Asthma in Hindi अस्थमा फेफड़े की बीमारी है, जिसमें वायुमार्ग (airways) सिकुड़ जाता है, उसमें सूजन हो जाती है और गले से अधिक कफ या बलगम (mucus) निकलने लगता है। इसकी वजह से सांस लेने में कठिनाई, खांसी और गले में घरघराहट (wheezing) होती है। आजकल यह बीमारी बहुत आम हो गई है और ज्यादातर लोगों में इस अस्थमा की शिकायत पायी जाती है। इस आर्टिकल में आप जानेगे अस्थमा के कारण अस्थमा के लक्षण, जाँच और बचाव के उपाय के बारें में।
कुछ लोगों के लिए अस्थमा एक छोटी सी परेशानी है जबकि अन्य लोगों के लिए यह एक गंभीर बीमारी है जो व्यक्ति के दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करती है और उन्हें अस्थमा का जानलेवा दौरा पड़ सकता है। अस्थमा का इलाज नहीं किया जा सकता लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। समय के साथ इस बीमारी की स्थिति में भी बदलाव होता रहता है इसलिए अस्थमा के मरीज को लगातार डॉक्टर के संपर्क में बने रहना चाहिए ताकि समय के साथ परिवर्तित होने वाले अस्थमा के लक्षणों को पहचाना जा सके।
1. अस्थमा(दमा) के कारण – causes of asthma in Hindi
2. अस्थमा के जोखिम – Risk factors of asthma in Hindi
3. अस्थमा (दमा) के लक्षण – Symptoms of asthma in Hindi
4. अस्थमा (दमा) का निदान – Asthma diagnosis in Hindi
5. अस्थमा (दमा) से बचाव – Prevention of asthma in Hindi
अस्थमा के सटीक कारणों का पता अभी तक नहीं चल पाया है। लेकिन इस बीमारी के पीछे आनुवांशिक एवं पर्यावरणीय कारक जिम्मेदार होते हैं। बचपन में वायरल इंफेक्शन या एलर्जी जैसे पर्यावरणीय कारकों से यह बीमारी विकसित हो सकती है। अस्थमा की बीमारी आमतौर पर अधिक धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, धूल के कण, वायु प्रदूषण,पराग (pollen), श्वास नली में संक्रमण, ठंडी हवा, शारीरिक गतिविधियां, एलर्जिक रिएक्शन और कुछ भोज्य पदार्थों के कारण होता है। इसके अलावा अधिक तनाव और भावनात्मक रूप से कमजोर होने के कारण भी यह बीमारी हो जाती है। पेय पदार्थों जैसे बीयर, वाइन (wine), खाद्य पदार्थों जैसे सूखे मेवे (dried fruit) भी इस बीमारी का कारण हो सकते हैं।
अस्थमा की बीमारी विकसित होने के पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इनमें से कुछ निम्न हैं-
Asthma अस्थमा के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न दिखाई देते हैं। कुछ लोगों को अस्थमा का दौरा कभी-कभी पड़ता है तो कुछ लोगों में अस्थमा के लक्षण सिर्फ एक्सरसाइज करते वक्त दिखाई देते हैं, जबकि कुछ लोगों में इस बीमारी के लक्षण हमेशा मौजूद रहते हैं।
अस्थमा के लक्षण निम्न हैं-
मरीज में अस्थमा की बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज के शरीर का परीक्षण (physical test) करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर मरीज के परिवार में किसी सदस्य के इस बीमारी से पीड़ित होने के विषय में भी पूछते हैं। डॉक्टर स्टेथोस्कोप (stethoscope) का प्रयोग कर मरीज के फेफड़े की आवाज को सुनते हैं और गले की घरघराहट, नासिका में सूजन, नाक से पानी गिरने, और बलगम की जांच की जांच कर इस बीमारी का पता लगाते हैं।
इस बीमारी का पता लगाने के लिए लंग फंक्शन टेस्ट किया जाता है जिसे स्पाइरोमेट्री (spirometry) कहते हैं। इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि कितनी तेजी से व्यक्ति सांस ले रहा है और छोड़ रहा है। इसके अलावा डॉक्टर उस मरीज को एलर्जी टेस्ट कराने की भी सलाह देते हैं।
अस्थमा का कोई इलाज नहीं है। अस्थमा के लक्षण दिखाई देने पर व्यक्ति को डॉक्टर को दिखाना चाहिए और इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। आमतौर पर डॉक्टर अस्थमा से मरीज को बचाने या अस्थमा के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाएं देते हैं। इसके अलावा मरीज को अस्थमा थेरेपी भी दी जाती है जिससे कि अस्थमा के लक्षणों को खत्म किया जा सके।
अस्थमा के उपचार में वायुमार्ग में सूजन को कम करने का प्रयत्न किया जाता है और किसी भी तरह की एलर्जी से बचने की सलाह दी जाती है। इलाज का मुख्य उद्देश्य मरीज के श्वसन को सामान्य (normal breathing) बनाकर अस्थमा के दौरे को कम करना और दैनिक गतिविधियों को आसान बनाना होता है। अस्थमा के लक्षणों को दूर करने के लिए अस्थमा इनहेलर्स (asthma inhalers) एक अच्छी विधि मानी जाती है क्योंकि इस विधि में दवाओं को सीधे फेफड़ों में पहुंचाया जाता है जिसका हल्का नुकसान (side effect) होता है। अस्थमा की कुछ दवाएं गोली या इंजेक्श के रूप में भी दी जाती हैं।
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