अफीम पोस्त के पौधे (poppy) से प्राप्त की जाती है। पौधे की ऊंचाई एक मीटर, तना हरा,सरल और स्निग्ध, पत्ते आयताकार, पुष्प सफेद, बैंगनी या रक्तवर्ण, सुंदर कटोरीनुमा एवं चौथाई इंच व्यास वाले आकार में होते हैं। फल, पुष्पों के झड़ने के तुरंत बाद ही लग जाते हैं, जो एक इंच व्यास के अनार के समान होते हैं। ये डोडा कहलाते हैं। बाद में ये अपने आप फट जाते हैं। फल का छिलका पोश्त कहलाता है। सफेद रंग के सूक्ष्म, गोल, मधुर स्निग्ध दाने बीज के रूप में डोडे के अंदर होते हैं, जो आमतौर पर खसखस के नाम से जाने जाते हैं।
बाजार में अफीम घनाकार बर्फी के रूप में जमाकर बेची जाती है। नमी का असर होते ही अफीम मुलायम हो जाती है। इसका आंतरिक रंग गहरा बादामी, चमकीला होता है, जबकि बाहरी रंग कालिमा लिए गहरा भूरा होता है। इसमें विशिष्ट प्रकार की तीव्र गंध होती है, जो स्वाद में तिक्त होती है। गर्म जल में घुल जाने वाली अफीम जलाने से न तो धुआं निकलता है और न राख ही शेष रहती है।
यह भारत में विशेषत: उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम और मध्यप्रदेश में पैदा होती है। पश्चिमोत्तर प्रान्त में इसकी खेती की जाती है।
मुख्यतः फूलों के रंगों के अनुसार यह तीन प्रकार की होती है :
रासायनिक संघटन : इसमें मार्फिन, नर्कोटीन, कोडीन, एपोमॉर्फीन, आपिओनियन, पापावरीन आदि क्षारतत्त्व (एल्केलाइड) तथा लेक्टिक एसिड, राल, ग्लूकोज, चर्बी व हल्के पीले रंग का निर्गन्ध तेल होता है।
अफीम के गुण : यह स्वाद में कड़वी, कसैली, पचने पर कटु तथा गुण में रूखी होती है। इसका मुख्य प्रभाव नाड़ी-संस्थान पर मदकारी (नशा लानेवाला) होता है। यह नींद लानेवाली, वेदना-रोधक, श्वास-केन्द्र की अवसादक, शुक्रस्तम्भक और धातुओं को सुखानेवाली है।
आयुर्वेद मतानुसार अफीम गरम प्रक्रति, स्वाद में तिक्त, प्रभाव में मादक, कफ-वात शामक, पित्त प्रकोपक, नीद लाने वाली, वेदना नाशक, पसीना लाने वाली, शारीरिक स्रावों को रोकने वाली होती है।
यूनानी मतानुसार अफीम मस्तिष्क की शक्ति को उत्तेजित करती है, शरीर की शक्ति व गर्मी को बढ़ाने से आनन्द और संतोष की अनुभूति प्रदान करती है। आदत पड़ने पर निर्भरता बढ़ाना, शारीरिक अंगों की पीड़ा दूर करने की प्रकृति, कामोत्तेजक, स्तम्भन शक्ति बढ़ाने वाली, आधासीसी, कमर दर्द , जोड़ो के दर्द, बहुमूत्र, मधुमेह, श्वास के विविध रोग, अतिसार, खून के दस्त में गुणकारी है।
opium अफीम का प्रभाव मुख्य रूप से मस्तिष्क और वात नाड़ियों के सुषुम्ना केंद्र पर ज्यादा होता है। इससे पीड़ा कम होती है, नींद आती है, वीर्यस्तम्भन होता है, उत्तेजना मिलती है, मादक असर होता है और अधिक पसीना आता है।
अफीम के बीजों के कई फायदे हैं। अफीम के बीजों में 44 से 50 प्रतिशत तक ऑयल होता है, इन्हें दबाकर तेल निकाला जाता है। इस ऑयल में मुख्यतः लिनोलिक और ओलिक फैटी एसिड होता है। अफीम के बीजों के फायदे अफीम के बीज बालों के लिए बहुत लाभकारी हैं। ये बाल झड़ने, दो मुहे बाल, डैंड्रफ और बालों की अन्य कई बीमारियों में मददगार हैं। इन्हें अन्य सामग्रियों के साथ बालों में लगाया जा सकता है क्यों कि इनमें मिनरल्स और असंत्रप्त फैटी एसिड की अधिकता होती है।
केवल बालों के लिए ही नहीं ये त्वचा के लिए भी फायदेमंद हैं। ये एक शानदार मोश्चुराइजर हैं। यह खुजली और जलन संवेदना में आराम प्रदान करते हैं। यह स्क्रब के लिए अच्छी चीज है। अफीम के बीज एक्ज़िमा के इलाज में भी कारगर है। अफीम के बीजों के फायदे यदि आपको नींद नहीं आने की समस्या है तो ये आपकी सोने में मदद करेंगे। इसे अपने खाने में शामिल करें और अपनी नसों को आराम करने दें और मजे से सोएँ।
