Arthritis in hindi आर्थराइटिस या गठिया जिसे संधिशोथ भी कहा जाता है। गठिया का अर्थ होता है जोड़ों में सूजन, लेकिन इस शब्द का उपयोग जोड़ों को प्रभावित करने वाली अनेक प्रकार की स्थितियों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। आजकल यह रोग बुजुर्गों से लेकर जवान लोगों तक, हर किसी को अपनी चपेट में लेते जा रहा है। गठिया तब उत्पन्न होता है, जब आपके जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) टूट जाती है या क्षतिग्रस्त हो जाती है। यह रोग अनेक प्रकार का होता है और कुछ स्थितियों में व्यापक लक्षण प्रगट करता है। इस लेख में आप जानेगें आर्थराइटिस या गठिया क्या है इसके लक्षण, कारण, इलाज, जाँच, योग और गठिया से बचाव के उपाय के बारें में।
किसी व्यक्ति के एक या अधिक जोड़ों में सूजन और कोमलता विकसित होने की स्थिति को गठिया कहते हैं। गठिया के मुख्य लक्षणों में जोड़ों में दर्द और जकड़न शामिल हैं, जो आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ अधिक गंभीर होते जाते हैं। अर्थराइटिस (गठिया) के सबसे आम प्रकार ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) और रूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) हैं।
गठिया के लक्षण आमतौर पर समय के साथ दिखाई देते हैं, लेकिन यह लक्षण अचानक भी प्रकट हो सकते हैं। गठिया आमतौर पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों को अधिक प्रभावित करता है, लेकिन यह बच्चों, किशोरों और कम उम्र के वयस्कों में भी विकसित हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं और अधिक वजन वाले व्यक्तियों में गठिया होना अधिक आम है।
सबसे सामान्य तरह के गठिया के प्रकार में ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) और रूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) शामिल हैं। इसके अलावा 100 से भी ज्यादा प्रकार का आर्थराइटिस होता है।
उपास्थि (Cartilage) हड्डियों के जोड़ों में एक दृढ़, लेकिन लचीला संयोजी ऊतक होता है। यह हड्डियों के हिलने-डुलने पर बने दबाव और झटके को अवशोषित करके जोड़ों की सुरक्षा रखता है और जोड़ों में लगभग घर्षण रहित गति की अनुमति देता है। इस उपास्थि ऊतक की सामान्य मात्रा में कमी या कार्टिलेज (उपास्थि) में टूट-फूट गठिया के कुछ रूपों का कारण बनती है।
गठिया के प्रकार के आधार पर इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं जो विभिन्न तरीकों से जोड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं।
जोड़ के कार्टिलेज (उपास्थि) में सामान्य टूट-फूट या क्षति होने से ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) की स्थिति उत्पन्न होती है। कार्टिलेज (उपास्थि) में पर्याप्त क्षति के परिणामस्वरूप हड्डीयों में सीधे तौर पर धर्षण होता है, जिससे दर्द और गति में अवरोध उत्पन्न होता है। जोड़ों में क्षति कई वर्षों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकती है, या फिर चोट या संक्रमण के परिणामस्वरूप हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति के पास इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास है, तो उसे ऑस्टियोआर्थराइटिस (OA) विकसित होने का उच्च जोखिम होता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून रोग है। यह गठिया तब होता है, जब प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के ऊतकों पर हमला करती है। जिसके परिणामस्वरूप सिनोवियम (जोड़ों में पाया जाने वाला एक नरम ऊतक) नष्ट हो जाता है।सिनोवियम उपास्थि को पोषण और जोड़ों को चिकनाई देने के लिए एक तरल पदार्थ का निर्माण करता है। यह स्थिति जोड़ों के अंदर हड्डी और उपास्थि दोनों के विनाश का कारण बन सकती है। प्रतिरक्षा प्रणाली के हमलों का सटीक कारण अज्ञात है।
