Giloy Ke Fayde: गिलोय जिसे वनस्पतिक भाषा में Tinospora cordifolia के नाम से जाना जाता है एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक हर्ब है। आयुर्वेद के अनुसार अधिकांश मनुष्य वात विकारों से पीड़ित होते हैं और गिलोय के फायदे में गिलोय के रस और पत्तियों में वात विकारों को दूर करने की गुणकारी औषधि होती है। इसको कई नामों से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि।
गिलोय के फायदे और नुकसान जान कर आप हैरान रह जाएगें। क्योंकि साधारण सी दिखने वाली गिलोय में आयुर्वेदिक औषधीय गुण होते हैं। यही कारण है कि आयुर्वेद का ज्ञान रखने वाले लोग गिलोय का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए करते हैं।
जड़ी बूटी होने के नाते गिलोय के फायदे मधुमेह को नियंत्रित करने, पाचन को सुधारने, अस्थमा का इलाज करने, गठिया का उपचार करने, आंखों को स्वस्थ्य रखने और कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए होते हैं। आज इस आर्टिकल में आप लगभग लुप्तप्राय जड़ी बूटी गिलोय के फायदे और नुकसान जानेगें। आइए जाने गिलोय के बारे में।
गिलोय की पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस अच्छी मात्रा में पाया जाता है और इसके तनों में स्टार्च की भी काफी मात्रा में होता है। नीम के पेड़ पर गिलोय की बेल को चढ़ा देने से इसके गुणों में अधिक बढ़ोतरी हो जाती है।
गिलोय औषधीय गुणों से भरपूर एक जड़ी बूटी है जिसका आयुर्वेद में व्यापक उपयोग किया जाता है। कुछ लोग गिलोय को गुडूची के नाम से भी जानते हैं। गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डिफ़ोलिया (Tinospora Cordifolia) है। इस औषधी का उपयोग किसी भी उम्र के महिला पुरुषों के लिए किया जा सकता है।
यह एक प्रकार की वेल होती है जो दूसरे पेड़ों की सहायता से ऊपर की तरफ बढ़ती है। इस वेल के सभी हिस्सों का औषधीय उपयोग किया जा सकता है। लेकिन इसके तने और जड़ का विशेष उपयोग है। गिलोय का उपयोग इसके रस, पेस्ट और कैप्सूल आदि के रूप में किया जाता है। आइऐ जाने गिलोय पौधे के बारे में।
जड़ी बूटी के रूप में उपयोग की जाने वाली गिलोय का पौधा एक पर्णपाती बेल की तरह झाड़ी होती है। इसकी शाखाएं बहुत ही फैली हुई होती हैं। इस पौधे के डंठल लगभग 15 सेंटी मीटर तक लंबे होते हैं जिनमें पत्तियां होती हैं। गिलोय की पत्तियां अंडाकार या पानी की आकृति की होती है जो लगभग 8 से 15 सेंटीमीटर लंबी होती है।
गिलोय का पत्ता जालीदार होता है जिसका रंग नीचे तरफ सफेद होता है। इस पौधे के फूल छोटे और हल्के पीले हरे रंग के होते हैं। नर फूल गुच्छेदार होते हैं जबकि मादा फूल आमतौर पर अकेले होते हैं। आइए जाने गिलोय के औषधीय गुण और पोषक तत्व क्या हैं।
पोषक तत्वों और गिलोय के औषधीय गुणों के कारण ही इसे विशेष जड़ी बूटी माना जाता है। गिलोय जड़ी बूटी में एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-आर्थ्रिटिक, एंटी-एलर्जी, मलेरिया-रोधी, एंटी-डायिबिटिक, और एंटी-इंपोटेंसी गुण होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि गिलोय में एंटीऑक्सीडेंटों की भी उच्च मात्रा होती है।
इन सभी गिलोय के औषधीय गुणों कारण इसका विभिन्न प्रकार की दवाओं में व्यापक उपयोग किया जा रहा है। आइए जाने गिलोय के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।
आयुर्वेदिक औषधी के रूप में गिलोय की जड़, तने और पत्ते का उपयोग किया जाता है। आयुर्वेदिक उपचार के रूप में इन्हें कच्चे ही या इनका रस निकालकर उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसका अपना एक विशेष कड़वा स्वाद होता है जिसका कारण इसमें मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुण हैं।
गिलोय की बेल को टुकड़े-टुकड़े करके, उनका रस निकालकर इस्तेमाल किया जाता है। इसका रस कड़वा और कसैला होता है। गिलोय का पौधा अपने गुणों के कारण वात, पित्त और कफ से जुड़ी विभिन्न बीमारियों को ठीक करती है। गिलोय के स्वास्थ्य लाभ – बुखार, बवासीर, खांसी, हिचकी रोकना, मूत्रअवरोधक, पीलिया, एसिडिटी, आँखों के रोग, शुगर की बीमारी, आदि के नियंत्रण में रखने और रक्त विकारों को ठीक करने के लिए गिलोय का सेवन किया जा सकता है।
इसके रस को कई रोग जैसे पीलिया, गठिया, कब्ज, डेंगू, बुखार, पेट सम्बन्धी रोग, मूत्ररोग, त्वचा सम्बन्धी रोग आदि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में गिलोय का प्रयोग सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी को ठीक करने में विशेष रूप से किया जाता है। रक्तवर्द्धक होने के कारण यह खून की कमी यानी एनीमिया में बहुत लाभ पहुंचाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में गिलोय या गुडूची (Guduchi) को अमृत के समान माना गया है। गिलोय का संस्कृत नाम अमृतवल्ली है। जिसका उल्लेख प्राचीन स्वास्थ्य साहित्यों में मिलता है। वैज्ञानिक भी गिलोय के आयुर्वेदिक लाभों की पुष्टि करते हैं। सामान्य रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्छा विकल्प है। यदि सही मात्रा और पूरी जानकारी के साथ इस जड़ी बूटी का सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं से हमें बचा सकती है।
