बच्चो की देखभाल

बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं, बच्चों को बोलना कैसे सिखाएं – How to teach your baby to talk in Hindi

जन्म के बाद बच्चे की बोली और आवाज सुनना हर किसी को अच्छा लगता है। लेकिन कुछ बच्चे जल्दी नहीं बोलते, ऐसे में उनका जल्दी न बोलना माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। कुछ बच्चे छह महीने से ही बड़बड़ाना और अलग-अलग तरह की आवाजें निकालना शुरू कर देते हैं, लेकिन बावजूद इसके उम्र बढ़ने के साथ वे बोल नहीं पाते। ऐसे में हर माता-पिता को बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए और उसे बोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इस लेख में आप जानेगें बच्चा कब बोलना शुरू करता है, बच्चों के बोलने की सही उम्र क्या है, बच्चे को देर से बोलने का कारण एवं उपाय और इस दौरान आप उसकी कैसे मदद कर सकती हैं।

बच्चे के जन्म लेने के बाद उसकी एक आवाज भी मन को खुश कर देती है। आमतौर पर बच्चा जब 9 महीने का होता है, तो वह अपनी तोतली आवाज में बात करना शुरू कर देता है। लेकिन हर बच्चा एक जैसा नहीं होता।

कुछ बच्चे जल्दी नहीं बोल पाते। हो सकता है, कि उन्हें बोलना सीखने में एक साल से ज्यादा का वक्त भी लग जाए। इस दौरान वे अपनी बातों को सिर्फ इशारों के जरिए कहते हैं। एक निश्चित उम्र होने के बाद भी बच्चा बोलना ना सीखे, तो माता-पिता का चिंतित होना जाहिर है।

विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ बच्चे जल्दी, तो कुछ देर से बोलते हैं। इसलिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है। कुछ बच्चों का विकास धीमा होता है, इसलिए वह लेट बोलना शुरू करते हैं। ऐसे में कई पैरेंट्स जानना चाहते हैं, कि बच्चा किस उम्र में बोलना सीखते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे को जल्दी बोलना सिखाना चाहते हैं, तो हमारा ये आर्टिकल जरूर पढ़ें। इसमें हम आपको ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं, जिससे आपके लिए बच्चे को बोलना सिखाना काफी आसान हो जाएगा।

बच्चों के देर से बोलने के कारण – Bache ke deri se bolne ke karan in Hindi

अगर बच्चा देर से बोले, तो इसके कई कारण होते हैं। यहां हम आपको बच्चे के जल्दी न बोलने के पीछे के कारण बता रहे हैं।

बच्चे का देर से बोलने का कारण अनुवांशिकता- बच्चे के लेट बोलने के पीछे सबसे बड़ा कारण है अनुवांशिकता। यानि की बच्चे के पैरेंट्स ने भी देर से बोलना शुरू किया हो, तो पूरी संभावना है कि बच्चा भी लेट बोलना शुरू करेगा।

कम्यूनिकेशन की कमी- आज के समय में कम्यूनिकेशन की कमी बच्चे के लेट बोलना का बड़ा कारण है। क्योंकि आजकल पैरेंट्स और बच्चों के बीच कम्यूनिकेशन में कमी आई है। पैरेंट्स के पास इतना समय नहीं है, कि वह अपने बच्चे के साथ बात करें।

टीवी या स्क्रीन टाइम- डॉक्टर्स बच्चों को दो साल तक जीरो स्क्रीन टाइम की सलाह देते हैं, लेकिन समय की कमी और व्यस्तता के कारण पैरेंट्स अक्सर बच्चे को टीवी देखने बैठा देते हैं या हाथ में मोबाईल फोन दे देते हैं। आपको बता दें, कि ऐसा करने से बच्चा अच्छी बातें सीख तो सकता है, लेकिन बोलना कभी नहीं सीख सकता। ऐसे में बच्चे से बातचीत करना बहुत जरूरी है।

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बच्चे के बोलना सीखने में देरी के लक्षण – Symptoms of delay in child’s learning to talk in Hindi

हम यहां बच्चे के देरी से बोलने वाले कुछ लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें जानकर आप जल्द से जल्द उन्हें बोलना सिखा सकते हैं।

  • अगर बच्चा आपकी बातों को अनसुना करे।
  • माता-पिता की आवाज का कोई रिस्पांस न दे।
  • नौ महीने के बाद अगर वह अपना नाम सुनकर भी जवाब न दे।
  • अपनी ही दुनिया में मस्त रहता हो।
  • उसका बोलना किसी को समझ न आए।

