Irregular Periods Diet In Hindi अनियमित पीरियड्स के लिए आहार का प्रबंधन एक प्रभावी उपचार है। मासिक धर्म चक्र हर 21 दिन से 35 दिनों तक होता है और अधिकांश महिलाओं की अवधि 4 से 7 दिनों तक होती है। असामान्य रूप से छोटी, लंबी, हल्की, भारी या लगातार अवधि का सामना महिलाओं को करना पड़ता है। जो कि उनके लिए बहुत ही कष्टदायक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। लेकिन इन समस्याओं को आपके द्वारा उपभोग किये जाने वाले आहरों की मदद से दूर किया जा सकता है।
क्या आप अनियिमत पीरियड्स के लिए आहार जानते हैं। यदि नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं आज इस आर्टिकल में आप अनियमित पीरियड्स के लिए स्वस्थ आहारों की जानकारी प्राप्त करेगें। जिनका उपभोग कर आप अपने पीरियड्स को नियमित और नियंत्रित कर सकते हैं। आइए इन्हें जाने।
विषय सूची
जिन महिलाओं का मासिक धर्म या पीरियड्स अनियमित है उन्हें अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसी स्थिति में उन महिलाओं को अपने आहार में विशेष रूप से हल्दी को शामिल किया जाना चाहिए। हल्दी एक औषधीय जड़ी बूटी है। हल्दी में मौजूद पोषक तत्व और खनिज पदार्थ गर्भाशय में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है और हार्मोन को समय पर सुनिश्चित करने के लिए संतुलित करता है। पीरियड्स अनियमित होने पर हल्दी के फायदे अध्ययनों द्वारा भी प्रमाणित है। अत: अनियमित पीरिड्स के लिए आहार के रूप में हल्दी को शामिल किया जा सकता है।
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अध्ययनों और चिकित्सकों के अनुसार अनियमित अवधि के लिए साबुत अनाज का सेवन सुरक्षित और लाभकारी होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि साबुत अनाज में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन B की अच्छी मात्रा होती है। ये सभी घटक महिलाओं के शरीर में हार्मोन संतुलन में सुधार करते हैं और भारी मासिक धर्म के लक्षणों को कम करते हैं। जबकि उच्च-ग्लाइसेमिक कार्बोहाइड्रेट स्रोत जैसे कि सफेद ब्रेड और मीठे खाद्य पदार्थ में होते है वह इन लक्षणों को और अधिक खराब कर सकते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के खाद्य पदार्थ सकारात्मक ऊर्जा के स्तर और मनोदशा को भी प्रभावित कर सकते हैं। जिससे महिलाओं के शरीर में रक्त शर्करा के स्तर में भी परिवर्तन हो सकता है। इसलिए अधिक कार्बोहाइड्रेट वाले इन खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने के बजाय ब्राउन राइस, ओटमील और अन्य साबुत अनाजों का सेवन करें।
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अध्ययनों से पता चलता है कि सैल्मन, मैकेरल, लेक ट्राउट और हेरिंग जैसी मछलीयों का नियमित सेवन करने से महिलाओं को फैटी एसिड और विटामिन की अच्छी मात्रा प्राप्त हो सकती है। इसलिए अनियमित मासिक धर्म को रोकने के लिए आपको मछली खाने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इनसे प्राप्त पोषक तत्व और खनिज पदार्थ हार्मोनल संतुलन और सामान्यीकृत मासिक धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। इन मछलीयों में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड मासिक धर्म के दौरान होने वाली सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा नियमित रूप से सेवन करने पर यह मासिक धर्म की ऐंठन और अन्य समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए बेक्ड, ग्रिल्ड या स्टीम्ड मछली के साथ संतृप्त वसा जैसे रेड मीट, डार्क-मीट और चिकन आदि का भी सेवन किया जाना फायदेमंद हो सकता है।
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अलसी के बीजों का उपयोग अनियमित माहवारी के इलाज के लिए किया जा सकता है। क्योंकि अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर की उच्च मात्रा होती है। इसके अलावा अलसी में लिग्गन्स भी होते हैं ये ऐसे प्राकृतिक घटक हैं जो हार्मोन को संतुलित करने में मदद करते हैं। 2012 में हुए एक अध्ययन के अनुसार अलसी के बीजों में एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाने की क्षमता भी पाई गई। इस तरह से महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए अलसी के बीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। मासिक धर्म की समस्याओं से परेशान महिलाएं अनियमित पीरियड्स के लिए आहार के रूप में अलसी के बीजों का इस्तेमाल कर सकती हैं।
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अनियंत्रित अवधि के दौरान महिलाओं को विशेष रूप से एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसके कारण महिलाओं के शरीर में हार्मोनल संतुलन और मासिक धर्म स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इसलिए अधिकांश डॉक्टर और महिला स्वास्थ्य सलाहकार अनियमित पीरियड्स का उपचार करने के लिए फल और सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करने की सलाह देते हैं। क्योंकि ये फाइबर अन्य पोषक तत्वों की आवश्यक मात्रा उपलब्ध कराते हैं।
लेकिन फलों का सेवन करने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि अतिरिक्त मीठे फलों के जूस का सेवन करने से बचें। क्योंकि इनमें उच्च ग्लाइसेमिक सूचकांक होते हैं। इसके बजाय कम मीठे और ताजे फलों व सब्जियों का सेवन करें। इस प्रकार के खाद्य पदार्थों में गाजर, शकरकंद, कैंटालूप, आम आदि शामिल हैं। विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों के लिए लाल मिर्च, खट्टे फल, ब्रोकोली, स्ट्रोरी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स आदि शामिल हैं।
