कभी आपने सोचा है माता-पिता के लड़ाई झगड़े का बच्चे पर क्या असर पड़ता है। ज्यादातर अभिभावक बच्चों के सामने झगड़ते समय ये जरा भी नहीं सोचते, कि इससे उनके बच्चे को कितना नुकसान पहुंचता है। पति-पत्नी के बीच हल्की नोकझोंक जब बढ़कर झगड़े का रूप ले ले, तो उनकी इस लड़ाई का शिकार सबसे पहले बच्चे बनते हैं। लेकिन बता दें, कि बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए घर का माहौल सही होना बहुत जरूरी है। साथ ही अपने पैरेंट्स से अच्छी बॉन्डिंग होना भी उतनी ही जरूरी है। लेकिन यदि आप दोनों के बीच अक्सर लड़ाई झगड़े होते रहते हैं तो जाने पार्टनर से लड़ाई होने पर क्या करें, कि बच्चे पर उसका मानसिक असर न हो।
सन् 2012 में अमेरिकन जर्नल चाइल्ड डवलपमेंट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, जो बच्चे चार से पांच साल की उम्र से ही पैरेंट्स के बीच झगड़ा देखते हैं, उनमें शॉर्ट टर्म प्रभाव तो पड़ते ही हैं, लेकिन लांग टर्म प्रभाव उससे भी ज्यादा खतरनाक होते हैं। बड़े और थोड़े समझदार होने पर ऐसे बच्चों में एन्जाइटी (चिंता), डिप्रेशन और बिहेवरियल इश्यू सामने आने लगते हैं। इतना ही नहीं, लड़ाई और कलह वाले परिवारों से आने वाले बच्चों के सीखने समझने की क्षमता अन्य बच्चों की तुलना में कम होती है। जिसका मुख्य कारण, उनके मन में हमेशा माता-पिता के झगड़े को लेकर चलने वाली बातें होती है, जिसके अलग वे हटकर कुछ सोच नहीं पाते और इमोशनली डिस्टर्ब हो जाते हैं।
तो चलिए, आज के इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं, कि माता-पिता के झगड़े का बच्चों पर क्या असर पड़ता है और इससे बचने के लिए पैरेंट्स क्या कर सकते हैं।
विषय सूची
- माता-पिता के झगड़े का बच्चों पर असर – How parental fight affects children in Hindi
- अभिभावकों के बीच लड़ाई झगड़े का सकारात्मक असर भी – The fight between the parents also has a positive effect in Hindi
- बच्चों के सामने झगड़ते समय याद रखें ये 5 नियम – Remember these rules, while fighting in front of children in Hindi
- क्या है पैरेंट्स की जिम्मेदारी – Responsibility of parents in Hindi
- लड़ने झगड़ने वाले माता-पिता के लिए टिप्स – Ladai karne wale parents ke liye tips in Hindi
- पैरेंट्स फाइट से जुड़े कुछ सवाल और जवाब – Question and answer related to parental fight in Hindi
विषय सूची
माता-पिता के झगड़े का बच्चों पर असर – How parental fight affects children in Hindi
कई रिसर्च में यह बात सामने आई है, कि अभिभावकों के आपसी झगड़े से केवल बड़े बच्चे या टीनएजर ही नहीं, बल्कि छह महीने तक के बच्चों पर भी ऐसी बातों का गलत प्रभाव पड़ता है। नीचे जानते हैं, पैरेंट्स के आपसी झगड़े का बच्चों पर किस-किस तरह से असर पड़ता है।
डिप्रेशन में आना
माता-पिता के अक्सर झगड़ा करने के कारण बच्चे डिप्रेशन में आ जाते हैं। जो बच्चे शुरू से ही झगड़ालू पैरेंट्स के बीच पल-बढ़े होते हैं, उनके साथ ज्यादातर यह स्थिति बनती है। लड़ाई झगड़े की वजह से उन्हें खुशनुमा माहौल नहीं मिलता और उनकी खुशियां पूरी तरह से छिन जाती हैं। बच्चों को प्यार की जरूरत होती है, लेकिन जब उनके अपने माता-पिता से हमेशा लड़ाई झगड़ा ही मिलता है, तो कुछ समय बाद वह अवसाद का शिकार हो ही जाते हैं। (और पढ़े – अवसाद (डिप्रेशन) क्या है, कारण, लक्षण, निदान, और उपचार…)
