Barley In Hindi: जौ एक विशेष खाद्य आहार है जिसका उपयोग भारत में प्राचीन समय से किया जा रहा है। जौ के फायदे आपको कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकते हैं। जौ का उपयोग विशेष रूप से जौ की रोटी के रूप में किया जाता है।
हालांकि जौ के औषधीय गुणों के कारण आप इसे कई व्यंजनों के रूप में उपयोग कर सकते हैं। जौ खाने के फायदे उच्च रक्तचाप, गठिया, अस्थमा, नपुंसकता, त्वचा समस्याओं और हृदय रोगों को दूर करने के लिए कर सकते हैं। आज इस लेख में आप जौ खाने के फायदे और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
बारले का हिंदी नाम जौ होता है। जौ एक प्रमुख खाद्य अनाज है जो घास परिवार (grass family) से संबंधित है। जौ का वैज्ञानिक नाम होर्डियम बल्गारे (Hordium vulgar) है जो कि समशीतोष्ण जलवायु में अच्छी तरह से विकास करता है। जौ का उपयोग विशेष रूप से जानवरों के चारे के रूप में किया जाता था। लेकिन अपने औषधीय गुणों और स्वास्थ्य लाभों के कारण इसे खाद्य आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। हालांकि जौ का उपयोग बीयर और कुछ आसुत पेय पदार्थों के लिए भी किया जाता है।
जौ की तासीर ठंडी होती है जिसके कारण यह पेट संबंधी समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। जौ की ठंडी तासीर होने के अलावा इसमें बहुत से पोषक तत्व और खनिज पदार्थों की अच्छी मात्रा होती है। जिसके कारण यह हमारी बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है।
उपयोग के आधार पर जौ के कई प्रकार होते हैं जिन्हें आप बाजार से खरीद सकते हैं। जौ को आमतौर पर जौ के बीज या जौ के पानी के रूप में सेवन किया जाता है। हालांकि जौ के अलग-अलग प्रकार अलग-अलग उपयोग के लिए होते हैं। इसलिए यह आपको तय करना है कि जौ का कौन सा प्रकार आपके लिए अधिक उपयोगी है।
जौ घास (Barley Grass) – ये जौ के पौधे के युवा अंकुर होते हैं। इनकी ऊंचाई केवल कुछ ही इंच होती है जब ये उपयोग करने के लिए अच्छे होते हैं। जौ के इस रूप में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, खनिज और प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है।
हुल्ड बारले (Hulled Barley) – जौ के इस प्रकार में केवल पौधे आधारित भूसी को साफ किया जाता है। जबकि जौ के ऊपरी आवरण को साफ कर पूरे चोकर को बरकरार रखते हुए बनाया जाता है। यह जौ की अन्य किस्मों की तुलना में अधिक फाइबर और पौष्टिकता से भरपूर होता है।
पर्ल जौ (Pearl Barley) – जौ का यह प्रकार बाजार में सबसे अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है। इस प्रकार का जौ सफेद रंग के होते हैं, इनके दाने एक समान अकार के होते हैं जो छोटे मोती के समान दिखाई देते हैं। इस प्रकार के जौ से चोकर को साफ करके बनाया जाता है। पर्ल बारले मुख्य रूप से सूप और सलाद आदि में उपयोग किया जाता है।
ग्रीन जौ पाउडर (Barley Green Powder) – जौ का यह प्रकार जौ की हरी घास का पाउडर होता है। जिसके कई चिकित्सीय लाभ होते हैं। इसे व्हीटग्रास पाउडर की तरह ही बनाया जाता है। इस पाउडर में विभिन्न विटामिन, और खनिज पदार्थों की अच्छी मात्रा होती है। यह पानी में आसानी से घुलनशील होता है।
जौ का आटा (Barley Flour) – यह जौ को बीजों को पीसकर तैयार किया जाता है। बहुत से लोग इसे गेहूं के आटे के विकल्प के रूप में उपयोग करते हैं। जौ का आटा मौती जौ की तुलना में अधिक पोषक तत्वों और फाइबर का अच्छा स्रोत होता है।
जौ का पानी (Barley water) – यह जौ के बीजों को रात भर पानी में भिगोकर या कुछ मिनिट के लिए पानी में उबाल कर तैयार किया जाता है। जौ के पानी में विशेष औषधीय गुण होते हैं जो किड़नी और मूत्राशय संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।
आइए जाने जौ में पाए जाने वाले पोषक तत्व क्या हैं।
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जौ आपके आहार के लिए स्वादिष्ट और पौष्टिक विकल्प होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जौ में पोषक तत्वों की उच्च मात्रा होती है। जौ की 100 ग्राम मात्रा में निम्न पोषक तत्व होते है –
