Amla ka Murabba Khane Ke Fayde In Hindi आयुर्वेद में आंवला और आंवला मुरब्बा का अपना एक प्रमुख स्थान है। आप सभी ने यह भी सुन रखा होगा कि “आंवला एक फायदे अनेक” यह सही भी है। आंवला एक औषधीय फल है। आप सभी को आंवले के फायदे तो पता ही हैं। आज हम आपको आंवला का मुरब्बा खाने के फायदे और नुकसान से परिचय करा रहे हैं।
आंवले का मुरब्बा बहुत से लोगों की पसंद होता है क्योंकि एक तो इसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है और दूसरा इसलिए कि आंवला के मुरब्बे के फायदे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अधिक हैं। आंवला का मुरब्बा हड्डीयों (Bone) को मजबूत करने, खून को बढ़ाने, स्मृति को बढ़ाने जैसे बहुत से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता हैं। आइए जाने आंवला का मुरब्बा खाने के फायदे क्या हैं।
विषय सूची
1. आंवला मुरब्बा के फायदे – Amla Murabba Ke Faydein Hindi
2. आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि – Amla Ka Murabba banane ki vidhi in Hindi
3. आंवले का मुरब्बा कब खाये – When to eat Amla Murabba in Hindi
4. आंवला मुरब्बा खाने के नुकसान – Amla Murabba khane ke Nuksan in Hindi
जिस प्रकार से आंवला खाना लाभदायक होता है उसी प्रकार से इसका मुरब्बा भी बहुत ही फायदेमंद है।
ऐसा माना जाता है कि जब महिला गर्भवती (Pregnant) होती है तो उसे आंवला मुरब्बा का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना चाहिए। यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। यदि गर्भवती महिला आंवला के मुरब्बे का नियमित सेवन करती है तो उसके शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन (Hormonal Changes) के कारण बाल गिरने की समस्या को रोका जा सकता है। आंवला मुरब्बा बच्चे की आंखों की क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है।
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विटामिन सी की अच्छी मात्रा उपलब्ध होने के कारण आंवला मुरब्बा के फायदे हमारे अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। आंवला मुरब्बा में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी मौजूद रहते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। यह ठंड, बुखार और बार-बार होने वाले संक्रमणों (Recurring Infections) से हमारी सुरक्षा करते हैं।
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महिलाओं में मासिक धर्म चक्र (Menstrual Cycle) के दौरान होने वाला दर्द का उपचार करने के लिए आंवला मुरब्बा का उपयोग किया जा सकता है। जिन महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के समय ऐंठन (Menstrual Cramps) होती है उन्हें लगभग 3 माह तक आंवला मुरब्बा का नियमित सेवन करना चाहिए। यह उन्हें इस दर्द से छुटकारा दिलाता है साथ ही मासिक धर्म से संबंधित अन्य समस्याओं को भी नियंत्रित करने में मदद करता है।
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सभी लोग अपनी त्वचा को स्वस्थ्य और सुंदर बनाने के लिए बहुत से रासायनिक उत्पादों का उपयोग करते हैं, जिनके कुछ साइड्इफैक्टस भी होते हैं। लेकिन आप प्राकृतिक उपाचर के रूप में आंवला मुरब्बा का भी उपयोग कर सकते हैं जो बिना किसी साइड्इफैक्ट के आपकी त्वचा से मुँहासे और दागों (Acne and scars) को दूर करने में मदद करता है। यह आपकी त्वचा को स्वस्थ्य बनाने का सबसे अच्छा प्राकृतिक तरीका है।
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विटामिन A, विटामिन C और विटामिन E की अच्छी मात्रा आंवला में मौजूद रहती है जो समय से पहले आने वाले बुढ़ापे के लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं। विटामिन ए कोलेजन पैदा करता है, जो त्वचा को लचीला (Skin Flexible) और युवा बनाता है। आंवला मुरब्बा को सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका खाली पेट लेना है। यह कोलेजन विघटन (Collagen Debasement) से भी बचा सकता है। इस तरह यह त्वचा को तंग, कोमल और युवा बनाए रखने में मदद करता है।
