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बच्चों में कफ के लक्षण, कारण और इलाज के घरेलू उपाय – Babies Congestion In Hindi

बच्चों में कफ के लक्षण, कारण और इलाज के घरेलू उपाय – Babies Congestion Symptoms, Causes And home Treatment In Hindi

Babies Congestion In Hindi: जब मौसम में परिवर्तन होता हैं, तो इसका प्रभाव सबसे अधिक शिशुओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। मौसम परिवर्तन के दौरान शिशु ठंड की चपेट में आ जाते हैं, जिसके फलस्वरूप कफ और बलगम के जमाव की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, बच्चों में कफ और बलगम की समस्या का उत्पन्न होना सामान्य है। लेकिन सर्दी, जुकाम, कफ और बलगम जैसी सामान्य समस्याएँ बच्चे में अनेक गंभीर बीमारी का कारण बन सकती हैं। हालांकि कफ की समस्या जीवन के लिए खतरा नहीं है। लेकिन शिशु की छाती में कफ का जमाव परेशानी पैदा कर सकता है, जिसका तुरंत इलाज किया जाना आवश्यक हो जाता है।

आज के इस लेख में आप जानेंगे कि बच्चों में कफ क्या है, शिशु में कफ के लक्षण, कारण, इलाज और बच्चों में कफ निकालने के उपाय के बारे में।

विषय सूची

  1. बच्चे को कफ होना – Babies Congestion in hindi
  2. बच्चों में कफ जमने के प्रकार – Types of Baby congestion in hindi
  3. शिशु में कफ जमा होने का कारण – Causes of Infant Chest Congestion in hindi
  4. बच्चों में कफ के लक्षण – Signs and Symptoms of Babies congestion in hindi
  5. बच्चों की छाती में कफ जमने पर डॉक्टर को कब दिखाएँ – When to see a doctor for infant Chest Congestion in Hindi
  6. शिशु में कफ की जांच – Infant Chest Congestion Diagnosis in hindi
  7. शिशु में कफ का उपचार – Baby congestion Medical treatment in hindi
  8. बच्चों का कफ निकालने के घरेलू उपाय – Child congestion home treatments in Hindi
  9. बच्चों के सीने में कफ का जमाव होने के जोखिम कारक – Infant Chest Congestion Risk factors in hindi
  10. शिशु में कफ की समस्या से बचाव – Infant Chest Congestion prevention in Hindi
  11. बच्चों में कफ के लिए आहार – Baby congestion helpful Diet in hindi
  12. बच्चे को कफ में परहेज – Baby congestion foods to avoid in hindi

बच्चे को कफ होना – Babies Congestion in hindi

बच्चे को कफ होना - Babies Congestion in hindi

कफ (phlegm) अनैच्छिक रूप से गले और छाती से निकलने वाला एक तरल पदार्थ है। जब अतिरिक्त तरल पदार्थ (बलगम या कफ) नाक और वायुमार्ग में जमा हो जाता है और परेशानी का कारण बनता है, तो इसे Congestion कहते हैं। कफ (phlegm) की समस्या जुकाम और फ्लू सहित अन्य वायरल संक्रमण के सबसे आम लक्षणों में से एक है। लेकिन कुछ स्थितियों में कफ का जमाव छाती में होने लगता है और बच्चों में असुविधा का कारण बनता है। बच्चों की छाती में कफ के जमाव की समस्या बच्चों को रात के समय काफी परेशान करती है।

श्वसन प्रणाली की आंतरिक परत में एक झिल्ली होती है, जो गाढ़ा और चिपचिपा तरल पदार्थ पैदा करती है, जिसे बलगम कहा जाता है। जब साँस लेने पर बाहरी कण जैसे धूल, धुआं और अन्य अनावश्यक पदार्थ शरीर में प्रवेश करते हैं, तो यह झिल्ली बलगम का उत्पादन कर इन कणों को रोक लेती है। बच्चों में जुकाम की स्थिति यह कफ या बलगम शरीर से बाहर नहीं आ पाता और छाती (सीने) में संचित हो जाता है। जिससे बच्चों में कफ की समस्या उत्पन्न होती है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि बलगम (कफ) के उत्पादन में वृद्धि शरीर द्वारा वायरस को हटाने का एक तरीका है। और बलगम (कफ) का उत्पादन तब तक कोई भी समस्या का कारण नहीं बनता है, जब तक कि यह बच्चों के खाने या सांस लेने की क्षमता को प्रभावित नहीं करता है।

