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बावची (बाकुची) के फायदे और नुकसान – Babchi (Psoralea Cordifolia) Benefits and side effects In Hindi

बावची (बाकुची) के फायदे और नुकसान - Babchi Ke Fayde aur Nuksan In Hindi

Babchi in Hindi बाकुची / बावची, जिसे अंग्रेजी में Psoralea Cordifolia के नाम से भी जाना जाता है, यह सोरायसिस, ल्यूकोडर्मा, त्वचा पर चकत्ते, त्वचा में संक्रमण और एलर्जी जैसे त्वचा रोगों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक और चीनी दोनों दवाओं में लंबे समय से इस्तेमाल होती आ रही है। यह भारत के समतल क्षेत्रों में उगायी जाती है। आज के इस लेख में हम इसके फायदे, उपयोग और नुकसान की जानकारी देने जा रहें हैं।

बावची के फायदे इसके औषधीय गुणों के कारण होते हैं जिसे आयुर्वेदिक और चीनी दवाओं में उपायोग किया जाता है। बावची के लाभ मुख्‍य रूप से त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। आपने बाकुची (Bakuchi) का नाम शायद ही सुना हो। क्योंकि इसे बावची भी बोलते हैं। वैसे तो बाकुची बहुत ही साधारण-सा दिखने वाला पौधा होता है, लेकिन इसके औषधीय गुणों से कई रोगों का इलाज किया जाता है।

बकुची का उपयोग सोसायसिस (psoriasis), ल्‍यूकोडर्मा (leukoderma), त्‍वचा के चकते, त्‍वचा संक्रमण और एलर्जी आदि को रोकने में सहायक होता है। इसके अलावा बाबची चूर्ण का इस्‍तेमाल वात और कफ (vata and kapha) को संतुलित करने के लिए भी किया जाता है।

आज इस लेख में आप आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बावची खाने के फायदे और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्‍त करेगें।

बावची का पौधा – Bakuchi Plant in Hindi

बावची का पौधा – Bakuchi Plant in Hindi

बकुची का पौधा वर्ष में उगने वाली (annual herb) औषधीय जड़ी बूटी है जो आकार में छोटा होता है। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी तक होती है।

इस पौधे के बीज तिरछे, सपाट और भूरे काले रंग के होते हैं। इसके बीज गुर्दे के आकार (kidney-shaped) के होते हैं जिनमें कड़वा स्‍वाद और अप्रिय गंध होती है।

बावची पौधे के पत्‍ते छोटे और गोल होते हैं जिनमें हल्‍की श्‍लेष्‍म (mucronate) की परत होती है। बावची के पौधे के फूल पीले और बैंगनी नीले रंग के होते हें।

बावची के अन्‍य नाम – Other names for Babchi in Hindi

अलग-अलग क्षेत्रों में इस जड़ी बूटी (Herb) को कई नामों से जाना जाता है। जिसके कारण लोगों को इस जड़ी बूटी की पहचान करने में मुश्किलें आती हैं।

यहां बावची के कुछ अन्‍य नामों की जानकारी दी जा रही है जिससे स्‍थानीय लोग इस जड़ी बूटी की पहचान कर सकें।

