Stanpaan karane ke fayde in Hindi ब्रेस्टफीडिंग या स्तनपान के फायदे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए वरदान से कम नहीं होता है। मां के दूध में आवश्यक खनिज, विटामिन, प्रोटीन, वसा और एंटीबॉडी पाये जाते हैं जो बच्चे के मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। माना जाता है कि बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर बच्चे को मां का गाढ़ा पीला दूध अच्छी तरह से पिलाना जरूरी होता है और यह किसी भी हाल में नहीं भूलना चाहिए। इसके अलावा स्तनपान कराने से मां का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है और उसे समय से पहले मेनोपॉज नहीं होता है और स्तन कैंसर सहित अन्य बीमारियों से भी मां की सुरक्षा होती है। इस आर्टिकल में हम आपको स्तनपान कराने से मां और बच्चे को होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।
विषय सूची
1. ब्रेस्ट फीडिंग के फायदे – Breastfeeding Benefits in Hindi
2. बच्चे को स्तनपान कराते समय सावधानियां – Precautions during breastfeeding in Hindi
माँ का अपने बच्चें को अपना दूध पिलाना और उसका ख्याल रखना अपनी ममता का प्रतीक होता है। माँ का दूध बच्चे के लिए किस प्रकार से लाभदायक है, आइये इसे विस्तार से जानते हैं।
जन्म के कुछ वर्षों तक बच्चे का शरीर बहुत संवेदनशील होता है जिसके कारण जल्दी ही बीमारियों की चपेट में आ जाता है। बच्चे को स्तनपान कराने से उसे निमोनिया और जुकाम नहीं होता है। मां के दूध में वह सभी पोषक तत्व होते हैं जो शिशु के लिए जरूरी होते हैं। इसलिए स्तनपान कराने से बच्चा के शरीर बचपन से ही स्वस्थ बनना शुरू हो जाता है।
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एक स्टडी में पाया गया है कि मां जब शिशु को सीने से लगाकर स्तनपान कराती है तो इसका बच्चे पर प्राकृतिक रूप से बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। स्तनपान कराने से बच्चे का मानसिक विकास उन बच्चों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर होता है जो बचपन में स्तनपान नहीं किये होते हैं।बचपन में अच्छी तरह स्तनपान कराने से बच्चे के सीखने, समझने और हर क्षेत्र में प्रदर्शन की क्षमता बेहतर होती है।
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जब बच्चा मां के स्तन से दूध पीता है तो उसके चेहरे की मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है जिसके कारण चेहरे की मांसपेशियों(facial muscle) का विकास होता है। इसलिए इस मायने में स्तनपान बहुत फायदेमंद होता है। जबकि बॉटल से दूध पीने पर बच्चे के मुंह में बैक्टीरिया चला जाता है और बच्चे के लिए प्लास्टिक की बॉटल से दूध पीना नुकसानदायक भी होता है।
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यदि कोई मां अपने बच्चे को अच्छी तरह से स्तनपान कराती है तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि बच्चे को जन्म देने के दौरान मां के शरीर से जितने खून की क्षति हुई रहती है वह दोबारा से शरीर में बन जाता है और गर्भाशय अपने सामान्य आकार में लौट आता है।स्तनपान कराने से ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन का स्राव होता है जिसके कारण मां को बच्चे के प्रति अधिक दुलार आता है।
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आमतौर पर हम सभी देखते हैं कि बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के शरीर का वजन बढ़ जाता है और उसका फिगर खराब हो जाता है। लेकिन बच्चे को काफी अच्छी तरह स्तनपान कराने से महिलाओं का मोटापा दूर हो जाता है और उन्हें हाइपरटेंशन का खतरा भी नहीं रहता है। स्तनपान के दौरान जब महिला के शरीर में दूध बनता है तब शरीर की कैलोरी अपने आप नष्ट होने लगती है जिससे शरीर फिर से पहले जैसी अवस्था में आ जाता है।
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अभी हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया है कि बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाएं टाइप 2 डायबिटीज का जल्दी शिकार नहीं होती हैं। इसका कारण यह है कि स्तनपान कराने से कोशिकाएं इंसुलिन नामक हार्मोन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं जिसके कारण महिला इस बीमारी से बच जाती है। इसके अलावा बच्चे को भी किशोरावस्था में डायबिटीज नहीं होता है।
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माना जाता है कि जब मां चिकन, अंडा, फल, दूध, ब्रोकली जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों को खाकर अपने बच्चे को स्तनपान कराती है तो इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि बच्चा जल्द ही ठोस पदार्थ खाने लगता है और उसे किसी भी भोजन के स्वाद से परहेज नहीं होता है। यह भी देखा गया है कि फार्मूला मिल्क पीने वाले बच्चों की अपेक्षा स्तनपान करने वाले बच्चे दिन प्रति दिन नये स्वाद का आहार चखना चाहते हैं।
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वर्ष 2009 में जर्मनी में की गई एक स्टडी में पाया गया है कि बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यौन संचारित रोग(SIDS) नहीं होते हैं। यदि बच्चा एक महीने तक की उम्र का है तो उसे स्तनपान कराने से यौन संचारित बीमारियों का खतरा आधा हो जाता है। जबकि एक दूसरी स्टडी में पाया गया है कि जो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उनमें धूम्रपान करने वाली महिलाओं से कहीं ज्यादा यौन संचारित रोग होने का खतरा रहता है।
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बच्चे के जन्म के बाद बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाओं में डिप्रेशन की संभावना कम हो जाती है। देखा गया है कि प्रेगनेंसी के दौरान करीब 15 प्रतिशत महिलाएं डिप्रेशन की चपेट में आती हैं। लेकिन बच्चे को जन्म देने के बाद बच्चे का शरीर मां के शरीर के संपर्क में आता है तो मां को एक अलग तरह का एहसास होता है और उसके शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का उत्पादन अधिक होने के कारण डिप्रेशन दूर हो जाता है।
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जो महिलाएं बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उनमें गर्भाशय और स्तन कैंसर होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। एक स्टडी में पाया गया है कि छह से चौबीस महीनों तक लगातार बच्चे को स्तनपान कराने से 11 से 25 प्रतिशत महिलाओं में स्तन कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है। यही कारण है कि स्तनपान कराना बेहद फायदेमंद होता है।
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