दो साल की उम्र में बच्चा जो कहता है, सामने वाला 50 प्रतिशत तक समझ जाता है, तीन साल की उम्र तक 75 प्रतिशत बच्चे की भाषा सामने वाला व्यक्ति समझ सकता है और चार साल की उम्र तक स्पष्ट रूप से उसकी बात समझ आनी चाहिए। अगर आपके बच्चे के साथ यही सब स्थितियां बन रही हैं, तो आपको जल्द से जल्द इसके लिए प्रयास शुरू कर देने चाहिए। फिर भी बच्चा बोलना ना सीखे, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें।

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बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं – Bache kab bolna shuru karte hain in Hindi

वैसे तो बच्चे पैदा होते ही बात करना शुरू कर देते हैं। जैसे भूखा होने पर, गीला होने पर, बेचैनी होने पर बच्चे हर बात रोकर बताते हैं, लेकिन भाषा सीखने के लिए उन्हें एक लंबी प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। बोलने को लेकर हर बच्चे की स्थिति अलग-अलग होती है। कोई बच्चा जल्दी बोलना सीख लेता है, तो कोई देर से बोलना सीखता है। आमतौर पर बच्चे एक साल के होते ही भाषा के जरिए बोलना शुरू कर देते हैं। इस उम्र में वे दो अक्षर वाले शब्द जैसे ममा, पापा, दादा, मामा आदि बोलना शुरू कर देते हैं, जो उनके लिए काफी आसान होते हैं। यहां आप जान सकते हैं कि किस उम्र से बोलना बोलना शुरू करते हैं।

0-3 महीने मे

जन्म से तीन महीने की उम्र तक आपका बच्चा आवाज पहचानना शुरू कर देता है। जानी-पहचानी आवाज बोलने वालों की तरफ देखने लगता है। इस उम्र में उसका तुतलाना भी शुरू हो जाता है और वह बोलने की कोशिश करता है, जो उसके बोलना शुरू करने की निशानी है।

4-6 महीने में

इस उम्र के आसपास आप बच्चे को बड़बड़ाते और गुर्राते हुए सुन सकते हैं। इस समय आपको बच्चे की भाषा बोलने की पहली झलक दिखाई देती है, क्योंकि वह अब जीभ का उपयोग करना सीख रहा है। दिलचस्प बात ये है, कि इस दौरान बच्चे आपसे बात करने के लिए बोलना नहीं सीखते, बल्कि वे अपना मनोरंजन करने और समय बिताने के लिए बात करते हैं। चार से छह या सात महीनों के बीच वह आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए चिल्लाना और खिलौने फेंकना भी शुरू कर देंगे।

7-11 महीने

6 महीने तक के बच्चे स्वर बोलते हैं, लेकिन 7 से 11 महीने के बच्चे व्यंजनों का उपयोग करना शुरू कर देते हैं। वे मुह, दुह और गुह जैसे शब्द बोलने लगेंगे और बाय-बाय कहने के लिए हाथ लहराने लगेंगे। नौ महीने बाद बच्चे अपना पहला शब्द बोलना शुरू कर देते हैं।

12-18 महीने

12 महीने का हो जाने पर बच्चा अपना पहला शब्द मम्मा, पापा, दादा कहना सीख जाता है। 18 महीने तक आपकी कही हुई बात को समझने की क्षमता उसमें आ जाती है इस दौरान वह कम से कम 20 से 100 शब्द समझने लायक हो जाता है। इनमें उनके शरीर के कुछ नाम भी शामिल हो सकते हैं।

24 महीने से ऊपर

24 महीने यानि दो साल के बच्चे को 200 से ज्यादा शब्द की जानकारी हो जाती है। इस दौरान वह सुने हुए शब्दों को दोहराने की कोशिश करता है। जैसे क्या है, कहां है आदि। तीन साल का होने पर बच्चा 800-900 शब्द बोल लेता है। दो से तीन शब्दों में बात करना शुरू कर देता है। इस समय आपकी भी दिलचस्पी उससे बात करने में बढ़ जाती है।

4 वर्ष का बच्चा बोलना सीख लेता है। चार से पांच शब्द जुड़े वाले वाक्यों को सही से बोलने लगता है। वह आपकी बात ध्यान से सुन सकता है और अपनी बात शब्दों के जरिए कह भी सकता है। आप उसे कहानियां सुनाएं या कोई बात करे, उसकी इसमें दिलचस्पी बढ़ने लगती है और ऐसा करने में उसे मजा भी आने लगता है।