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जो महिलाएं अनियमित मासिक धर्म की समस्या से परेशान हैं उन्हें कुछ विशेष आहारों की आवश्यकता होती है। अनियमित अवधि के लिए आहार के रूप में कच्चे पपीता का उपयोग किया जा सकता है। हरा या कच्चा पपीता मासिक धर्म के प्रवाह को नियंत्रित करने में प्रभावी होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पपीते में मौजूद पोषक तत्व गर्भाशय में मांसपेशी फाइबर को अनुबंधित करने में मदद करते हैं। कुछ महिनों तक नियमित रूप से कच्चे पपीते और इसके जूस का सेवन करें। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि पीरियड्स के दौरान इसका सेवन न करें। इस तरह से आप कच्चे पपीते का सेवन कर अनियमित अवधि को नियंत्रित कर सकते हैं।
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अनियमित मासिक धर्म के लक्षणों को कम करने के लिए महिलाएं एलोवेरा का उपयोग कर सकती हैं। लेकिन उन्हें सलाह दी जाती है कि अवधि के दौरान उन्हें एलोवेरा का उपयोग नहीं करना चाहिए। एलोवेरा आपके हार्मोन को नियमित करके मासिक धर्म की अनियमितताओं का इलाज करने में मदद करता है। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए एलोवेरा की ताजा पत्तियों से जेल निकालें। इस जेल की 2 चम्मच मात्रा में 1 चम्मच शहद मिलाएं और सुबह के नाश्ते से पहले इसका सेवन करें। कुछ दिनों तक नियमित रूप से उपभोग करने पर यह अनियमित मासिक धर्म के लक्षणों से आपको छुटकारा दिला सकता है।
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महिलाओं में मासिक धर्म की समस्याएं हार्मोन असंतुलन के कारण होती हैं जिनमें अनियमित माहवारी भी शामिल है। अनियमित माहवारी के घरेलू नुस्खा के रूप मे अदरक का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप ताजा अदरक की एक गांठ लें और इसे अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर इसे लगभग 1 गिलास पानी में डाल कर उबालें। कुछ देर के बाद इस पानी में अपने स्वादानुसार थोड़ी सी चीनी डालें और कुछ देर तक उबलने दें। फिर इस मिश्रण को ठंडा करें। आप इस मिश्रण को भोजन के बाद दिन में लगभग 3 बार पिएं। यह मिश्रण महिलाओं को मासिक धर्म को नियमित करने और अनियमित अवधि से छुटकारा दिलाने में प्रभावी होता है।
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जीरा एक औषधीय जड़ी बूटी है जिसे हम सभी लोग मसाले के रूप में उपयोग करते हैं। जीरा के फायदे अनियमित पीरियड्स को नियंत्रित करने में भी सहायक होते हैं। इसके लिए आप भीगे हुए जीरों का उपभोग कर सकते हैं। आप 2 चम्मच जीरा लें और इसे 1 गिलास पानी में रात भर भीगने दें। अगली सुबह जीरे को पानी से अलग किये बिना ही पीएं। नियमित रूप से कुछ दिनों तक जीरा युक्त पानी पीने से आपको अनियमित पीरियड्स से छुटकारा मिल सकता है।
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दालचीनी न केवल आपके व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाने में मदद करती है बल्कि यह कई स्वास्थ्य समस्यओं को भी दूर कर सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दालचीनी में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद रहते हैं। इसलिए दालचीनी का इस्तेमाल मासिक धर्म को नियमित करने में भी सहायक होता है। यह आपके शरीर के भीतर गर्माहट प्रदान करता है। दालचीनी का सेवन करने के लिए महिलाओं को 1 गिलास दूध में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर की आवश्यकता होती है। इस तरह से दूध के साथ दालचीनी का सेवन महिलाओं को मासिक धर्म की समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है।
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जिन महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म की परेशानी है वे अपने आहार में गुड को शामिल कर सकती हैं। गुड मासिक धर्म को नियमित करने में सहायक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गुण में विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ होते हैं विशेष रूप से आयरन। इस तरह से अनियमित मासिक धर्म को रोकने के साथ ही यह इस कारण होने वाले एनीमिया के बचाव में भी महिलाओं की मदद करता है। इस तरह से अनियमित पीरियड्स के लिए आहार के रूप में गुड बहुत ही प्रभावी होता है।
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गुड़ की तरह ही अंगूर में भी आयरन की अच्छी मात्रा होती है। इसलिए अंगूर का नियमित सेवन भी अनियिमत पीरियड्स को रोकने में सहायक होता है। इसके अलावा अंगूर भी महिलाओं में एनीमिया की संभावना को कम करने में मदद करता है।
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छांछ में कैल्शियम, पोटेशियम, प्रोटीन और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की अच्छी मात्रा होती है। इसके अलावा नियमित रूप से छाछ का सेवन करने पर यह शरीर में कुछ विशेष प्रकार के हार्मोन भी स्रावित कर सकता है। इसलिए अनियमित पीरियड्स की समस्या से परेशान महिलाएं छाछ का नियमित सेवन कर इस प्रकार की समस्या से छुटकारा पा सकती हैं।
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जिन महिलाओं को अनियमित मासिक चक्र की समस्या होती है उन्हें तिल के बीजों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए वे तिल के बीजों को पीसकर एक पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट की 1 चम्मच मात्रा में 1 चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में हार्मोन संतुलित होते हैं। इसके अलावा यह आवश्यक फैटी एसिड से भरा हुआ मिश्रण होता है। इस तरह से महिलाएं अपनी मासिक धर्म को नियिमत करने और मासिक धर्म की समस्याओं को कम करने के लिए तिल के बीजों का सेवन कर सकती हैं।
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