बावची का वैज्ञानिक नाम पोसरालिया कोरीलिफ़ोलिया (Posralea corylifolia) है।

  • हिंदी में – बाकुची (Bakuchi)
  • संस्‍कृत में – बवालगुजा (Bawalguja), बकुची (Bakuchi), चंद्रलेखा (Chandralekha), चंद्रप्रभा (Chandraprabha), कुशथंत्री (Kushatantri), सीतावरी (Sitavari), सोमराजी (Somaraji), कृष्णफल (Krishnaphal)।
  • पंजाबी में – बाबची (Babchi)
  • गुजराती – बबचा (babacha), बबची (babchi)
  • उर्दू में – बेबेची (Bebechi)
  • असम में – हबचा (Habacha)
  • कन्नड़ में – बावनची (Bawanchi), बावचीगे (Bawchige)
  • बंगाली में – हबचू (Habachu)
  • तमिल में – करपोकर्सी (Karpokarsi), करपोकर्लिसी (Karpokarlisi)
  • तेलुगु नाम – बावनचल्‍लू (Bawanchallu)
  • मलयालम में – कार्कोकिल (Karkokil), कौरकोलारी (Kourkolari)
  • उडिया में – बकुची (Bakuchi)
  • सिंहल नाम – बोदी-अता (Bodi-Ata)
  • जर्मन नाम – बावन (fifty-two)
  • बांग्लादेशी नाम – बकिदाना (Bakidana)
  • अरबी नाम – लोलाब-एल आबिद (Lolab – El Abid), महालेप (Mahalep)
  • श्रीलंका – रावोली (Ravoli)
  • चीनी नाम – कू-त्‍जु (Ku-Tzu,), खाट-चू (Khat-Chu)

बकुची के प्रकार – Bakuchi Ke Prakar in Hindi

बावची के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ संबंधी जानकारीयां कुछ पुराने और प्रसिद्ध ग्रंथों दी गई है। शुश्रुत संहिता (Shushrut samhita) ग्रंथ के अनुसार बावची दो प्रकार की होती है।

  • श्वेता बकुची (Shweta bakuchi)
  • कृष्‍णा बकुची (Krishna bakuchi)

बावची पौधे के उपयोगी भाग – Useful parts of the Babchi plant

बावची पौधे के उपयोगी भाग - Useful parts of the Babchi plant

जानकारों के अनुसार बावची पौधे के लगभग सभी अंगों (Body Part) का औषधीय उपयोग किया जाता है। जिनमें शामिल हैं :

  • बावची के बीज (Seeds)
  • बाकुची के फल (Fruits)
  • बवची के पत्ते (leaves)
  • बावची की जड़ (Root)
  • बाकुची के फूल (Flowers)

बावची के औषधीय गुण – Medicinal properties of Babchi plant in Hindi

बावची का उपयोग विभिन्‍न प्रकार के हर्बल उपचार (Herbal treatment) में किया जाता है। इस औषधीय पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों में शामिल हैं :

  • कीमो-प्रोटेक्टिव (chemoprotective), एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्‍सीडेंट आदि। बावची प्रकृति में एंटी-माइक्रोबियल है।
  • इस पौधे की सबसे प्रभावी विशेषता यह है कि इसके औषधीय गुणों के कारण हर हिस्‍सा उपयोगी है। लेकिन अधिकांश विकारों को दूर करने के लिए इसके बीजों का उपयोग किया जाता है।
  • बकुची के बीज में एंटी-बैक्‍टीरियल, कामोत्तेजक (aphrodisiac), कसैले, साइटोटोक्सिक (cytotoxic), उत्तेजक और मूत्रवर्धक गुण होते हैं। आइए जाने बावची के फायदे क्‍या हैं।

बावची के फायदे – Bakuchi Benefits in Hindi

बकुची का सेवन करने से हमें कई बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है ।

  • बकुची के तेल जो बकुची के बीज से प्राप्त एक आवश्यक तेल है, कामोत्तेजक टॉनिक के रूप में काम करता है।
  • बाबची शरीर की ताकत, शक्ति और जीवन शक्ति में सुधार करती है। यह दिमाग को तेज, दिल की कार्यक्षमता, पाचन और एनोरेक्सिया (एक खाने का विकार) को कम करने के लिए भी फायदेमंद है।
  • बबची के फल का उपयोग बवासीर, एनीमिया और अन्य रक्तस्राव विकारों को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह नपुंसकता, महिलाओं के मासिक धर्म संबंधी विकारों और गर्भाशय रक्तस्राव को ठीक करने में भी उपयोगी है।