वैसे तो अफीम बहुत ही बदनाम है लेकिन इसके कुछ उपचार भी होते हैं | इसका कई रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है | आइये कुछ के बारे में यहाँ पर चर्चा करते हैं –
अफीम और नौसादर बराबर की मात्रा में मिलाकर कीड़ा लगे दांत के छेद में दबाकर रखने से दांत दर्द में राहत मिलती है।
आधा ग्राम अफीम और एक ग्राम जायफल को दूध में मिलाकर, तैयार लेप को कपाल पर लगाएं या फिर आधा ग्राम अफीम को दो लौंगों के चूर्ण के साथ हलका गर्म करके कपाल पर लेप लगाने से सर्दी और बादी से उत्पन्न सिर दर्द दूर होगा।
चार रत्ती अफीम एक छुहारे के अन्दर रख उसे आग में भुने। फिर उसे पीसकर, मूँग के बराबर 1-1 रत्ती की गोली बना लें। इसके सेवन से मरोड़ देकर आँवसहित होनेवाले दस्तों में लाभ होता है। बच्चों को आधी मात्रा देनी चाहिए। पोस्त (फल के छिलके या ‘पोस्त-डोंडा’) उबालकर पीने से अतिसार और पतले दस्त रुक जाते हैं। अधिक मात्रा में यह मादक हो जाता है।
50 मिलीग्राम अफीम को मुनक्के में रखकर निगल लें। खांसी का दौरा शांत होकर नींद आ जाएगी।
40 मिलीग्राम अफीम पिण्ड खजूर के साथ मिलाकर दिन में 3 बार खिलाएं। गर्भस्राव शीघ्र रुकेगा।
अजवायन और अफीम के डोंडे समान मात्रा में पानी में उबालें और फिर छाने हुए पानी से गरारे करें।
एक चम्मच पोस्त के दानों को (खसखस), इतनी ही मात्रा में मिसरी के साथ पीसकर एक कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें।
आम की गिरी का चूर्ण दो चम्मच, अफीम 180 मिलीग्राम मिलाकर एक चौथाई चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं।
कपूर, नौसादर और अफीम बराबर की मात्रा में मिलाकर मटर के दाने के बराबर की गोलियां शहद के साथ बना लें। दिन में तीन बार एक-एक गोली पानी के साथ दें।
गुड़ और पीपलामूल का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिला लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में अफीम की 80 मिलीग्राम मात्रा मिलाकर रात्रि में भोजन के बाद सेवन कराएं।
भुनी हुई लहसुन की कली में 60 मिलीग्राम अफीम मिलाकर खाने से आमातिसार में तुरंत राहत मिलती है।
प्रतिरोध : अफीम के अधिक प्रयोग से तन्द्रा, निद्रा, हृदय का अवसाद होने लगे तो तुरन्त राई-नमक मिलाकर दें तथा वमन करा दें। अरहर की कच्ची दाल पानी में पीसकर या हींग पानी में घोलकर पिला देने से भी तुरन्त आराम पहुँचता है।
सावधानी : यह मादक द्रव्य है। अधिक प्रयोग से विषाक्त प्रभाव सम्भव है। अत: अत्यावश्यक होने पर ही इसका प्रयोग करें। फिर भी कभी अधिक मात्रा में नहीं। अतिआवश्यक होने पर ही बच्चों, वृद्धों तथा सुकुमार स्त्रियों को बड़ी सावधानी एवं कम मात्रा में ही इसे दिया जाय।
Homemade face pack for summer गर्मी आपकी स्किन को ख़राब कर सकती है, जिससे पसीना,…
वर्तमान में अनहेल्दी डाइट और उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन का सेवन लोगों में बीमारी की…
Skin Pigmentation Face Pack in Hindi हर कोई बेदाग त्वचा पाना चाहता है। पिगमेंटेशन, जिसे…
चेहरे का कालापन या सांवलापन सबसे ज्यादा लोगों की पर्सनालिटी को प्रभावित करता है। ब्लैक…
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिन्हें पहचान कर आप…
त्वचा पर निखार होना, स्वस्थ त्वचा की पहचान है। हालांकि कई तरह की चीजें हैं,…