जौ कोलेस्ट्रॉल से मुक्त खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आता है। इन पोषक तत्वों की उच्च मात्रा मौजूद होने के कारण ही जौ के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। आइए जाने जौ के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए जौ का औषधीय उपयोग किया जाता है। जौ के लाभ न केवल स्वास्थ्य बल्कि सौंदर्य के लिए भी जाने जाते है। आप अपनी बालों संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए भी जौ का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां जौ से प्राप्त होने वाले कुछ स्वास्थ्य लाभों को सूचीबद्ध किया गया है। आइए जाने उपभोग करने पर जौ के फायदे क्या हैं।
रक्तचाप संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए जौ बहुत ही फायदेमंद होती है। नियमित रूप से अपने आहार में जौ को शामिल कर आप रक्तचाप असंतुलन को नियंत्रित कर सकते हैं। क्योंकि जौ में पोटेशियम की अच्छी मात्रा होती है जो शरीर में सोडियम (नमक) के उच्च स्तर को संतुलित कर सकता है। 2006 में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि नियमित रूप से जौ के साबुत अनाज का सेवन करने से उच्च रक्तचाप और वजन बढ़ना जैसी समस्याओं को रोका जा सकता है। क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। यदि आप भी उच्च रक्तचाप के लक्षणों से बचना चाहते हैं तो जौ को अपने दैनिक आहार का हिस्सा बनाना चाहिए। (1)
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शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा आपके लिए हानिकारक हो सकती है। खराब कोलेस्ट्रॉल आपकी रक्तवाहिकाओं और विशेष रूप से हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन आप नियमित रूप से जौ का सेवन कर कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा को कम कर सकते हैं। जौ की नियमित खपत करने से सीरम लिपिड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम किया जा सकता है। 2009 में किये गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 12 सप्ताह तक नियमित रूप से जौ का सेवन करने पर यह शरीर में कुल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को काफी हद तक कम कर सकता है जो कि खराब कोलेस्ट्रॉल होता है। जबकि यह एचडील या अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित नहीं करता है। (2)
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यदि आप अपना वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं तो जौ आपकी मदद कर सकता है। जौ में आवश्यक विटामिन और खनिज पदार्थों की अच्छी मात्रा होती है। इसके अलावा जौ में फाइबर और प्रोटीन भी भरपूर होता है जबकि इसमें वसा, कोलेस्ट्रॉल और चीनी आदि सामग्री बहुत ही कम होती है। जिसके कारण जौ का वजन कम करने वाले उत्पादों के रूप में उपयोग किया जा सकता है। आप अपने मोटापे को कम करने के लिए जौ की रोटी का सेवन कर सकते हैं। क्योंकि इसमें घुलनशील फाइबर अच्छी मात्रा में होता है। यह वसा और कोलेस्ट्रॉल को रक्त में अवशोषित होने से रोकता है। यदि आप वजन कम करने वाले अन्य उपायों को अपना रहे हैं तो नियमित व्यायाम और जौ के सेवन को भी शामिल करें। यह आपको वजन घटाने में सहायक होता है। (3)
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अध्ययनों से पता चलता है कि जौ घास में कैंसर रोधी और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। लेकिन जौ घास के साथ ही जौ का नियमित सेवन करना आपको कैंसर के लक्षणों से बचा सकता है। जौ के साबुत अनाज में फाइटोकेमिकल्स सामग्री जैसे फोलेट, फ्लेवोनाइड्स और लिग्नन्स (flavonoids and lignans) होते हैं जो कैंसर की संभावनाओं को कम करते हैं। इसके अलावा कुछ अध्ययन भी पुष्टि करते हैं कि जौ में एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं जो कई प्रकार के कैंसरों का इलाज करने में मदद करते हैं। आप भी कैंसर के लक्षणों को कम करने या भविष्य में कैंसर के प्रभाव से बचने के लिए जौ का इस्तेमाल कर सकते हैं। ( 4, 5 )