बच्चों में कफ के जमाव की स्थिति आमतौर पर हानिरहित होती है, लेकिन यह कभी-कभी असुविधाजनक का कारण बन सकती है, जिसमें बंद नाक और साँसों में तेजी आदि शामिल हैं।

(और पढ़े – सर्दी जुकाम और खांसी के घरेलू उपाय…)

बच्चों में कफ जमने के प्रकार – Types of Baby congestion in hindi

बच्चों में कफ जमने के प्रकार - Types of Baby congestion in hindi

शिशुओं में कफ का जमाव मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है:

बच्चे की छाती में जमाव – Baby chest congestion in Hindi

बच्चों की छाती में कफ के जमाव के कारण खाँसी, घरघराहट आदि लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसका कारण अस्थमा, निमोनिया, समय से पहले जन्म, फ़्लू आदि को माना जाता है। (और पढ़े –  बच्चों में निमोनिया के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव…)

बच्चे की नाक में जमाव – Baby nasal congestion in Hindi

बच्चों की नाक में बलगम के जमाव के कारण बच्चे की नाक से बलगम निकलना, खर्राटे लेना, सोते समय सांस लेने में असुविधा, खाने में कमी, आदि संभावित लक्षण देखने को मिलते हैं, जिसका मुख्य कारण एलर्जी, वायरस, जुकाम, शुष्क हवा आदि होते हैं।

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शिशु में कफ जमा होने का कारण – Causes of Infant Chest Congestion in Hindi

शिशु में कफ जमा होने का कारण - Causes of Infant Chest Congestion in hindi

बच्चों (child) को बड़े बच्चों की तुलना में कफ के जमाव की संभावना अधिक होती है, क्योंकि छोटे बच्चों के नासिका मार्ग और वायुमार्ग छोटे होते हैं। कफ की समस्या या सीने में कफ का जमाव कुछ सामान्य कारणों से हो सकता है, जो कि निम्न हैं:

कॉमन कोल्ड (Common Cold) – शिशुओं में सामान्य सर्दी, जुकाम के कारण बलगम (कफ) प्रचुर मात्रा में उत्पन्न हो सकता है। यह बलगम नीचे छाती तक जा सकता है, और बच्चों की छाती में कफ के जमाव का कारण बन सकता है।

कम प्रतिरक्षा (Low Immunity) – शिशुओं में प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की तुलना में कमजोर होती है, जिससे उन्हें सर्दी, जुकाम और संक्रमण का ख़तरा अधिक होता है और कफ का कारण भी बन सकता है।

उत्तेजक पदार्थ (Irritants) – सिगरेट के धुएं, वाहन के धुएं और खाना पकाने के धुएं जैसे उत्तेजक पदार्थ (वायु प्रदूषक) शिशु के श्वसन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और सीने में बलगम के जमाव का कारण बन सकते हैं।

अस्थमा (Asthma) – यदि आपके शिशु में अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित है, तो उसे छाती में कफ का जमाव होने की आशंका अधिक होती है।

समय पूर्व जन्म (Premature Birth) – समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर होती है। जिसके कारण उन बच्चों और शिशुओं को वायरल या अन्य संक्रमण आसानी से हो सकता है, और कफ के जमाव का कारण बन सकता है।

इसके अतिरिक्त निम्न कारक भी शिशुओं में कफ के उत्पन्न होने का कारण बन सकते हैं:

  • शुष्क हवा में सांस लेना
  • मौसम में बदलाव
  • वायरल संक्रमण
  • एलर्जी
  • निमोनिया (pneumonia), इत्यादि।

(और पढ़े – मौसम में परिवर्तन के कारण सर्दी और खांसी से बचने के उपाय और उपचार…)

बच्चों में कफ के लक्षण – Signs and Symptoms of Babies congestion in Hindi

बच्चों में कफ के लक्षण - Signs and Symptoms of Babies congestion in hindi

शिशुओं की छाती में कफ का जमाव होने पर निम्नलिखित संकेतों और लक्षणों को देखा जा सकता है, जैसे:

