आयुर्वेदिक उपचार

गठिया का आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Treatment For Arthritis in Hindi

Ayurvedic Treatment For Gathiya In Hindi सर्दीयों के मौसम में गठिया की परेशानी बढ़ जाती है। लेकिन फ्रिक न करें गठिया का आयुर्वेदिक उपचार किया जा सकता है। वैसे तो गठिया एक बहुत ही दर्दनाक समस्‍या है जिसमें शरीर के लगभग सभी जोड़ो में दर्द बना रहता है। इसके लिए बाजार में बहुत सी दवाएं भी मौजूद हैं। लेकिन आप गठिया का आयुर्वेदिक इलाज भी कर सकते हैं। इस लेख में आप गठिया का घरेलू इलाज करने के कुछ आसान और प्रभीवी तरीकों को जानेगें। जिनका उपयोग कर आप गठिया का आयुर्वेदिक उपचार कर सकते हैं। आइए जाने गठिया का प्राकृतिक उपचार किस प्रकार किया जा सकता है।

विषय सूची

1. गठिया का प्राकृतिक उपचार आहार में संसोधन – Diet modification for Arthritis treatment in Hindi
2. गठिया वात का आयुर्वेदिक उपचार करें मसाज से – Gathiya Ke Lakshan Kam Kare Massage Se in Hindi
3. गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपचार शारीरिक व्‍यायाम – Physical exercise and yoga for arthritis in Hindi
4. गठिया का आयुर्वेदिक इलाज – Ayurvedic treatment for gathiya in Hindi

गठिया का प्राकृतिक उपचार आहार में संसोधन – Diet modification for Arthritis treatment in Hindi

जो लोग गठिया से प्रभावित हैं उनके लिए आहार बहुत ही महत्‍वपूर्ण होता है। गठिया के प्रभाव को कम करने के लिए एंटी-वात वाले आहारों (Anti-vata diet) का सेवन किया जाना चाहिए। गठिया से प्रभावित लोगों को गर्म और मसालेदार भोजन और अन्‍य खाद्य पदार्थ जैसे डेयरी उत्‍पाद, आलू, बैंगन, गोभी, ब्रोकोली आदि का सेवन बहुत ही कम मात्रा करना चाहिए। इनकी जगह संतुलित और पौष्टिक आहार के साथ ही ताजे फल, हरी सब्जियां आदि का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। इस तरह से अपने आहार को संशोधित कर आप गठिया के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

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गठिया वात का आयुर्वेदिक उपचार करें मसाज से – Gathiya Ke Lakshan Kam Kare Massage Se in Hindi

आप गठिया के लक्षणों को कम करने के लिए अपनी जीवन शैली में कुछ परिवर्तन कर सकते हैं। इसके लिए आप गर्म स्‍नान और मालिश आदि का उपयोग कर सकते हैं। मालिश का उपयोग करने के दौरान आप प्रभावी और औषधीय गुणों से भरपूर तेल जैसे बादाम तेल, नारियल तेल, तिल का तेल आदि का उपयोग करें। इन तेलों में गठिया के दर्द और सूजन को दूर करने की क्षमता होती है। क्‍योंकि यह शरीर में वात दोषों को कम करने में सहायक होते हैं। गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपचार में पूर्ण लाभ पाने के लिए आप प्रभावित क्षेत्रों में इन तेलों से नियमित मालिश कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

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गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपचार शारीरिक व्‍यायाम – Physical exercise and yoga for arthritis in Hindi

नियमित व्‍यायाम हमारी कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर कर सकता है। गठिया रोगी को भी नियमित रूप से व्‍यायाम करना चाहिए। व्‍यायाम भी गठिया का आयुर्वेदिक उपचार होता है जो गंभीर दर्द और सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।

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गठिया का आयुर्वेदिक इलाज – Ayurvedic treatment for gathiya in Hindi

