Height weight chart for girls in Hindi आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहले उसका वजन मापा जाता है। वजन के हिसाब से ही यह अंदाजा लगाया जाता है कि शिशु स्वस्थ है या नहीं। लेकिन जन्म के समय लड़के और लड़की के वजन और लंबाई दोनों में कुछ अंतर होता है। फिर जैसे जैसे बच्चे का विकास शुरू होता है उसकी वास्तविक लंबाई और वजन पता चलने लगता है। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपकी बेटी की लंबाई और वजन उसके जन्म के किस महीने और किस वर्ष में कितना होना चाहिए तो इस आर्टिकल में हम लड़की के जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के वजन और लंबाई के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
2. लड़की के विकास का चरण – Baby girl development stage in hindi
3. क्या लड़कियों की लंबाई माता पिता की लंबाई पर निर्भर होती है? – Kya girls ki height parents ki height jaisi hoti hai in hindi
4. लड़की की लंबाई क्यों रुक जाती है – ladki ki height kyon ruk jati hai in hindi
5. कैसे जानें की बच्चे का वजन बहुत धीमी गति से बढ़ रहा है – kaise jane ki baby girl ka wajan kam hai in hindi
भारत में बच्चों के स्वस्थ और अस्वस्थ शरीर के बारे में एक बड़ी गलत धारणा है। भारतीय माता-पिता अक्सर अपने बच्चों का गोल मटोल शरीर देखना चाहते हैं और वे इसे ही एक स्वस्थ काया मानते हैं जो कि सच नहीं है। माता पिता प्रारंभिक अवस्था में भारतीय बच्चों के ग्रोथ चार्ट को नहीं देखते हैं। जिसके कारण वे समझ नहीं पाते हैं कि किस महीने में बच्चे की लंबाई और वजन कितना होना चाहिए। इस चार्ट को देखें और अपने बच्चे क सामान्य वजन एवं लंबाई मापें।
आमतौर पर जन्म से लेकर एक माह की लड़की की कम से कम लंबाई 45.6 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 52.7 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा जन्म से लेकर एक महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 2.4 किलो जबकि अधिकतम वजन 4.2 किलो होना सामान्य माना जाता है।
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दो महीने की लड़की की न्यूनतम लंबाई 50 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 57.4 सेंटीमीटर होनी चाहिए। जबकि दो महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 3.2 किलो एवं अधिकतम वजन 5.4 किलो होना चाहिए।
माना जाता है कि तीन महीने लड़की की कम से कम लंबाई 55.8 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 63.8 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा तीन महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 4.6 किलो जबकि अधिकतम वजन 7.4 किलो होना सामान्य होता है।
चार माह की लड़की की कम से कम लंबाई 58.0 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 66.2 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा चार महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 5.1 किलो जबकि अधिकतम वजन 8.1 किलो होना सामान्य माना जाता है।
आमतौर पर पांच महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 59.9 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 68.2 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा पांच महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 5.5 किलो जबकि अधिकतम वजन 8.7 किलो होना सामान्य माना जाता है।
छह महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 61.5 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 70.0 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा छह महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 5.8 किलो जबकि अधिकतम वजन 9.2 किलो होना सामान्य माना जाता है।
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आमतौर पर सात महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 62.9 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 71.6 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा सात महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 6.1 किलो जबकि अधिकतम वजन 9.6 किलो होना सामान्य माना जाता है।
आठ महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 64.3 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 73.2 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा आठ महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 6.3 किलो जबकि अधिकतम वजन 10.0 किलो होना सामान्य माना जाता है।
नौ महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 65.6 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 74.7 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा नौ महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 6.6 किलो जबकि अधिकतम वजन 10.4 किलो होना सामान्य माना जाता है।
