खून की कमी या एनीमिया रोग भारत सहित अनेक देशों में कुपोषण की एक गंभीर समस्या है, जो गर्भवती महिलाओं और लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक प्रभावित करती है। शरीर में आयरन की कमी के कारण रक्त में RBC और हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी आ जाती है। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण पीली या सफेद त्वचा दिखाई दे सकती है और व्यक्ति बहुत अधिक कमज़ोरी महसूस कर सकता है। अतः यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक कमजोरी, थकान और अन्य एनीमिया से सम्बंधित लक्षणों का अनुभव करता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह स्थिति अन्य गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकती है। यह लेख एनीमिया के बारे में है। इस लेख में आप एनीमिया के कारण, लक्षण, जाँच, इलाज के साथ-साथ एनीमिया से बचने के उपाय और एनीमिया किस विटामिन की कमी से होता है, के बारे में जानेगें।
एनीमिया क्या है – What is Anemia in Hindi
किसी व्यक्ति के ब्लड में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) की कमी की स्थिति को एनीमिया रोग कहा जाता है। अर्थात एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के ब्लड में लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन पर्याप्त मात्रा में उपस्थित नहीं होता है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं का एक मुख्य घटक है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन ले जाने का कार्य करता है। यदि लाल रक्त कोशिकाओं में कुछ गड़बड़ी उत्पन्न होती है, या फिर रक्त में RBC या हीमोग्लोबिन में कमी आती है, तो शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे पीड़ित व्यक्ति में अनेक लक्षण और समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
लाल रक्त कोशिकाओं का औसत जीवन काल 100 से 120 दिनों का होता है। कुछ कारक लाल रक्त कोशिकाओं के तीव्रता के साथ नष्ट होने का कारण बन सकते हैं, जिससे एनीमिया रोग उत्पन्न होता है। एनीमिया रोग आयरन की कमी या विटामिन बी12 की कमी से उत्पन्न होता है। हालांकि एनीमिया के विभिन्न प्रकार के आधार पर इसके कारण भी भिन्न होते हैं। एनीमिया की बीमारी कुछ समय के लिए या लम्बे समय के लिए उत्पन्न हो सकती है, और खून की कमी के लक्षण हल्के से लेकर अधिक गंभीर तक हो सकते हैं। स्वस्थ आहार का सेवन कर कुछ प्रकार के एनीमिया से बचने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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एनीमिया के प्रकार – Anemia types in Hindi
- अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic anemia) – जीन या अस्थि मज्जा को नुकसान पहुँचाने वाली स्थितियां इस प्रकार के एनीमिया का कारण बनती हैं। इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा में नई लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बंद हो जाता है।
- मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic anemia) – पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12, फोलेट का सेवन न करने के दौरान इस प्रकार का एनीमिया उत्पन्न होता है।
- पर्निशियस एनीमिया (Pernicious anemia) – इस प्रकार के एनीमिया की स्थिति में शरीर पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी12 का अवशोषित नहीं कर पाता है। विटामिन बी12, लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में आवश्यक होता है।
- थैलेसीमिया (Thalassemia) – थैलेसीमिया यह एक अनुवांशिक रोग है, जो माता अथवा पिता के गुणसूत्र में गड़बड़ी के कारण उनकी संतानों में उत्पन्न होता हैं। रक्त में उपस्थिति हीमोग्लोबिन का निर्माण दो तरह के प्रोटीन से होता है। अतः इन दोनों प्रोटीन में से किसी भी प्रोटीन का निर्माण करने वाले जीन्स में गड़बड़ी होने पर थैलेसीमिया रोग उत्पन्न होता है।
- आयरन की कमी से एनीमिया (Iron deficiency anemia) – शरीर में बहुत कम मात्रा में आयरन होने के कारण, स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बहुत कम होता है। पर्याप्त आयरन की अनुपस्थिति के कारण, लाल रक्त कोशिकाएं शरीर के ऊतकों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाती हैं।