बहुत पुरानी खांसी के इलाज के लिए गिलोय के रस का सेवन किया जाता है। दो चम्मच गिलोय का रस हर रोज सुबह लेने से खांसी से काफी राहत मिलती है। यह उपाय तब तक आजमाए जब तक खांसी पूरी तरह ठीक ना हो जाए।
कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सीधा असर आपके पाचन तंत्र पर पड़ता है। लेकिन इस प्रकार के लक्षणों को कम करने के लिए गिलोय का उपयोग प्रभावी माना जाता है। जिससे आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ्य रखने में मदद मिलती है। यदि आपका पाचन तंत्र कमजोर है या क्षतिग्रस्त है ऐसी स्थिति में घरेलू उपचार के लिए गिलोय प्रभावी होता है।
इसके लिए आप गिलोय पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। आप आधा ग्राम गिलोय पाउडर और आंवले के पाउडर का कुछ दिनों तक नियमित सेवन करें। जल्दी राहत पाने के लिए आप छाछ या मठ्ठा के साथ गिलोय रस का भी सेवन कर सकते हैं। यह आपके मानसिक तनाव को कम कर अपच को रोकने में मदद करता है।
गिलोय में antipyretic गुण पाए जाते हैं इसलिए इस हर्ब को बुखार कम करने वाली आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय को शहद के साथ लेने से मलेरिया का बुखार भी दूर हो जाता है|
आजकल चिकनगुनिया जैसे वायरल बुखार के ठीक होने के बाद भी मरीज महीनों तक जोड़ों के दर्द से परेशान रहते है इस स्थिति में गिलोय की पत्तियों से बना काढ़ा लाभ करता है। इसमें 10-20 मि.ली. अरंडी के तेल को मिलाकर पीने से और भी लाभ मिलता है।
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गिलोय के लाभ पाचन समस्या को दूर करने के साथ ही बवासीर का इलाज करने में भी होते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि गिलोय में बवासीर का इलाज करने के गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर गिलोय बवासीर की सूजन और दर्द से भी राहत दिला सकते हैं। इसके लिए गिलोय के रस का नियमित सेवन करना लाभकारी होता है।
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कई प्रकार के फंगल संक्रमण और सामान्य बीमारियों का कारण कमजोर प्रतिरक्षा शक्ति है। जिन लोगों की इम्यूनिटी पावर कम होती है वे आसानी से सर्दी, जुकाम और अन्य समस्याओं के शिकार हो जाते हैं। लेकिन गिलोय का इस्तेमाल आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं।
यह शरीर में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं से लड़ते हैं और फ्री रेडिक्ल्स के प्रभाव से बचाते हैं। इस तरह से मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आप भी गिलोय का इस्तेमाल कर इस प्रकार की समस्या से बच सकते हैं।
इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं सर्दी जुकाम, बुखार आदि में एक अंगुल मोटी व 4 से 6 इंच लम्बी गिलोय का तना लेकर 400 मि.ली पानी में उबालें, 100 मिली रहने पर पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून-सिस्टम) को मजबूत करती है बुजुर्ग व्यक्तियों में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम, बुखार आदि को ठीक करता है।
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डायिबिटीज भारत जैसे देशों में एक आम समस्या बन चुकी है। लेकिन गिलोय के फायदे मधुमेह को रोकने में सहायक होते हैं। गिलोय में हाइपोग्लाइकेमिक (hypoglycaemic) गुण होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसलिए यह जड़ी बूटी मधुमेह रोगीयों के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है।
गिलोय विशेष रूप से मधुमेह प्रकार 2 का प्रभावी इलाज कर सकता है। मधुमेह रोगी अपने रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए गिलोय जूस का सेवन कर सकते हैं। यदि आप भी मधुमेह रोगी हैं तो गिलोय के फायदे आपके लिए हो सकते हैं।
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अध्ययनों से पता चलता है कि तनाव कई बीमारियों का प्रमुख कारण होता है। तनाव न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। यदि आप तनाव से छुटकारा चाहते हैं तो गिलोय जूस का उपयोग कर सकते हैं। गिलोय के रस में एडाप्टोजेनिक (adaptogenic) गुण होते हैं। जिसके कारण यह मानिसक तनाव और चिंता आदि को कम करने में मदद करता है।
