Ardha Matsyendrasana in Hindi अर्ध मत्स्येन्द्रासन संस्कृत भाषा के शब्दों अर्ध, मत्स्य,इन्द्र और आसन से मिलकर बना है। जहां अर्ध का मतलब आधा (half) मत्स्य का अर्थ मीन या मछली (fish) इन्द्र का अर्थ राजा (king) और आसन का अर्थ मुद्रा (pose) है। योगी मत्स्येन्द्रनाथ के नाम पर इस आसन का नाम मत्स्येन्द्रासन पड़ा। इस आसन को वक्रासन (Vakrasana) भी कहा जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन अन्य आसनों की तरह बहुत आसान नहीं है इसलिए ज्यादातर लोग शुरूआत मे योगा एक्सपर्ट की देखरेख में इस आसन का अभ्यास करते हैं। लेकिन कुछ दिनों के अभ्यास के बाद यह आसन करना काफी आसान हो जाता है। रीढ़ की हड्डी और पैरों सहित लगभग पूरा शरीर इस आसन में शामिल होता है इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से यह शरीर के विभिन्न अंगों के लिए फायदेमंद होता है।
विषय सूची
1. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका – Steps of Ardha Matsyendrasana (Half Spinal Twist Pose) in Hindi
2. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही समय – Ardha Matsyendrasana (Half Spinal Twist Pose) in Hindi
3. अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे – Benefits of Ardha Matsyendrasana (Half Spinal Twist Pose) in Hindi
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के फायदे एब्स को मजबूत बनाने में
- शरीर को लचीला बनाने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे आंतरिक अंगों को साफ रखने में
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के फायदे पाचन सुधारने में
- थकान दूर करने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन है फायदेमंद
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे अंगों को उत्तेजित करने में
- शरीर की गर्मी दूर करने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे बांझपन दूर करने में
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ भूख बढ़ाने में
4. अर्ध मत्स्येन्द्रासन करते समय सावधानियां – Precautions of Ardha Matsyendrasanain Hindi
अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका – Steps of Ardha Matsyendrasana (Half Spinal Twist Pose) in Hindi
यह आसन थोड़ा जटिल है इसलिए सर्वप्रथम इसको करने के सही तरीकों के बारे में जानकर ही अभ्यास शुरू करना चाहिए। आइये जानते हैं अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का तरीका क्या है।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने का सही समय – Ardha Matsyendrasana (Half Spinal Twist Pose) in Hindi
अर्ध मत्स्येन्द्रासन का अभ्यास तड़के सुबह(early morning) करना चाहिए। लेकिन यदि किसी कारण वश आप सुबह इस आसन का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं तो शाम के समय भी कर सकते हैं। लेकिन ardha matsyendrasana का अभ्यास करने से पहले आपको यह ध्यान रखना होगा कि आपका पेट पूरी तरह खाली(empty stomach) हो अर्थात् इस आसन को करने से चार से छह घंटे पहले ही आपने भोजन कर लिया हो ताकि भोजन आसानी से पच जाए। याद रखें, आसन के सभी नियमों का अनुसरण करने पर ही किसी भी आसन का फायदा मिलता है।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे – Benefits of Ardha Matsyendrasana (Half Spinal Twist Pose) in Hindi
अन्य आसनों की तरह ही ardha matsyendrasana करने से भी शरीर को विभिन्न तरह के फायदे होते हैं। आइये जानते हैं इन फायदों के बारे में।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के फायदे एब्स को मजबूत बनाने में
अर्ध मत्स्येन्द्रासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से एब्स(abs) मजबूत होते हैं और यह आसन इन्हें टोन(Tone) करने का भी कार्य करता है। इसके अलावा यह आसन करने से मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं।
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शरीर को लचीला बनाने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे
इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से शरीर लचीला(flexible) बनता है और विशेषरूप से कूल्हे और रीढ़ की हड्डी लचीली होती है। इसके साथ ही यह आसन कंधे और गर्दन के लिए भी फायदेमंद होता है और शरीर को ऊर्जा से भर देता है।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे आंतरिक अंगों को साफ रखने में
Ardha matsyendrasana का प्रतिदिन अभ्यास करने से शरीर के अंदर जमा टॉक्सिन्स (toxins) बाहर निकल आते हैं इससे शरीर में असमय बीमारियां नहीं लगती हैं और शरीर की सुरक्षा होती है।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन करने के फायदे पाचन सुधारने में
प्रतिदिन सुबह इस आसन का अभ्यास करने से शरीर में जमा कचरा बाहर निकल आता है और पाचन क्रिया मजबूत होती है। इस आसन को करने से भोजन बहुत आसानी से पच जाता है और कब्ज या शरीर में भारीपन(heaviness) की समस्या नहीं महसूस होती है।
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थकान दूर करने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन है फायदेमंद
अर्ध मत्स्येन्द्रासन का रोजाना अभ्यास करने से महिलाओं को माहवारी में होने वाली परेशानी या दर्द खत्म हो जाता है। यह आसन शरीर में थकान होने से बचता है और साइटिका की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे अंगों को उत्तेजित करने में
इस आसन का अभ्यास करने से किडनी, लिवर, हृदय और प्लीहा(spleen) उत्तेजित होते हैं और अपना कार्य सुचारू रूप से एवं सही तरीके से करते हैं। इससे शरीर में तमाम तरह के रोगों से सुरक्षा होती है क्योंकि ये सभी अंग शरीर की महत्वपूर्ण क्रियाओं को करने वाले अंग होते हैं।
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शरीर की गर्मी दूर करने में अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे
अर्ध मत्स्येन्द्रासन का सही तरीके से अभ्यास(practice) करने से यह शरीर के अंदर की अतिरिक्त गर्मी(heat) को बाहर निकालने में मदद करता है और शरीर के अंगों एवं कोशिकाओं में इकट्ठे हानिकारक पदार्थों को भी दूर कर देता है।
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अर्ध मत्स्येन्द्रासन के फायदे बांझपन दूर करने में
माना जाता है कि अर्थ मत्स्येन्द्रासन करने से महिलाओं में बांझपन की समस्या खत्म हो जाती है औऱ इस आसन का सही तरीके से अभ्यास करने से जनन शक्ति भी बढ़ती है। अस्थमा के इलाज में एवं अस्थमा के लक्षणों (symptoms) को दूर करने में यह आसन बहुत फायदेमंद साबित होता है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन के लाभ भूख बढ़ाने में
इस आसन का अभ्यास करने से शरीर अधिक सक्रिय रहता है और भूख न लगने की समस्या भी दूर हो जाती है। यह आसन करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पाचन तंत्र मजबूत होता है और भूख भी समय पर लगती है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन करते समय सावधानियां – Precautions of Ardha Matsyendrasanain Hindi
- मासिक धर्म (menstruation) और प्रेगनेंसी के दौरान अर्ध मत्स्येन्द्रासन को नहीं करना चाहिए अन्यथा महिला को गंभीर परेशानी हो सकती है।
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- यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क की सर्जरी , हृदय, पेट और हड्डी एवं कशेरूक(vertebral) की सर्जरी हुई हो तो उसे Ardha matsyendrasana करने से परहेज करना चाहिए।
- पेप्टिक अल्सर और हर्निया से पीड़ित मरीजों को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- यदि रीढ़ की हड्डी में कोई गंभीर समस्या हो या चोट लगी हो तो इस स्थिति में ardha matsyendrasana नहीं करना चाहिए।
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