आइये जानतें हैं बावची के फायदे क्‍या हैं।

बावची के लाभ श्वसन रोगों के लिए – Babchi For Respiratory Diseases in Hindi

बावची के लाभ श्वसन रोगों के लिए - Babchi For Respiratory Diseases in Hindi

श्वसन तंत्र संबंधी (Respiratory) समस्‍याओं को रोकने के लिए बकुची का उपयोग फायदेमंद होता है। यह सर्दी, अस्‍थमा, नेफ्रैटिस, डिस्‍पेनिया, ब्रोंकाइटिस और अन्‍य विभिन्‍न प्रकार की श्वसन संबंधी विकारों में प्रभावी होता है।

बावची के फायदे इसके एंटी-इंफ्लामेटरी (Anti-inflammatory) गुणों के कारण होते हैं। जो कि संक्रमण के दौरान श्वसन तंत्र की सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।

(और पढ़े  – श्वसन संबंधी रोग के कारण, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव…)

बाकुची खाने के फायदे कैंसर के लिए – Bakuchi ke fayde Cancer ke liye in Hindi

बाकुची खाने के फायदे कैंसर के लिए – Bakuchi ke fayde Cancer ke liye in Hindi

कैंसर एक गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है जिसका उपचार करने के लिए बावची का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। बाकुची के बीजों में कैंसर रोधी गुण होते हैं।

बावची में में बावाचिनिन (bavachinin), सोरिलिफोलिनिन और सोरेलन (corylifolinin and psoralen) होते हैं। ये घटक ओस्टियोसारकोमा (osteosarcoma) और फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं।

इसके अलावा बवची का प्रयोग फाइब्रोसारकोमा (Fibrosarcoma) और पेट में पानी भरना (ascites) के साथ ही ल्‍यूकेमिया जैसे ट्यूमर को राहत देने में सहायक होता है।

बावची के फायदे रक्‍त शोधन के लिए – Babchi For Blood Purification in Hindi

बावची के फायदे रक्‍त शोधन के लिए – Babchi For Blood Purification in Hindi

मनुष्‍यों को होने वाली अधिकांश स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं रक्‍त में विषाक्‍तता (Blood poisoning) की अधिक मात्रा होने के कारण होती हैं। आप अपने खून को साफ करने के लिए बकुची का उपयोग कर सकते हैं।

बावची एक प्राकृतिक रक्‍त शोधक (blood purifier) है जो अशुद्धियों को दूर करके रक्‍त को डिटॉक्‍स करता है। इसके अलावा बावची खाने के लाभ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और अन्‍य बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं।

आप भी बावची के औषधीय लाभ प्राप्‍त करने के लिए चिकित्‍सक की सलाह के अनुसार इसका उपयोग कर सकते हैं।

बावची बेनिफिट्स फॉर हेयर – Babchi Benefits for Hair in Hindi

बावची बेनिफिट्स फॉर हेयर – Babchi Benefits for Hair in Hindi

बालों से संबंधित समस्‍याओं (Hair problem) को दूर करने के लिए बावची का उपयोग अच्‍छा माना जाता है। यह बालों को मजबूत और चमकदार बनाने में मदद करता है।

बावची बालों की मजबूती और चमक पाने में बहुत मददगार है। यह एक बेहतरीन हेयर टॉनिक है और इसलिए इसका उपयोग बालों के झड़ने, अलोपेसिया अरीटा (Alopecia areata), स्पॉट बाल्डनेस (सर के कुछ हिस्सों में बालों का नहीं होना) जैसे बालों के मुद्दों के उपचार में किया जाता है। यह बालों के रंग और गुणवत्ता में भी सुधार करता है।

(और पढ़े – बालों को सिल्की बनाने के घरेलू उपाय…)

बावची के बीज के फायदे यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए – Babchi seeds Benefits for Sexual Health in Hindi

बावची के बीज के फायदे यौन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए - Babchi seeds Benefits for Sexual Health in Hindi

