लोगों में वजन का बढ़ना चिंता का विषय होता है। लेकिन कुछ लोगों में यह चिंता, वजन घटाने के जुनून में बदल जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वह खाने में रूचि नहीं रखते हैं। यह स्थिति एनोरेक्सिया नर्वोसा कहलाती है, जिसे आमतौर पर एनोरेक्सिया कहा जाता है। यह भोजन विकार (ईटिंग डिसऑर्डर) आत्म-भुखमरी और अत्यधिक वजन घटाने की भावनाओं को प्रेरित करता है। एनोरेक्सिया वाले लोगों द्वारा अत्यधिक वजन घटाने से, वह खतरनाक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो जाते हैं और यहां तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है। अतः इस प्रकार के भोजन विकार (ईटिंग डिसऑर्डर) का निदान और इलाज समय पर किया जाना आवश्यक होता है।
इस लेख में आप एनोरेक्सिया नर्वोसा क्या है, एनोरेक्सिया के कारण, लक्षण, जांच, इलाज, बचाव और घरेलू उपाय के बारे में जानेगें।
एनोरेक्सिया नर्वोसा वजन कम करने के उद्देश्य से खाने में कमी करने से सम्बंधित विकार है। एनोरेक्सिया वाले लोग बेहद कम कैलोरी वाला आहार खाते हैं और उन्हें वजन बढ़ने का अत्यधिक डर होता है। इस प्रकार के वाले व्यक्ति अपने वजन और आकार को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक प्रयासों में जुट जाते हैं जिसके कारण उनके जीवन में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप होता है।
ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया वास्तव में भावनात्मक समस्याओं से निपटने का प्रयास करने के लिए, एक बेहद अस्वस्थ और कभी-कभी जीवन को धमकी देने वाला विकार है। पीड़ित व्यक्ति खाने में कटौती करने के साथ अत्यधिक व्यायाम भी कर सकते हैं। किशोर महिलाओं को एनोरेक्सिया से ग्रस्त होने का सबसे अधिक जोखिम होता है। आहार में कटौती करने से शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे सम्पूर्ण स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है और जीवन को खतरे में डालने वाली जटिलताओं का कारण बन सकता है। एनोरेक्सिया नर्वोसा की भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों को दूर करना पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत कठिन होता है।
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एनोरेक्सिया नर्वोसा वाले लोग अपना वजन कम करने का लक्ष्य रखते हैं और अलग-अलग तरीके अपनाकर अपना बेहद कम वजन बनाए रखते हैं। कुछ लोग कैलोरी आहार के सेवन पर गंभीर प्रतिबंध लगा देते हैं, जबकि अन्य व्यक्ति वजन कम करने के लिए अत्यधिक व्यायाम करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कैलोरी से छुटकारा पाने के लिए उल्टी या मूत्रवर्धक का उपयोग करने लगते हैं। यदि कोई व्यक्ति भोजन विकार एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित है, तो उसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
जो व्यक्ति एनोरेक्सिया से पीड़ित हैं उनमें व्यवहारिक रूप से निम्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जैसे:
कुछ व्यक्तियों को एटिपिकल एनोरेक्सिया नर्वोसा (atypical anorexia nervosa) का अनुभव हो सकता है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति को लगता है, कि उनका शरीर का वजन कम नहीं होगा।
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शरीर के वजन और आकार के बारे में चिंताएं अक्सर एनोरेक्सिया की विशेषताएं होती हैं, लेकिन इन्हें एनोरेक्सिया के कारणों में शामिल नहीं किया जा सकता है। भोजन विकार एनोरेक्सिया नर्वोसा का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। इस प्रकार के ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्तियों के मन में शरीर की नकारात्मक छवि उत्पन्न हो सकती है। माना जाता है कि जैविक या आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारक और मनोविज्ञान कारक इस स्थिति को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आनुवंशिकी और हार्मोन (सेरोटोनिन) का प्रभाव एनोरेक्सिया नर्वोसा के विकसित होने का कारण बन सकता है। यदि परिवार में इस तरह की बीमारी का कोई इतिहास रहा है तो परिवार के अन्य सदास्यों को भी एनोरेक्सिया उत्पन्न हो सकता है।
आपके चारों ओर का वातावरण स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव डालता है। समाज से पतला दिखने का दबाव और मोटा दिखने की हीनभावना भी एनोरेक्सिया नर्वोसा के विकास में योगदान दे सकता है। आज के समय में मीडिया आउटलेट्स के माध्यम से दिखाई जाने वाली अवास्तविक शरीर की छवियां युवाओं को बहुत प्रभावित कर रहीं हैं और पतले होने की इच्छा को जागृत कर रहीं हैं जिसके कारण यह स्थिति एनोरेक्सिया का कारण बन सकती है।
जुनूनी-बाध्यकारी विकार (ओसीडी) से पीड़ित व्यक्ति एनोरेक्सिया नर्वोसा का शिकार हो सकता है क्योंकि ओसीडी वाले लोग अक्सर आहार और व्यायाम को सख्ती से कायम रखने के लिए अधिक संवेदनशील हो सकता है। इसके अलावा ओसीडी वाले लोग जुनूनी भी होते हैं।
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कुछ कारक जो किसी व्यक्ति में एनोरेक्सिया के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, उनमें शामिल हैं:
एनोरेक्सिया की स्थिति अनेक गंभीर जटिलताओं को उत्पन्न कर सकती, है जिसमें सम्पूर्ण शारीरिक प्रणाली से सम्बंधित समस्याएं शामिल है, जैसे:
खराब पोषण शारीरिक समस्याओं के अलावा, आत्महत्या के उच्च जोखिम से जुड़ा होता है।
भोजन विकार एनोरेक्सिया की पहचान कर पाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति में गोपनीयता, शर्म और इनकार संबंधी लक्षण पाए जाते हैं। परिणामस्वरूप लंबे समय तक इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है।
यदि पीड़ित व्यक्ति में लक्षण मौजूद हैं, तो डॉक्टर चिकित्सा इतिहास की जानकारी लेकर और शारीरिक परीक्षण करके निदान करने की कोशिश करता है। एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण एनोरेक्सिया की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें मरीज के खाने की आदतों और भावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
यद्यपि एनोरेक्सिया का विशेष रूप से निदान करने के लिए कोई प्रयोगशाला परीक्षण नहीं हैं। हालांकि डॉक्टर वजन में कमी के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए कुछ प्रयोगशाला परीक्षणों का भी आदेश दे सकता है। इलेक्ट्रोलाइट स्तर या लिवर और किडनी फंक्शन की जांच के लिए रक्त परीक्षण का आदेश दिया जा सकता है।
एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित कई लोग यह स्वीकार नहीं करते हैं कि उन्हें कोई समस्या है। जिससे उनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है। उपचार का मुख्य लक्ष्य शरीर द्वारा स्वास्थ्य वजन प्राप्त करना और सामान्य खाने की आदतों को पुनः स्थापित करने के साथ साथ नकारात्मक भावनाओं का इलाज करना है। एनोरेक्सिया की उपचार प्रक्रियाओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है:
मनोचिकित्सा (Psychotherapy) – इस प्रकार की उपचार प्रक्रिया में संज्ञानात्मक चिकित्सा (cognitive therapy) और व्यवहार चिकित्सा (behavioral therapy) को शमिल किया जाता है। यह उपचार प्रक्रिया व्यक्तिगत परामर्श पर आधारित है, जिसमें एनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति की सोच और व्यवहार को बदलने का लक्ष्य रखा जाता है।
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समूह और पारिवारिक चिकित्सा (Group and family therapy) – एनोरेक्सिया का सफलतापूर्वक उपचार करने के लिए परिवार का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है। परिवार के सदस्यों को ईटिंग डिसऑर्डर को समझने और इसके संकेतों तथा लक्षणों को पहचानने की आवश्यकता होती है। ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया वाले व्यक्ति समूह चिकित्सा के माध्यम से लाभान्वित हो सकते हैं। इस थेरेपी में एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित व्यक्ति को, इस स्थिति से पीड़ित अन्य व्यक्तियों के साथ बातचीत करने की अनुमति दी जाती है। समूह चिकित्सा के माध्यम से पीड़ित व्यक्ति एक दूसरे का समर्थन पा सकते हैं, और अपनी भावनाओं और चिंताओं के बारे में खुलकर चर्चा कर सकते हैं।
दवाएं (Medication) – एनोरेक्सिया की स्थिति में इलाज के दौरान पीड़ित व्यक्तियों को खाने के विकार से जुड़ी चिंता और अवसाद से निपटने के लिए एंटीडिपेंटेंट्स दवाओं की सिफारिश की जा सकती है। ये आपको बेहतर महसूस करा सकते हैं। कुछ एंटीडिप्रेसेंट ड्रग नींद में सुधार कर, भूख को उत्तेजित करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन यह दवाएं वजन कम करने की इच्छा को कम नहीं करती हैं।
अस्पताल में भर्ती (Hospitalization) – गंभीर रूप से वजन में कमी होने की स्थिति में इलाज के दौरान मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसके अलावा कुपोषण और अन्य गंभीर मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे- हृदय रोग, गंभीर डिप्रेशन और आत्महत्या का खतरा होने की स्थिति में इलाज के दौरान भी अस्पाताल में भर्ती किया जा सकता है। कुछ मामलों में, रोगी को फीडिंग ट्यूब या IV (intravenous) के माध्यम से दूध पिलाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
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हालांकि भोजन विकार एनोरेक्सिया के सभी मामलों को रोक पाना संभव नहीं है। एनोरेक्सिया भी अन्य ईटिंग डिसऑर्डर की तरह लंबे समय तक अनुपचारित रहने पर गंभीर हो जाता है। अतः जितनी जल्दी हो सके इस विकार का निदान और उपचार किया जाना आवश्यक होता है। एनोरेक्सिया का इलाज किया जा सकता है, तथा पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ वजन को वापस प्राप्त कर सकता है। पीड़ित व्यक्ति को स्वस्थ खाने की आदतों को सिखाना और प्रोत्साहित करना, भोजन और शरीर की छवि के बारे में यथार्थवादी दृष्टिकोण रखना, इत्यादि तरीके आपको और आपके प्रियजन को ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया के विकास को कम करने में मदद कर सकते हैं।
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