- हेमोलिटिक एनीमिया (hemolytic anemia) – हेमोलिटिक एनीमिया की स्थिति में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) के नष्ट होने की दर, इनके उत्पादन की दर से बहुत तेज होती है।
- सिकल सेल एनीमिया (Sickle cell anemia) – इस प्रकार के एनीमिया की स्थिति में लाल रक्त कोशिकाएं विकृत या हँसिया (Sickle) के आकर की हो जाती हैं और जल्दी नष्ट हो जाती हैं।
एनीमिया रोग के कारण – Anemia Disease Causes in Hindi
वर्तमान में अनेक प्रकार के एनीमिया हैं, जिन्हें मुख्य रूप से तीन समूहों में विभाजित किया गया है:
- खून की कमी के कारण एनीमिया
- दोषपूर्ण लाल रक्त कोशिका के उत्पादन या RBC की कमी के कारण एनीमिया
- लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश के कारण एनीमिया
खून की कमी के कारण एनीमिया
अत्यधिक रक्तस्राव के कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी आ सकती है, जिसके कारण उत्पन्न होने वाले एनीमिया की स्थिति में लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता है। खून की कमी से सम्बंधित एनीमिया के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Gastrointestinal) की समस्याएं जैसे- अल्सर, बवासीर, गेस्ट्राइटिस (gastritis) और कैंसर, इत्यादि।
- नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे- एस्पिरिन या इबुप्रोफेन का सेवन, जो अल्सर और गेस्ट्राइटिस का कारण बन सकती हैं।
- एक महिला के पीरियड के दौरान, इत्यादि।
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लाल रक्त कोशिकाओं की कमी या दोषपूर्ण उत्पादन के कारण एनीमिया
एनीमिया की बीमारी में कभी-कभी शरीर पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं कर पाता है, या RBC सही तरीके से काम नहीं करती हैं। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति के शरीर में खनिज और विटामिन की कमी होती है। इस प्रकार के एनीमिया का कारण बनने वाली स्थितियों में निम्न को शामिल किया जाता है:
- अस्थि मज्जा और स्टेम सेल (stem cell) की समस्याएं, जैसे- सीसा विषाक्तता एनीमिया (Lead poisoning anemia), थैलेसीमिया एनीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic anemia)
- आयरन की कमी
- सिकल सेल (Sickle cell)
- विटामिन की कमी, इत्यादि।
लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश के कारण एनीमिया
जब लाल रक्त कोशिकाएं नाजुक होती हैं और शरीर के माध्यम से यात्रा करने के दौरान तनाव को सहन नहीं कर पाती हैं, तो वह नष्ट हो जाती हैं, जिससे हेमोलिटिक एनीमिया (hemolytic anemia) की स्थिति उत्पन्न होती है। हेमोलिटिक एनीमिया के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया की स्थिति या ल्यूपस रोग की स्थिति।
- अनुवांशिक स्थितियां, जो जीन के माध्यम से पारित हो सकती हैं। इनमें शामिल हैं: सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anemia), थैलेसीमिया (thalassemia) और थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा (thrombotic thrombocytopenic purpura (TTP)), इत्यादि।
- बढ़े हुए प्लीहा (Enlarged spleen)
- किडनी की बीमारी (kidney disease)
- प्रोस्टेटिक हार्ट वाल्व (prosthetic heart valves), ट्यूमर, कुछ रसायनों के संपर्क में आना, गंभीर उच्च रक्तचाप और थक्के के विकार, इत्यादि।
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एनीमिया के लक्षण – Anemia symptoms in Hindi
एनीमिया रोग के लक्षण भिन्न-भिन्न स्थितियों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, जो कि एनीमिया के प्रकार, उसकी गंभीरता और आंतरिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- रक्तस्राव, अल्सर, कैंसर के साथ-साथ मासिक धर्म की समस्याओं पर निर्भर करते हैं।
शुरूआती एनीमिया की स्थिति में लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता है, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति गंभीर होती जाती है, लक्षणों की गंभीरता भी बढ़ती जाती है। एनीमिया के सामान्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं, जैसे:
- थका हुआ महसूस करना और ऊर्जा में कमी
- असामान्य रूप से दिल की तेज धड़कन
- सांस लेने में तकलीफ (विशेष रूप से व्यायाम के दौरान)
- सिरदर्द होना
- ध्यान केन्द्रित करने में असुविधा
- चक्कर आना
- त्वचा का पीला पड़ना
- पैर में ऐंठन की समस्या
- हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना
- हाथ और पैर का ठंडा पड़ना या सूजन आना
