Acupuncture Point Benefits In Hindi एक्यूपंक्चर के फायदे: शरीर की विभिन्न बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ लोग दवाओं की बजाय प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेकर ठीक होना चाहते हैं। एक्यूपंक्चर बीमारियों को ठीक करने का एक ऐसा ही माध्यम है जिसमे शरीर के विभिन्न बिंदुओं में सुई चुभाकर दर्द से राहत दिलाई जाती है। इस आर्टिकल में हम आपको एक्यूपंक्चर पद्धति, एक्यूपंक्चर बिंदुओं, एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट, एक्यूपंक्चर के फायदे, और एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
विषय सूची
1. एक्यूपंक्चर क्या है? – What Is Acupuncture In Hindi
2. एक्यूपंक्चर कैसे काम करता है? – How Does Acupuncture Work In Hindi
3. शरीर के मुख्य एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स (एक्यूपंक्चर बिंदुओं) – Main Acupuncture Points in Hindi
4. किन बीमारियों के इलाज में एक्यूपंक्चर उपयोगी है – What conditions are commonly treated by acupuncture in Hindi
5. एक्यूपंक्चर के फायदे – Acupuncture Benefits In Hindi
6. एक्यूपंक्चर साइड इफेक्ट (नुकसान) – Acupuncture Side Effects in Hindi
एक्यूपंक्चर एक चिकित्सीय क्रिया (medical practice) है जिसमें शरीर के कुछ विशेष प्वाइंट में सूई चुभाकर उन्हें उत्तेजित किया जाता है। सूई आमतौर पर त्वचा में डाली जाती है जो दर्द को कम करने एवं स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि एक्यूपंक्चर व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा को संतुलित रखने का कार्य करता है और सिर दर्द, ब्लड प्रेशर, सर्दी जुकाम, खांसी और अन्य बीमारियों से व्यक्ति को दूर रखने में सहायक होता है। हजारों वर्ष पहले एक्यूपंक्चर का उपयोग सबसे पहले चीन में शुरू हुआ था लेकिन धीरे-धीरे बीमारियों को ठीक करने के लिए इसका उपयोग सभी देशों में किया जाने लगा।
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एक्यूपंक्चर शरीर की क्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है और शारीरिक संरचना (anatomic sites) में स्थित विभिन्न प्वाइंट्स को उत्तेजित कर शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है। एक्यूपंचर प्वाइंट्स को उत्तेजित करने के लिए आमतौर पर त्वचा में सूई चुभाई जाती है। इसके बाद प्रेशर देकर, तापमान बढ़ाकर उत्तेजना को प्रभावी बनाया जाता है। इसके अलावा हाथ से मसाज करके (manual massage), मोक्जीबश्चन (moxibustion), हीट थेरेपी (heat therapy), कपिंग और हर्बल मेडिसिन देकर भी एक्यूप्वाइंट (acupoint) को उत्तेजित किया जाता है।
यह पारंपरिक चीनी चिकित्सा एक प्राचीन दर्शन पर आधारित है जो दो विरोधी शक्तियों यिन और यांग (yin and yang) के संदर्भ में ब्रह्मांड और शरीर का वर्णन करती है। जब ये दो शक्तियां या बल संतुलन में होते हैं तो मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है। इस चिकित्सा पद्धति में ऊर्जा जिसे चीनी भाषा में ची (qi) कहा जाता है, मेरिडियन नामक विशेष मार्ग (special pathways) से होकर पूरे शरीर में बहती है। ऊर्जा का यह निरंतर प्रवाह यिन और यांग नामक बलों या शक्तियों को संतुलित रखता है। हालांकि जब ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है तो इसके कारण व्यक्ति को दर्द, शारीरिक क्रियाओं में गड़बड़ी और बीमारियां पकड़ने लगती हैं।
एक्यूपंक्चर थेरेपी अवरुद्ध ची(qi) को दोबारा से स्रावित करता है और शारीरिक प्रणालियों के माध्यम से शरीर के अंदर की बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। आधुनिक रिसर्च यह दर्शाता है कि एक्यूपंक्चर तंत्रिका तंत्र, एंडोक्राइन, प्रतिरक्षा प्रणाली, कार्डियोवैस्कुलर प्रणाली और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में बहुत प्रभावी तरीके से काम करता है। शरीर की विभिन्न प्रणालियों को उत्तेजित करने, पीड़ा को दूर करने, पाचन क्रिया को ठीक रखने और संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रखने के लिए एक्यूप्वाइंट को उत्तेजित करने में मदद करता है।
व्यक्ति के पूरे शरीर में जगह-जगह एक्यूपंक्चर प्वाइंट मौजूद होते हैं जिनकी सहायता से बीमारियों का इलाज किया जाता है। ब्लैडर, पित्ताशय, हृदय, फेफड़ा, किडनी, बड़ी आंत, लिवर, छोटी आंत, पेट, प्लीहा (spleen), पेरीकार्डियम (pericardium) सहित अन्य कई एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स व्यक्ति के शरीर में पाये जाते हैं।