इज्जत न करना
जो बच्चे शुरू से ही माता-पिता के बीच झगड़ा देखते आए हों, कुछ समय बाद वे उनकी इज्जत नहीं करते। उनका मन अपने माता-पिता के प्रति खट्टा हो जाता है। जिस उम्र पर आकर उन्हें पैरेंट्स का प्यार चाहिए होता है, बदले में दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा मिलता है, तो बच्चा उनका सम्मान करना बंद कर देता है। ऐसे बच्चे बहुत जल्दी पैरेंट्स से दूर जाने की सोचने लगते हैं।
डर में जीते हैं
बच्चों के समय लड़ते हुए और गाली-गलौच करते हुए पैरेंट्स भूल जाते हैं, कि इन सबका असर उनके बच्चे पर क्या होगा। लेकिन ये सच है, कि जो पैरेंट्स बच्चों के सामने चिल्ला -चिल्ला कर बात करते हैं, एक दूसरे के लिए अपशब्द कहते हैं, ऐसे में उनके बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। वह डर में जीने लगते हैं।
मानसिक परेशानी
माता-पिता की गलतियों की सजा अक्सर बच्चों को ही भुगतनी पड़ती है। बचपन से ही तंग माहौल में रहने से बच्चा मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। उसका दिमाग कमजोर हो जाता है। उनका बचपन चिंता और रोते- धोते ही निकलता है। पैरेंट्स के बीच लड़ाई झगड़े ज्यादा हों, तो ऐसे बच्चे पढ़ाई में बहुत कमजोर भी हो जाते हैं। (और पढ़े – बच्चे को स्मार्ट और इंटेलीजेंट कैसे बनाएं…)
संस्कारों में कमी आना
झगड़े वाले माहौल में रहने से बच्चों के संस्कारों में कमी आने लगती है। ऐसे बच्चे बहुत जल्दी गलत शब्द, गाली गलौच सीख जाते हैं। जब वे देखते हैं, कि उनके माता-पिता एक दूसरे का सम्मान नहीं करते, तो वे भी औरों से इज्जत से पेश नहीं आते। काफी हद तक ऐसे बच्चों का ये रवैया उनके घर के तनावपूर्ण माहौल को दर्शाता है।
बॉन्डिंग अच्छी नहीं होती
जिस घर में आए दिन पैरेंट्स के बीच झगड़ा होता है, ऐसे में पैरेंट्स की उनके बच्चों के साथ बॉन्डिंग बेहतर नहीं हो पाती। ऐसे बच्चे जब घर से बाहर अपने दोस्तों के साथ उनके पैरेंट्स की बॉन्डिंग देखते हैं, तो उन्हें ये बात बहुत परेशान करती है। न केवल अपने माता-पिता को, बल्कि खुद को भी वे हीनभावना की नजरों से देखने लगते हैं।
बचपन की मस्ती खो जाना
जिन बच्चों के घर में हमेशा कलह मची रहती है, उन बच्चों का बचपन कहीं खो जाता है। बचपन में होने वाली मस्ती से ये बच्चे दूर रहकर अपने आसपास बस झगड़े ही देखते हैं। कई बार उन्हें वो चीजें भी नहीं मिल पातीं, जो दूसरे बच्चों को अपने पैरेंट्स से मिल जाती हैं।
खुद को दोष देना
जब बात-बात पर झगड़े होने लगते हैं, तो बच्चे खुद को दोष देना शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है, कि सबकुछ उनके कारण ही हो रहा है। बच्चे का खुद को दोष देना इतना घातक हो जाता है, कि इसके कारण कई बार वे घर छोड़कर भी चले जाते हैं। ऐसे में यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है, कि बच्चे के मन में ऐसी-वैसी कोई भावना ना आने दें।
किसी पर भरोसा ना करना
झगड़ालू पैरेंट्स के साथ रहकर बच्चों का भरोसा पूरी तरह टूट जाता है। भविष्य में वे कभी भी किसी भी ट्रस्ट नहीं कर पाते। भले ही कोई उनके लिए कितना भी कुछ क्यों न कर दे, उन्हें उन लोगों में फरेब और धोखा ही नजर आता है।