- नज़रों की समस्या (Vision problems)
- अनिद्रा, इत्यादि।
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आयरन की कमी से एनीमिया के लक्षण – Iron Deficiency Anemia symptoms in Hindi
आयरन की कमी से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया रोग के निम्न लक्षणों का अनुभव कर सकता है, जैसे:
- कागज, बर्फ या मिट्टी जैसे पदार्थों को खाने की इच्छा (pica disorder)
- नाखूनों में ऊपर की ओर वक्रता (koilonychias disorder) उत्पन्न होना
- मुंह के कोनों पर दरार के साथ पीड़ा उत्पन्न होना, इत्यादि।
विटामिन बी12 की कमी से एनीमिया के लक्षण – Vitamin B12 Deficiency Anemia symptoms in Hindi
जिन लोगों में एनीमिया रोग विटामिन बी12 की कमी के कारण उत्पन्न होता है, उनमें निम्न तरह के लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जैसे:
- हाथ या पैर में सनसनी या झुनझुनी उत्पन्न होना
- स्पर्श की भावना में कमी आना
- लड़खड़ाना और चलने में कठिनाई होना
- बाहों और पैरों में अकड़न महसूस होना
- पागलपन (Dementia), इत्यादि।
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सिकल सेल एनीमिया के लक्षण – Sickle Cell Anemia symptoms in Hindi
सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
- थकान और कमजोरी महसूस होना
- संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशीलता
- बच्चों की वृद्धि और विकास में देरी
- गंभीर दर्द की समस्या, विशेष रूप से जोड़ों, पेट और अंगों में, इत्यादि।
क्रोनिक रेड ब्लड सेल डिस्ट्रक्शन एनीमिया के लक्षण – Chronic Red Blood Cell Destruction symptoms in Hindi
पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश के कारण उत्पन्न एनीमिया की स्थिति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जैसे:
- पीलिया
- ब्राउन या लाल मूत्र
- पैर के छाले (Leg ulcers)
- बचपन के विकास में असफलता
- पित्ताशय की पथरी (गैल्स्टोन) से सम्बंधित लक्षण, इत्यादि।
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अचानक लाल रक्त कोशिका विनाश से एनीमिया के लक्षण – Sudden Red Blood Cell Destruction Anemia symptoms in Hindi
अचानक लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश के कारण उत्पन्न होने वाली एनीमिया की बीमारी में निम्न लक्षणों को महसूस किया जा सकता है:
- पेट में दर्द
- ब्राउन या लाल पेशाब आना
- पीलिया की समस्या उत्पन्न होना
- त्वचा के नीचे छोटे-छोटे घाव दिखाई देना
- बरामदगी (Seizures)
- गुर्दे की विफलता से सम्बंधित लक्षण, इत्यादि।
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एनीमिया के जोखिम कारक – Anemia risk factor in Hindi
आयरन की कमी, एनीमिया का एक सामान्य कारण है। प्रोटीन, विटामिन बी6, विटामिन सी, विटामिन बी12, विटामिन ई, कॉपर मिनिरल जैसे पोषक तत्वों से युक्त आहार का सेवन न करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी से सम्बंधित एनीमिया रोग का जोखिम अधिक होता है। एनीमिया के जोखिम को बढ़ाने वाली स्थितियों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे कि:
- मासिक धर्म और प्रसव के दौरान अत्यधिक खून की कमी
- सर्जरी
- गर्भावस्था
- कुछ दवाओं का सेवन
- शराब की लत
- हाइपोथायरायडिज्म की समस्या
- अधिक उम्र
- पारिवारिक इतिहास
- आंतों के रोग (Intestinal disorders) जैसे क्रोहन रोग (Crohn’s disease), सीलिएक रोग (celiac disease), इत्यादि।
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एनीमिया रोग की जटिलताएं – Anemia Complications in Hindi
यदि एनीमिया रोग का इलाज नहीं किया जाए, तो यह बीमारी अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- गंभीर थकान (Severe fatigue)
- गर्भावस्था की जटिलताएं (Pregnancy complications) – जैसे कि समय से पहले जन्म (premature birth)।
- हृदय की समस्याएं (Heart problems) – जैसे अनियमित दिल की धड़कन (arrhythmia), दिल बढ़ने (enlarged heart) की समस्या या दिल की विफलता (heart failure), इत्यादि।
- मौत, इत्यादि।
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एनीमिया रोग की जाँच – Anemia diagnosis in Hindi
