Bhringraj Oil benefits in Hindi जानिए भृंगराज तेल के फायदे और नुकसान – Bhringraj Oil benefits and side effects in Hindi के बारे में, भृंगराज तेल एक आयुर्वेदिक दवा है जो आपके बालों के संपूर्ण विकास को बढ़ावा देती है। भृंगराज का वैज्ञानिक नाम एक्लिप्टा अल्बा (Eclipta Alba) है। इसका उपयोग हम जड़ी बूटी के रूप में भी करते है। भृंगराज तेल के फायदे त्वचा रोग, खांसी, अस्थमा, आंखों के विकार, और सिर से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने में मदद करते है। बालों के विकास को बढ़ाकर यह उन्हें गिरने, और समय से पहले सफेद होन से बचाता है।
इसमें उपस्थित एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) पुराने घावों, त्वचा, अल्सर, एक्जिमा आदि रोगों को दूर करते है। भृंगराज तेल का सेवन करने से यह लीवर में पित्त (bile) के उत्पादन को बढ़ाता है। भृंगराज तेल का उपयोग कर आप कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से मुक्ति पा सकते है। आइए जानते है भृंगराज तेल के फायदे क्या- क्या है।
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कैल्शियम, लौह (Iron) से भरपूर भृंगराज तेल में विटामिन D, E और मैग्नीशियम भी अच्छी मात्रा में मौजूद रहते है। भृंगराज तेल आपके शरीर को आराम दिलाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह बहुत सी चिकित्सीय फायदों के लिए जाना जाता है। भृंगराज तेल में बहुत से एंटी आक्सिडेंट और एंटी बैक्टीरियल (Anti bacterial) गुण भी होते है।
बालों की समस्याओं और खोपड़ी (scalp) के संक्रमण के लिए भृंगराज आयुर्वेदिक औषधी होती है। भृंगराज से निकलने वाला तेल बहुत सी बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है। भृंगराज तेल का उपयोग कर आप अपने बालों को भूरा होने से बचा सकते है। यह आपके बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है। भृंगराज तेल आपके के उपचार के साथ मुंहासों (Acne) को भी दूर करने में मदद करता है।
स्वस्थ्य यकृत (Healthy liver) हार्मोन और वसा को बढ़ा कर हानिकारक पदर्थों को हटाने में मदद करता है। यह शरीर में हार्मोन स्तर में सुधार करके बालों के गिरने की की गति को कम करता है। भृंगराज तेल का उपयोग गिरते बालों की रोकथाम और उपचार के लिए बहुत महात्वपूर्ण होता है। आयुर्वेद के अनुसार ज्यादा बाल झड़ना पित्त या कफ के कारण हो सकता है। ऐसे मामले में बाल कमजोर और पतले होते है। बाल झड़ने का दूसरा कारण आपकी खोपडी का शुष्क होना भी है।
भृंगराज तेल इन सभी दोषों को दूर करता है। यह पित्त और कफ (PITTA or KAPHA) को कम करता है। भृंगराज तेल का नियमित उपयोग त्वचा को स्वस्थ्य रखने के लिए रक्त परिसंचरण (Blood circulation) बढ़ाता है और बालो को पोषण प्रदान करने में मदद करता है।
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आयुर्वेद के अनुसार रूसी तीन प्रकार वात डोमिनेंस (Vata Dominance), पित्त डोमिनेंस और कफ डोमिनेंस की होती है। भृंगराज तेल इन सभी प्रकार की रूसी को दूर करने में मदद करता है। रूसी से छुटकारा पाने के लिए भृंगराज तेल से दैनिक 5-10 मिनिट की मालिश आवश्यक है। आप अपने बालों में नियमित रूप से इस तेल का उपयोग कर सकते है। मालिश के लिए गुनगुना (Lukewarm) भृंगराज हेयर ऑयल का उपयोग करना चाहिए।
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समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकने के लिए भृंगराज तेल उपयोगी होता है। भृंगराज तेल में भृंगराज और जटामांसी के पोषक तत्व होते है जो बाल के समय से पहले भूरे रंग को रोकने और उपचार करने में मदद करते है। अच्छे परिणाम पाने के लिए भृंगराज तेल का उपयोग प्रतिदिन लगभग 6 माह तक उपयोग करने की आवश्यकता होती है। आमतौर पर यह परेशानी शरीर में अतिरिक्त पित्त दोष (PITTA DOSHA) के कारण होती है। ऐसे मामले में आयुर्वेदिक औषधीयों के साथ साथ फल और हरी सब्जियों का सेवन करना लाभकारी होता है।
लीवर की सूजन से बिलीरुबन (bilirubin) को एकत्रित करने और छिपाने की क्षमता में कमी हो सकती है, जिसके कारण रक्त में बिलीरुबिन की अधिकता हो सकती है। इस स्थिति को हाइपरबिलीरुबिनेमिया (hyperbilirubinemia) भी कहा जाता है। आयुर्वेद में भृंगराज तेल को अन्य सामग्री के साथ मिलाकर पीलिया का उपचार किया जाता है।
भृंगराज के 10 मिली लीटर तेल में काली मिर्च 1 ग्राम और मिश्री 3 ग्राम मिलाए। इस मिश्रण को दिन में 3 से 4 बार लगभग 5 दिनों तक सेवन करे। यह पीलिया रोग (jaundice)की रोकथाम के लिए प्रभावी होता है। इस उपचार के दौरान दही और चावल खाने की सलाह दी जाती है।