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हृदय संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप जौ का उपयोग कर सकते हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) एक ऐसी स्थिति है जब धमनी की दीवारें कोलेस्ट्रॉल जैसी फैटी सामग्री के जमावट या जमाव के कारण मोटी हो जाती हैं। जिससे स्वतंत्र रक्त परिसंचरण में व्यवधान होता है। जौ में नियासिन जो कि एक बी विटामिन है यह अच्छी मात्रा में होता है। यह समग्र कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन के स्तर को कम करने और हृदय संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक होता है।
एक अध्ययन से पता लता है कि उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए जौ एक अच्छा आहार होता है। (6)
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अस्थमा और अन्य श्वसन समस्याओं वाले रोगी के लिए जौ का नियमित सेवन लाभकारी होता है। अस्थमा रोगी को नियमित रूप से जौ खाने के फायदे अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। यह एलर्जी आदि के प्रभाव को भी आसानी से दूर कर सकता है। इस तरह के लाभ प्राप्त करने के लिए आप गेहूं के आटे में जौ के आटे को मिला कर उपभोग कर सकते हैं।
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मधुमेह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसके उपचार के लिए जौ एक अच्छा औषधीय विकल्प है। जौ अपने उच्च फाइबर सामग्री के कारण मधुमेह प्रकार 2 का प्रभावी इलाज करने में सहायक होता है। अध्ययनों से इस बात की पुष्टि भी हो चुकी है। जौ में आवश्यक विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं विशेष रूप से बीटा-ग्लूकन घुलनशील फाइबर। 2006 में हुए एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि बीटा-ग्लूकन घुलनशील फाइबर वाले जौ का सेवन करने से इंसुलिन प्रतिरोध को कम किया जा सकता है। जिससे मधुमेह के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। यदि आप भी मधुमेह रोगी हैं तो अपने नियमित आहार में जौ को शामिल कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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जौ पौष्टिक होने के साथ ही आयरन में समृद्ध खाद्य पदार्थ है। क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और सर्दी, फ्लू जैसी समस्याओं से बचाता है। इसमें मौजूद आयरन की उच्च मात्रा रक्त के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक होती है। इसके अलावा जौ के पोषक तत्व गुर्दे की कार्य प्रणाली को व्यवस्थित करने और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में प्रभावी योगदान देते हैं। इस तरह से आप अपने शरीर में खून की कमी होने के कारण एनीमिया और अन्य प्रकार की रक्त संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए जौ के पानी का उपयोग कर सकते हैं।
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गठिया शरीर के जोड़ों में होने वाली एक विशेष सूजन संबंधी समस्या है जो कि बहुत ही पीड़ादायक होती है। लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि उच्च फाइबर युक्त आहार का नियमित सेवन करने से गठिया के लक्षणों को कम किया जा सकता है। जौ में फाइबर के साथ ही अन्य खनिज पदार्थ और पोषक तत्व उच्च मात्रा में होते हैं। जिसके कारण यह गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होता है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि जौ में मौजूद घुलनशील फाइबर शरीर को पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करते हैं। जिससे जोड़ों या गठिया की सूजन और सूजन संबंधी दर्द को कम करने में मदद मिलती है।