आपसे एनीमिया रोग का निदान करने के लिए डॉक्टर, मरीज के सम्पूर्ण स्वास्थ्य इतिहास और पारिवारिक इतिहास के बारे में जानकारी ले सकते हैं, साथ ही साथ एक शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। इसके अरितिक्त एनीमिया के कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ प्रयोगशाला परीक्षणों की सहायता ले सकते हैं।
एनीमिया की जांच के लिए टेस्ट – Anemia test in Hindi
एनीमिया के निदान के लिए निम्न टेस्ट का उपयोग किया जा सकता है:
- पूर्ण रक्त गणना (CBC) – सीबीसी रक्त परीक्षण की मदद से लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या और आकार के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- सीरम आयरन का स्तर (Serum iron levels) – यह रक्त परीक्षण आयरन की कमी से सम्बंधित एनीमिया का निदान कर सकता है।
- फेरिटिन परीक्षण (Ferritin test) – यह रक्त परीक्षण आयरन के भण्डार का विश्लेषण करता है।
- विटामिन बी12 परीक्षण (Vitamin B12 test) – यह रक्त परीक्षण विटामिन बी12 स्तर मापता है।
- फोलिक एसिड परीक्षण (Folic acid test) – यह रक्त परीक्षण पीड़ित व्यक्ति के सीरम में फोलेट के स्तर की जाँच करता है। एनीमिया की स्थिति में सीरम फोलेट का स्तर कम होता है।
- स्टूल टेस्ट (Stool test for occult blood) – इस परीक्षण की मदद से पीड़ित व्यक्ति के मल के नमूने में रक्त की उपस्थिति की जाँच की जाती है। यदि परिणाम सकारात्मक (positive) है, तो यह स्थिति पेट के अल्सर, अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) और कोलन कैंसर जैसी समस्याओं की ओर संकेत करती है।
अतिरिक्त परीक्षण (Additional tests ) – रक्त परीक्षणों के परिणामों के आधार पर, डॉक्टर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त परीक्षण का आदेश दे सकता है, जैसे:
- Upper gastrointestinal tract radiography (upper GI)
- बेरियम एनीमा (barium enema)
- छाती का एक्स-रे
- पेट का सीटी स्कैन, इत्यादि।
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एनीमिया का इलाज – Anemia treatment in Hindi
एनीमिया का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है।
- आहार में आयरन, विटामिन बी12 और फोलेट की उच्च मात्रा को शामिल कर तथा सप्लीमेंट आहार का सेवन कर एनीमिया का इलाज किया जाता है। कुछ स्थितियों में, इलाज के दौरान विटामिन बी12 इंजेक्शन की आवश्यकता पड़ सकती है, क्योंकि यह विटामिन पाचन तंत्र में ठीक से अवशोषित नहीं होता है।
- उचित मात्रा में विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों का सेवन एनीमिया को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। डॉक्टर आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आयरन सप्लीमेंट की सिफारिश कर सकता है।
- एनीमिया की कुछ गंभीर स्थितियों में डॉक्टर, अस्थि मज्जा (bone marrow) में लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए एरिथ्रोपीटिन इंजेक्शन (erythropoietin injections) का उपयोग कर सकते हैं।
- अप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic anemia) के लिए उपचार में लाल रक्त कोशिकाओं के स्तर को बढ़ावा देने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन (रक्त-आधान) (blood transfusions) को शामिल किया जा सकता है। अस्थि मज्जा रोग (bone marrow disease) से सम्बंधित एनीमिया की स्थिति में उपचार के दौरान दवा, कीमोथेरेपी या अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण को शामिल किया जा सकता है।
- सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anemia) का इलाज करने के लिए हाइड्रोक्सीयूरिया (hydroxyurea (Droxia, Hydrea, Siklos)) नामक कैंसर की दवा का भी उपयोग किया जाता है।
एनीमिया रोग की रोकथाम – Anemia prevention in Hindi
कुछ प्रकार के एनीमिया की रोकथाम संभव नहीं है। लेकिन अन्य प्रकार के एनीमिया जैसे विटामिन की कमी से होने वाले एनीमिया की रोकथाम आहार के माध्यम से की जा सकती है। आहार में विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिज को शामिल कर एनीमिया की रोकथाम की जा सकती हैं, इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
एनीमिया में आयरन-रिच फूड्स फायदेमंद – Iron-Rich Foods Beneficial for Anemia in Hindi
आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से बचने के लिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने की सिफारिश की जाती है, इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
- मीट और समुद्री भोजन
- बीन्स (beans)