गुस्सैल बन जाना
हमेशा झगड़ने वाले अभिभावकों की परवरिश में बच्चा अगर गुस्सैल किस्म का बन जाता है। उसे बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। कोई कितने भी प्यार से क्यों न बात करे, वह ठीक से जवाब नहीं देता। उसके इस रवैए के कारण वह अपने जीवन में कई रिश्ते, दोस्तों और मौकों को खो बैठता है। (और पढ़े – जिद्दी बच्चों को ठीक करने के उपाय…)
झगड़ालू बनते हैं बच्चे
लोग सच ही कहते हैं कि, घर का माहौल जैसा हो, बच्चा भी वैसा ही बनता है। अक्सर परिवारों में अभिभावकों के बीच होने वाली कलह, ब्रेकडाउन बच्चों पर गलत असर डालते हैं। माता-पिता को हर समय लड़ते-झगड़ते देखना, दोनों के बीच बात-बात पर बहस होना, अलगाव होना, बच्चों के झगड़ालू हाने का कारण बनते हैं।
समय से पहले बड़े होना
जिन बच्चों ने अपने परिवार में पैरेंट्स के बीच हमेशा मनमुटाव और झगड़ा देखा, हो वो बच्चे समय से पहले बड़े हो जाते हैं। माता-पिता के मतभेदों और झगड़ों का असर उनके बच्चे पर पड़ता है। यह सब देखकर बहुत कम उम्र में बहुत सारी बातें समझ जाते हैं। लेकिन समय से पहले इनका बड़ा होना कहीं न कहीं इनका बचपन इनसे छीन लेता है। (और पढ़े – लड़कियों में किशोरावस्था (टीनएज) में दिखने लगते हैं ये लक्षण…)
किसी ने उम्मीद न करना
बच्चा हर चीज के लिए अपने माता-पिता से उम्मीद करता है, लेकिन जब दोनों की ही आपस में कभी बनती न हो, तो बच्चे निराश हो जाते हैं और उनकी उम्मीद टूट जाती हैं। बच्चे हमेशा अपने पैरेंट्स के बीच प्यार और सम्मान देखना चाहते हैं, लेकिन जब घर में झगड़ा देखते हैं, तो उनकी उम्मीद टूट जाती है। ऐसे बच्चे जीवन में कभी किसी से उम्मीद नहीं लगाते, लेकिन यह स्थिति ऐसे बच्चों को जीवन में बहुत कुछ अच्छा व बड़ा करने का मौका देती है।
सफल न हो पाना
कहते हैं ना कि बच्चों का हर छोटी-बड़ी सफलता के बीच माता-पिता का सपोर्ट होता है। लेकिन जिस घर में पैरेंट्स बस हमेशा झगड़ते ही रहते हों, वहां बच्चों को उनका सपोर्ट तो क्या, भविष्य के लिए गाइडेंस भी अच्छे से नहीं मिल पाती। इसलिए ऐसे बच्चे अपने करियर और जीवन में बहुत कम सफल हो पाते हैं। कुल मिलाकर पैरेंट्स की एक गलती उनके बच्चे का पूरा जीवन खराब कर देती है।
प्यार न कर पाना
जिन बच्चों के अभिभावकों के बीच कभी प्यार न हो, ऐसे बच्चे प्यार का मतलब कभी नहीं समझ पाते। एक समय बाद उन्हें प्यार से नफरत हो जाती है और वे अपने जीवन में कभी किसी से प्यार नहीं कर पाते। कोई अगर उन्हें दिल से चाहे भी, तो उन्हें यही लगता है कि सब धोखा है।
(और पढ़े – जानें माता-पिता की वह आदतें जो बच्चों को सफल होने से रोकतीं हैं…)
अभिभावकों के बीच लड़ाई झगड़े का सकारात्मक असर भी – The fight between the parents also has a positive effect in Hindi
कुछ बच्चों का बचपन उनके माता-पिता के बीच झगड़े देखकर ही बीतता है। ऐसे बच्चों के लिए ये उनके बचपन की खराब यादें बन जाती है और ये इनसे सबक लेते हैं। अपने झगड़ालू माता-पिता को देखकर वह सबक लेते हैं, कि उन्हें एक अच्छा अभिभावक बनना है। वह अपने बच्चों को अपने जैसा बचपन नहीं देंगे। तो ये जरूरी नहीं, कि पैरेंट्स की लड़ाई का बच्चे पर हर बार नकारात्मक असर ही पड़े, बल्कि कुछ बच्चों पर इसका सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।