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जौ में कई आवश्यक विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं। जिनमे फॉस्फोरस, मैंगनीज, कैल्शियम और कॉपर शामिल हैं। ये सभी पोषक तत्व हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि 1 गिलास जौ का पानी पीने से 11 गिलास दूध में मौजूद कैल्शियम की मात्रा प्राप्त की जा सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि नियमित रूप से जौ के पानी का सेवन कर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
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पथरी भी एक गंभीर समस्या है। जौ महिलाओं में पित्ताशय की पथरी के गठन को प्रभावी रूप से रोक सकता है। हम सभी जानते हैं कि जौ में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जिसके कारण यह पित्त एसिड के स्राव को कम करने में सहायक होता है। जिससे इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ती है और शरीर में ट्रारइग्लिसराइड्स (triglycerides) के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। जो महिलाएं नियमित रूप से फाइबर युक्त आहार का सेवन करती हैं उनमें अन्य महिलाओं की तुलना में पथरी होने की संभावना कम होती है। जौ को गुर्दे की पथरी रोकने और गुर्दे को साफ और डिटॉक्सिफाई करके गुर्दे के स्वास्थ्य को बढ़ाने में भी जाना जाता है। हालांकि इस बात का समर्थन करने के लिए पर्याप्त शोध नहीं हैं।
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)यदि आप पाचन संबंधी समस्या से परेशान हैं और उपचार खोज रहे हैं तो जौ के दलिया का सेवन करें। क्योंकि जौ में अन्य अनाजों की तुलना में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। 1 कप जौ में लगभग 13 ग्राम फाइबर होता है। जौ में मौजूद अघुलनशील फाइबर आंत में अच्छे जीवाणुओं को लाभ पहुंचाने के लिए प्रोबायोटिक के रूप में काम करता है। साथ ही यह मल त्याग को आसान बनाने और पाचन प्रणाली को मजबूत बनाने में भी सहायक होता है। आप भी अपनी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए जौ के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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गर्भवती महिलाओं के लिए जौ एक अच्छा आहार माना जाता है। क्योंकि इसमें वे सभी पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान बहुत ही आवश्यक होते हैं। जौ का पानी महिलाओं के पाचन को ठीक करने और मॉर्निंग सिकनेस को कम करने में भी सहायक है। इसके अलावा यह गर्भवास्था के दौरान महिलाओं के शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को भी नियंत्रित करता है। महिलाएं गर्भावस्था के दौरान शारीरिक कमजोरी और अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए जौ को अपने नियमित आहार में शामिल कर लाभ प्राप्त कर सकती हैं।
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जौ घास में आर्गिनिन और नाइट्रिक ऑक्साइड होता है। ये दोनों ही घटक पेनाइल इरेक्शन के लिए जिम्मदार होते हैं और पेनाइन डिस्फंक्शन का इलाज कर सकते हैं। जौ को शुक्राणुओं और अंडे की कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इस तरह से जौ घास का नियमित सेवन करने से पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन प्रदर्शन को बढ़ाने और नपुंसकता का इलाज करने में सहायक होती है। यदि आप भी ऐसी ही समस्या का सामना कर रहे हैं तो जौ घास का उपयोग कर सकते हैं।
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नियमित रूप से जौ के पानी का सेवन करना आपको मूत्र पथ संबंधी संक्रमण से बचा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि जौ के पानी को सबसे अच्छे मूत्र वर्धक के रूप में उपयोग किया जाता है। 2012 में हुए एक अध्ययन में उन लोगों को शामिल किया गया जिन्हें मूत्र पथ संबंधी संक्रमण था। इन लोगों को नियमित रूप से कुछ दिनों तक जौ के पानी का सेवन कराया गया। जिससे कुछ ही दिनों में उन्हें मूत्र पथ संबंधी संक्रमण से छुटकारा मिल गया। जिससे साबित होता है कि नियमित रूप से जौ के पानी का सेवन करने से मूत्र पथ संबंधी संक्रमणों का प्रभावी इलाज किया जा सकता है।