- दाल, जैसे मसूर की दाल
- दलिया
- पालक
- आयरन-फोर्टिफाइड अनाज (iron-fortified cereals)
- गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियाँ
- सूखे मेवे (dried fruit), इत्यादि।
खून की कमी का समाधान फोलेट युक्त आहार – Anemia home treatment with folate rich foods in Hindi
एनीमिया की स्थिति में यह पोषक तत्व, प्राकृतिक और सिंथेटिक रूप से फोलिक एसिड के रूप में निम्न खाद्य पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे:
- फल और उनके जूस
- गहरे हरे पत्तेदार सब्जियां जैसे- एस्परैगस
- अंडे
- हरी मटर (green peas)
- किडनी बीन्स (kidney beans)
- मूंगफली
- समृद्ध अनाज उत्पादों (enriched grain products), जैसे कि ब्रेड, अनाज (cereal), पास्ता और चावल, इत्यादि।
खून की कमी का घरेलू उपाय विटामिन बी12 समृद्ध आहार – Vitamin B12 rich Foods treat Anemia in Hindi
विटामिन बी12 से भरपूर खाद्य पदार्थों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
- मांस, मछली
- डेयरी उत्पाद
- फोर्टिफाइड अनाज
- सोया उत्पाद, इत्यादि।
एनीमिया आहार विटामिन सी से परिपूर्ण भोजन – Anemia diet Vitamin C rich Foods in Hindi
विटामिन सी युक्त आहार, आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करते हैं। अतः एनीमिया की स्थिति में विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन के लिए आहार में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
(और पढ़े – संतुलित आहार के लिए जरूरी तत्व , जिसे अपनाकर आप रोंगों से बच पाएंगे…)
एनीमिया में परहेज – Anemia avoid foods in Hindi
एनीमिया की स्थिति में खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थ, आयरन और फोलिक एसिड के अवशोषण में हस्तक्षेप कर गंभीर लक्षणों का कारण बन सकते हैं। अतः एनीमिया रोग की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है, जो की निम्न हैं:
- टैनिन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे- ब्लैक और ग्रीन टी, कॉफ़ी, अंगूर, शराब और मक्का इत्यादि।
- ग्लूटेन युक्त आहार जैसे- गेहूं, जौ, राई, जई और इन अनाजों से बने खाद्य पदार्थों
- फाइटेट्स (Phytates) या फायटिक एसिड (phytic acid) युक्त आहार, जैसे- साबुत अनाज, फलियां, नट्स और ब्राउन चावल, इत्यादि।
- आयरन युक्त आहार जैसे बीफ, बीन्स और दाल इत्यादि के साथ कैल्शियम युक्त आहार जैसे दूध, पनीर और दही इत्यादि के सेवन से परहेज।
- ऑक्सालिक एसिड (oxalic acid) युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे मूंगफली, अजमोद (parsley) और चॉकलेट, इत्यादि।
(और पढ़े – स्वस्थ आहार के प्रकार और फायदे…)
एनीमिया के लिए दैनिक पोषण संबंधी आवश्यकताएं – Daily nutritional requirements for Anemia in Hindi
व्यक्ति को एनीमिया की स्थिति से बचने के लिए विटामिन और आयरन की एक निश्चित दैनिक मात्रा की आवश्यकता होती है। यह दैनिक मात्रा सेक्स और उम्र के अनुसार भिन्न भिन्न होती हैं।
महिलाओं को गर्भावस्था, स्तनपान, मासिक धर्म चक्र और भ्रूण के विकास के दौरान आयरन की कमी को पूरा करने के लिए, पुरुषों की तुलना में अधिक आयरन और फोलेट की आवश्यकता होती है।
आयरन – 19 से 50 साल के वयस्कों के लिए आयरन की सिफारिश की गई दैनिक खुराक इस प्रकार है:
- पुरुषों के लिए 8 मि.ग्रा
- महिलाओं के लिए 18 मि.ग्रा
- गर्भावस्था के दौरान 27 मिग्रा
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 9 मिलीग्राम
फोलेट – फोलेट, फोलिक एसिड के रूप में शरीर में प्राकृतिक रूप में पाया जाता है।
14 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों और महिलाओं को प्रति दिन 400 mcg/DFE (micrograms of dietary folate equivalents) की आवश्यकता होती है।
महिलाओं के लिए, फोलेट की आवश्यक मात्रा गर्भावस्था के दौरान 600 एमसीजी/डीएफई (mcg/DFE) और स्तनपान के दौरान 500 एमसीजी/डीएफई (mcg/DFE) प्रति दिन होती है।
विटामिन बी12 – एक वयस्क व्यक्ति के लिए, 2.4 माइक्रोग्राम (mcg) विटामिन बी12 की दैनिक मात्रा की सिफारिश की जाती है। गर्भवती होने वाली महिलाओं को प्रति दिन 2.6 माइक्रोग्राम (mcg) और स्तनपान वाली महिलाओं को प्रतिदिन 2.8 माइक्रोग्राम (mcg) की आवश्यकता होती है।
(और पढ़े – फोलिक एसिड क्या है, उपयोग (लाभ), साइड इफेक्ट्स, खाद्य पदार्थ और दैनिक मात्रा…)
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