स्कूल जाने की उम्र तक बच्चा कई चीजें समझने लगता है। कई चीजों को देखकर ही जल्द से उसका नाम बता देता है। इस उम्र में वह आपसे कई सवाल भी कर सकता है और इन सवालों का जवाब भी देने लगता है। लंबे वाक्य बोलता है और आपसे अच्छे से बात भी करने लगता है। हालांकि, कुछ बच्चे तुतलाकर बात करते हैं, लेकिन चिंता की बात नहीं है। ये एक आम समस्या है,जो जल्दी ही छूट जाती है।

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बच्चे का न बोलना नहीं है चिंता का कारण, अगर बच्चा दे ये इशारे

कई पैरेंट्स अपने बच्चे के न बोलने पर चिंतित हो जाते हैं। उन्हें लगता है, कि उनका बच्चा नॉर्मल नहीं है, या बच्चे को कोई समस्या है, जिस कारण वह बोलना नहीं सीख रहा। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर बच्चा देर से बोले, तो इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि कुछ बच्चे देर से बोलना सीखते हैं। यहां हम आपको ऐसी तीन स्थिति बता रहे हैं। अगर इन तीनों स्थितियों पर आपका जवाब हां है, तो आप टेंशन लेना छोड़ दें। आपका बच्चा जल्द ही बोलना सीख लेगा।

क्या बच्चा चीजों की तरफ इशारा करता है-

सबसे पहले यह देखें, कि क्या आपका बच्चा चीजों की ओर इशारा कर आपसे चीजें मांगता है। अगर ऐसा है, तो आपका बच्चा पूरी तरह से नॉर्मल है और वह जल्दी बोलना सीख लेगा।

क्या वह आपको समझता है-

अगर आप जो बोल रहे हैं, बच्चा समझ रहा है, तो चिंता की बात नहीं है। आपका बच्चा पूरी तरह से सामान्य है। कुछ बच्चे देर से बोलते हैं, लेकिन उनके शब्द एकदम क्लीयर होते हैं।

क्या वह सिर हिलाकर जवाब देता है

तीसरी बात, कि क्या आपका बच्चा आपकी बात का जवाब सिर हिलाकर देता है। अगर ऐसा होता है, तो चिंता मत कीजिए। पूरी संभावना है, कि आपके बच्चे को कोई समस्या नहीं है। बस उसका विकास धीरे-धीरे हो रहा है, इसलिए हो सकता है कि वो थोड़ा देरी से बोलना सीखे।

(और पढ़े – शिशु त्‍वचा की देखभाल के लिए टिप्‍स…)

बच्चों को बोलना सिखाने के उपाय और तरीके – Bacho ko bolna sikhne ke upay in Hindi

बच्चे के बोलने की सही उम्र 9 महीने से एक साल के बीच होती है। लेकिन इस दौरान अगर आपका बच्चा बोल न पाए, तो चिंता करने के बजाए कुछ उपायों को अपनाकर देखें। आपकी मदद के लिए हमने यहां बच्चों को बोलना सिखाने के लिए कुछ आसान से उपाय बताए हैं। अगर आप अपने बच्चे को जल्दी बोलना सिखाना चाहते हैं तो आगे पढ़ते जाइए.

बच्चों को बोलना सिखाने के लिए बच्चे से बात करते रहें

जितना हो सके, अपने बच्चे से बात करें। खाना खिलाते वक्त, नहलाते वक्त, खेल खिलाते वक्त उससे कई तरह के शब्दों का इस्तेमाल करें। इससे वह नए-नए शब्द जल्दी बोलना सीखेगा। उससे बिल्कुल ऐसे बात करें, जैसा कि आप किसी व्यस्क से करते हैं। इस तरह से उनमें बोलने की प्रवृति पैदा होगी। भले ही आपका बच्चा आपके बोलने पर जरा भी ध्यान न दे, लेकिन यकीन मानिए वह आपको सुन रहा है।

बच्चे को बोलना सिखाने के लिए संकेतों की मदद लें

अपने बच्चे से बात करते समय आसपास रखी गई चीजों को संकेतों के रूप में इस्तेमाल करें। जैसे कि अगर आप उसे लंच करा रही हैं, तो कहें – इट्स अ लंच टाइम। बेशक आपका बच्चा इसका मतलब न समझे, लेकिन रोजाना ऐसा करने से वह इतना जरूर समझ जाएगा, कि लंच का मतलब दोपहर का खाना खाने से होता है। इसी तरह चीजों को दिखा-दिखाकर उसके नाम भी बोलें। इससे बहुत जल्दी आपका बच्चा उन शब्दों को बोलना सीख जाएगा।

