Alzheimer’s Disease in Hindi अल्जाइमर एक प्रकार का मानसिक रोग होता है। आमतौर पर लोगों की धारणा होती है कि अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया की बीमारी है, जो लोगों को उम्र बढ़ने के साथ हो जाती है। क्षेत्रीय बोली में इस बीमारी को बुढ़ापे में सठियाना के रूप में जाना जाता है। लेकिन यह धारणा पूरी तरह से गलत है। यह रोग भूलने की बीमारी या डिमेंशिया से पूरी तरह अलग है।
अल्जाइमर रोग एक प्रगतिशील विकार है, जिसके कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और मर जाती हैं। अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है जो सोच, व्यवहार और मानसिकता में लगातार गिरावट का कारण बनता है और व्यक्ति की स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता को बाधित करता है। बीमारी के शुरुआती लक्षण ध्यान देने योग्य नहीं होते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, अल्जाइमर रोग वाला व्यक्ति याददाश्त में कमी या गंभीर रूप से स्मृति हानि के लक्षणों को महसूस कर सकता है।
यह लेख अल्जाइमर रोग की जानकारी के बारे में है। जिसमें आप जानेगें कि अल्जाइमर डिजीज क्या है, इसके कारण, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव के बारे में।
अल्जाइमर रोग एक क्रोनिक स्थिति है, जो याददाश्त खोने का कारण बनती है। यह बीमारी लंबे समय तक व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है और मनोभ्रंश (dementia) का कारण बनती है। यह बीमारी व्यक्ति के दैनिक जीवन में हस्तक्षेप उत्पन्न करती है। अल्जाइमर बीमारी में मस्तिष्क कार्यों में धीमी गति से गिरावट आती है। इसके लक्षण धीरे-धीरे प्रगति करते हैं। कोई भी व्यक्ति अल्जाइमर रोग से पीड़ित हो सकता है, लेकिन यह सर्वाधिक 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में देखने को मिलता है।
हालांकि अल्जाइमर डिजीज के 60 से 80 प्रतिशत मामले डिमेंशिया से सम्बंधित होते हैं। यदि डिमेंशिया का निदान शुरूआती या प्रारंभिक स्थिति में किया जाए, तो इसे आमतौर पर अल्जाइमर रोग के नाम से जाना जाता है। अल्जाइमर का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार द्वारा इस रोग की प्रगति को धीमा किया जा सकता है और लक्षणों में सुधार किया जा सकता है।
“अल्जाइमर” (Alzheimer’s) और “डिमेंशिया” (dementia) शब्द का उपयोग कभी-कभी एक-दूसरे के स्थान पर किया जाता है। हालाँकि, ये दोनों बीमारियाँ समान नहीं हैं। अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया का एक प्रकार है। डिमेंशिया एक व्यापक शब्द है, जिसका उपयोग याददाश्त खोने (memory loss) से सम्बंधित लक्षणों जैसे- भूलने की बीमारी और भ्रम की स्थिति के लिए किया जाता है। डिमेंशिया के अंतर्गत अनेक विशेष स्थितियां शामिल हैं, जैसे अल्जाइमर रोग, पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease), दर्दनाक मस्तिष्क की चोट (traumatic brain injury) और अन्य। डिमेंशिया और अल्जाइमर के कारण, लक्षण और उपचार अलग हो सकते हैं।
(और पढ़ें: डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के घरेलू उपचार…)
अल्जाइमर डिजीज एक प्रगतिशील बीमारी है, जिसका अर्थ है कि लक्षण धीरे-धीरे समय के साथ अधिक गंभीर होते जाते हैं। लक्षणों की गंभीरता के आधार पर अल्जाइमर रोग को 7 स्टेजों में बांटा गया है:
1 स्टेज – अल्जाइमर रोग की स्टेज 1 में कोई लक्षण प्रगट नहीं होते हैं। परिवारिक इतिहास के आधार पर इस स्टेज का प्रारंभिक निदान किया जा सकता है।
2 स्टेज – इस स्टेज में अल्जाइमर की बीमारी के शुरुआती लक्षणों को महसूस किया जा सकता है, जिनमें याददाश्त की कमी, शामिल है।
3 स्टेज – अल्जाइमर रोग की स्टेज 3 में हल्के शारीरिक और मानसिक लक्षण दिखाई देते हैं, इन लक्षणों में स्मृति और एकाग्रता में कमी शामिल हैं। इन लक्षणों को केवल करीबी व्यक्ति द्वारा देखा जा सकता है।
4 स्टेज – अक्सर अल्जाइमर की स्टेज 4 में ही निदान किया जाता है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति याददाश्त में कमी और रोजमर्रा के कार्यों को करने में असमर्थता महसूस कर सकता है।
5 स्टेज – अल्जाइमर रोग की इस स्टेज में पीड़ित व्यक्ति के लक्षणों के लिए प्रियजनों या देखभालकर्ता के समर्थन की आवश्यकता होती है।
6 स्टेज – इस स्टेज पर, अल्जाइमर वाले व्यक्ति को खाने और कपड़े पहनने जैसे रोजमर्रा के कार्यों को करने में मदद की आवश्यकता पड़ सकती है।
7 स्टेज – यह अल्जाइमर रोग का सबसे गंभीर और अंतिम चरण है। इस स्थिति में व्यक्ति को बोलने में असुविधा और चेहरे के भाव को नुकसान पहुंच सकता है।
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विशेषज्ञों को अल्जाइमर रोग का कोई सटीक कारण ज्ञात नहीं है। रक्तचाप, मधुमेह, जीवनशैली और सिर में चोट इत्यादि स्थितियों में इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य जोखिम कारक हैं, जो इस रोग की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