सांस लेने में तकलीफ (Breathing Difficulties) –  जब शिशुओं के सीने में कफ या बलगम का जमाव होता है, तो श्वास पैटर्न में बदलाव होने की संभावना अधिक होती है। अतः यदि शिशु को कफ की समस्या है, तो साँस लेने में असुविधा और विचलित होने से सम्बंधित लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

खाँसी (Coughing) – यदि शिशुओं को खांसी चलती है, तो उसके सीने में बलगम या कफ होने की संभावना अधिक होती है।

बुखार (Fever) – चूँकि मौसम परिवर्तन के साथ संक्रमण की स्थिति में कफ का उत्पादन होना स्वाभाविक है। संक्रमण के कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे बुखार जैसे लक्षण प्रगट होते हैं।

मूडी (Moody) – कफ के कारण असुविधा उत्पन्न होने से बच्चों में चिड़चिड़ा देखा जा सकता है। अतः यदि शिशुओं या बच्चों के मूड में अचानक कोई बदलाव नज़र आता है, तो कफ की जाँच कराने के लिए डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।

अनिद्रा (Insomnia) – चूँकि कफ या बलगम की स्थिति शिशुओं में अवरुद्ध या बंद नाक का कारण बनती है, जिससे शिशुओं को सोने के दौरान साँस लेने में परेशानी होती है। अतः यदि आपका शिशु अच्छी तरह से नहीं सो रहा है, तो यह लक्षण सीने में जमे हुए कफ का हो सकता है।

भूख में कमी (Poor Appetite) – शिशुओं में कफ की उपस्थिति गंध संबंधी इंद्रियों को प्रभावित कर सकती है, जिससे बच्चों का भोजन की ओर आकर्षण कम हो जाता है। इसलिए यदि शिशु के दैनिक आहार में कमी देखने को मिलती है, तो यह स्थिति छाती में कफ के जामव की स्थिति को प्रदर्शित कर सकती है।

(और पढ़े – खांसी का घरेलू उपचार, ड्राई कफ हो या वेट कफ…)

बच्चों की छाती में कफ जमने पर डॉक्टर को कब दिखाएँ – When to see a doctor for infant Chest Congestion in Hindi

बच्चों की छाती में कफ जमने पर डॉक्टर को कब दिखाएँ - When to see a doctor for infant Chest Congestion in Hindi

यदि बच्चों में सामान्य सर्दी के बाद 3 सप्ताह या उससे अधिक समय तक कफ की समस्या परेशान करती हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यदि कफ की समस्या 4 सप्ताह से अधिक समय तक रहती, तो यह छाती की बीमारी (chest disease) का संकेत हो सकती है। अतः शिशुओं में निम्न लक्षण प्रगट होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है, जैसे:

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शिशु में कफ की जांच – Infant Chest Congestion Diagnosis in Hindi

शिशु में कफ की जांच - Infant Chest Congestion Diagnosis in hindi

यदि किसी शिशु या छोटे बच्चे को कफ (बलगम) की समस्या काफी गंभीर है या लम्बे समय तक बनी रहती है ,तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

कफ के जमाव से सम्बंधित कारणों का निदान करने के लिए एक बाल रोग विशेषज्ञ (pediatrician) बच्चे की देखभाल करने वाले व्यक्ति से कुछ सवाल पूछ सकता है। इसके साथ शारीरिक परीक्षण के तहत बच्चे के तापमान, सांस लेने में असुविधा और अन्य महत्वपूर्ण संकेतों का निरीक्षण किया जा सकता है।

यदि बाल रोग विशेषज्ञ कफ के जमाव से सम्बंधित कारणों के बारे में सुनिश्चित नहीं है, तो वह निम्न परीक्षण का भी आदेश दे सकता है, जैसे:

  • आरएसवी (respiratory syncytial virus (rsv)) या इन्फ्लूएंजा (influenza) जैसे संक्रमणों की जांच
  • छाती का एक्स-रे या चेस्ट रेडियोग्राफ़ (chest radiograph)।

(और पढ़े – एक्स-रे क्या है, क्यों किया जाता है, कीमत और तरीका…)