प्राचीन समय से ही बावची (Babchi) का उपयोग विभिन्‍न औषधियों के निर्माण में व्‍यापक रूप से किया जा रहा है। लेकिन यौन कमजोरी को दूर करने के‍ लिए भी बावची के तेल का प्रयोग किया जा सकता है।

बावची ऑयल इसके बीजों से प्राप्‍त होता है जो कि कामोत्तेजक और टॉनिक (aphrodisiac and tonic) के रूप में कार्य करता है।

यदि आप भी कामेच्‍छा में कमी (low libido) और अन्‍य यौन कमजोरी का अनुभव कर रहे हैं तो किसी अनुभवी व्‍यक्ति की सलाह पद बावची तेल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

बकुची के लाभ रक्‍तस्राव नियंत्रित करे – Benefits of Bakuchi for bleeding in Hindi

  • बबची के फल का उपयोग बवासीर (piles), एनीमिया (anaemia) और अन्‍य रक्‍तस्राव संबंधी बीमारियों को ठीक करने में प्रभावी होता है।
  • इसमें मौजूद पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ अनियंत्रित रक्‍तस्राव को रोकने में सहायक होते हैं। इसके अलावा बावची का इस्‍तेमाल करने पर महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों (menstruation disorders), बांझपन और गर्भाशय रक्‍तस्राव को कम करने में भी सहायक होता है।

बावची चूर्ण के फायदे दांतों के लिए – Babchi Churna for Dental Problems in Hindi

बावची चूर्ण के फायदे दांतों के लिए – Babchi Churna for Dental Problems in Hindi

दांत खराब होने और अन्‍य प्रकार की दांतों संबंधी समस्‍या (Dental Problems) का उपचार करने के लिए बावची एक प्रभावी औषधी है। बकुची चूर्ण का इस्‍तेमाल दांतों की सड़न, दर्द और पायरिया जैसी दंत समस्‍याओं का उत्‍कृष्‍ट उपाय है। यह दांतों की सड़न (tooth decay) को रोकने में सहायक होता है।

कैसे उपयोग करें :

  • बावची की जड़ (Babchi Root) लें और इसे सफेद फिटकरी के साथ पीस लें। इस मिश्रण से प्रतिदिन अपने दांतों को साफ करें।
  • फिटकरी में जीवाणुरोधी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। जिसके कारण यह दांतों और विशेष रूप से मसूड़ों को मजबूत बनाने (gums stronger) और दांतों को सफेद करने में मदद करता है। लेकिन फिटकरी का उपयोग करने के दौरान इस बात का ध्‍यान रखें कि आपको सफेद फिटकरी (white alum) तैयार करनी होगी।
  • इसके लिए आप एक तवा या अन्‍य बर्तन को मध्‍यम आंच में गर्म करें और फिर इसमें फिटकरी को रखें। फिटकरी को तब तक गर्म करें जब तक यह सफेद नहीं हो जाता है।
  • इसके बाद इस फिटकरी को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को आप बवची की जड़ के पाउडर के साथ मिलाकर दंत पाउडर की तरह उपयोग कर सके हैं। यदि आप सामान्‍य फिटकरी का उपयोग करते हैं तो इसके दुष्‍प्रभाव भी हो सकते हैं।

(और पढ़े – दांतों को मजबूत करने के उपाय…)

बावची के फायदे त्‍वचा के लिए – Babchi Benefits for Skin in Hindi

बावची के फायदे त्‍वचा के लिए – Babchi Benefits for Skin in Hindi

त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं (Skin problem) को रोकने के लिए बावची का पौधा बहुत ही फायदेमंद होता है। बकुची प्‍लांट विशेष रूप से कुष्‍ठ रोग के उपचार में मदद करता है।

  • कुष्‍ठ रोग (kushtrog) का उपचार करने के लिए बाकुची के बीज का उपयोग आंतरिक और बाहृ दोनों प्रकार से किया जाता है।
  • रोगी बकुची चूर्ण (Bakuchi Churna) का सेवन कर सकते हैं साथ ही बकुची चूर्ण का पेस्‍ट बनाकर प्रभावित क्षेत्र में लगा सकते हैं।

