Ashwagandha ke fayde hindi me अश्वगंधा के फायदे और नुकसान और अश्वगंधा का प्रयोग की जानकारी: अश्वगंधा, जिसका नाम सुनते हमारा ध्यान आयुर्वेदिक उपचार की तरफ चला जाता है। जी हां आज हम आपका परिचिय अश्वगंधा से कराते है। अश्वगंधा का प्रयोग सेकड़ो सालो से आयुर्वेद विज्ञान में औषधी के रूप में किया जा रहा है। अश्वगंधा एक औषधीय जड़ी बूटी है। जिसका प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्यतियों में विविध प्रकार की स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। यह पौरूष ताकत बढ़ाने और आपके शरीर के तनाव प्रबंधन मे मदद कर सकता है।। यह आपके शरीर के संतुलन को बनाए रखता है। आइए हम आपको अश्वगंधा के फायदे और नुकसान से अवगत कराते है। यह सामान्य तौर पर हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर उसे मजबूत बनाती है।
क्या आप अश्वगंधा से परिचत है अश्वगंधा एक औषधीय पौधा है जिसका नाम संस्कृत से लिया गया है अश्वगंधा का शाब्दि अर्थ ‘’घोडे़ की गंध’’ से है। अलग अलग स्थानों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है जिसका कई प्रकार से उपयोग किया जाता है । इसका एक अच्छा उदाहरण जड़ीबूटी “ब्राम्ही” है, जो चेतना को सक्रिय करने के लिए उपयोगी है ।अश्वगंधा का उपयोग व्यापक रूप से भारत के प्राचीन चिकित्सा प्रणाली में किया जाता रहा है। अश्वगंधा बारहमासी होता है जो हिमालय की तलहटी और आसपास के शुष्क मैदानों में विस्त्रित रूप से मिलती है। जैसा कि हम जानते है कि यह एक जड़ी बूटी है, यह अपने विशेष गुणों के कारण बहुत लोकप्रीय हो रही है।
आइए हम अश्वगंधा के फायदे और लाभों के बारे में जानते है।
Ashwagandha का नाम विथानिया सोमनिफेरा (Withania somnifera) है। लेकिन इस जड़ी बूटी को आमतौर पर भारतीय जीन्सेंग के रूप में जाना जाता है। यह औषधीय पौधा बारहमासी होता जिसकी लम्बाई तीन फीट या इससे अधिक हो सकती है। अश्वगंधा में पीले होते है,यह ऊनी बालों के आवरण से ढका रहता है जिससे पौधे को हल्का हरा रंग मिलता है। अश्वगंधा की जड़ का औषधीय रूप में ज्यादा प्रयोग की जाती है जो कि सूखे टुकड़ों के रूप में प्रयोग में लाई जाती है । इनका उपयोग चाय के रूप में किया जाता है। इसमें घोडे़ के समान हल्की सी गंध आती है जो पौरूष ताकत बढ़ाने के काम आती है।
नियमित अश्वगंधा का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारीयों से छुटकारा पाया जा सकता या उनके प्रभावों को कम किया जा सकता है। चलिए हम आपको बताते है कि अश्वगंधा के प्रयोग से कौन-कौन सी बीमारीयों की रोकथाम की जा सकती है।
यह कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित करती है अपने गुणों के कारण तनाव व हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करती है, यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है। एरिजोना विश्रवविद्यालय में एक अध्ययन ने यह संकेत दिया कि इसमें हाइपोलिपीमिक गुण है जो रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है।
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Ashwagandha कोर्टिसोल स्तर को कम कर करती है कोर्टिसोल को ‘’तनाव हार्मोन’’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि आपके अधिवृक्क ग्रंथियां तनाव की स्थिति में इसे छोड़ती है। अश्वगंधा आपके रक्त से शुगर स्तर को कम करने में सहायक है। कोर्टिसोल का स्तर बढने से रक्त में शर्करा का भी बढ़ता है। लंबे समय से तनावग्रस्त वयस्कों के नियंत्रित के लिए अध्ययनों से पता चला है कि अश्वगंधा कोर्टिसोल में काफी अधिक कटौती करता है।