(और पढ़े – माता-पिता से अपने रिश्तों को बेहतर कैसे बनाएं…)
बच्चों के सामने झगड़ते समय याद रखें ये 5 नियम – Remember these rules, while fighting in front of children in Hindi
शादीशुदा ज़िंदगी में चाहे कितना भी बचकर चलें, पति-पत्नी के बीच तकरार, असहमति और झगड़े तोते ही हैं। अगर आप अक्सर बच्चों के सामने ही झगड़ने लगते हैं, तो आपको कुछ नियम तय करने होंगे। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही नियमों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें आपको फॉलो करना चाहिए।
पैरेंट्स को हमेशा एकसाथ होना चाहिए
एक रिश्ते और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जो सबसे ज्यादा मायने रखता है, वह है आपका एकसाथ एकजुट होकर रहना। अगर बच्चा अक्सर देखता है, कि उसके माता-पिता एकजुट नहीं रहते हैं, तो बच्चा इसे नोट करेगा और हो सकता है, कि आगे चलकर वह कभी आप दोनों की इस कमजोरी का फायदा भी उठाए।
एकदूसरे को गलत न समझें
पैरेंट्स का एकदूसरे के प्रति रवैया उनके बच्चे पर बहुत असर डालता है। आपके बच्चे आपके इस व्यावहार से काफी प्रभावित होते हैं। इसलिए लड़ाई झगड़ा करते समय भी एक दूसरे को गलत न कहें। अपना पक्ष रखें और पार्टनर का पक्ष भी सुनें। आप क्या सोचते हैं और आपका साथी क्या सोचता है, ये जरूर जानें। इससे बच्चों पर आपकी लड़ाई का असर इतना ज्यादा नहीं पड़ता। (और पढ़े – शादीशुदा ज़िंदगी में एक अच्छा सुनने वाला कैसे बनें)
गलत शब्द न चुनें
आपसी मनमुटाव और लड़ाई झगड़ा होने पर बच्चों के सामने एकदूसरे के लिए गलत शब्द न बोलें। आपके द्वारा कहा गया एक गलत शब्द उनके मन में आपके प्रति सम्मान को खो देगा। आगे से वह भी आपकी इज्जत नहीं करेंगे। फिर आप चाहें, उन्हें कितना भी डांट डपट क्यों न लें, उन्हें लगेगा कि जब आपकी और आपके साथी की आपस में तो बनती नहीं, गाली गलौच देकर बात करते हैं, तो वे उससे क्या उम्मीद रख रहे हैं। बच्चा जब आपसे ऐसा कहेगा, तो यकीन मानिए बहुत दुख होगा। इसलिए लड़ते झगड़ते समय शब्दों का चयन जरा सोच समझकर करिए।
एकदूसरे के प्रति सहमति जताएं
आप भले ही कितने भी झगड़ालू पति-पत्नी हों, लेकिन बच्चों के सामने एकदूसरे के प्रति अपनी असहमति न जताएं। अगर आप हमेशा एकदूसरे से असहमत होते हैं, तो बच्चे को समझ आ जाएगा, कि उससे अभिभावक का एक मत नहीं है और वह खुद भी संशय में पड़ जाएगा, कि वह किसके फैसले को माने और किसके नहीं। इसलिए हमेशा अपने बच्चे को कंफर्टेबल फील कराएं और उसे बताएं, कि उनसे जुड़े मामलों में आप दोनों हमेशा उसके साथ हैं।
(और पढ़े – पति पत्नी के बीच झगड़े खत्म करने के उपाय…)
क्या है पैरेंट्स की जिम्मेदारी – Responsibility of parents in Hindi
पैरेंट्स होने के नाते आपकी जिम्मेदारी बनती है, कि बच्चों को इस दुनिया में कुछ करने लायक बनाएं। बच्चों के पहले टीचर और आदर्श उनके पैरेंट्स ही होते हैं। आपको देखकर ही वे दुनियादारी को समझने वाले हैं। इसलिए, बच्चों के सामने लड़ने झगड़ने से बचें और उनके लिए एक आदर्श बनें। तो यहां हम आपको बता रहे हैं, कि बतौर पैरेंट्स आपकी जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए।
