Bilva Leaves In Hindi: भारत में बेलपत्र का विशेष महत्व है क्योंकि बेलपत्र का उपयोग भगवान शंकर को खुश करने के लिए उपयोग किया जाता है। बेलपत्र या बिल्व लीफ भगवान शिव की तीनों आंखों को दर्शती हैं। हालांकि आध्यात्म की दृष्टि से बेलपत्र के फायदे होने के साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है। बेल का पेड़ भारतीय संस्कृति में पूजनीय वृक्ष है। ऐसा कहा जाता है कि बेल के पेड़ में देवताओं का वास होता है। प्राचीन आध्यात्मिक ग्रंथों में भी बेलपत्र का उल्लेख मिलता है। आज इस लेख में आप बेलपत्र के फायदे और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्त करेगें।
बेलपत्र का वैज्ञानिक नाम ऐगल मार्मेलोस एल (Aeglemarmelos L) है जिसे आमतौर पर बेल के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा बेलपत्र के पेड़ को अन्य नामों से जैसे बंगाल क्वीन, गोल्डन एप्पल, जापानी बिटर ऑरेंज, स्टोन एपप्ल या बुड एप्पल आदि। बेल का पेड़ रटैसी (Ratasi) परिवार से संबंधित है।
बेलपत्र के फायदे इसमें मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुणों के कारण होते हैं। बेल के पत्तों में एंटीडायबिटिक, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। इन सभी गुणों के कारण ही बेलपत्र को औषधीय जड़ी बूटी के रूप में उपयोग किया जाता है।
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प्राचीन समय से ही बेल के फल और बेलपत्र का उपयोग आयुर्वेद में किया जा रहा है। बेल के पेड़ के लगभग सभी हिस्सों में औषधीय गुण होते हैं। जिनका उपयोग कई गंभीर और सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। आध्यात्म की दृष्टि के साथ ही स्वास्थ्य के लिए बेलपत्र का विशेष महत्व है। आइए जाने बेल की पत्ती का उपयोग किस प्रकार और कौन सी बीमारी के लिए किया जा सकता है।
जिन लोगों को श्वसन संबंधी समस्याएं होती है उनके लिए बेल का पेड़ बहुत ही लाभकारी होता है। आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा और सर्दी जैसे लक्षणों को दूर करने के लिए बेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। बहुत से लोग जानते हैं कि बेल से एक प्रकार का तेल निकाला जाता है। यह तेल अस्थमा और सर्दी के अलावा अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं को प्रभावी रूप से ठीक करने में सहायक होता है। आप भी किसी आयुर्वेद चिकित्सक के परामर्श के अनुसार बेल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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मधुमेह रोगी को बेलपत्र का उपयोग करना चाहिए। बेलपत्र के गुण शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इसका कारण यह है कि बेलपत्र में पेट साफ करने वाले गुण (laxatives) होते हैं। जो शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में सहायक होते हैं। यदि आप भी मधुमेह रोगी हैं तो नियमित रूप से प्रतिदिन 2 से 3 बेलपत्र का सेवन करें। यह आपके शरीर में रक्तर्शकरा के स्तर को नियंत्रित कर सकता है।
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पाचन संबंधी समस्याओं और विशेष रूप से दस्त, पेचिश आदि का उपचार करने के लिए बेल के फल और बेल की पत्तियों का उपयोग किया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बेलपत्र में टैनिन (tannin) की अच्छी मात्रा होती है। टैनिन दस्त और पेचिश आदि के लक्षणों को दूर करने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक होता है। इस प्रकार की समस्या से बचने के लिए आप बेल के कच्चे फल या बेलपत्र के चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं।
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अध्ययनों से पता चलता है कि बेलपत्र में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसके कारण शरीर में आने वाली सूजन को दूर करने के लिए बेल के पत्तों का उपयोग किया जा सकता है। शरीर के किसी हिस्से में सूजन होने के दौरान आप बेलपत्र का पेस्ट बनाएं और प्रभावित क्षेत्र में लगाएं। इसके अलावा आप बेल के अर्क का उपयोग भी सूजन प्रभावित क्षेत्र में कर सकते हैं। इस तरह से आप सूजन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए आप बेलपत्र का उपयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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बेलपत्र में एंटी फंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं। इन गुणों की मौजूदगी के कारण बेल के पत्तों के रस का उपयोग आप घाव और अन्य चोटों में कर सकते हैं। क्योंकि यह घावों में होने वाले संक्रमण को फैलने से रोक सकता है। अध्ययनों से भी पता चलता है कि बेलपत्र जूस के औषधीय गुण संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया के विकास को रोकने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होते हैं। यदि आपको घाव या फोड़े हैं तो आप इनका उपचार करने के लिए बेलपत्र जूस का उपयोग कर सकते हैं।
कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बेलपत्र चूर्ण लाभकारी होता है। यदि आप भी कब्ज और इससे होने वाली अन्य समस्याओं से बचना चाहते हैं तो औषधीय बेलपत्र चूर्ण का उपयोग करें। कब्ज का उपचार करने के लिए आप बेलपत्र चूर्ण के साथ थोड़ी मात्रा में नमक और कालीमिर्च को मिलाएं। इस मिश्रण का नियमित सेवन कब्ज का प्राकृतिक इलाज करता है। इसके अलावा बेलपत्र चूर्ण के लाभ आंतों में मौजूद विषाक्तता को भी दूर कर सकते हैं।
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बेल को विटामिन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। स्कर्वी रोग विटामिन सी की कमी के कारण होता है। लेकिन नियमित रूप से बेल और बेलपत्र का सेवन करने से आप शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर कर सकते हैं। जिससे आपको स्कर्वी के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
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नियमित रूप से बेलपत्र का सेवन करना आपके हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसके अलावा आप अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए बेलपत्र फल का भी उपयोग कर सकते हैं। नियमित रूप से बेल फल के रस के साथ घी का सेवन करना दिल की बीमारियों को दूर कर सकता है। यह एक पारंपरिक तरीका है जिसका उपयोग प्राचीन समय से दिल के दौरे जैसी समस्याओं के इलाज में किया जा रहा है।
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बेल के पत्ते कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल हृदय रोगों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का प्रमुख कारण होता है। लेकिन दैनिक आधार पर बेल के पत्तों के अर्क का उपभोग रक्त और शरीर में मौजूद कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा को कम करता है। यदि आप भी अपने शरीर में खराब कोलेसट्रॉल को कम करना चाहते हैं तो बेल के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं।
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स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के साथ ही आप अपने बालों के लिए भी बेलपत्र का उपयोग कर सकते हैं। बेलपत्र में ऐसे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ अच्छी मात्रा में होते हैं जो बालों को बढ़ने में मदद करते हैं। इसके लिए आप अपने द्वारा उपयोग किये जाने वाले हेयर पैक में बेलपत्र पाउडर या पेस्ट को मिला सकते हैं। इसके अलावा बेलपत्र को अच्छी तरह से पीस लें और फिर थोड़े से पानी में घोलकर इस पानी से बालों को धुलें। सप्ताह में 1 बार नियमित रूप से बेलपत्र का उपयोग करने से कुछ ही महिनों में आपको अपने बालों में उचित परिवर्तन देखने मिलेगा।
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बेल के पत्तों का रस या बेलपत्र जूस मधुमेह रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। मधुमेह रोगी को अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए बेलपत्र जूस को नियमित रूप से सुबह के समय पीना चाहिए।
बेलपत्र जूस बनाने के लिए सामग्री –
बेलपत्र जूस तैयार करने के लिए आपको 1 से 2 बेलपत्र, 5 से 6 तुलसी के पत्ते, 2 से 3 पुदीना के पत्ते, 2 से 3 टहनी करी पत्ता, ½ आंवला और 2 चम्मच लौकी के जूस की आवश्यकता होती है।
आप इन सभी उत्पादों को एक ब्लेंडर की मदद से बारीक पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को पर्याप्त पतला करने के लिए आप इसमें पानी मिलाएं। इसके बाद आप अपने स्वादानुसार इसमें काला नमक मिलाएं और सेवन करें। इस बात का ध्यान दें कि इस जूस को अधिक देर तक न रखें। जूस तैयार करने के 1 से 2 घंटे भीतर ही इस जूस का सेवन फायदेमंद होता है।
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सामान्य रूप से बेलपत्र और बेलपत्र फल का उपयोग स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में बेलपत्र का उपयोग करने के नुकसान भी हो सकते हैं। जैसे कि :
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