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लौह सामग्री की भरपूर मात्रा आंवला में समाहित रहती है, इसलिए इसमें हीमोग्लोबिन (Haemoglobin) स्तर को बढ़ाने की क्षमता होती है। जिन लोगों को खून की कमी होती है उनके लिए आंवला का मुरब्बा एक औषधी की तरह कार्य करता है। यह उन महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है जो मासिक धर्म (Menstrual) के समय भारी रक्त स्राव से ग्रसित रहती हैं। ऐसी महिलाओं में लौह (Iron) की कमी को पूरा करने के लिए आंवला मुरब्बा का उपयोग किया जा सकता है।
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क्रोमियम, जिंक और कॉपर (Zinc and Copper) की अच्छी मात्रा आंवला में मौजूद रहती है जो कि शरीर के आवश्यक घटक होते हैं। क्रोमियम विशेष रूप से रक्त के कोलेस्ट्रॉल के स्तर और हृदय रोगों के खतरे को कम करने में मदद करता है। आंवला मुरब्बा थियोबाबिट्रिक एसिड (Thiobarbituric Acid) और टीबीए के ऑक्सीकरण के अवरोध के माध्यम से खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर देता है। यह मानव शरीर में वीएडीएल और ट्राइग्लिसाइड्स (Triglycerides) के स्तर को भी कम कर देता है। हांलाकि उच्च कोलेस्ट्रॉल स्ट्रोक और दिल के दौरे के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं, लेकिन कोलेस्ट्रॉल रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) की सूजन का कारण बन सकता है। आंवला मुरब्बा रक्त वाहिकाओं की सूजन को कम करने में मदद करता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
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पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आंवला मुरब्बा के फायदे जाने जाते हैं साथ ही यह यकृत को भी स्वस्थ्य बनाने में सहायक होता है। इसलिए यदि आप अपच या पेट का भारीपन महसूस करें तो इससे छुटकारा पाने के लिए आंवला के मुरब्बे का उपयोग करें। यह आपके अपचन से संबंधित सभी प्रकास की समस्याओं को दूर कर सकता है।
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गठिया के दर्द और सूजन का उपचार करने के लिए आंवला मुरब्बा का उपयोग किया जा सकता है। यह घुटने या जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाने में मदद करता है क्योंकि यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है। जोड़ों के दर्द (Joints pain) को ठीक करने के लिए आप आंवला को कच्चे या मुरब्बा के रूप में दिन में दो बार सेवन कर सकते हैं विशेष रूप से सुबह के समय।
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यदि आप अपने आहार मे आंवला मुरब्बा को शामिल करते हैं तो आपके बालों के लिए यह बहुत ही लाभकारी हो सकता है। आंवला मे विटामिन सी बहुत अच्छी मात्रा में होता है जो आपके बालों को चमकदार (Shiny) बनाता है। यह बालों के भूरे रंग को भी रोकने में मदद करता है।
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अपने विशेष स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के कारण आंवला मुरब्बा बहुत ही प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। लेकिन इसका उपयोग करने के लिए इसे या तो बाजार से खरीदना पड़ता है, या आप स्वयं इसे अपने घर में पूर्ण शुद्धता के साथ बना सकते हैं।
आइये जानते है आंवले का मुरब्बा बनाने की विधि हिंदी में ।
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आंवले का मुरब्बा बनाने के लिए सबसे पहले आप इनमें किसी नुकीली लकड़ी से छेद करलें। लगभग 2 लीटर पानी में फिटकरी (Alum) की थोड़ी सी मात्रा डालें और इन आंवलों को इस पानी में मिलाएं। इन्हें 12 से 24 घंटों तक इसी पानी में रहने दें और अगले दिन इसी पानी से इन आंवलों को रगड़ कर धो लें। यह आंवलों को साफ करने की आयुर्वेदिक विधि है। आंवलों को बिना फिटकरी के भी धोया जा सकता हैं।