उम्र – 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के अधिकांश व्यक्तियों को अल्जाइमर रोग विकसित होने का अधिक जोखिम होता है।
पारिवारिक इतिहास – यदि परिवार में कोई सदस्य अल्जाइमर रोग ग्रस्त है, तो उस परिवार के अन्य सदस्यों को इस रोग से ग्रस्त होने का उच्च जोखिम होता है।
जेनेटिक्स – कुछ स्थितियों में अल्जाइमर रोग जेनेटिक्स होता है, जो जीन की खराबी के कारण विकसित होता है।
अल्जाइमर रोग के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
स्मृति हानि (Memory loss), अल्जाइमर रोग का प्रमुख लक्षण है। बीमारी के प्रारंभिक संकेत और लक्षण में आमतौर पर घटनाओं या वार्तालापों को याद रखने में कठिनाई होती है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, याददाश्त में कमी की स्थिति बिगड़ती जाती है और अन्य लक्षण विकसित होते हैं। अल्जाइमर रोग से सम्बंधित लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
अल्जाइमर रोग की स्थिति पीड़ित व्यक्ति मूड और व्यक्तित्व में बदलाव से सम्बंधित निम्न लक्षणों को महसूस कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
(और पढ़े – मानसिक रोग के लक्षण, कारण, उपचार, इलाज, और बचाव…)
गंभीर अल्जाइमर रोग की स्थिति में, मस्तिष्क कार्यों को काफी नुकसान पहुँचता है, जिससे व्यक्ति को निम्न जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
डॉक्टर अल्जाइमर रोग का निदान और लक्षणों की जाँच करने के लिए अनके परीक्षणों का उपयोग कर सकता है। इन परीक्षणों में मानसिक, शारीरिक, न्यूरोलॉजिकल और इमेजिंग परीक्षण शामिल हैं।
शारीरिक और प्रयोगशाला परीक्षण (Physical and lab tests) – अल्जाइमर रोग के निदान के लिए एक शारीरिक परीक्षण किया जा सकता है। जिसके तहत रक्तचाप की जांच, हृदय गति और तापमान की जांच करना शामिल है। कुछ मामलों में, आंतरिक समस्याओं के निदान के लिए प्रयोगशाला परीक्षण किया जा सकता है, जिसमें यूरिन टेस्ट और ब्लड टेस्ट शामिल हो सकते हैं।
न्यूरोलॉजिकल परीक्षण (neurological test) – डॉक्टर अल्जाइमर रोग का कारण बनने वाली तीव्र चिकित्सकीय समस्याओं, जैसे संक्रमण या स्ट्रोक का पता लगाने के लिए एक न्यूरोलॉजिकल परीक्षण कर सकता है। इस परीक्षा के दौरान अनैच्छिक क्रिया (reflexes), चेतना, मांसपेशी टोन (muscle tone) और भाषण (speech) की जाँच की जाती है।
इमेजिंग परीक्षण (imaging tests) – अल्जाइमर की स्थिति का निदान करने के लिए डॉक्टर मस्तिष्क का इमेजिंग परीक्षण कराने का भी आदेश दे सकता है, जिनमें शामिल हैं:
वर्तमान में अल्जाइमर डिजीज का कोई ज्ञात इलाज नहीं है। हालांकि, डॉक्टर लक्षणों और बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद करने के लिए दवाओं और अन्य उपचारों की सिफारिश कर सकता है। उपचार प्रक्रिया में शामिल हैं:
अल्जाइमर रोग की शुरुआती स्थिति में इलाज के दौरान डॉक्टर डोनेपेजिल (एरीसेप्ट) (donepezil (Aricept)) या रिवास्टिग्माइन (एक्सेलॉन) (rivastigmine (Exelon)) जैसी दवाओं की सिफारिश कर सकता है। ये दवाएं मस्तिष्क में एसिटाइलकोलाइन (acetylcholine) नामक न्यूरोट्रांसमीटर के उच्च स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं, जो याददाश्त बनाये रखने में सहायता करता है।
मध्यम या गंभीर अल्जाइमर की स्थिति का इलाज करने के लिए, डॉक्टर डोनेपेजिल (एरीसेप्ट) (donepezil (Aricept)) या मेमनटाइन (memantine (Namenda)) नामक दवाओं की सिफारिश कर सकता है। मेमनटाइन (Memantine) दवा, ग्लूटामेट (glutamate) की अतिरिक्त मात्रा को अप्रभावी करने में मदद कर सकती है। ग्लूटामेट (glutamate) एक प्रकार का मस्तिष्क रसायन है, जो अल्जाइमर रोग की स्थिति में अधिक मात्रा में उत्पन्न होता है और मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
इसके अतिरिक्त डॉक्टर अल्जाइमर से संबंधित लक्षणों का इलाज करने के लिए निम्न दवाओं की भी सिफारिश कर सकता है, जैसे:
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याददाश्त की कमी, अल्जाइमर रोग का प्रमुख लक्षण है। इस बीमारी की प्रारंभिक स्थिति में नियमित जांच और इलाज कर लक्षणों को कम किया जा सकता है। हालांकि अल्जाइमर रोग से बचने का कोई उचित तरीका नहीं है। लेकिन इस बीमारी के जोखिम कारकों को कम कर इससे बचा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति हृदय रोग के जोखिम को कम करने के तरीके, आहार, व्यायाम और अच्छी आदतों को अपनाकर अल्जाइमर रोग और अन्य विकारों के जोखिम को कम कर सकता है। अल्जाइमर के जोखिम को कम करने के निम्न तरीके अपनाये जा सकते हैं:
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