खून की कमी या एनीमिया रोग भारत सहित अनेक देशों में कुपोषण की एक गंभीर समस्या है, जो गर्भवती महिलाओं और लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक प्रभावित करती है। शरीर में आयरन की कमी के कारण रक्त में RBC और हीमोग्लोबिन की मात्रा में कमी आ जाती है। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण पीली या सफेद त्वचा दिखाई दे सकती है और व्यक्ति बहुत अधिक कमज़ोरी महसूस कर सकता है। अतः यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक कमजोरी, थकान और अन्य एनीमिया से सम्बंधित लक्षणों का अनुभव करता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि यह स्थिति अन्य गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकती है। यह लेख एनीमिया के बारे में है। इस लेख में आप एनीमिया के कारण, लक्षण, जाँच, इलाज के साथ-साथ एनीमिया से बचने के उपाय और एनीमिया किस विटामिन की कमी से होता है, के बारे में जानेगें।
किसी व्यक्ति के ब्लड में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) की कमी की स्थिति को एनीमिया रोग कहा जाता है। अर्थात एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के ब्लड में लाल रक्त कोशिकाएं या हीमोग्लोबिन पर्याप्त मात्रा में उपस्थित नहीं होता है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं का एक मुख्य घटक है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन ले जाने का कार्य करता है। यदि लाल रक्त कोशिकाओं में कुछ गड़बड़ी उत्पन्न होती है, या फिर रक्त में RBC या हीमोग्लोबिन में कमी आती है, तो शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे पीड़ित व्यक्ति में अनेक लक्षण और समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
लाल रक्त कोशिकाओं का औसत जीवन काल 100 से 120 दिनों का होता है। कुछ कारक लाल रक्त कोशिकाओं के तीव्रता के साथ नष्ट होने का कारण बन सकते हैं, जिससे एनीमिया रोग उत्पन्न होता है। एनीमिया रोग आयरन की कमी या विटामिन बी12 की कमी से उत्पन्न होता है। हालांकि एनीमिया के विभिन्न प्रकार के आधार पर इसके कारण भी भिन्न होते हैं। एनीमिया की बीमारी कुछ समय के लिए या लम्बे समय के लिए उत्पन्न हो सकती है, और खून की कमी के लक्षण हल्के से लेकर अधिक गंभीर तक हो सकते हैं। स्वस्थ आहार का सेवन कर कुछ प्रकार के एनीमिया से बचने में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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वर्तमान में अनेक प्रकार के एनीमिया हैं, जिन्हें मुख्य रूप से तीन समूहों में विभाजित किया गया है:
अत्यधिक रक्तस्राव के कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी आ सकती है, जिसके कारण उत्पन्न होने वाले एनीमिया की स्थिति में लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता है। खून की कमी से सम्बंधित एनीमिया के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
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एनीमिया की बीमारी में कभी-कभी शरीर पर्याप्त मात्रा में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं कर पाता है, या RBC सही तरीके से काम नहीं करती हैं। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति के शरीर में खनिज और विटामिन की कमी होती है। इस प्रकार के एनीमिया का कारण बनने वाली स्थितियों में निम्न को शामिल किया जाता है:
जब लाल रक्त कोशिकाएं नाजुक होती हैं और शरीर के माध्यम से यात्रा करने के दौरान तनाव को सहन नहीं कर पाती हैं, तो वह नष्ट हो जाती हैं, जिससे हेमोलिटिक एनीमिया (hemolytic anemia) की स्थिति उत्पन्न होती है। हेमोलिटिक एनीमिया के कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
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एनीमिया रोग के लक्षण भिन्न-भिन्न स्थितियों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं, जो कि एनीमिया के प्रकार, उसकी गंभीरता और आंतरिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- रक्तस्राव, अल्सर, कैंसर के साथ-साथ मासिक धर्म की समस्याओं पर निर्भर करते हैं।
शुरूआती एनीमिया की स्थिति में लक्षणों को महसूस नहीं किया जा सकता है, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति गंभीर होती जाती है, लक्षणों की गंभीरता भी बढ़ती जाती है। एनीमिया के सामान्य लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं, जैसे:
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आयरन की कमी से पीड़ित व्यक्ति एनीमिया रोग के निम्न लक्षणों का अनुभव कर सकता है, जैसे:
जिन लोगों में एनीमिया रोग विटामिन बी12 की कमी के कारण उत्पन्न होता है, उनमें निम्न तरह के लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जैसे:
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सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश के कारण उत्पन्न एनीमिया की स्थिति में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जैसे:
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अचानक लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश के कारण उत्पन्न होने वाली एनीमिया की बीमारी में निम्न लक्षणों को महसूस किया जा सकता है:
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आयरन की कमी, एनीमिया का एक सामान्य कारण है। प्रोटीन, विटामिन बी6, विटामिन सी, विटामिन बी12, विटामिन ई, कॉपर मिनिरल जैसे पोषक तत्वों से युक्त आहार का सेवन न करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी से सम्बंधित एनीमिया रोग का जोखिम अधिक होता है। एनीमिया के जोखिम को बढ़ाने वाली स्थितियों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे कि:
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यदि एनीमिया रोग का इलाज नहीं किया जाए, तो यह बीमारी अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
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आपसे एनीमिया रोग का निदान करने के लिए डॉक्टर, मरीज के सम्पूर्ण स्वास्थ्य इतिहास और पारिवारिक इतिहास के बारे में जानकारी ले सकते हैं, साथ ही साथ एक शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं। इसके अरितिक्त एनीमिया के कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर कुछ प्रयोगशाला परीक्षणों की सहायता ले सकते हैं।
एनीमिया के निदान के लिए निम्न टेस्ट का उपयोग किया जा सकता है:
अतिरिक्त परीक्षण (Additional tests ) – रक्त परीक्षणों के परिणामों के आधार पर, डॉक्टर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त परीक्षण का आदेश दे सकता है, जैसे:
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एनीमिया का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है।
कुछ प्रकार के एनीमिया की रोकथाम संभव नहीं है। लेकिन अन्य प्रकार के एनीमिया जैसे विटामिन की कमी से होने वाले एनीमिया की रोकथाम आहार के माध्यम से की जा सकती है। आहार में विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिज को शामिल कर एनीमिया की रोकथाम की जा सकती हैं, इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से बचने के लिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करने की सिफारिश की जाती है, इन खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
एनीमिया की स्थिति में यह पोषक तत्व, प्राकृतिक और सिंथेटिक रूप से फोलिक एसिड के रूप में निम्न खाद्य पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे:
विटामिन बी12 से भरपूर खाद्य पदार्थों में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
विटामिन सी युक्त आहार, आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करते हैं। अतः एनीमिया की स्थिति में विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन के लिए आहार में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
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एनीमिया की स्थिति में खाए जाने वाले कुछ खाद्य पदार्थ, आयरन और फोलिक एसिड के अवशोषण में हस्तक्षेप कर गंभीर लक्षणों का कारण बन सकते हैं। अतः एनीमिया रोग की स्थिति में कुछ खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है, जो की निम्न हैं:
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व्यक्ति को एनीमिया की स्थिति से बचने के लिए विटामिन और आयरन की एक निश्चित दैनिक मात्रा की आवश्यकता होती है। यह दैनिक मात्रा सेक्स और उम्र के अनुसार भिन्न भिन्न होती हैं।
महिलाओं को गर्भावस्था, स्तनपान, मासिक धर्म चक्र और भ्रूण के विकास के दौरान आयरन की कमी को पूरा करने के लिए, पुरुषों की तुलना में अधिक आयरन और फोलेट की आवश्यकता होती है।
आयरन – 19 से 50 साल के वयस्कों के लिए आयरन की सिफारिश की गई दैनिक खुराक इस प्रकार है:
फोलेट – फोलेट, फोलिक एसिड के रूप में शरीर में प्राकृतिक रूप में पाया जाता है।
14 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों और महिलाओं को प्रति दिन 400 mcg/DFE (micrograms of dietary folate equivalents) की आवश्यकता होती है।
महिलाओं के लिए, फोलेट की आवश्यक मात्रा गर्भावस्था के दौरान 600 एमसीजी/डीएफई (mcg/DFE) और स्तनपान के दौरान 500 एमसीजी/डीएफई (mcg/DFE) प्रति दिन होती है।
विटामिन बी12 – एक वयस्क व्यक्ति के लिए, 2.4 माइक्रोग्राम (mcg) विटामिन बी12 की दैनिक मात्रा की सिफारिश की जाती है। गर्भवती होने वाली महिलाओं को प्रति दिन 2.6 माइक्रोग्राम (mcg) और स्तनपान वाली महिलाओं को प्रतिदिन 2.8 माइक्रोग्राम (mcg) की आवश्यकता होती है।
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