सकते हैं।
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किताबों से सीखने के बजाए बच्चों को अगर वास्तविक वस्तुओं के जरिए सिखाया जाए, तो साइंस के लेसन्स काफी आसान और दिलचस्प हो जाते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए शिक्षक और छात्र दोनों की ओर से प्रयास किए जा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे टीचर छात्रों को पौधों के बारे में पढ़ा रही है, तो इस दौरान वह छात्रों को पौधों की कुछ किस्मों को एकत्रित करने के लिए कह सकती है और फिर इससे छात्रों को पढ़ाया जा सकता है। अगर बात मैथ्स सब्जेक्ट की है, तो छात्रों को फल खरीदना या बेचना सिखाने के लिए असली सेब और आम लाने के लिए कहा जा सकता है। बता दें, कि बच्चे देखकर और खुद उस चीज का अनुभव करके ही बहुत जल्दी सीख सकते हैं।
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यह एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग काफी दिलचस्प हो सकती है। क्लास में एक ही सीट पर बैठकर पढ़ने से बच्चे अक्सर बोर हो जाते हैं, ऐसे में उनकी पद्धति में बदलाव लाकर विषयों के प्रति उनमें रूचि जगाई जा सकती है। उदाहरण के तौर पर अगर टीचर अंतरिक्ष के बारे में पढ़ा रहे हैं, तो उन्हें स्पेस थीम पर क्लास को डेकोरेट कर सकते हैं। यह काफी रोमांचक होगा।
पॉवर ऑफ प्रोजेक्ट्स से मतलब है, प्रोजेक्टस की असली छवि से। पैरेंट्स और टीचर बच्चों को प्रोजेक्टस बनाने में उनकी मदद कर सकते हैं, लेकिन इससे पहले छात्रों को प्रोजेक्ट के टॉपिक से परीचित होना जरूरी है। जैसे अगर कोई बच्चा बांध को लेकर प्रोजेक्ट बना रहा है, तो बेहतर है कि पहले एक बार वह डैम विजिट कर ले। ऐसे और भी कई उदाहरण है, जिस पर प्रोजेक्ट बनाने से पहले बच्चे उसकी छवि को देख सकते हैं। नियमित रूप से परियोजना कार्य होने से न केवल विषय का ज्ञान बढ़ता है, बल्कि अधिक जानने और स्पष्टता के साथ जिज्ञासा बढ़ती है।
किताबों में दी गई चीजें बच्चे के समझने के लिए यूं तो काफी होती हैं, लेकिन उन्हें विषयों से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी प्रदान की शिक्षक विषय को और रोचक बना सकते हैं। यानि किसी जगह या व्यक्ति से जुड़ी रोचक बातें बताकर बच्चों में दिलचस्पी बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए शिक्षक चाहें, तो ऑनलाइन और ऑफलाइन फैक्ट एकत्रित कर सकते हैं। इस तरह से बच्चे विषयों को रटते नहीं, बल्कि समझने की कोशिश करते हैं।
यह तो सभी जानते हैं, कि बच्चे देखकर और सुनकर जितना अच्छा सीख सकते हैं, किताबों से उतना नहीं सीखते। इसलिए वीडियोज, इमेज सोर्स के जरिए बच्चों का ध्यान विषय की ओर आकर्षित कर सकते हैं। शिक्षक बच्चों को किसी डॉक्यूमेंट्री, फिल्म को दिखाकर उन्हें ज्यादा से ज्यादा ज्ञान दे सकते हैं।
एक ही जगह क्लासरूम में बैठकर पढ़ने से बच्चे बोरियत का सीकार हो जाते हैं और उनमें थकान भी हो जाती है। इसलिए उनके पढ़ाई के मौहाल को बदलना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बच्चों के लिए काफी दिलचस्प हो सकती है। समय-समय पर कक्षा बदलें, बच्चों की सीट बदलें, उससे भी बेहतर है कि बच्चों को क्लास के बजाए बाहर पेड़ के नीचे गार्डन में या फिर ग्राउंड में बैठकर पढ़ाएं। प्रकृति के साथ बैठकर पढ़ने से छात्रों में फ्रेशनेस देखी जा सकती है।