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आमतौर पर यह सभी को पता है कि अलग-अलग बीमारियों को दूर करने के लिए अलग-अलग एक्यूपंक्चर प्वाइंट्स का उपयोग किया जाता है। एक्यूपंक्चर शरीर से बीमारियों को दूर करने और एक अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक्यूपंक्चर का उपयोग पित्त संबंधी विकार, पेट के दर्द, अवसाद, सिरदर्द, हाइपरटेंशन, घुटनों के दर्द, ल्यूकोपेनिया (Leukopenia), कमर दर्द, चेहरे के दर्द, गर्दन दर्द, मॉर्निंग सिकनेस, गर्भाशय में भ्रूण की स्थिति को ठीक करने, कंधे के दर्द, साइटिका, स्ट्रोक, दंत चिकित्सा, गुर्दे का रोग, मोच, कैंसर का दर्द, शराब की लत, डायबिटीज, अस्थमा, मोटापा, ऑस्टियोआर्थराइटिस, पुरुषों में यौन उत्तेजना की कमी, महिलाओं के स्तन में दूध न आना, अनिद्रा, मांसपेशियों में दर्द सहित सैकड़ों बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
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स्टडी में पाया गया है कि एक्यूपंक्चर का प्रभाव चिंता (anxiety) को दूर करने में मदद करता है। विशेषज्ञों ने एक्यूपंक्चर और चिंता के बीच एक सकारात्मक संबंध होने का दावा किया है और कहा है कि एक्यूपंक्चर का सही तरीके से अभ्यास करने से जो लोग चिंता, तनाव और डिप्रेशन की दवाएं खाते हैं उन दवाओं की खुराक कम हो सकती है। पुराने डिप्रेशन से निजात दिलाने के साथ ही एक्यूपंक्चर माइग्रेन की समस्या को दूर करने में भी मदद करता है।
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अध्ययनों से पता चला है कि एक्यूपंक्चर रात में मेलाटोनिन (melatonin) नामक हार्मोन के स्राव को बढ़ाने में मदद करता है जिसके कारण अनिद्रा की समस्या से निजात मिलती है। पांच हफ्तों से भी कम समय तक प्रतिदिन एक्यूपंक्चर का सही तरीके से अभ्यास करने से व्यक्ति को नींद न आने की परेशानी से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए यदि आप नींद के लिए दवा खाते हों तो आपको एक्यूपंक्चर का अभ्यास जल्द शुरू कर देना चाहिए।
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हर व्यक्ति की कलाई (wrist) के पास एक विशेष एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंड होता है जिसे दबाने पर यह उत्तेजित होता है और उल्टी एवं जी मिचलाने की समस्या को दूर करने में मदद करता है। सर्जरी के बाद मरीज जब एनेस्थीसिया के प्रभाव से बाहर निकलने की कोशिश करता है तो उस दौरान उसे सबसे ज्यादा उल्टी महसूस होती है। ऐसी स्थिति में एक्यूपंक्चर एंटीमेटिक दवाओं (antiemetic drugs) के रूप में कार्य करता है और व्यक्ति के उल्टी और जी मिचलाने की समस्या से बचाने में मदद करता है।
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यह साबित हो चुका है कि एक्यूपंक्चर गंभीर पीठ दर्द और कमर के दर्द (chronic back pain) की समस्या को दूर करने में प्रभावी तरीके से कार्य करता है। एक स्टडी में पाया गया है कि आठ हफ्ते तक लगातार एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने से गर्दन का दर्द, अर्थराइटिस, कंधे का दर्द (shoulder pain) और सिरदर्द से काफी राहत मिलता है। इसके अलावा सही तरीके और सही एक्यूपंक्चर प्रेशर प्वाइंट से इसका अभ्यास करने से ऑस्टियोअर्थराइटिस और मांसपेशियों में दर्द की समस्या से भी निजात मिल जाता है।
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कुछ शुरूआती शोधों से पता चलता है कि एक्यूपंक्चर पर्किंसन (Parkinson’s) की बीमारी को दूर करने में बहुत प्रभावी तरीके से कार्य करता है। बढ़ती उम्र के कारण व्यक्ति के मस्तिष्क तंत्रिकाएं जैसे पुटामेन (putamen) और थैलमस (thalamus) भी प्रभावित होता है जिसके कारण उसकी यादाश्त कमजोर हो जाती है और उसे भूलने की बीमारी लग जाती है। डॉक्टरों का मानना है कि पर्किंसन के रोगियों के इलाज में एक्यूपंक्चर बहुत सहायक होता है।
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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में स्ट्रेस (pregnancy stress) को कम करने और हार्मोन को संतुलित रखने में एक्यूपंक्चर बहुत लाभदायक होता है। इसके अलावा यह प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले दर्द को भी कम करने में मदद करता है। यह प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के होने वाली सामान्य समस्याओं (common problems) के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है और बच्चे की सेहत को भी ठीक रखता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर महिलाओं को एक्यूपंक्चर का अभ्यास करने की सलाह देते हैं। हालांकि इस अवस्था में डॉक्टर की देखरेख में ही गर्भवती महिलाओं को एक्यूपंक्चर का अभ्यास करना चाहिए।
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नोट – एक्यूपंक्चर उपचार पद्धति का उपयोग अपनी जरूरत के हिसाब से डॉक्टर की सलाह पर किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
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