Ayurvedic Tea For Bad Stomach In Hindi: खराब पेट का उपचार करने के लिए आयुर्वेदिक चाय का सेवन करना एक अच्छा उपाय है। खराब पेट को ठीक करने के लिए ये उपाय पूरी तरह से घरेलू हैं इसलिए इन पर भरोसा करने में कोई नुकसान भी नहीं है। पेट के खराब होने पर गर्म चाय का सेवन करना आपके लक्षणों को कम करने का सबसे अच्छा प्रभावी तरीका है। औषधीय चाय का सेवन करना आपको खराब पेट के साथ ही अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रख सकता है। पेट खराब होने पर कुछ विशेष प्रकार की चाय का सेवन करना आपको मतली, उल्टी और दस्त जैसी समस्याओं से बचा सकता है जो खराब पेट के लक्षण होते हैं। इस लेख में खराब पेट का उपचार करने के लिए 9 औषधीय चाय की जानकारी दी गई है। जिनका उपभोग आप खराब पेट को ठीक करने के लिए कर सकते हैं।
आइए जाने खराब पेट को ठीक करने के लिए 9 आयुर्वेदिक चाय कौन सी हैं।
विषय सूची
ग्रीन टी का इस्तेमाल खराब पेट को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक चाय के रूप में किया जा सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि ग्रीन टी का सेवन हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (Helicobacter pylori) से दस्त के संक्रमण को रोकने में प्रभावी होता है। इस बैक्टीरिया की उपस्थिति पेट में दर्द, मतली और पेट की सूजन को बढ़ा सकता है। इसके अलावा ग्रीन टी का सेवन करना पेट की अन्य समस्याओं को भी प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। एक अध्ययन के अनुसार हरी चाय पीने के फायदे विकिरण चिकित्सा के कारण अतिसार (Diarrhea) की आवृति और गंभीरता को कम कर सकता है।
पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए ग्रीन टी पीने के दौरान यह ध्यान रखें कि प्रति दिन 1 से 2 कप ग्रीन टी का सेवन करना अच्छा है। ग्रीन टी का अधिक सेवन करना आपकी परेशानी को और अधिक बढ़ा सकता है।
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अपच और अन्य पेट की खराबी संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए अदरक की चाय एक और प्रभावी उपाय है। पेट की खराबी को दूर करने के लिए आप अदरक की जड़ को पानी में उबालकर सेवन कर सकते हैं। मतली और उल्टी जैसी पाचन समस्याओं के लिए यह औषधी अविश्वसनीय रूप से लाभ पहुंचाती है। एक अध्ययन के अनुसार गर्भवती महिलाओं और कीमोथेरेपी से प्रेरित मतली और उल्टी के प्रभाव को अदरक की चाय से कम किया जा सकता है। एक अन्य समीक्षा में कहा गया है कि अदरक का नियमित सेवन पेट की गैस, पेट फूलना, ऐंठन और अपच को कम कर सकता है। हालांकि इस प्रकार के लाभ उच्च मात्रा में अदरक का सेवन करने पर प्राप्त होते हैं। लेकिन नियमित रूप से अदरक की चाय का सेवन करना भी इस प्रकार के लाभ दिला सकता है।
अदरक की चाय बनाने के लिए अदकर की एक गांठ को पीस लें और इसे उबलते पानी में 10 मिनिट के लिए छोड़ दें। इसके बाद आप अपनी हर्बल चाय की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इसमें नींबू का रस, शहद और काली मिर्च को भी शामिल कर सकते हैं।
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पेट संबंधी समस्याओं से राहत पाने के लिए पुदीने की चाय सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थ है। एक पशु अध्ययन के अनुसार पुदीना आंतों की मांसपेशियों को आराम दिलता है और दर्द से राहत दिलाने में सहायक होता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार पेपरमिंट ऑयल का सेवन करने से बच्चों में पेट दर्द की अवधि, आवृति और गंभीरता आदि को कम किया जा सकता है। कीमोथेरेपी से संबंधित मतली और उल्टी को रोकने में भी पुदीना प्रभावी होता है। हालांकि ये सभी अध्ययन पुदीने की चाय के बजाय पुदीने के तेल पर आधारित थे। लेकिन पुदीने की चाय भी इसी तरह के लाभ दिला सकती है।
पेट की खराबी को दूर करने के लिए पुदीने की चाय को आप बाजार से भी खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप अपने घर पर भी पुदीने की चाय तैयार कर सकते हैं। इसके लिए पुदीने की कुछ पत्तियां लें और इसे पानी में 10 से 12 मिनिट तक उबालें। इसके बाद आप इस चाय के स्वाद को बढ़ाने के लिए शहद और काली मिर्च भी मिला सकते हैं।
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काली चाय भी ग्रीन टी की तरह ही फायदेमंद होती है जो पेट की समस्याओं को दूर कर सकती है। काली चाय का सेवन विशेष रूप से दस्त के इलाज में सहायक होता है। एक अध्ययन के अनुसार ब्लैक टी टैबलेट का सेवन करने से मल त्याग करने की आवृति, मल की मात्रा और स्थिरता को सुधारने में मदद मिलती है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार काली चाय का नियमित सेवन ई. कोलाई बैक्टीरिया के कारण होने वाले दस्त को 20 प्रतिशत तक रोक सकता है। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए प्रतिदन आपको 1 से 2 कप काली चाय का सेवन करना चाहिए। इससे अधिक मात्रा में सेवन करना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि इसमें कैफीन की मात्रा होती है जो आपके पेट को और अधिक खराब कर सकता है।