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पुरानी बुखार को ठीक करने के लिए भृंगराज तेल का उपयोग अन्य आयुर्वेदिक दवाओं के साथ उपयोग किया जाता है। जब यकृत (Liver) के स्वास्थ्य में कमी होती है या प्लीहा (spleen) में वृद्धि होती है तब इसका उपयोग किया जाता है। ऐसी स्थिति में रोगी की पाचन शक्ति कम हो जाती है, उसे भूख भी कम लगती है और कफ दोष (Kapha Dosha) से पीड़ित होता है। ऐसे मामले में भृंगराज तेल को दूध के साथ लिया जा सकता है।
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शहद के साथ भृंगराज का रस का उपयोग कर दमा और खांसी का उपचार किया जा सकता है। यह आपके फेफड़ों की सफाई करती है। यह फेफड़ों में श्लेष्म (mucus) को इक्हट्टा होने से रोकता है। अच्छे परिणामों के लिए भृंगराज तेल का उपयोग सीतापालाड़ी (Sitopaladi) चूर्ण के साथ किया जा सकता है।
बच्चों में भृंगराज तेल और शहद की बराबर मात्रा दिन में 3-4 बार दिया जाता है। या फिर उन्हें सांस लेने में राहत नहीं मिलती है।
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सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याओं को दूर करने में भृंगराज तेल का उपयोग दो प्रकार से किया जाता है।
आंतरिक उपयोग : सिरदर्द और माइग्रेन में भृंगराज रस रोजाना तीन से पांच मिली ग्राम तक सेवन करना चाहिए यह आपके सिरदर्द और माइग्रेन को कम करने में मदद करेगा।
बाहरी उपयोग : माइग्रेन के इलाज के लिए इसे नाक प्रजनन (Nasya) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसके लिए भृंगराज रस और बकरी के दूध की बराबर मात्रा लेकर सूर्योदय से पहले प्रत्येक नथुने में 2-3 बूंदे डाली जाती है। यह बहुत ही असरदार होता है जब रोगी का सिरदर्द सूर्योदय के साथ-साथ बढ़ता है और सूर्यास्त के साथ कम होता ।
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इसके तेल का उपयोग सभी प्रकार की त्वचा समस्या जैसे सोरायसिस (psoriasis), मुंहासे और फटी हुई एडियों के इलाज में किया जाता है। भृंगराज तेल का उपयोग कर घावों को तेजी से ठीक किया जा सकता है।
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इस तेल का उपयोग कर आप अपनी आंखों की द्रष्टि क्षमता बढ़ा सकते है। इसके लिए नाक में भृंगराज तेल की 2-2 बूंदें प्रतिदिन सुबह डालना चाहिए। यह आपकी देखने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा।
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गर्भावस्था के नुकसान को रोकने के लिए भृंगराज तेल का उपयोग किया जाता है। बार बार गर्भापात (Miscarriage) की समस्या से पीडित महिला को प्रतिदिन सुबह गाय के दूध के साथ लगभग 3 ग्राम भृंगराज तेल का सेवन करना चाहिए। इसका उपयोग गर्भापात रोकने और गर्भाशय को मजबूत करने के लिए किया जाता है। अच्छे परिणाम के लिए इसे गर्भाधारण के पहले से उपयोग करना चाहिए और गर्भावस्था के समय में भी जारी रखना चाहिए। इसमें अश्र्वगंधा को मिलाकर भी उपयोग किया जा सकता है।
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मुंह के छालों को दूर करने के लिए भृंगराज की ताजा पत्तियों के चबाने से राहत मिलती है।
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हेपेटाइटिस सी के इलाज में भृंगराज तेल का उपयोग किया जाता है। भृंगराज तेल में एंटी-एचसीवी (anti-HCV) गुण होते है। इसके सक्रिय घटक वेडेलालेक्टोन और ल्यूटोलिन एचसीवी की गतिविधी को रोकने में सहायक होते है। भृंगराज तेल यकृत के स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ रोग को कम करने में मदद करता है। इसके अच्छे परिणाम पाने के लिए भृंगराज तेल में नागार्मोथा (Nagarmotha) को मिलाया जा सकता है। यह हेपेटाइटिस सी के साथ साथ हेपेटाइटिस बी के उपचार में भी उपयोगी होता है।
अधिकांश व्यक्तियों के लिए भृंगराज संभावित रूप से सुरक्षित है। भृंगराज अपने प्राकृतिक रूप पाउडर, तेल या रस के रूप में स्वास्थ्य सलाहकार के निर्देश के अनुसार निश्चित मात्रा में उपयोग करना चाहिए।
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आमतौर पर भृंगराज तेल का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, यदि इसका उपयोग अंतर्दृष्टि दोष (underlying Dosha) और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार किया जाता है।
आइए जाने भृंगराज तेल के नुकसान क्या है। Bhringraj Oil ke Nukshan in Hindi
भृंगराज तेल का उपयोग सिर (scalp) में करने पर कोई नुकसान नहीं होता है पर नाक में उपयोग करने से कुछ परेशानियां आ सकती है जो निम्न है।
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