आप गठिया का इलाज करने के लिए डॉक्‍टर से सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा आप कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार करके भी गठिया के दर्द और सूजन से राहत पा सकते हैं। क्‍योंकि प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में बहुत से पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थों की अच्‍छी मात्रा होती है। इसके अलावा अच्‍छी बात यह है कि प्राकृतिक उपचार करने पर किसी प्रकार के गंभीर दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं। जड़ी बूटीयों का उपयोग कर आप गठिया की सूजन को आसानी से कम कर सकते हैं। आइए विस्‍तार से जाने उन जड़ी बूटीयों और तरीकों को जो गठिया का आयुर्वेदिक इलाज करने में मदद करती हैं।

गठिया रोग की आयुर्वेदिक दवा निर्गुण्डी – Gathiya Ka Ayurvedic Ilaj Nirgundi in Hindi

औषधीय गुणों से भरपूर निर्गुंडी उन विशेष जड़ी बूटीयों में से एक है जो गठिया का इलाज कर सकती है। ऐसा माना जाता है कि इस जड़ी बूटी का उपयोग प्राचीन समय से ही गठिया के दर्द और सूजन को दूर करने के लिए किया जा रहा है। यह पौधा आसानी से प्राप्‍त किया जा सकता है। निर्गुंडी में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-कनवल्जिंग (anti-convulsing) और एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं जो जोड़ो की समस्‍या को दूर करते हैं। गठिया के आयुर्वेदिक उपचार के लिए निर्गुंडी पौधे के सभी अंगों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा आप निर्गुंडी तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों का पेस्‍ट तैयार कर प्रभावित क्षेत्र में लगाएं या फिर तेल से मालिश करें।

(और पढ़े – निर्गुण्डी के फायदे और नुकसान…)

अर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज है दशमूल – Arthritis ka ayurvedic ilaj Dashmool in Hindi

आप दशमूल नाम सुनकर भ्रमित न हों क्‍योंकि दशमूल कोई 1 जड़ी बूटी नहीं है। दशमूल 1 न होकर 10 जड़ी बूटीयों का मिश्रण है। जिसका उपयोग गठिया के आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जा सकता है। दशमूल जड़ी बूटी में 5 पेड़ों की जड़ों और 5 झाडियों की जड़ों का मिश्रण होता है। दशमूल का नियमित सेवन करने से शरीर में वात रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है। दशमूल में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्‍सीडेंट और दर्द‍ निवारक गुण होते हैं। इस तरह से आप गठिया का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए दशमूल पाउडर का उपयोग कर सकते हैं।

गठिया रोग की आयुर्वेदिक औषधि नीलगिरी तेल – Eucalyptus ayurvedic treatment for gathiya in hindi

प्राचीन समय से ही गठिया के आयुर्वेदिक इलाज के लिए नीलगिरी तेल का उपयोग किया जा रहा है। नीलगिरी के पत्‍तों में टैनिन होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण दर्द को कम करने में सहायक होते हैं। इसके अलावा नीलगिरी तेल की सुगंध मस्तिष्‍क पर शांत प्रभाव डालती है। यदि आप गठिया के दर्द से परेशान हैं तो नीलगिरी तेल से प्रभावित क्षेत्र की मालिश करें। यह आपको राहत दिलाने और गठिया का आयुर्वेदिक इलाज करने का सबसे अच्‍छा तरीका हो सकता है।

(और पढ़े – नीलगिरी तेल के फायदे और नुकसान…)

गठिया के देशी इलाज के लिए अदरक – Gathiya Ka Desi Ilaj Adrak in Hindi

आप गठिया के घरेलू और देशी इलाज के लिए अदरक का उपयोग कर सकते हैं। अदरक में असाधारण एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। इन गुणों के कारण अदरक गठिया का प्रभावी इलाज करने में मदद करता है। इसके अलावा अदरक का नियमित सेवन शरीर में रक्‍त परिसंचरण को बढ़ाता है। जिससे गठिया की सूजन को कम करने में मदद मिलती है। गठिया का उपचार करने के लिए आप अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप अदरक का पेस्‍ट बनाएं और प्रभावित क्षेत्र में इसका लेप लगाएं। तत्‍काल राहत पाने के लिए आप अदरक के तेल से मालिश भी कर सकते हैं। इस तरह से घर में अदरक का सामान्‍य उपयोग करने के साथ ही आप गठिया के आयुर्वेदिक इलाज में भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