इसके अलावा बावची के लाभ अन्‍य सभी तरह की त्‍वचा समस्‍याओं के लिए लाभकारी होता है। जिनमें शामिल हैं :

इस प्रकार की समस्‍याओं को दूर करने के लिए आप बवची के तेल (Babchi Oil) का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

बावची का तेल त्‍वचा के प्राकृतिक रंग को बढ़ावा देने और त्‍वचा की संरचना में मेलेनिन पिगमेंट (melanin pigments) को बढ़ाने में भी सहायक होता है।

बावची की खुराक – Babchi Dosage in Hindi

किसी भी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के उपचार के लिए बावची का आंतरिक उपयोग करने से पहले अपने स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकार से संपर्क करें। क्‍योंकि आपकी समस्‍या के अनुसार ही जड़ी बूटियों की खुराक (Dosage) निश्चित किया जा सकता है।

केवल चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत बाकुची का उपयोग करना उचित है। यह सबसे अच्छा है कि ऑनलाइन शोध पर भरोसा न करें और खुराक संबंधी जानकारी के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से मिलें।

आमतौर पर बाबची का उपयोग अन्य जड़ी-बूटियों के साथ किया जाता है। कुछ बेहतरीन संयोजन हैं:

बावची खाने के नुकसान – Babchi Khane ke Nuksan in Hindi

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बावची एक औषधीय जड़ी बूटी (Herb) है जिसके स्‍वास्‍थ्‍य लाभ होते हैं। लेकिन उपयोग करने के तरीके और उपयोग करने वाले व्‍यक्ति की समस्‍या के अनुसार कभी-कभी जड़ी बूटियों के दुष्‍प्रभाव (Side effects) भी हो सकते हैं। बावची का उपयोग करने से हाने वाले कुछ नुकसान इस प्रकार हैं।

  • अधिक मात्रा में बावची का सेवन करने पर मुंह में छाले या त्‍वचा में जलन का अनुभव हो सकता है। ऐसा तब होता है जब किसी व्‍यक्ति को बकुची के बीज से एलर्जी (Allergies) होती है। ऐसी स्थिति में बावची के बीजों का उपयोग करने से बचें। यदि आप शरीर में पानी की कमी का अनुभव कर रहे हैं तब बावची का सेवन न करें।
  • यदि शुद्धिकरण प्रक्रिया के बिना इसका उपयोग किया जाता है तो बकुची में काफी दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह कुछ लोगों में उल्टी और मतली का कारण हो सकती है। बच्चों के लिए भी इसके प्रमुख दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
  • बाकुची के बीज को केवल चिकित्सीय मार्गदर्शन में ही लेना चाहिए, क्योंकि यह बहुत मजबूत दवा है अगर अकेले और गलत खुराक में इसका सेवन किया जाए तो इससे आपको नुकसान भी हो सकता है। इसे केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से अन्य जड़ी बूटियों के मिश्रण में लेना चाहिए।
  • चूंकि यह मजबूत दवा है, अगर बावची पाउडर सीधे त्वचा के लिए विशेष रूप से संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए उपयोग किया जाता है, तो यह कुछ लोगों को फफोले पैदा कर सकती है, इसलिए त्वचा रोगों के मामले में, इसे नियमित रूप से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। बाबची पाउडर को नारियल के तेल और कपूर के साथ मिलाकर त्वचा पर लगाने से फफोले को शांत किया जा सकता है।
  • त्वचा पर बाबची तेल के अतिरिक्त उपयोग से त्वचा का रंग फीका हो सकता है।
  • बाकुची के बीज का पाउडर यकृत रोगों वाले लोगों के लिए निर्धारित नहीं है क्योंकि कुछ रिपोर्टों के आधार पर इसके सेवन से लोगों को हेपेटाइटिस विकसित होता है।

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