बच्चे को बोलना कैसे सिखाएं में बच्चे से सवाल करें

आप भी सोच रहे होंगे, कि बच्चे से सवाल कैसे करेंगे। लेकिन यकीन मानिए ये बच्चों को बोलना सिखाने के लिए सबसे आसान तरीका है। बच्चों से हां या ना में जवाब देने वाले प्रश्र कर सकते हैं। जब वह इसका जवाब देने लगे, तो आप उससे ऐसे प्रश्र करें, जिसमें उसे ज्यादा बोलने की जरूरत पड़े।

शिशु की प्रतिक्रिया का इंतजार करें

जब आप बच्चे से बात करते हैं, तो शिशु किसी न किसी तरह अपनी प्रतिक्रिया जरूर व्यक्त करते हैं। इसलिए हमेशा अपनी बात कहने के बाद थोड़ा रूकें और देखें कि बच्चा क्या प्रतिक्रिया दे रहा है। हो सकता है, कि आपके शिशु को कुछ भी समझ न आए, लेकिन वो आपकी आवाज को पहनाकर प्रतिक्रिया देना जरूर सीख लेगा।

बच्चे को बोलना सिखाने के लिए आईने के सामने बात करें

छह से नौ महीने के बच्चे कुछ-कुछ चीजें समझने लगते हैं। उन्हें आईने के सामने खड़ा करें और पूछें कि ये कौन है। शिशु को बोलना सिखाने के लिए आप उसके शरीर के अंगों की ओर इशारा करते हुए उनका नाम लें।

बच्चों को बोलना सिखाने के लिए शब्दों को दोहराएं

आप जिन शब्दों को अपने बच्चे को सिखाना चाहते हैं, उन शब्दों को बार-बार उसके सामने दोहराएं। यह जरूरी नहीं कि एक बार में ही बच्चा आपका कहा गया शब्द बोलना सीख ले, इसके लिए जरूरी है कि शब्दों को बार-बार बोला जाए। बार-बार एक ही शब्द को सुनकर बच्चे इन्हें याद कर लेते हैं।

उसे अन्य बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें

बच्चे हम उम्र बच्चों के साथ खेलकर ज्यादा जल्दी बोलना सीखते हैं। इसलिए उन्हें दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें अन्य बच्चों से बात करने के लिए कहें। इस तरह से एक दूसरे को देखकर बच्चे जल्दी बोलना सीखेंगे।

बच्चे को बोलना सिखाने के लिए बच्चे को लोरी सुनाए

बच्चों को लोरी बहुत पसंद होती है। आप बच्चे को जल्दी बोलना सिखाना चाहते हैं, तो उसके लिए लोरी या फिर गाने गाएं। इससे बच्चा नए-नए शब्द बोलना सीखेगा और उसे मजा आएगा। मां की तेज आवाज सुनने से शिशु में भाषा की समझ बढ़ती है। अक्सर लोरी के शब्दों को सुनकर शिशु कई नई चीजें जानने लगता है।

बच्चों को बोलना सिखाने के लिए बच्चे के शब्दों को समझें

कई बार पैरेंट्स बच्चों की बात नहीं समझ पाते, ऐसी स्थिति में सबसे पहले बच्चों को समझने का प्रयास करें। साथ ही उसके कहें शब्दों को समझकर दोहराएं और उससे पूछें कि वह यही कहना चाह रहा है। बेशक, आपको बच्चे की बात समझ न आए, लेकिन उसकी बात में दिलचस्पी जरूर लें। ऐसा करने से बच्चा आपसे बात करने में सहज महसूस करेगा।

बच्चा नकल से सीखेगा चीजें

छोटे बच्चे वहीं करते हैं, जैसा उनके माता-पिता उनके सामने एक्ट करते हैं। यानि बच्चों को नकल करना बेहद पसंद होता है। इसलिए अपने बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बात करें। इससे वह आपकी नकल कर धीरे-धीरे बोलना शुरू कर देंगे।

बच्चों के सामने बातचीत करें

नियमित रूप से डिनर टाइम में टेबल पर बच्चों के सामने बातचीत करने से बच्चे को बोलना सिखाने में बहुत मदद मिल सकती है। इसलिए जब एकसाथ सब खाना खाने के लिए बैठें, तो बच्चे के सामने अपनी बातचीत जारी रखे। ताकि वह कुछ शब्दों को बोलने की कोशिश कर सके और उसे भाषा का ज्ञान हो सके।

(और पढ़े – बच्चे को स्मार्ट और इंटेलीजेंट कैसे बनाएं…)

बच्चे को बोलना सिखाने के आसान ट्रिक्स – Bachcho ko bolna sikhane ke tarike in Hindi