- एकदूसरे को गाली देना, चिल्लाना बच्चे को असुरक्षित महसूस करा सकता है। इसलिए अपने झगड़े हो हैंडल करना सीखें। इससे बच्चा भी झगड़ा सुलझाने की कला सीख पाएगा।
- अपने पार्टनर की बात को प्राथमिकता दें, इससे बच्चे भी ऐसा व्यवहार आपसे सीख पाएंगे।
- कभी गलती से बच्चे के सामने झगड़ा हो भी जाए, तो बाद में उसे बताएं कि बस छोटी सी बात थी, अब सबकुछ ठीक है।
(और पढ़े – किशोरावस्था की शुरुआत और पैरेंट्स की ज़िम्मेदारियाँ…)
लड़ने झगड़ने वाले माता-पिता के लिए टिप्स – Ladai karne wale parents ke liye tips in Hindi
अक्सर लड़ने झगड़ने वाले माता-पिता के लिए हम यहां कुछ टिप्स दे रहे हैं। वे इन्हें फॉलो कर अपने बच्चों को इससे प्रभावित होने से रोक सकते हैं।
- हर बच्चे पर अपने माता-पिता के बीच होने वाले झगड़े का बुरा असर पड़ता है। उनके तर्क उन्हें बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए हर पैरेंट्स को बच्चों के सामने लड़ने झगड़ने से पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए।
- कभी-कभी बहस करना या एकदूसरे के प्रति असहमति जताना असामान्य है। इस दौरान बच्चे भी समझदारी से चीजों को हल करने की कोशिश करते हैं। इसलिए बहस अच्छी है, लेकिन झगड़ा नहीं।
- हर अभिभावक को सफलतापूवर्क तर्क सुलझाना आना चाहिए। वास्तव में जिस घर में पैरेंट्स ऐसा करते हैं, वहां बच्चे महत्वपूर्ण सकारात्मक सबक सीख सकते हैं।
- माता-पिता को यह समझना होगा, कि उनके रिश्ते बच्चों को कैसे प्रभावित करते हैं। क्योंकि पैरेंट्स ही बच्चों के लिए स्वस्थ माहौल, स्वस्थ मंच के साथ स्वस्थ परिवार का निर्माण करते हैं।
(और पढ़े – अगर बच्चों को बनाना है कामयाब तो इन चीजें को करें फॉलो…)
पैरेंट्स फाइट से जुड़े कुछ सवाल और जवाब – Question and answer related to parental fight in Hindi
एक बच्चे के मन में क्या चलता है, जब उसके माता-पिता लड़ते हैं – How do kids feel when their parents fight in Hindi
निश्चित तौर पर कोई नहीं जानता। लेकिन एक बात है, जो पूरे विश्वास के साथ कही जाती है, कि वे अच्छा महसूस नहीं करते। जब माता-पिता बच्चों के सामने लड़ते-झगड़ते हैं, लेकिन बाद में अच्छे से रहने लगे, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि, लड़ाई को देखकर उनके मन में गलत भावना घर कर जाती है। वह आपके जीवन में खुद को हमेशा असुरक्षित और आवांछित महसूस करेगा।
जब माता-पिता लड़ते हैं, तो इसका क्या मतलब होता है? – What Does It Mean When Parents Fight in Hindi
लड़ाई झगड़े वाले माहौल में रहने वाले बच्चे अक्सर ऐसा साचेते हैं, कि जब उनके अभिभावक लड़ते हैं, तो इसका क्या मतलब होता है। वे निष्कर्ष पर जाते हैं और सोचते हैं, कि अब उनके पैरेंट्स के बीच में पहले जैसा प्यार नहीं रहा। वे सोचने लगते हैं, कि दोनों अब तलाक ले लेंगे। लेकिन माता-पिता की लड़ाई का आमतौर पर ये मतलब बिल्कुल भी नहीं होता, कि वे एकदूसरे से प्यार नहीं करते या फिर तलाक ले लेंगे। बच्चों की ही तरह, जब माता-पिता थक जाते हैं, तो वे चिल्लाते हैं, गुस्सा करते हैं। कई बार वो बातें भी बोल जाते हैं, जिनका वास्तव में कोई मतलब नहीं है। कुल मिलाकर अपना आपा खो बैठते हैं। कई बार वे अपनी नौकरी और पारिवारिक तनाव के कारण भी एक दूसरे से झगड़ते हैं, लेकिन उनके बीच प्यार हमेशा बना रहता है।