नियमित रूप से गिलोय रस का सेवन शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर करने में सहायक होता है। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए भी गिलोय को अन्य जड़ी बूटीयों के साथ उपयोग किया जाता है। यदि आप तनाव और अवसाद जैसी समस्या से ग्रसित हैं तो गिलोय के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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एक प्रकार सांस संबंधी गंभीर समस्या जिसे अस्थमा के नाम से जाना जाता है। अस्थमा के कारण सीने में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, आवाज में घरघराहट आदि की समस्या हो सकती है। अस्थमा जैसी गंभीर समस्या के लिए गिलोय का प्रयोग फायदेमंद होता है।
इस बीमारी को दूर करने के लिए गिलोय की जड़ को चबाने या इस जड़ का रस पीने के फायदा होता है। यदि आपके आसपास कोई दमा रोगी है तो आप उसे गिलोय का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं।
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गिलोय में एंटी ageing, एंटीऑक्सीडेंट, और दुसरे skin friendly गुण पाए जाते हैं जो की आपको असमय बुढ़ापे से बचाते हैं और आपकी त्वचा को लम्बे समय तक जवान और सुन्दर बनाये रखने में मदद करते हैं| इसलिए गिलोय उम्र बढ़ने के लक्षणों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चेहरे पर झाइयाँ, मुंहासे, pimples, झुर्रियां,काले धब्बे, एक्जिमा आदि गिलोय के रस को लगाने से सब त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं।
प्राचीन काल से ही भारत के निवासी आयुर्वेदिक औषधीयों का व्यापक उपयोग कर रहे हैं। कुछ हिस्सों में आंखों के देखने की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी गिलोय का उपयोग किया जा रहा है। इसके लिए गिलोय के रस को आंखों पर लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गिलोय का रस दृष्टि स्पष्टता को बढ़ाने में सहायक होता है।
इसके लिए आप गिलोय पाउडर को पानी में उबालें और इसे ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद इस काढ़े को आंखों की पलकों के ऊपर लगाएं। गिलोय के औषधीय गुण देखने की क्षमता में वृद्धि कर सकते हैं।
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गंभीर बीमारी के रूप में गठिया को जाना जाता है जिसमें शरीर के जोड़ वाले हिस्सों में दर्द और सूजन होती है। यह बहुत ही कष्टदायक रोग है जिसका प्रभावी इलाज गिलोय से किया जा सकता है। गिलोय में एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी आर्थ्रिटिक गुण होते हैं। इन गुणों के कारण गिलोय का उपयोग गठिया के लक्षणों को कम कर सकता है।
गठिया के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप गिलोय के तने को सुखा कर पाउडर बना लें। इसके बाद इस पाउडर को दूध के साथ उबालकर सेवन करें। यह गठिया के इलाज में अहम योगदान देता है। इस तरह से आप भी गिलोय का सेवन कर गठिया का उपचार कर सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय का उपयोग सेक्स लाइफ को बेहतर बना सकता है। गिलोय में ऐसे गुण होते हैं जो शारीरिक कमजोरियों को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा गिलोय के लाभ कामेच्छा को बढ़ाने और यौन संबंधों को सुधारने में सहायक होते हैं। अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि गिलोय का नियमित सेवन कर यौन कमजोरी को दूर किया जा सकता है।
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एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होने के कारण गिलोय के लाभ सूजन से छुटकारा दिला सकते हैं। यही कारण है कि गठिया रोगी के लिए यह दवा बहुत प्रभावी होती है। इसके अलावा आप सामान्य चोट आदि की सूजन का इलाज भी गिलोय से कर सकते हैं। इसके लिए आप गिलोय उत्पादों का सेवन कर सकते हैं या फिर गिलोय पाउडर के लेप को प्रभावित क्षेत्र में लगा सकते हैं।
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आप अपने उचित स्वास्थ्य के लिए गिलोय जूस का सेवन कर सकते हैं। इस जूस को बनाने के लएि आपको केवल गिलोय की बेल (लगभग 8-10 फीट लंबी) की आवश्यकता होती है। आप इस बेल को लें और इसे अच्छी तरह से साफ कर लें। आप इस बेल की छाल को भी निकाल दें। अब इस बेल को छोटे-छोटे टुकडे कर लें और इन्हें अच्छी तरह से पीस लें। जब यह अच्छा पेस्ट बन जाए तो इसे पानी में मिलाकर उबाल लें। इस उबले हुए पानी को पहले ठंडा होने दें और फिर इसके बाद इसे छान कर किसी बर्तन में इक्हट्ठा कर लें। आपका औषधीय गिलोय जूस तैयार है।
विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ होने के बाद भी गिलोय के कुछ दुष्प्रभाव होते हैं। इसलिए इस औषधी का उपयोग करने से पहले गिलोय के नुकसान जान लेना फायदेमंद होता है। इसके अलावा अधिक मात्रा में इस जड़ी बूटी का सेवन नुकसान दायक हो सकता है।
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