शिशु में कफ का उपचार – Baby congestion Medical treatment in hindi

शिशु में कफ का उपचार - Baby congestion Medical treatment in hindi

यदि किसी बच्चे में बलगम या कफ के जमाव की समस्या काफी गंभीर है, तो इस स्थिति में बाल रोग विशेषज्ञ (pediatrician) अतिरिक्त ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक्स या अन्य चिकित्सकीय उपचार अपना सकते हैं।

यदि कफ की गंभीर स्थिति में बच्चे को अतिरिक्त ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक्स या अन्य चिकित्सा उपचार की आवश्यकता होती है, तो इस समस्या का निदान करने के लिए डॉक्टर चेस्ट रेडियोग्राफ़ (chest radiograph) का उपयोग भी कर सकते हैं।

(और पढ़े – कफ (बलगम) निकालने के घरेलू उपाय…)

बच्चों का कफ निकालने के घरेलू उपाय – Child congestion home treatments in Hindi

बच्चों का कफ निकालने के घरेलू उपाय – Child congestion home treatments in Hindi

शिशुओं में कफ की समस्या का इलाज करने के लिए उपयोग किये जाने वाले घरेलू उपचार के तहत् उचित देखभाल और आराम प्रदान करने की सलाह दी जा सकती है। यदि कोई बीमारी कफ या बलगम निर्माण का कारण बनती है, तो बाल रोग विशेषज्ञ (pediatrician) द्वारा बीमारी की रोकथाम से सम्बंधित उचित प्रयास करने की सिफारिश की जा सकती है।

नाक की बलगम या श्लेम को साफ करने के लिए अक्सर चूषण बल्ब (suction bulb) या नाक सिरिंज (nasal syringe) का उपयोग करके की सलाह दी जा सकती है। ये नरम रबर के बल्ब हैं जो नाक से बलगम को खींच सकते हैं।

  • बच्चों की नियमित फीडिंग (regular feedings) पर ध्यान दें और डायपर गीला न रहने दें।
  • नाक की बलगम को साफ करने के लिए नरम, सूखे कपड़े का उपयोग करें।
  • कफ के जमाव की स्थिति में छोटे बच्चों को तकिये पर नहीं लिटाना चाहिए, इससे घुटन होने का खतरा रहता है।
  • कफ को साफ करने के लिए शिशुओं को हल्का गर्म स्नान कराने की सलाह दी जा सकती है।
  • छोटे बच्चों की नाक बंद होने की स्थिति में एक छोटे सिरिंज का उपयोग कर बच्चों की नाक में एक या दो बूंद सेलाइन (Nasal saline drops) डालें। यह बलगम को ढीला या पतला बनाने में मदद करता है। एक उचित सेलाइन का चुनाव करने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
  • शिशुओं को ह्यूमिडिफायर (humidifier) या गर्म शॉवर (hot shower) चलाकर ठंडी भाप प्रदान करें। यदि ह्यूमिडिफायर (humidifier) आसानी से उपलब्ध नहीं होता है, तो गर्म शॉवर चलाकर कुछ मिनटों के लिए भाप से भरे बाथरूम में छोटे बच्चों या शिशुओं को लेकर बैठें।
  • कुछ लोगों का मानना है कि शिशु की नाक में कुछ बूँदें स्तन दूध की डालने से बलगम को बाहर निकलने में मदद मिलती है। अतः शिशुओं में कफ या बलगम के जमाव की समस्या उत्पन्न होने की स्थिति में बच्चे को दूध पिलाते समय उसकी नाक में थोड़ा सा स्तन दूध डालें
  • शिशु की नाक (nasal bridge), भौं, माथे और गाल की हड्डी (cheekbones) की हल्की मालिश करें, इत्यादि।

(और पढ़े – डायपर का इस्तेमाल कैसे करें…)

बच्चों के सीने में कफ का जमाव होने के जोखिम कारक – Infant Chest Congestion Risk factors in hindi

बच्चों के सीने में कफ का जमाव होने के जोखिम कारक - Infant Chest Congestion Risk factors in hindi

शुष्क जलवायु या अधिक ऊंचाई वाले मौसम (high-altitude climates) में रहने वाले शिशुओं और बच्चों में कफ की समस्या का जोखिम अधिक होता है। इसके साथ ही निम्न जोखिम कारक भी बच्चों में कफ की समस्या को बढ़ा देते है, जैसे:

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शिशु में कफ की समस्या से बचाव – Infant Chest Congestion prevention in Hindi

शिशु में कफ की समस्या से बचाव - Infant Chest Congestion prevention in Hindi

बच्चों को कफ की समस्या से बचाने के लिए निम्नं उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:

स्वच्छता (Hygiene) – अच्छी स्वच्छता को अपनाकर, शिशुओं को प्रभावित करने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है। अतः कफ जैसी समस्याओं से अपने बच्चों को बचने के लिए दिनचर्या में अच्छी स्वच्छता को अपनाया जाना चाहिए।

टिशू (Tissues) – शिशुओं की नाक और मुंह को पोंछने के लिए टिशू पेपर का उपयोग करना सुरक्षित होता है, क्योंकि वे डिस्पोजेबल (disposable) और स्वच्छता बनाए रखने में मदद करते हैं। उपयोग करने के बाद टिशू को डस्टबिन में डालना चाहिए।

मुंह को ढंकना (Covering the Mouth) – खांसते या छींकते समय कीटाणु फैलते हैं, जिससे घर के अन्य सदस्यों में फ्लू जैसे लक्षण देखने को मिल सकते है। अतः खांसते और छींकते समय मुँह को ढंकना सुनिश्चित करें। (और पढ़े –  छींक से हैं परेशान तो, अपनाये कुछ घरेलू समाधान…)

हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitiser) – बच्चों को खाना खिलने के दौरान अपने हांथों को अच्छी तरह धोना सुनिश्चित करें। यदि बच्चे स्वयं अपने हांथों से खाते हैं, खाने से पहले उनके हांथों को हैंड सैनिटाइजर से साफ करना चाहिए। इसके साथ ही बच्चे को छूने से पहले परिवार के सदस्यों को हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।

हाइड्रेशन (Hydration) – बच्चों को कफ की समस्या से बचाने के लिए हाइड्रेटेड रखना बहुत जरुरी होता है। हाइड्रेटेड रहने से बच्चों में अनेक बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है।

उचित नींद (Proper Sleep) – बच्चों को पर्याप्त आराम मिलना आवश्यक होता है। यदि पर्याप्त आराम नहीं मिलता है, तो बलगम का उत्पादन बढ़ जाता है, जिससे छाती में कफ के जमाव की समस्या अधिक गंभीर हो सकती है। अतः बच्चों को उचित आराम मिलना सुनिश्चित करें।

भीड़ वाले स्थानों से बचें (Avoid Crowded Places) – शिशु और बच्चों को भीड़-भाड़ वाले इलाकों में दूर रखना चाहिए, जिससे कि उन्हें ठंड और फ्लू जैसे संक्रमण से बचाया जा सके।

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अन्य उपाय (other prevention)

बच्चों में कफ के जमाव की रोकथाम के लिए अन्य बचाव उपाय में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:

  • शिशुओं के पास धूम्रपान न करें
  • घर की हवा से संभावित एलर्जी या प्रदूषकों को हटायें और घर का वातावरण स्वच्छ रखें
  • बलगम या कफ के जमाव जैसी समस्याओं से बचने के लिए शिशुओं को पर्याप्त जलयोजन (hydration) और कैलोरी प्रदान की जानी चाहिए
  • शिशुयों को लगातार दूध पिलाएं और पर्याप्त नींद लेने देना चाहिए, इत्यादि।

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बच्चों में कफ के लिए आहार – Baby congestion helpful Diet in hindi

बच्चों में कफ के लिए आहार - Baby congestion helpful Diet in hindi

बच्चों और शिशुओं में कफ की समस्या में निम्न आहार के सेवन की सलाह दी जाती है, जैसे:

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बच्चे को कफ में परहेज – Baby congestion foods to avoid in hindi

बच्चे को कफ में परहेज - Baby congestion foods to avoid in hindi

बच्चे और शिशु को कफ की स्थिति में कुछ पदार्थ जोखिम दायक होते हैं और कफ की स्थिति को गंभीर बना सकते हैं अतः ऐसे पदार्थो से परहेज करने की सलाह दी जाती है इन पदार्थों में शामिल हैं:

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