कक्षा में अगर पहेली और खेल के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाए, तो नए शब्दों और अवधारणाओं को हल करने और सिखाने में बहुत मदद मिलती है। बच्चों को स्क्रैबल गेम या शब्द पहेली के जरिए बहुत कुछ सिखाया जा सकता है। दरअसल, बच्चों को हमेशा कुछ नया और रोचक करने की आदत होती है। शिक्षक उनके प्रयासों में उनकी मदद कर सकते हैं।
स्टोरीबोर्ड एक्टिविटी कुछ समय लेने वाली जरूर हो सकती है, लेकिन युवा छात्रों के लिए यह सबसे उपयुक्त है। गणित में भी भेदभाव और एकीकरण का वर्णन करने वाला एक साइन चार्ट छात्रों के देखने और जानने के लिए एक मूल्यवान चीज हो सकती है। या तो शिक्षक खुद इसे बना सकते हैं या छात्रों को बनाने के लिए कह सकते हैं। इसे कक्षा में चिपका सकते हैं, ताकि छात्र इसे देख सकें और याद रख सकें।
आप स्किट यानि कई सारी कहानियों और नाटकों के माध्यम से भी बच्चों को पढ़ा सकते हैं। इस पद्धति को सभी विषयों के लिए ट्राई किया जा सकता है। यदि आप भौतिक विज्ञान पढ़ा रहे हैं, तो एक व्यक्ति मशीन के रूप में कार्य कर सकता है और दूसरा व्यक्ति के रूप में। इससे चीजों को जानने में मदद मिलेगी। यह पाठों की एकरसता को तोड़ने और छात्रों को एनिमेटिड होने में मदद करता है।
छात्रों को कक्षा में इंटरेक्टिव होने के लिए प्रोत्साहित करना उन्हें विषयों में शामिल करने का सबसे अच्छा तरीका है। यदि छात्र कक्षा के दौरान इंटरेक्ट नहीं होता, तो छात्रों को प्रश्र और उत्तर करने के लिए अलग से एक सेशन आयोजित करना चाहिए।
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अब एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग का पूरा ध्यान बच्चे पर है। यह शिक्षार्थियों के बीच स्व शिक्षण कौशल विकसित करती है और बच्चे को उसके कौशल के अनुरूप अध्ययन करने की अनुमति देती है। यह गतिविधियां चित्र, राइम्स, प्ले के रूप में हो सकती हैं। एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग की मुख्य विशेषता यह है, कि यह स्वशिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चाइल्ड फ्रेंडली एजुकेशनल एड्स का उपयोग करती है और एक बच्चे को उसकी योग्यता और कौशल के अनुसार अध्ययन करने की अनुमति देती है।
एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बाल सुलभ शिक्षा के एक मॉडल के रूप में कार्य करती है, जो कि भारत में बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम का अधिकार है। सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान योजना ने शिक्षार्थियों के साथ-साथ शिक्षक दोनों के लिए शिक्षण पद्धति में बदलाव लाने के की पहल और रचनात्मक तरीके शुरू किए हैं। आपको बता दें, तमिलनाडु राज्य में प्राथमिक विद्यालयों ने सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से गतिविधि आधारित शिक्षण नामक पद्धति का उपयोग करने की पहल की है।
बच्चों को कुछ भी सिखाने के लिए एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग एक शानदार तरीका है। इससे बच्चे किताबों के अलावा भी बाहर की दुनिया से रूबरू होते हैं। एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग के जरिए न केवल शिक्षक बल्कि अभिभावक भी बच्चों को सिखाने में मदद कर सकते हैं।
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