(और पढ़े – अदरक के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान…)

गठिया रोग का आयुर्वेदिक उपचार है लाल मिर्च – Gathiya Ka Ayurvedic Upchar Hai Lal Mirch in Hindi

आपके व्‍यंजनों को तीखा और स्‍वादिष्‍ट बनाने वाली लाल मिर्च गठिया का इलाज कर सकती है। लाल मिर्च में कैप्सेसिन (Capsaicin) नामक घटक मौजूद रहता है। यह गठिया से संबंधित दर्द को कम करने में सहायक होता है। 2014 में किये गए एक अध्‍ययन से पता चलता है कि कैपेसिसिन पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) के दर्द को कम करने में प्रभावी होता है। ऐसा माना जाता है कि गठिया प्रभावित क्षेत्र में 20 सप्‍ताह तक लेप लगाने से राहत मिल सकती है। इसके लिए कैप्‍साइसिन की 0.075 प्रतिशत मात्रा वाले किसी क्रीम का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसका उपयोग करने के लिए आप एलर्जी आद‍ि की जांच कर लें। यदि उपयोग करने पर आपको किसी प्रकार की समस्‍या हो तो इसका उपयोग बंद कर दें और डॉक्‍टर से सलाह लें।

(और पढ़े – लाल मिर्च के फायदे और नुकसान…)

गठिया रोग की आयुर्वेदिक दवा है हल्‍दी – Gathiya rog ki ayurvedic dawa hai haldi in Hindi

करक्यूमिन नामक एक सक्रिय घटक हल्‍दी में मौजूद रहता है। करक्‍यूमिन उन लक्षणों को कम करने में मदद करता है जो सूजन बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा यह हड्डियों और उपास्थि को नुकसान से बचाते हैं। यह शरीर में दर्द के संकेतों को कम करने और गठिया के प्रभाव को दूर करने में सहायक होते हैं। 2016 में किये गए एक पशू अध्‍ययन से पता चलता है कि करक्‍यूमिन पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के विकास को कम करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार 8 सप्‍ताह तक नियमित रूप से करक्‍यूमिन का सेवन करने से गठिया के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इस तरह से आप भी गठिया के आयुर्वेदिक इलाज के रूप में हल्‍दी को अपने आहार में शामिल कर लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

(और पढ़े – हल्दी के फायदे गुण लाभ और नुकसान…)

अर्थराइटिस का आयुर्वेदिक इलाज अजवाइन – Gathiya rog ka ayurvedic upchar ajwain in Hindi

जो लोग गठिया के दर्द से परेशान हैं उनके लिए अजवाइन एक आयुर्वेदिक दवा का काम करती है। अजवाइन में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जो गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। गठिया का प्राकृतिक उपचार करने के लिए आप 1 टब में गर्म पानी लें और इसमें 1 चम्‍मच अजवाइन के बीज मिलाएं। कुछ देर के बाद गुनगुने पानी में दर्द प्रभावित क्षेत्र को 5 से 10 मिनिट तक भिगोएं। यह सूजन और दर्द को कम कर सकता है। इसके अलावा आप अजवाइन के बीजों को पीसकर पानी के साथ एक पेस्‍ट बना लें और प्रभावित क्षेत्र में लेप लगाएं। विकल्‍प के रूप में आप अजवाइन के पानी का सेवन भी कर सकते हैं। इस तरह से गठिया के आयुर्वेदिक इलाज कर आप राहत पा सकते हैं।

(और पढ़े – अजवाइन के फायदे, गुण, लाभ और नुकसान…)

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