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आप जौ के स्वास्थ्य संबंधी लाभों को प्राप्त करने के साथ ही त्वचा संबंधी लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। जौ केवल दिखने में छोटे होते हैं लेकिन इनमें एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा होती है। साथ ही इसमें पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। आइए जाने जौ के फायदे त्वचा के लिए क्या होते हैं।
जौ में मौजूद जस्ता त्वचा को ठीक करने और घावों का उपचार करने में सहायक होता है। आप अपनी त्वचा में मौजूद घावों और फोड़ों का इलाज करने के लिए जौ के पाउडर को मौखिक रूप से सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ दिनों तक जौ के पाउडर का पेस्ट बनाकर घाव पर लगाएं। ऐसा करने से भी आपको त्वचा के घावों को दूर करने में मदद मिल सकती है।
जौ में सेलेनियम की उच्च मात्रा होती है। यह घटक त्वचा की लोच बनाए रखने में मदद करती है। आप अपनी त्वचा को टोंड रखने के लिए भी जौ का उपयोग कर सकते हैं। नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर जौ के एंटीऑक्सीडेंट त्वचा कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाते हैं। सेलेनियम अग्नयाशय, हृदय और प्रतिरक्षा प्रणाली के उचित कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए आप अपने दैनिक आहार में जौ का उपयोग कर अपनी त्वचा को स्वस्थ और सुंदर रख सकते हैं।
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जौ में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जब आप अपने चेहरे पर जौ का पानी लगाते हैं तो यह मुंहासों को कम करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा के संक्रमण को दूर करने में प्रभावी योगदान देता है। जौ को एक सौम्य एक्सफोलिएटर के रूप में भी उपयोग किया जाता है। जिससे यह त्वचा में प्राकृतिक तेल की अतिरिक्त मात्रा को कम करने में मदद करता है।
आप अपने चेहरे को चमकदार बनाने के लिए जौ के आटे और नींबू के रस का पेस्ट अपने चेहरे पर लगाएं। लगभग 10 से 15 मिनिट के बाद या इस पेस्ट को पूरी तरह से सूखने के बाद आप अपने चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। ऐसा करने से आपके चेहरे के दाग धब्बे को दूर कर त्वचा को चमकदार बनाया जा सकता है।
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एक अध्ययन से पता चलता है कि 8 सप्ताह तक पूरक के रूप में जौ का नियमित सेवन करने से त्वचा में प्राकृतिक नमी को बनाए रखने में मदद मिलती है। जिससे आपको उम्र बढ़ने संबंधी लक्षणों को रोकने में मदद मिलती है।
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नियमित रूप से जौ का पानी पीने से आपके चेहरे पर मुंहासे होने की संभावना को कम किया जा सकता है। आप अपने चेहरे को धोने के लिए भी जौ के पानी का उपयोग कर सकते हैं। जौ में एजेलेइक एसिड होता है जो मुंहासों से लड़ने और बंद रोमछिद्रों का इलाज करने में सहायक होता है। इस तरह से आप अपने चेहरे के बंद त्वचा छिद्रों का इलाज करने के लिए जौ के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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जौ में मौजूद पोषक तत्व और खनिज पदार्थ न केवल आपके स्वास्थ्य बल्कि बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। आइए जाने बालों के लिए जौ के लाभ क्या हैं।
जौ में प्रोसीनेडिन-बी3 (procyanidin-B3), थियामिन और नियासिन जैसे विटामिन अच्छी मात्रा में होते हैं। ये सभी घटक बालों को वृद्धि करने में सहायक होते हैं। यदि आप भी अपने बालों को बढ़ाना चाहते हैं तो जौ का दैनिक आधार पर उपयोग कर सकते हैं।
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जौ में आयरन और कॉपर की अच्छी मात्रा होती है जिससे यह एनीमिया जैसी रक्त संबंधी बीमारियों का प्रभावी इलाज कर सकता है। एनीमिया (anemia) बालों के झड़ने की प्रमुख बजह भी हो सकती है। लेकिन ऐसी स्थिति में जौ का नियमित सेवन आपको एनीमिया और बालों के झड़ने संबंधी समस्या से बचा सकता है।
