Ayurvedic Treatment For Fatty Liver In Hindi: फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज किया जा सकता है, फैटी लिवर होना जिगर की एक गंभीर बीमारी है जो यकृत के कार्यों में बाधा उत्पन्न करती है। यह एक सामान्य बीमारियों में से एक है जो हर 10 लोगों में से एक को होती है।
यकृत, मानव शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है, जिसका स्वस्थ रहना बहुत ही आवश्यक है। फैटी लिवर रोग में लिवर में बहुत अधिक वसा के निर्माण हो जाता है। अतिरिक्त वसा लीवर की सूजन का कारण बन सकता है।
फैटी लिवर की स्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है, जिसका इलाज किया जाना आवश्यक होता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको फैटी लिवर का आयुर्वेदिक उपचार के बारे जानकारी देंगे। आइये इसे विस्तार से जानते है।
फैटी लिवर की बीमारी को हिपेटिक स्टीटोसिस (hepatic steatosis) के नाम से भी जाना जाता है। फैटी लिवर की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब यकृत कोशिकाओं में बहुत अधिक वसा का निर्माण होता है। यदि यकृत में 5% से अधिक वसा पाया जाता है, तो इस स्थिति को फैटी लिवर माना जाता है। इसके अतिरिक्त यकृत के वजन का लगभग 10 प्रतिशत से अधिक वसा का पाया जाना, फैटी लिवर की अधिक गंभीर जटिलताओं के विकास की ओर संकेत हो सकता है।
फैटी लिवर होने के निम्न कारण है-
घर पर ही फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए निम्न उपाय को करें।
(और पढ़ें – फैटी लिवर डाइट: क्या खाना चाहिए और नहीं खाना चाहिए)
एक अध्ययन में पाया गया है, कि हरी चाय (Green tea) में कैटेचिन (catechins) नामक एंटीऑक्सिडेंट, होता है जो नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) से सम्बंधित व्यक्तियों में लिवर में सूजन और वसा की मात्रा को कम करने में मदद करते हैं।
अपने लिवर को मजबूत बनाने लिए रोजाना ग्रीन टी का सेवन करना फायदेमंद होता है। ग्रीन टी हिपैटिक इंफ्लैमेशन को कम करने के साथ ही शरीर के फैट को बर्न करती है। रोजाना दिन में 3 या 4 कप ग्रीन टी पीने से फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है।
फैटी लिवर के इलाज में लहसुन की अहम भूमिका है। लिवर में फैट बढ़ जाने पर हर रोगी को लहसुन का सेवन करना चाहिए। लहसुन एक सुपर फूड है जिसमें एलिसिन नामक कंपाउंड पाया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है और नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज से सुरक्षा प्रदान करता है।
इसके साथ ही यह शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालता है और बॉडी फैट को बर्न करता है। रोजाना सुबह खाली पेट लहसुन की कच्ची कलियां चबाने से लिवर का फैट कम होता है। इसके अलावा लहसुन को सूप और सलाद के रुप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
छाछ के सेवन से भी फैटी लीवर का उपचार किया जा सकता है। बायोएक्टिव प्रोटीन छाछ या मट्ठे में बहुत प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह जीवाणरोधी एवं एंटीवायरल प्रकृति का होता है। इसलिए आप अपने भोजन में छाछ को जरूर शामिल करें। यह जिगर को रोग मुक्त रखने में आपकी मदद कर सकता है।
प्याज एक ऐसी सब्जी जो अनके प्रकार के पोषक तत्वों से भरी हुई है। फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज प्याज से किया जा सकता है। प्याज में मुख्य रूप से एलियम और एलिल डाइसल्फाइड (Allium and allyl disulphide), फाइटोकेमिकल यौगिक होते है जो कई प्रकार के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। फैटी लिवर के उपचार में आप दिन में दो बारे कच्ची प्याज को सेवन करें।
आंवला कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरा हुआ है जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक होता है। फैटी लिवर को ठीक करने के लिए आप आंवला
का उपयोग कर सकते है। इसके जीवाणुरोधी और कसैले गुणों के कारण, आंवले शरीर के संक्रमण के खिलाफ रक्षा करते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार करते हैं। आंवले में मौजूद विटामिन सी शरीर में सफेद रक्त कोशिका की संख्या में वृद्धि करते हैं।फैटी लिवर को ठीक करने के लिए आप एक चम्मच आंवले का पाउडर लेकर इसे एक गिलास पानी में मिला लें। अब पानी को गुनगुना करके पियें। दिन में कम से कम दो बार इस घोल का सेवन करें।
खट्टे फल जैसे नींबू और संतरा में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसका उपयोग लीवर मजबूत बनाने और फैटी लिवर के आयुर्वेदिक उपचार में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप खाली पेट नींबू पानी का सेवन कर सकते है या संतरे का सेवन भी कर सकते है। यह लीवर के साथ-साथ शरीर का भी फैट कम करने में मदद करता है।
टमाटर में बहुत कम मात्रा में वसा के साथ जीरो कोलेस्ट्रोल होता है जो वजन को नहीं बढ़ने देते। इसके अलवा टमाटर कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरा हुआ है जो जिगर के लिए लाभदायक होता है। फैटी लिवर के उपचार में आप कच्चे टमाटर को सलाद के रूप में खाएं।
फैटी लिवर बीमारी से यकृत को बचाने के लिए हल्दी बहुत ही प्रभावी होती है। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा भी होती है। नियमित रूप से हल्दी का सेवन करने से हेपेटाइटिस बी और सी के वायरस के प्रभाव और प्रसार को रोका जा सकता है। फैटी लिवर में आप हल्दी को अपने आहार में शामिल करने के साथ दूध में मिलाकर भी उपभोग कर सकते हैं। इसके लिए आप प्रतिदिन सुबह और रात में सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने दूध में 1 चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं।
फैटी लिवर वालों को अपना लिवर मजबूत करने के लिए ब्रोकली खाना चाहिए। ब्रोकली में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो शरीर से टॉक्सिन को निकालता है और बॉडी फैट को कम करता है। इसके साथ ही ब्रोकली ट्राइग्लिसराइड और हिपैटिक मैक्रोफेज (macrophage) को कम करने में मदद करता है जिसके कारण लिवर हेल्दी रहता है और लिवर से जुड़ी बीमारियां नहीं होती हैं।
फैटी लिवर के उपचार में एवोकैडो भी शामिल किया जाता है। एवोकैडो में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो लिवर के सूजन और बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करता है और ब्लड में ट्राइग्लिसराइड के लेवल को घटाता है। इसके साथ ही यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। रोजाना सुबह नाश्ते में एवोकैडो खाने से वजन नहीं बढ़ता है और लिवर में जमा एक्स्ट्रा फैट बर्न होता है।
फैटी लिवर में आपको रोजाना ताजी सब्जियां और फल खाना चाहिए। इससे लिवर का फैट और वसा कम होता है और लिवर हेल्दी बनता है। अपने भोजन में अलग-अलग पोषक तत्वों वाली रंगीन सब्जियां और फल शामिल करें। फैटी लिवर से पीड़ित मरीजों को रोजाना पांच अलग-अलग प्रकार की सब्जियां और तीन अलग प्रकार के फल खाना चाहिए। इससे कम समय में ही फैटी लिवर की समस्या दूर हो जाती है।
अपने यकृत की देखभाल करने और उसे रोग मुक्त रखने के लिए आप निम्न टिप्स को फॉलो करें।
(और पढ़ें – लीवर सिरोसिस के लक्षण, कारण, जांच, इलाज और बचाव)
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