जब माता-पिता लड़ें, तो क्या करें – What to Do When Parents Fight in Hindi
ये बड़ा महत्वपूर्ण सवाल है, जो ज्यादातर पैरेंट्स पूछते हैं। बच्चों के सामने माता-पिता का झगड़ना उन पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए याद रखें, कि जब भी माता-पिता बहस कर रहे हों तो बच्चों को इस बहस से दूर रहना चाहिए। कोशिश करें, कि उस जगह से हटकर कहीं बाहर चले जाएं। खुद को किसी भी एक्टिविटी में व्यस्त रखें, जब तक की मामला सुलझ न जाए। लड़ाई झगड़े के बीच रेफरी बनना बच्चों का काम नहीं है। उन्हें इन सबसे दूर रहना चाहिए।
(और पढ़े – बिना हाथ उठाए, बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं…)
जब माता-पिता की लड़ाई बढ़ जाए – When parents’ fighting goes too far in Hindi
जब माता-पिता बहस करते हैं, चिल्लाते हैं, एकदूसरे को नाम से बुलाते हैं और बहुत सी निर्दयी बातें भी कहते हैं, तो समझिए कि झगड़ा बढ़ गया है। इस दौरान एक दसूरे के बीच हाथ उठाना, चीजें फैंकना, धक्का देना आदि बातें हो सकती हैं। जब माता-पिता के झगड़े मौखिक न होकर शारीरिक हो जाएं, तो उन्हें अपनी भावनाओं को निंयत्रण में रखना सीखना चाहिए। ऐसे बच्चे, जो परिवारों में रहते हैं, जहां माता-पिता के बीच की लड़ाई बहुत दूर तक चली जाए, तो ऐसे में बच्चे किसी करीबी रिश्तेदार, शिक्षक, स्कूल काउंसलर या किसी व्यस्क से बात कर सकते हैं, जिस पर वे ज्यादा भरोसा करते हैं।
अभिभावकों के लड़ाई -झगड़ा करते वक्त किसी को चोट लगे, तो क्या करें? – What to do if someone gets hurt while fighting parents in Hindi
हर वक्त लड़ने वाले माता-पिता कभी-कभी नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं और एकदूसरे को चोट पहुंचाते हैं। ऐसे में बच्चों को भी चोट पहुंच सकती है। यदि, ऐसा होता है, तो बच्चे ये बात घर के किसी सदस्य को बता सकते हैं, ताकि उन लोगों को चोट पहुंचने वाले तरीके से बचाया जा सके।
क्या माता-पिता के लिए कभी-कभी बहस करना ठीक है – Is it okay for parents to argue sometimes in Hindi
माता-पिता अलग-अलग कारणों से लड़ते हैं। कभी वर्क प्रेशर कारण, तो कभी अच्छा न महसूस करने पर। बच्चों की ही तरह जब माता-पिता खुद में अच्छा फील नहीं करते, तो वह परेशान हो जाते हैं, ऐसे में एकदूसरे से बहस करने की संभावना हो सकती है। बहस के ज्यादातर मामलों में तर्क जल्दी खत्म हो जाते हैं। वे एकदूसरे से मांफी मांगते हैं और सबकुछ पहले की तरह बेहतर हो जाता है।
बच्चे माता-पिता को अपना आदर्श मानते हैं, लेकिन जब वे ही उनके सामने झगड़ते हैं, तो बच्चों का विश्वास कमजोर पड़ जाता है और उन पर अलग-अलग तरह का प्रभाव पड़ता है। कई बार, तो ये प्रभाव नकारात्मक ही होते हैं, लेकिन हालातों से सबक लेते हुए कुछ बच्चों में सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। बच्चों को ऐसी स्थितियों से गुजरने की नौबत ही ना आए, इसके लिए पैरेंट्स को बच्चों के सामने लड़ाई करने से बचना चाहिए। कभी भूलवश ऐसा हो भी जाए, तो बच्चे को आश्वस्त कराएं, कि कुछ नहीं हुआ है, सबकुछ ठीक है।
(और पढ़े – एक अच्छे पिता कैसे बने, जाने एसे लक्षण जो एक बढ़िया पिता बनाते हैं…)
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