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आप अपने बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने के लिए जौ का इस्तेमाल कर सकते हैं। जौ में कॉपर की अच्छी मात्रा होती है जो मेलेनिन (melanin) के उत्पादन को बढ़ाता है। जिससे बालों को प्राकृतिक रंग प्राप्त करने में मदद मिलती है।
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बारले वाटर या जौ का पानी बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए आपको आसान सी विधि का उपयोग करना चाहिए।
एक लीटर पानी में दो बड़े चम्मच जौ डालकर उबालें। उबालने के वक्त ढक्कन को अच्छी तरह से लगा दें ताकि जौ के दाने अच्छी तरह से पक जायें। जब यह मिश्रण पानी के साथ घुलकर हल्के गुलाबी रंग का पारदर्शी मिश्रण बन जायें तो समझ जाना चाहिए कि यह पीने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस मिश्रण को एक जालीदार कपड़े से छान लें। अच्छी सेहत पाने के लिए रोजाना 1 से 2 कप जौ का पानी पियें। अगर आपको इसका स्वाद पसंद नही आ रहा है तो इसमें नींबू, शहद और नमक भी डाल सकते हैं। आप छिलके वाले और बिना छिलके वाले दोनों में से किसी भी प्रकार के जौ ले सकते हैं। छिलके वाले में ज्यादा फाइबर होता है और पकाने में ज्यादा समय लगता है इसलिए बिना छिलके वाले पकाने में आसान हैं।
आप अपने दैनिक आहार में इस सुपर फुड को कई प्रकार से उपयोग कर सकते हैं। आइए जाने यह हमारे दैनिक आहार का हिस्सा किस प्रकार बन सकता है।
आप सूप बनाने के लिए जौ के बीजों का उपयोग कर सकते हैं। जो कि आपके सूप के स्वाद को बढ़ाने और आपको अधिक ऊर्जा दिलाने में मदद करता है।
इसका सत्तू आपको गर्मी से राहत दिलाने का सबसे अच्छा तरीका है। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होता है। इसके अलावा जौ की ठंडी तासीर गर्मी के समय में आपके शरीर को ठंडा बनाए रखने में मदद करती है। जौ का सत्तू बनाने की विधि बहुत ही सरल है।
जौ का सत्तू बनाने के लिए आप 1 कप जौ के बीजों को लें और इसे हल्की आंच में भून लें। जब यह अच्छी तरह से भुन जाए तो इसे एक प्लेट में लेकर ठंडा होने दें और फिर इसे बारीक पाउडर में पीस लें। इसके अलावा आप इसमें कुछ अन्य खाद्य पदार्थों को भी मिला सकते हैं जो कि चने के सत्तू को बनाने में उपयोग किये जाते हैं। आप सभी प्रकार के सत्तू बनाने वाले उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं। जैसे कि
2 कप भुने हुए चने, 1 कप जौ का दलिया, 1 कप गेंहू का दलिया, ½ कप चीनी, ½ छोटा चम्म्च काला नमक, 2 मध्ययम आकार के नींबू का रस, ¼ छोटा चम्मच सादा नमक, ¼ छोटा चम्मच जीरा और पुदीने की पत्तियां।
पुदीने की पत्तियों और नींबू को छोड़ इन सभी सूखे उत्पादों को आप पीसकर पाउडर बनाएं। फिर आप अपनी आवश्यकता के अनुसार जौ के सत्तू का सेवन कर सकते हैं।
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जौ का दलिया भी बनाना बहुत ही आसान है। जौ का दलिया बनाने के लिए आपको ½ कप जौ, 4 कप पानी, 1 मध्ययम आकार की दालचीनी का टुकड़ा, शहद और दूध।
जौ का दिलया बनाने का तरीका –
आप जौ को 1 कप पानी में 1 घंटे के लिए भीगने दें। लगभग 1 घंटे के बाद आप इसमें 3 कप पानी और मिलाएं और इसमें दालचीनी मिलाकर इसे उबलने दें। लगभग 30 मिनिट या जब तक जौ नरम न हो जाए तब उबालें और अच्छी तरह से पकने के बाद आप इसमें अपनी इच्छानुसार दूध और शहद मिलाएं। आपके जौ का दलिया तैयार है। बस आप गर्मागरम दलिया का सेवन कर सकते हैं।
लेकिन जो खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं वे कुछ लोगों के लिए नुकसान भी पैदा कर सकते हैं। आइए जाने जौ खाने के नुकसान क्या है।
हम सभी जानते हैं कि किसी भी खाद्य पदार्थ का अधिक मात्रा में सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। ठीक उसी तरह से जौ का भी कम मात्रा में सेवन करना फायदेमेंद होता है। अन्यथा यह आपके लिए कुछ नुकसान का कारण भी बन सकता है।
जौ के फायदे और नुकसान (Barley Benefits and side effects in Hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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