बैक्टीरिया और वायरस दोनों ही सूक्ष्मजीव हैं, जो विभिन्न प्रकार के होते हैं। सभी प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस बीमारी का कारण नहीं बनते हैं। केवल कुछ बैक्टीरिया और वायरस दोनों ही मानव शरीर में संक्रमण का कारण बनते हैं। लेकिन इन दोनों प्रकार के संक्रमण में क्या अंतर हैं? आज आप इसके बारे में जानेगें। Bacterial vs Viral Infections in Hindi
बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण अनेक प्रकार से समान होते हैं। दोनों ही स्थितियों में खांसी और छींक आना, बुखार, सूजन, उल्टी, दस्त, थकान और ऐंठन जैसे समान लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, ये लक्षण प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा संक्रामक जीवों से शरीर की रक्षा करने के फलस्वरूप उत्पन्न होते है। लेकिन बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण अनेक महत्वपूर्ण मामलों में भिन्न होते हैं, यह अंतर इनकी संरचना और कुछ दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया के तरीके पर निर्भर करते हैं।
बैक्टीरिया संक्रमण और वायरल संक्रमण दोनों ही समान रूप से फैल सकते हैं, इनके फैलने के कई तरीके हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:
कुछ महत्वपूर्ण, बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण हल्के, मध्यम और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
Bacterial vs Viral Infections in Hindi बैक्टीरिया एक ही कोशिका से बने छोटे सूक्ष्मजीव होते हैं। बैक्टीरिया लगभग सभी तरह के वातावरण में रह सकते हैं। अधिकांश बैक्टीरिया हानिरहित होते हैं, जबकि कुछ भोजन को पचाने, रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं को नष्ट करने, कैंसर कोशिकाओं से लड़ने और आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करते हैं। 1% से भी कम बैक्टीरिया इंसानों में संक्रमण और बीमारियों का कारण बनते हैं। बैक्टीरिया कहीं भी किसी भी स्थिति में अपने दम पर प्रजनन कर सकते हैं।
वायरस एक अन्य प्रकार के छोटे सूक्ष्मजीव हैं, जो बैक्टीरिया से भी छोटे होते हैं। वायरस परजीवी होते हैं। इसका मतलब है, कि उन्हें विकसित होने के लिए जीवित कोशिकाओं या ऊतकों की आवश्यकता होती है। वे स्वयं को कोशिकाओं से जोड़कर पुनरुत्पादन कर सकते हैं। वायरस का संक्रमण या तो सामान्य कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में बदल देता है या फिर कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त या नष्ट होने का कारण बनता है।
बैक्टीरियल इन्फेक्शन रोगजनक बैक्टीरिया के कारण होता है, जबकि वायरल इन्फेक्शन रोगजनक वायरस के कारण होता है। कभी-कभी, बैक्टीरिया और वायरस दोनों एक ही बीमारी का कारण बन सकते हैं। उदाहरणों में निमोनिया (pneumonia), मेनिन्जाइटिस (meningitis), गैस्ट्रोएन्टराइटिस (gastroenteritis) शामिल हैं।
(और पढ़ें: साइनस इन्फेक्शन क्या है, लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपाय…)
1% से भी कम बैक्टीरिया की प्रजातियां बैक्टीरियल संक्रमण का कारण बन सकती हैं। इस तरह का संक्रमण तब होता है, जब बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर आक्रमण करते हैं, यह प्रजनन के दौरान हानिकारक विषाक्त पदार्थों का भी उत्पादन कर सकते हैं।
बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कुछ सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं:
वायरल संक्रमण तब होता है जब कोई वायरस शरीर में प्रवेश कर स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करता है। वायरस प्रजनन करने के लिए अन्य कोशिकाओं पर कब्जा करता है। वायरस प्रजनन के दौरान या तो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त और नष्ट कर सकते हैं या फिर कोशिकाओं में बदलाव कर सकते हैं।
कुछ सामान्य प्रकार के वायरल इन्फेक्शन में निम्न शामिल हैं:
(और पढ़ें: वायरल इन्फेक्शन के प्रकार, लक्षण, इलाज और बचाव…)
सर्दी जुकाम के कारण भरी हुई या बहती नाक, गले में खराश और कम बुखार जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन जुकाम बैक्टीरियल इन्फेक्शन है या वायरल? इसके बारे में जानेगें।
सामान्य सर्दी कई अलग-अलग प्रकार के वायरस के कारण उत्पन्न होती है, हालांकि राइनोवायरस अक्सर इसका मुख्य कारण बनता है। सर्दी अपने आप ठीक होती है, आप अपने लक्षणों को दूर करने में मदद करने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाओं का उपयोग कर सकते हैं।
कुछ मामलों में, सर्दी के दौरान या उसके बाद बैक्टीरियल इन्फेक्शन विकसित हो सकता है। सेकेंडरी बैक्टीरियल संक्रमण के सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं:
एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन पीड़ित व्यक्ति में सर्दी जुकाम का कारण बन सकता है, यदि:
(और पढ़ें: सर्दी जुकाम में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए…)
कभी-कभी डॉक्टर मरीज के चिकित्सा इतिहास और लक्षणों के आधार पर संक्रमण का निदान करने में सक्षम हो सकता है। उदाहरण के लिए, खसरा या चिकनपॉक्स जैसी वायरल संक्रमण की स्थितियों का निदान एक साधारण शारीरिक परीक्षण से किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, यदि कोई विशेष बीमारी वर्तमान में महामारी का कारण बनती है, तो डॉक्टर इस आधार पर निदान करेगा। उदाहरण के लिए इन्फ्लूएंजा वायरल इन्फेक्शन हर साल ठंड के महीनों में मौसमी महामारी का कारण बनता है। अतः ठंड के महीनों में निदान के दौरान इन्फ्लूएंजा से सम्बंधित परीक्षण किये जा सकते हैं।
डॉक्टर किसी विशिष्ट वायरस या बैक्टीरिया की जांच करने के लिये निम्न परीक्षण की सहायता ले सकता है:
एंटीबायोटिक्स दवाओं का उपयोग बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है। एंटीबायोटिक्स कई प्रकार के होते हैं, यह दवाएं बैक्टीरिया को प्रभावी ढंग से बढ़ने और विभाजित होने से रोकने का काम करती हैं।
एंटीबायोटिक्स दवाएं वायरल संक्रमण की स्थिति में प्रभावी नहीं हैं। अतः जब तक बैक्टीरियल इन्फेक्शन की पुष्टि न हो जाए तब तक एंटीबायोटिक्स का सेवन नहीं करना चाहिए। इनका सेवन खतरनाक हो सकता है क्योंकि एंटीबायोटिक का अधिक सेवन शरीर में एंटीबायोटिक प्रतिरोध उत्पन्न होने का कारण बन सकता है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब उत्पन्न होता है जब बैक्टीरिया कुछ एंटीबायोटिक दवाओं का विरोध करने में सक्षम हो जाते हैं। इस स्थिति में कई बैक्टीरियल इन्फेक्शन का इलाज करना अधिक कठिन हो सकता है।
अनेक प्रकार के वायरल संक्रमणों के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। वायरल संक्रमण का उपचार आमतौर पर लक्षणों से राहत दिलाने पर केंद्रित होता है। इसके लिए एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है।
बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन से बीमार होने से बचने के लिए आप निम्न तरीके अपना सकते हैं, जैसे:
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