बच्चों के कान में संक्रमण होना उन्हें गंभीर दर्द और बेचेनी दिलाता है। अक्सर हम देखते हैं कि छोटे बच्चे बहुत रोते हैं और अपने कान को पकड़कर खींचते या मरोड़ते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस दौरान उन्हें कान में या कान के आस-पास दर्द होता है। हालांकि छोटे बच्चे के कान बहुत ही संवेदनशील होते हैं। इसलिए इनके कान में होने वाले संक्रमण का इलाज तभी करें जब इस बात की पुष्टि हो कि वे कान के संक्रमण से संक्रमित हैं। आप छोटे बच्चे के कान के संक्रमण को रोकने के लिए घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं। बच्चों के कान दर्द को घरेलू उपचार से भी ठीक किया जा सकता है। आज इस आर्टिकल में आप बच्चे के कान के संक्रमण का घरेलू इलाज और उपचार संबंधी नुस्खे जानेगें।
विषय सूची
1. बच्चे के कान में संक्रमण के लक्षण – Symptoms of child’s ear infection in Hindi
2. बच्चों के कान में संक्रमण घरेलू इलाज – Bachho ke kaan ke sankraman ka gharelu ilaj in Hindi
3. बच्चे के कान में इन्फेक्शन के बचाव – Child’s ear infection prevention in Hindi
4. बच्चे के कान संक्रमण के लिए डॉक्टर कब दिखाएँ – When to call a doctor for a child’s ear infection in Hindi
बच्चों के कान में संक्रमण होने के बहुत से लक्षण होते हैं। हालांकि छोटी उम्र होने के कारण बच्चे स्वयं यह नहीं बता सकते हैं कि उन्हें परेशानी कहां है। लेकिन बच्चों में कान दर्द होने और कान के संक्रमण होने पर कुछ विशेष लक्षण होते हैं जिन्हें देखकर आप समझ सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं :
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छोटी उम्र के बच्चे किसी भी दवा का सेवन आसानी से नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों को एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन कराना आसान नहीं है जिससे उनके कान के संक्रमण का इलाज किया जा सके। ऐसी स्थिति में बच्चे के कान में संक्रमण का घरेलू उपचार किया जा सकता है। आइए जाने छोटी उम्र के बच्चों के कान में संक्रमण और दर्द होने पर किस प्रकार घरेलू उपचार कर सकते हैं।
यदि आपका बच्चा कान दर्द के कारण रो रहा है या अपने कान को नोच रहा है तो यह लक्षण कान में संक्रमण होने के हो सकते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए आप गर्म सिकाई का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप कपड़े की कई तह को मोड़कर उसे गर्म करें और बच्चे के सहने योग्य गर्म होने पर कान की सिकाई करें। इसके अलावा आप इलेक्ट्रानिक हीटिंग पैड का भी उपयोग कर सकते हैं। यह बच्चे के कान में होने वाले दर्द को कम करने में सहायक होता है।
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यदि आपके बच्चे के कान से किसी प्रकार का तरल पदार्थ नहीं निकल रहा है। लेकिन फिर भी बच्चे को कान में दर्द या खुजली हो रही है तब आप हल्के गुनगुने या कमरे के तापमान पर जैतून का तेल या तिल के तेल की कुछ बूंदें बच्चे के कान में डालें। ऐसा करने से कान के अंदर मौजूद संक्रमण और मैल आसानी से बाहर निकल आता है।
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जब बच्चे के कान में संक्रमण होने के दौरान शरीर में पानी की कमी होने की संभावा अधिक रहती है। क्योंकि इस दौरान बच्चे के अधिक रोने से शरीर की ऊर्जा और पानी का अधिक उपयोग कर लिया जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन कराना चाहिए। इसके अलावा तरल पदार्थ को निगलने से यूस्टेशियन ट्यूब को खोलने में मदद मिलती है। जिससे कान के अंदर फंसा हुआ द्रव या मैल बाहर निकल सकता है।
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आप अपने बच्चे के कान में होने वाले संक्रमण का इलाज करने के लिए लहसुन, जैतून तेल, सरसों तेल, तुलसी के रस आदि जैसे आयुर्वेदिक उपायों का उपयोग कर सकते हैं। ये सभी उत्पाद कान की सूजन और दर्द आदि का प्रभावी रूप से इलाज कर सकते हैं। लेकिन किसी को भी डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चे के कान में ना डालें।
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बच्चों या बड़ों के कान में होने वाले संक्रमण को रोका नहीं जा सकता है। लेकिन आप कुछ ऐसे कदम उठा सकते हैं जिनसे आप बच्चों के कान में होने वाले संक्रमणों का बचाव कर सकते हैं। आइए जाने बच्चे के कान में होने वाले संक्रमण से बचाव किस प्रकार किया जा सकता है।
स्तनपान कराना – शोध के अनुसार मां का दूध बच्चे को पर्याप्त पोषण दिलाता है साथ ही यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसलिए हर मां को चाहिए कि वह अपने बच्चे को कम से कम 12 माह तक अवश्य ही अपना दूध पिलाए। मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी आपके बच्चे को कान के संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समसयाओं से बचा सकते हैं।
बच्चे को धुएं से दूर रखें – हर मां को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे का शरीर बहुत ही संवेदनशील होता है। इसलिए उसका शरीर बाहरी पर्यावरण के लिए धीरे-धीरे अनुकूलित होता है। इस दौरान बच्चे को सूरज की सीधी और तेज धूप के साथ ही धुएं आदि से भी बचाना चाहिए। अध्ययनों से पता चलता है कि सेकेंड हैंड स्मोक (second-hand smoke) या धूम्रपान संबंधी धुएं के संपर्क में आने से बच्चे को कान का संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
बोतल का दूध सही तरीके से पिलाएं – यदि आपका बच्चा बोतल से दूध पीता है दूध पिलाते समय सावधानी रखें। इस दौरान बच्चे को अर्ध-सीधी स्थिति (semi-upright position) में पकड़ें। जिससे दूध वापस यूट्रस ट्यूब में प्रवाहित न हो।
वातावरण स्वच्छ रखें – जहां तक संभव हो अपने छोटे बच्चों को उन जगहों में न ले जाएं जहां सर्दी और फ्लू आदि का संक्रमण हो। इसके अलावा यदि आपके घर में भी कोई व्यक्ति बीमार है तब भी आप अपने बच्चे को छूने या उठाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धुलें।
टीकाकरण – यह सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को बर्तमान समय में लगने वाले सभी टीके लग चुके हैं। क्योंकि इन टीकों के लगवाने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। इसलिए हर माता पिता को इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि उनके बच्चे को सभी जरूरी टीके अनिवार्य रूप से लगाए जाएं।
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जब आपके घरेलू उपचार करने के बाद भी ठीक नहीं होता है तब आपको सीधे ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन यदि कान का संक्रमण गंभीर है तो आपको घरेलू उपचार अपनाने से पहले ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए। फिर यदि कान में संक्रमण होने के दौरान बच्चे में निम्न लक्षण दिखाई दें तो आपको जल्दी ही डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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