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अश्वगंधा तनाव को कम करने की अपनी क्षमता के लिए बहुत मशहूर है। शोधकर्ताओं ने चूहे के दिमाग पर इसके प्रभावों को देखा, उन्होने बताया कि तंत्रिका तंत्र में रासायनिक सिग्नल को नियंत्रित करके तनाव को कम करता है। अश्वगंधा का प्रयोग करके हम अपने तनाव और चिंता विकार के लक्षणों को कम कर सकते है।
हमारे आधुनिक जीवन शैली में तनाव में वृद्धि हुई है, जिससे निपटना शायद हमारे लिए संभव नहीं है। अश्वगंधा के सेवन से हम तनाव विरोधी गुणो से लड़ सकते है । परंपरागत रूप से यह एक व्यकित पर सुखदायक ओर शांत प्रभाव पैदा करने के लिए जाना जाता है।
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अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में मधुमेह के लिए बहुत लंबे समय से किया जा रहा है जिसके परिणाम भी बहुत अच्छे मिलते है। मधुमेह के लिए अश्वगंधा के प्रयोग पर अनुसंधान ने सकारात्मक परिणाम दिखाए है। प्रयोगो से पता चलता है कि अश्वगंधा के सेवन से उपवास और दोपहर के भोजन के दौरान खून में रक्त शर्करा के स्तर में काफी कमी आती है। अत: मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह पर अश्वगंधा का उपयोग जरूर करते रहना चाहिए।
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यदि आपके आस पास को कैंसर पीडित व्यक्ति है तो आप उसे अश्वगंधा के सेवन की सलाह दे सकते है क्योंकि इसमें कैंसर को कम करने की क्षमता का पता चला है। अश्वगंधा ट्यूमर कोशिका को नष्ट करने वाली कीमोथेरेपी के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए जानी जाती है। अश्वगंधा की एंटी ऑक्सिडेंट ओर प्रतिरोधक गुण आंशिक रूप से कैसर को कम करने में सहायक होते है अश्वगंधा की पत्तियों का उपयोग ट्यूमर को हटाने के लिए किया जाता है, और कई प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए इसकी जड़ो का उपयोग भी किया जाता है।
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क्या आप थकान कमजोरी या मानसिक तनाव से ग्रसित है, तो घबराएं नही आपके लिए हम आयुर्वेद के खजाने की बहुमूल्य औषधी से आपका परिचय कराते है। जी हां यदि आप अश्वगंधा का प्रयोग नही करते है तो प्रारंभ कर दीजिए क्योकि यह आपकी थकान और कमजोरी को दूर कर सकती है। इसके प्रयोग से आपको आपकी कार्य क्षमता में वृद्धि का अनुभव होगा साथ ही साथ बिना थके काम करने की क्षमता और सहनशक्ति में स्पष्ट रूप से अंतर देखने को मिलता है।
अनुसंधानो से पता चला है कि अश्वगंधा का प्रयोग शरीर संरचना सुधारने तथा ताकत बढाने में सहायक है।
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क्या आपके बच्चों का मन पढाई में नही लगता यदि ऐसा है तो आप उन्हें अश्वगंधा का सेवन जरूर कराऐं, क्योंकि यह उनकी मानसिक स्थिति को स्थिर करने में सहायक होता है। यह आपकी शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की क्षमताओं को बढ़ाता है। दूध के साथ इसका सेवन करने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
अश्वगंधा चिंता या अवसाद को कम करने में मदद करता हे भारत में अश्वगंधा को पारंपरिक रूप से आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है ताकि शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य में सुधार हो सके। अवसाद पर इस दवा के प्रभाव का बहुत अधिक होता है।