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पुदीने की तरह ही स्पेयरामिंट टी भी खराब पेट का उपचार करने में सहायक होती है। स्पेरामिंट को पहाड़ी पुदीने के नाम से भी जाना जाता है। पहाड़ी पुदीना में कार्वोन (carvone) नामक एक यौगिक होता है जो पाचन तंत्र की मांसपेशियों में संकुचन को कम करने में सहायक होता है। पेट की खराबी (IBS) से परेशान कुछ लोगों में 8 सप्ताह तक एक अध्ययन किया गया। जिसमें रोगियों को कब्ज या दस्त की दवाओं के साथ-साथ स्पेरामिंट टी, धनिया और लेमन बाम का भी नियमित सेवन कराया गया। इस प्रकार के उत्पादों का सेवन करने पर लोगों के पेट के दर्द, बेचैनी और पेट की सूजन संबंधी लक्षणों में कमी देखी गई। स्पेरामिंट के औषधीय गुणों के कारण पेट की खराबी दूर करने वाले प्रमुख उत्पादों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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तुलसी एक औषधीय जड़ी बूटी है जिसका प्राचीन समय से ही आयुर्वेद में व्यापक उपयोग किया जा रहा है। यह खराब पेट को ठीक करने का सबसे प्रभावी और आसान विकल्प है। कई पशु अध्ययनों से पता चलता है कि तुलसी की चाय का नियमित सेवन पेट के अल्सर, पेट दर्द, अपचन और मतली जैसे लक्षणों को कम कर सकता है। आप पेट संबंधी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए तुलसी की चाय को बाजार से खरीद सकते हें। इसके अलावा आप अपने घर पर ही तुलसी की आयुर्वेदिक चाय तैयार कर सकते हैं।
इसके लिए आपको तुलसी के कुछ सूखे हुए पत्तों की आवश्यकता होती है। आप 1 कप पानी को उबालें और 10 मिनटि के लिए तुलसी की पत्तियों को पानी में छोड़ दें। फिर इस पेय पदार्थ में शहद और अन्य जड़ी बूटियों को मिलाकर सेवन करें। यह पेट की खराबी दूर करने का सबसे आसान तरीका है।
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औषधीय गुणों भरपूर कैमोमाइल चाय स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। पेट खराब होने की स्थिति में आयुर्वेदिक चाय के रूप में कैमोमाइल टी का सेवन करना लाभकारी होता है। कैमोमाइल चाय के फायदे पाचन तंत्र की मांसपेशियों को आराम दिलाने, गैस, अपच, दस्त, उल्टी और मतली आदि को ठीक करने में प्रभावी मानी जाती है। आप भी अपने खराब पेट संबंधी लक्षणों को दूर करने के लिए कैमोमाइल चाय का इस्तेमाल कर सकते हैं। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप कैमोमाइल चाय को बाजार से खरीद सकते हैं। कैमोमालइ टी को घर में तैयार करने के लिए केवल 5 मिनिट का समय लगता है। आप 1 कप गर्म पानी कैमोमाइल के सूखे पत्तों के पाउडर को मिलाएं या कैमोमाइल टी बैग का उपयोग इस औषधीय चाय का नियमित सेवन आपको पेट की खराबी से निजात दिला सकता है।
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मुलेठी एक औषधीय जड़ी बूटी है जिसका उपयोग पेट ठीक करने वाली आयुर्वेदिक चाय के रूप में भी किया जाता है। मुलेठी अपने विशिष्ट कसैले या कड़वे और कम मीठे स्वाद के लिए बहुत ही लोकप्रिय है। पारंपरिक चिकित्सा में पेट की खराबी को दूर करने के लिए मुलेठी का कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। बहुत से अध्ययनों से पता चलता है कि मुलेठी की चाय का सेवन करने से पेट के अल्सर को ठीक किया जा सकता है। ये अल्सर पेट में दर्द, अपच और मतली जैसे लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। एक अन्य अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से दिन में 2 बार 75 मिली ग्राम मुलेठी की चाय का सेवन अपच के लक्षणों को दूर कर सकता है।
हालांकि आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मुलेठी की चाय का अधिक मात्रा में सेवन करना आपकी परेशानी को बढ़ा सकता है। इसलिए समान्य रूप से दिन में केवल 1 कप ही मुलेठी की चाय का सेवन न करें जब तक कोई स्वास्थ्य सलाहकार मुलेठी चाय की मात्रा निर्धारित न करें।
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सौंफ की एक और औषधीय उत्पाद है जो पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। आप पेट की खराबी से संबंधित लक्षणों को दूर करने के लिए सौंफ की चाय का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। सौंफ गाजर परिवार से संबंधित पौधा है जिसमें मुलेठी की तरह स्वाद होता है। आमतौर पर कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने के लिए सौंफ की आयुर्वेदिक चाय का सेवन किया जाता है। सौंफ की चाय के लाभ पेट के दर्द, कब्ज, गैस और दस्त आदि के लिए होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से सौंफ की चाय का सेवन महिलाओं को मासिक धर्म के लक्षणों और मतली को कम कर सकता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार सौंफ के औषधीय गुण ई. कोलाई बैक्टीरिया के प्रभाव को भी कम करते हैं जो पेट की खराबी का प्रमुख कारण होते हैं।
आप पाचन संबंधी समस्या से निपटने के लिए सौंफ की चाय को घर पर ही बना सकते हैं। इसके लिए आप 1 कप पानी को उबालें और इसमें 1 चम्मच सौंफ के बीज मिलाएं। इस मिश्रण को 5 से 10 मिनिट तक पकाएं और फिर ठंडा करके सेवन करें।
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