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दस महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 66.8 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 76.1 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा दस महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 6.8 किलो जबकि अधिकतम वजन 10.7 किलो होना सामान्य माना जाता है।
ग्यारह महीने की लड़की की कम से कम लंबाई 68.0 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 77.5 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा ग्यारह महीने की लड़की का न्यूनतम वजन 7.0 किलो जबकि अधिकतम वजन 11.0 किलो होना सामान्य माना जाता है।
एक साल की लड़की की कम से कम लंबाई 69.2 सेंटीमीटर जबकि अधिकतम लंबाई 78.9 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसके अलावा एक वर्ष की लड़की का न्यूनतम वजन 7.1 किलो जबकि अधिकतम वजन 11.3 किलो होना सामान्य माना जाता है।
दो साल की लड़की की लंबाई 80.1 सेंटीमीटर, वजन 9.6 किलो, तीन साल की लड़की की लंबाई 87.2 सेंटीमीटर और वजन 11.2 किलोग्राम, चार साल की लड़की की लंबाई 94.5 सेंटीमीटर और वजन 12.9 किलो जबकि पांच साल की लड़की की लंबाई 101.4 सेंटीमीटर एवं वजन 14.5 किलो होना चाहिए।
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माना जाता है कि बच्चों के शरीर यानि वजन और लंबाई में वृद्धि (height growth) चार चरणों में होती है। आइये जानते हैं कि ये चार चरण कौन कौन से हैं।
शिशु के विकास (body development) का पहला चरण एक से तीन महीने के बीच होता है। इस अवस्था के दौरान आपका शिशु विभिन्न चीजों को सीखता है और सोते समय या अपने पेट के बल लेटकर अपनी सुविधाजनक मुद्रा (easy position) को समझता है। इस अवस्था में वह पूरी तरह से मां के दूध पर निर्भर रहता है इसलिए उसका विकास भी इन्हीं महीनों से शुरू होता है।
दूसरा चरण 4 से 6 महीने के बीच का होता है। इस दौरान बच्चे की प्रतिरक्षा (immunity) शुरुआत के महीनों के बजाय कुछ बेहतर हो जाती है और बच्चा पहले से अधिक मां का दूध पीने लगता है। इन्हीं महीनों में बच्चा अपने छोटे हाथों और उंगलियों से चीजें पकड़ने और पहचानने लगता है।
यह चरण 7 से 9 महीनों के बीच का होता है। इस महीने में बच्चा मां के दूध के अलावा गाय का दूध भी पी सकता है। इसका कारण यह है कि बच्चे की इम्यूनिटी (immunity) अब धीरे धीरे मजबूत होने लगती है और उसे दूध के साथ साबुदाना भी दिया जा सकता है। इस चरण में वह अपने से जमीन पर खिसकना (crawling) शुरू कर देता है। अब वह आवाज पहचानकर प्रतिक्रिया भी करने लगता है।
यह 10 से 12 महीनों के बीच का चरण होता है जब बच्चा सभी प्रकार के ठोस खाद्य पदार्थ या तरल खाने के लिए तैयार होता है। अब मां को भी ज्यादा परेशानी नहीं होती है और दूध के अलावा उसके पास दूसरा भी विकल्प मौजूद होता है।
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डॉक्टर मानते हैं कि आनुवांशिकी एक महत्वपूर्ण कारक है जो किसी भी बच्चे की लंबाई को प्रभावित करता है। लेकिन हमेशा यह जरूरी नहीं है कि बच्चे का कद माता पिता के कद के अनुसार ही बढ़े। कई मामलों में परिवार के एक या कुछ सदस्यों की शारीरिक वृद्धि खराब हो जाती है जिसके कारण बच्चे की लंबाई पर जन्म से ही इसका प्रभाव पड़ने लगता है। लेकिन बच्चे के आहार में परिवर्तन, ग्रोथ हार्मोन (growth hormone) और उपचार, छोटी उम्र से ही खेल गतिविधियों में भाग लेना और बच्चे को बढ़ती उम्र के अनुसार पोषण युक्त डाइट (nutritional food) देकर उसके विकास में सुधार किया जा सकता है जिससे कि उसकी लंबाई और वजन एक संतुलित और बेहतर अवस्था में हो सकता है। अक्सर देखा जाता है कि लड़कियों को मासिक धर्म (mahwari) शुरू होने के बाद उनकी लंबाई रूक जाती है।
इसलिए प्रत्येक माता पिता को चाहिए कि बचपन से ही लड़कियों की डाइट पर विशेष ध्यान दें ताकि इनकी लंबाई दबने (suppress) न पाये।
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आमतौर पर हर स्थान का वातावरण और जीवनशैली अलग अलग होती है। भारत के कुछ हिस्सों में लड़कियां बहुत लंबी और स्वस्थ होती हैं जबकि कुछ हिस्सों में लड़कियों की लंबाई ज्यादा नहीं बढ़ पाती है और वो कमजोरी का भी शिकार हो जाती है। लड़कियों की लंबाई न बढ़ पाने के पीछे कई कारण होते हैं।
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शिशु के वजन में अचानक वृद्धि या कमी सामान्य है। शिशुओं में धीमी गति से वजन बढ़ने का पता निम्न संकेतों से लगाया जा सकता है:
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आमतौर पर बाल चिकित्सा विशेषज्ञ या एंडोक्रिनोलॉजिस्ट बच्चे के जन्म के बाद के शुरूआती कुछ वर्षों के विकास के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। इसका कारण यह है कि 0 से 18 वर्ष की आयु होने तक हर साल बच्चे की लंबाई और वजन बदलता रहता है लेकिन बच्चे के विकास की गति उसकी सामान्य या असामान्य वृद्धि का फैसला करता है।
बच्चे की लंबाई रुकने पर डॉक्टर निम्न टेस्ट कराने की सलाह देते हैं और फिर उसी के आधार पर उपचार बताते हैं।
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