Anomaly scan in Hindi एनॉमली स्कैन गर्भावस्था (pregnancy) में कराया जाता है। यह एक ऐसा स्कैन है जिसे हर महिला को कराना चाहिए। आइये जानते है एनॉमली स्कैन या अल्ट्रासाउंड लेवल II क्यों किया जाता है? एनॉमली स्कैन क्या है? क्या मुझे एनॉमली स्कैन के लिए तैयारी करनी होगी? स्कैन किस तरह किया जाता है? एनॉमली स्कैन से शिशु के बारे में क्या जानकारी मिलती है?
हालांकि एनॉमली टेस्ट कराना बहुत जरूरी नहीं होता है, इसलिए यदि आप यह स्कैन कराना नहीं चाहती हैं तो नहीं करा सकती हैं। यदि गर्भ (womb) में पल रहा बच्चा असामान्य (abnormal) है या उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं हो तो इस स्कैन के माध्यम से यह सब देखा जा सकता है। यही कारण है कि ज्यादातर महिलाएं एनॉमली टेस्ट कराना पसंद करती हैं। इसे टारगेट स्कैन ड्यूरिंग प्रेगनेंसी, लेवल 2 अल्ट्रासाउंड इन प्रेगनेंसी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
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एनॉमली स्कैन एक तरह का अल्ट्रासाउंड स्कैन है। इसे मिड प्रेगनेंसी टेस्ट या 20 सप्ताह (20-week) प्रेगनेंसी टेस्ट कहा जाता है। एनॉमली स्कैन आमतौर पर प्रेगनेंसी के 18 से 21 हफ्तों के बीच में कराया जाता है। कुछ मामलों में यह प्रेगनेंसी के 21वें हफ्ते के बाद भी कराया जा सकता है। एनॉमली स्कैन कराने से गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति (health) का पता चल जाता है। इस स्कैन के माध्यम से यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि गर्भ में बच्चे का विकास सामान्य रूप से हो रहा है या नहीं।
इसके अलावा बच्चे के स्वास्थ के बारे में भी इस स्कैन से जानकारी मिल जाती है। गर्भावस्था के 20वें हफ्ते बाद एनॉमली स्कैन में बच्चे के चेहरे, हाथ, हाथ की उंगलियां, पैर और पैरों की उंगलियां, मस्तिष्क, सिर, किडनी, ब्लैडर और चेहरे के विकास को देखा जा सकता है, यही कारण है कि इसे 20-वीक स्कैन कहते हैं। इस स्कैन के माध्यम से गर्भवती महिला अपने बच्चे के शरीर को देख सकती है।
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एनॉमली स्कैन विशेषरूप से प्रशिक्षित स्टॉफ करता है जिसे सोनोग्राफर कहते हैं। यह स्कैन एक धीमी रोशनी वाले कमरे में किया जाता है ताकि बच्चे का चित्र स्पष्ट रूप से स्कैन में आ जाए। एनॉमली स्कैन करने के लिए गर्भवती महिला को एक बेड पर लेटा दिया जाता है और उसके कपड़े को पेट से ऊपर खिसका दिया जाता है ताकि पेट पूरी तरह से दिखायी दे। इसके बाद सोनोग्राफर के सहायक प्रेगनेंट महिला के पेट पर जेल रखते हैं और पेट के आसपास टिश्यू पेपर लगा देते हैं ताकि यह जेल कपड़े में न लगे। इसके बाद सोनोग्राफर हाथ से एक उपकरण (equipment) पकड़कर पेट पर रखें जेल को फैलाते हैं। यह जेल रगड़ने पर जब त्वचा के संपर्क में आता है तो अल्ट्रासाउंड स्क्रीन पर काला और सफेद (black and white) चित्र बनता है।
ध्यान रखे एनॉमली स्कैन कराते समय आमतौर पर दर्द नहीं होता है लेकिन सोनोग्राफर बच्चे का स्पष्ट इमेज (clear image) न प्राप्त होने पर पेट पर थोड़ा प्रेशर जरूर देते हैं। इसके बाद गर्भ में पल रहे बच्चे का चित्र सीधे और अलग-अलग एंगल से दिखायी देता है। एनॉमली स्कैन करने में कुल आधे घंटे का समय लगता है। यह स्कैन कराते समय बेड पर सही तरीके से न लेटने पर बच्चे का स्पष्ट चित्र प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा एनॉमली स्कैन कराते समय गर्भवती महिला का ब्लैडर (bladder) भी भरा होना चाहिए।
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एनॉमली स्कैन के माध्यम से सोनोग्राफर (sonographer) बच्चे के शरीर के अंगों (organ) का परीक्षण करते हैं। आइये जानते हैं कि इस स्कैन के जरिए बच्चे के किन अंगों की जांच की जाती है।
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