रक्त में बहुत अधिक यूरिक एसिड (Uric acid) होने पर बनने वाले यूरिक एसिड क्रिस्टल गाउट का कारण बन सकते हैं, जो एक प्रकार का अर्थराइटिस है। संक्रमण या अंतर्निहित बीमारी, जैसे कि सोरायसिस (psoriasis ) या ल्यूपस (lupus), अन्य प्रकार के अर्थराइटिस (गठिया) का कारण बन सकती है।
जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग (cartilage breaks) हो जाती है, तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खाती हैं, जिससे दर्द, सूजन और ऐंठन जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। गठिया से पीड़ित अधिकांश व्यक्तियों में यह नोटिस किया गया है, कि उनके लक्षण सुबह के समय बदतर होते हैं। गठिया रोग से पीड़ित व्यक्ति में कुछ सामान्य लक्षण देखने को मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:
इन लक्षणों के आलावा रूमेटाइड अर्थराइटिस के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
यदि आप कोई लक्षण तकलीफ या चिंता का कारण बनते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिले और इन लक्षणों के बारें में बात करें।
(और पढ़ें – गठिया (आर्थराइटिस) के लिए योग)
गठिया के जोखिम कारकों में शामिल हैं:
व्यक्ति को निम्न स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, जैसे-
आपके डॉक्टर आपके स्वास्थ्य के बारे में आपसे कुछ सवाल करेगें और आपके जोड़ की स्थति को देखेगें। डॉक्टर दर्द वाले जोड़ के आसपास के द्रव का कुछ नमूना की जाँच के अलावा निम्न परीक्षणों की सिफारिश कर सकता हैं, जैसे:
गठिया के प्रकार के आधार पर अलग-अलग उपचार उपचार प्रक्रियाओं को अपनाया जा सकता है। आर्थराइटिस के उपचार का उद्देश्य दर्द को नियंत्रित करना, जोड़ों की क्षति को कम करना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। इसमें दवाएं, शारीरिक उपचार तथा रोग की शिक्षा और सहायता शामिल है।
कई प्रकार की दवाएं गठिया का इलाज करने के लिए उपयोग में लाई जाती हैं, जैसे:
यदि किसी व्यक्ति को रूमेटाइड अर्थराइटिस (आरए) है, तो डॉक्टर कोर्टिकोस्टेरॉयड या डिजीज-मोडिफाइड एंटीरूमेटिक ड्रग्स (disease-modifying antirheumatic drugs) की सिफारिश कर सकता है।
(और पढ़ें: हाथी पांव (फाइलेरिया रोग) क्या है, लक्षण, कारण, जांच, इलाज, बचाव…)
गठिया रोग के इलाज के दौरान जब अन्य उपचार विकल्प कारगर नहीं होते हैं तो डॉक्टर सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। सर्जरी के दौरान निम्न प्रक्रियाओं को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
फिजियोथेरेपी शरीर के जोड़ों में गति और लचीलेपन की सीमा को बढ़ाने के साथ ही पैर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करती है। फिजियोथेरेपिस्ट (शारीरिक चिकित्सक) रोग का पूरी तरह मूल्यांकन करने के पश्चात, रोगी की हालत, उम्र और जीवन शैली को ध्यान मे रखते हुए एक व्यक्तिगत व्यायाम कार्यक्रम का सुझाव देते हैं।
योग को अपनाकर आप गठिया के लक्षणों को कम कर सकते है। यहाँ हम आपको 7 सबसे असरदार योग आसन के बारें में जानकारी दे रहे है, जो आर्थराइटिस और अन्य प्रकार के जोड़ो के दर्द को कम करने में लाभदायक साबित होते है
वजन घटाने और स्वस्थ वजन बनाए रखने से आप गठिया होने के खतरे को कम कर सकते हैं। गठिया रोग की रोकथाम और इससे बचने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:
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शुरूआती दौर में गठिया पर सही आहार और उचित उपचार द्वारा आराम पाया जा सकता है। आर्थराइटिस रोग के कुछ आयुर्वेदिक उपचार भी हैं जो इसके दर्द को कम करते हैं। आइये जानते है गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपचार क्या है?
गठिया (आर्थराइटिस) के कारण, लक्षण और बचाव (Arthritis Causes Symptoms And Treatment in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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