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मुरब्बा बनाने के लिए साफ किये हुए आंवलों को पानी में उबाला जाता है। इन आंवलों को पानी में कम से कम 10 से 20 मिनिट तक उबाल लें ताकि आंवला मुलायम और नरम (Tender and Soft) हो जाए।
चासनी तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी में 1 किलो शक्कर को मिलाकर इस मिश्रण को उबालें, जब तक की यह हल्का गाढ़ा न हो जाए।
आंवला मुरब्बा बनाने के लिए शक्कर की चासनी में उबले हुए आंवलों को डालें और 1 से 2 दिन के लिए छोड़ दें। 2 दिन के बाद आंवले को चासनी से निकालें और इस चासनी को फिर से उबालें। उबालने के बाद चासनी में साइट्रिक एसिड (citric acid) मिलाएं। इस मिश्रण में आंवलों को फिर से 1 दिन के लिए डाल दें और इसी तरह 4 दिनों तक इस प्रक्रिया को दोहराएं। चौथे दिन इस चासनी में इलायची के बीज, केसर और हल्के उबले हुए बादाम (blanched almonds) मिलाएं। इस चासनी में आंवलों को डाल दें और कुछ देर के लिए छोड़ दें। आपका मुरब्बा बनकर तैयार है। आप इस मुरब्बे को किसी बरनी या कंटेनर जो हवा रोधी हो उसमें रख सकते हैं और उपयोग कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि यह विधि आपके मुरब्बे को लंबे समय तक सुरक्षित रखती है, और मुरब्बा बनाने की यही सफल विधि है। कुछ लोग मुरब्बा बनाते समय चासनी को बार-बार नहीं उबालते हैं। इस कारण उनके द्वारा बनाया गया मुरब्बा जल्दी खराब हो जाता है।
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आप इसे रोजाना एक गिलास दूध के साथ सुबह नाश्ता के पहले खा सकते हैं। आंवला मुरब्बा एक मीठी आयुर्वेदिक दवा है। इसे यूनानी में मुरब्बा-ए-आंवला भी कहा जाता है। आंवला विटामिन सी का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। इसके साथ आंवला में खनिज, पॉलीफेनॉल (Polyphenols), लौह, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर (Carbohydrates and Fibers) भी अच्छी मात्रा में होते हैं। यह प्रकृति में ठंड़ा और पाचन समस्याओं का इलाज करता है।
आंवला मुरब्बा (Amla Marmalade) खाने के कई स्वास्थ्य लाभ है, आप आंवला मुरब्बा को घर में तैयार कर सकते हैं या बाजार से भी खरीद सकते हैं।
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गर्भावस्था और स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान आंवला मुरब्बा का सेवन करना सुरक्षित होता है। यह एक अच्छा स्वास्थ्य प्रमोटर है, यह पाचन को सुधारता है और भूख को भी बढ़ाता है। इसलिए भारत में गर्भावस्था के दौरान इसे टॉनिक के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
हालांकि, आपको रासायनिक संरक्षकों से बचना चाहिए जिनका उपयोग बाजार में उपलब्ध आंवला मुरब्बा में किया जा सकता है। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान उन संरक्षकों का खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं। अगर आप गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसका इस्तेमाल करने जा रहे हैं, तो आपको घर पर आमला मुरब्बा तैयार करना चाहिए।
आंवला का मुरब्बा विटामिन सी में समृद्ध होता है, इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से विटामिन सी की मात्रा आपके शरीर में अधिक हो सकती है जिससे मूत्र त्याग करते समय दर्द, दस्त, पेट की ऐठन, पथरी (Kidney Stones) जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। आंवला मुरब्बा के सबसे आम दुष्प्रभाव पीले मल, पीठ दर्द और उच्च रक्तचाप आदि हो सकते हैं। यदि आंवला मुरब्बा को कम मात्रा में सेवन किया जाए तो इन सभी समस्याओं से बचा जा सकता है।
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