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हाइपोथायरायडिज्म के मामलों में, अश्वगंधा का उपयोग थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करने के लिए किया जा सकता है। थायरॉयड ग्रंथि पर अश्वगंधा के प्रभावों पर एक अध्ययन ने बताया कि अगर दैनिक आधार पर अश्वगंधा दिया जाए तो थायराइड हार्मोन का स्राव बढ़ेगा।
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विभिन्न प्रकार के संधिशोथ समस्याओं से लड़ने के अश्वगंधा का प्रयोग प्रभावी पाया गया है। जड़ी-बूटीयों को एक cyclooxygenase अवरोधक के रूप में कार्य करने के लिए जाना जाता है जो सूजन और दर्द कम करता हे। अश्वगंधा में एंजाइमों का गुणधर्म है जो कि एल्कैलाइड्स, सेपोनिन ओर स्टेरॉयड लैक्टोन से मिलता है।
जैसा की आप जानते ही है कि अश्वगंधा घोड़े की पोष्टिकता को संदर्भित करता है, और इस अर्थ में अश्वगंधा को आयुर्वेद विज्ञान के द्वारा प्रमुख यौन पुनर्स्थापनाओं में से एक माना जाता है जो बांझपन के उपचाार से संबंधित है।
यह अश्वगंधा के ऐतिहासिक उपयोगों में एक है, जिसने इसे बहुत लोकप्रिय बनााने में मदद की थी। ‘कामसूत्र’ या ‘आर्ट ऑफ लव’ मानव संबंधों की सफलता के लिए समर्पित एक प्राचीन भारती पाठ है। यह संतोषजनक यौन जीवन के महत्व पर बल देता है, ओर इक्षा शकित बढ़ाने, प्रदर्शन में सुधार, ओर दोनों भागीदारों की संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए लाभदायक होता है।
अश्वगंधा आपकी यौन ऊर्जा का दोहन करने ओर संतुलन को अपने जीवन में लाने में मदद करने का एक अच्छा तरीका है, साथ ही साथ आम अंत:स्रावी और प्रजनन संबंधी मुद्दों जैसे बांझपन, पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग और स्तंभन दोष आदि में अश्वगंधा का उपयोग लाभदायक होता है।
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हमने देखा है कि कैसे अश्वगंधा तनाव को दूर करने में सहायक होता है जो कोर्टिसोल के स्तर के संतुलन के कारण तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। अश्वगंधा का अन्य हार्मोनो पर एक समान प्रभाव होता है, जो पुरूष जीवन शक्ति को प्रभावित करते हैं,
अश्वगंधा पुरूष प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले हार्मोन को स्थिर करने में मदद करता है अनुसंधान से पता चलता है कि यह शक्तिशाली जड़ी बूटी टेस्टोस्टेरोन ओर लाइटीनिंग हार्मोन के सीरम स्तर को बढ़ा सकती है टेस्टोस्टेरोन उत्पादन उत्तेजना के लिए जिम्मेदार एक हार्मोन होता है।
हार्मोन संतुलन/असंतुलन केवल प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता वल्कि एक स्वस्थ प्रोस्टेट, आदर्श शरीर का वजन, यौन कार्य शक्ति और मांसपेशियों के विकास, ओर तेज मस्तिष्क व अन्य हार्मोनस को संतुलित करता है।
कामेच्छा को बढ़ाने के अलावा, अश्वगंधा पुरूषों में वीर्य की गुणबत्ता में सुधार करने में सहायक होता है। हाल ही में वैज्ञानिको ने यह पता लगाया है कि अश्वगंधा एक कामोत्तेजक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ओर शुक्राणूओं की संख्या बढ़ाकर वीर्य की गुणवत्ता में सुधारता है। यही कारण है कि लोग बिस्तर पर अपने साथी को खुश करने के लिए अश्वगंधा को दवा के रूप में प्रयोग कर रहे है।