पहला ट्रिक- पहला ट्रिक यह है कि, एक डिब्बा लें और उसमें उसका फेवरेट खिलौना डाल दें और उस डिब्बे को टाइट बंद कर दें। जब बच्चा इसे खोलने की कोशिश करेगा, तो उससे यह नहीं खुलेगा और वह आपके पास आएगा और डिब्बे को खोलने का इशारा करेगा। डिब्बा खोलने से पहले उससे कहें कि वह पहले बोलें…ओपन। इसके बाद ही डिब्बा खोलेंगे। चूंकि उसे उसका खिलौना चाहिए, तो वह ओपन शब्द जरूर बोलेगा।

दूसरी ट्रिक- गुब्बारों को ऐसी जगह रख दें, जहां उसे गुब्बारे दिखाई तो दें, लेकिन उन तक पहुंच न सके। उसका हाथ वहां तक नहीं पहुंचेगा, तो वह आपको उसे देने का इशारा करेगा। ऐसे में आप उससे मुझे दो….  बोलने के लिए कहें। गुब्बारे पाने के लिए बच्चा यह शब्द बोलने की कोशिश जरूर करेगा।

तीसरी ट्रिक- आप बच्चे की हर चीज का एक नाम रख दें। चाहे वह उसका टूथब्रश हो, खिलौना हो, खाने की प्लेट हो या कुछ भी। ये तरीके उसकी मदद करेगा सब चीजों को नाम से बुलाने में और ज्यादा से ज्यादा शब्द बोलने में।

चौथी ट्रिक- आप बच्चे के सामने जूस रखिए और उससे पूछिए कि वह क्या पीएगा। तब उसे बोलना ही पड़ेगा जूस। ये सिर्फ उदाहरण हैं, आप ऐसे ही कई चीजें कर सकते हैं, जो आपके बच्चे के बोलने में बहुत मदद करेंगी।

(और पढ़े – जानें माता-पिता की वह आदतें जो बच्चों को सफल होने से रोकतीं हैं…)

बच्चे को जल्दी बोलना सिखाने के लिए टिप्स – Tips to teach child to talk quickly in Hindi

अगर बच्चा जल्दी बोलना शुरू ना करे तो सभी को चिंता हो जाती है। परन्तु देर से बोलना कोई बड़ी बात नहीं है, हर बच्चा एक सामान नहीं होता, कुछ छोटे मोटे बदलाव लाकर आप अपने बच्चे को बोलना सिखा सकते हैं। बच्चे को जल्दी से जल्दी बोलना सिखाने के लिए हम आपको यहां कुछ सुझाव दे रहे हैं, जिन्हें आप चाहें, तो फॉलो कर सकते हैं और नतीजा देख सकते हैं।

बच्चे के साथ काफी देर तक बात करें। यहां बात करने से मतलब है कि उसे कहानियां सुनाएं ताकि उसकी दिलचस्पी बढ़ें और वह सवाल पूछे कि आगे क्या हुआ।

म्यूजिक बच्चों को जल्दी बोलना सिखाने का अच्छा साधन है। कोई भी म्यूजिक जो बच्चे को पसंद है, उसके सामने गुनगुनाएं। आपको सुनकर वो भी आपके साथ गाने की कोशिश करेगा।

बच्चे को बोलना सिखाने के लिए आपको टीवी टाइम कम करना होगा। क्योंकि, बच्चा अगर लंबे समय तक टीवी देख रहा है, तो घर में किसी से बात नहीं करेगा। इसलिए टीवी टाइम कम करें, ताकि उसे ज्यादा लोगों से बात करने का मौका मिले।

अगर आपका बच्चा एक शब्द भी बोले, तो उसे प्रोत्साहित करें। इससे बच्चे में और ज्यादा शब्द बोलने का कॉन्फीडेंस पैदा होगा और वह ज्यादा अच्छे से और जल्दी बोलना सीख सकेगा।

बच्चे को बोलना सिखाना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसके लिए पैरेंट्स को अपनी तरफ से कई प्रयास करने पड़ते हैं। लेकिन बच्चे को बोलना सिखाना कई बार घर के मौहाल पर भी निर्भर करता है। अगर आप एकल परिवार में हैं और बच्चे को बोलना सिखाने के लिए अन्य कोई सदस्य घर में नहीं है, तो हमारे द्वारा दिए गए उपायों को अपनाएं। यदि इसके बाद भी बच्चा बोलना ना सीखे, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें।

(और पढ़े – छोटे बच्चों को पढ़ाने के अनोखे तरीके…)

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