महिलाओं द्वारा अश्वगंधा का उपयोग महिलाओं को स्वस्थ्य रखने और उनके हार्मोन-संतुलन को बढावा देता है। यदि इसका सेवन नियमित किया जाए तो घबराहट और तनाव जैसे लक्षणों से मुक्ति मिल सकती है। हाल ही एक अघ्ययन से पता चलता है कि अश्वगंधा के साथ पूरक होने से ऊर्जा के स्तर को सुधारने में मदद मिलती है, जबकि तनाव संबंधी स्थितियों में कमी आती है साथ ही साथ अश्वगंधा रक्त प्रवाह बढ़ाना और तनाव को कम करके महिलाओं में यौन इच्छा ओर संतोष को बढ़ाने में मदद कर सकती है।
अश्वगंधा महिलाओं में प्रजन्न क्षमता को बेहतर बनाने में भी मदद करती है, जो कि कारकों से प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है, जैसे कि अश्वगंधा को प्रभावित-तनाव, हार्मोन असंतुलन, बीमारी और पोषक तत्व की कमी को पूरा करने में समर्थ है। इसका सबसे ज्यादा लाभ मस्तिष्क को होता है क्योंकि ये एंटी ऑक्सिडेट से भरपूर होती है जो मस्तिष्क से मुक्त होने वाले कणो की रक्षा करने में मदद करता है
इसलिए महिलाओं को चाहे वे किसी भी उम्र की हों सामान्य तौर पर अश्वगंधा का सेवन कर बहुत सारे लाभ प्राप्त कर सकती है।
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अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि अश्वगंधा का उपयोंग आपके लिए सही है या नहीं तो बतादें कि अधिकांश लोगों के लिए अश्वगंधा एक सुरक्षित पूरक का कार्य करती है। हांलाकि, कुछ व्यक्तियों और गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही साथ प्रतिरक्षा रोगों वाले लोगों भी अश्वगंधा के प्रयोग से बचना चाहिए, इसमें रूमेटीयस गठिया, लुपस, हाशिमोटो के थायरायराइटिस ओर टाइप १ डायबिटीज जैसी परिस्थितियों वाले लोग शामिल है।
जैसा कि हम जान चुके है कि अश्वगंधा बहुत सारे औषधीय गुणो से परिपूर्ण है लेकिन फिर भी कुछ एक मामलों में इसके सेवन से नुकसान हो सकता है इसलिए हमे इनका उपयोग सोच समझकर या पूरी जानकारी एकत्र करने के बाद ही करना चाहिए। जब कोई मरीज जो फार्मास्यूटिकल्स से संबंधित दवाएं ले रहा हो तो भी साइड इफेक्ट होने की संभावना होती है। ड्रग्स और जड़ी बूटीयों में अक्सर सहक्रियात्मक प्रभाव होते हैं, लेकिन कभी कभी प्रभाव का विरोध हो सकता है या जब दोनो का सेवन साथ में किया जाता है तो इसके दुष्प्रभाव सामने आ सकते है
अश्वगंधा नर्वस स्थितियों के लिए बहुत ही प्रभावशाली कारणों में से एक है कि इसमें विभिन्न प्रकार के फाइटोकेमिकल्स शामिल है जो मस्तिष्क में जीएबीए जैसी गतिविधि को बढावा देते हैं। अत: आपको सलाह दी जाती है यदि आप किसी अन्य प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे है तब तक आप अश्वगंधा का प्रयोग न करें या उचित सलाहकार के अनुसार इसका सेवन करें।
अश्वगंधा का प्रयोग गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानप्रद हो सकता है, इसलिए उन्हें गर्भवावस्था में इसके सेवन से बचना चाहिए।
चिकित्सा संबंधो का खतरा अश्वगंधा का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक का परामर्श जरूरी है क्योकि यह उन व्यक्तियों को नुकसान पहुचा सकते है जो नियमित रूप से मधुमेह, ब्लडप्रेशर, अनिद्रा जैसी बीमारीयों से संबंधित दवाएं ले रहे है।
अश्वगंधा का प्रयोग अधिक मात्रा में न करें क्योंकि इसका दुष्प्रभाव जैसे कि दस्त, पेट दर्द या मतली हो सकती है। हमे उम्मीद है कि आपको इन बातों से उपयोगी जानकारी मिली हो।
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