Biopsy in Hindi बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर से ऊतकों (tissue) या कोशिकाओं (cells) का सैंपल लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है शरीर में कुछ विशेष तरह की बीमारियों के निदान के लिए बायोप्सी करायी जाती है। कुछ लोगों को बायोप्सी से डर लगता है लेकिन यह दर्दरहित एवं कम जोखिम वाली प्रक्रिया है। जानिए बीओप्सी क्या है, बायोप्सी क्या होता है, बीओप्सी मीनिंग इन हिंदी, बायोप्सी जांच, बीओप्सी टेस्ट कॉस्ट, बीओप्सी रिपोर्ट, लिवर बीओप्सी इन हिंदी, किडनी बायोप्सी क्या है के बारे में।
बायोप्सी अलग-अलग तरीकों से की जाती है लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि डॉक्टर को किस तरह के कोशिकाओं का परीक्षण करना है। बायोप्सी कराने का फायदा यह होता है कि इसमें उचित समय पर ही बीमारी का पता चल जाता है जिससे कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों का समय पर इलाज शुरू हो जाता है।
1. बायोप्सी क्या है – What is a biopsy in hindi
2. बायोप्सी कराने का उद्देश्य – Purpose of biopsy in Hindi
3. बायोप्सी कराने का तरीका – Biopsy Procedure in Hindi
4. बायोप्सी के प्रकार – Types of biopsy in Hindi
5. बायोप्सी के फायदे – Benefits of biopsy in Hindi
6. बायोप्सी के नुकसान – Side effects of biopsy in Hindi
Biopsy (बायोप्सी) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर से ऊतकों (tissue) या कोशिकाओं (cells) का सैंपल लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है। शरीर में कुछ विशेष तरह के संकेत एवं लक्षण दिखायी देने पर डॉक्टर उस बीमारी का निदान करने के लिए बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं। बायोप्सी आमतौर पर कैंसर के पहचान के लिए की जाती है।
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कैंसर जैसी घातक और गंभीर बीमारी के निदान के लिए आमतौर पर बायोप्स का सहारा लिया जाता है। लेकिन अन्य बीमारियों की पहचान करने में भी बायोप्सी से काफी मदद मिलती है। बायोप्सी कराने की सलाह तब दी जाती है जब कोई महत्वपूर्ण उपचार शुरू करने से पहले अत्यधिक जानकारी की आवश्यकता होती है। बायोप्सी निम्न कारणों से की जाती है।
Biopsy (बायोप्सी) एक क्षणिक प्रक्रिया होती है और बायोप्सी कराने के तुरंत बाद मरीज अपने घर भी जा सकता है। बायोप्सी आमतौर पर अस्पतालों और क्लिनिक में किया जाता है और इसके लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती है। लेकिन बायोप्सी कराने से पहले मरीज को कुछ खाने-पीने के लिए मना किया जाता है। बायोप्सी करने से पहले त्वचा को साफ किया जाता है और यदि बायोप्सी के लिए मरीज के आंतरिक अंगों से सैंपल निकालना है तो उसे इंजेक्शन के माध्यम से लोकल एनेस्थिया दिया जाता है जिससे त्वचा सुन्न हो जाती है और उसे दर्द का अनुभव नहीं होता है।
फिर उसी सुन्न त्वचा में ही 3 मिमी स्किन पंच का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें एक ब्लेड लगा होता है। इसके माध्यम से फिजिशियन त्वचा पर दबाव बनाता है और ड्रिल करने की कोशिश तब तक करता है जबतक कि स्किन पंच का ब्लेड त्वचा के इपिडर्मिस में छेद न कर दे। इसके बाद वहीं से त्वचा का नमूना (skin sample) लिया जाता है और जिस प्रकार की बायोप्सी करनी हो उसके आधार पर सैंपल की जांच कर रिपोर्ट तैयार की जाती है।
बायोप्सी विभिन्न प्रकार की होती है। इनमें से लगभग सभी बायोप्सी में धारदार उपकरण से थोड़ी मात्रा में ऊतकों को निकाला जाता है। यदि त्वचा या किसी संवेदनशील क्षेत्र की बायोप्सी करनी हो तो उस क्षेत्र को सुन्न (numb) कर दिया जाता है। बायोप्सी निम्न प्रकार की होती है:-
ज्यादातर बायोप्सी नीडल बायोप्सी ही होती है। इसका अर्थ यह है कि संदिग्ध ऊतकों तक पहुंचने के लिए नीडल का उपयोग किया जाता है।
इस प्रकार की बायोप्सी में मरीज को सीटी स्कैनर (CT scanner) में रखा जाता है और स्कैनर इमेज की सहायता से डॉक्टर ऊतकों में सूई की सटीक स्थिति निर्धारित करते हैं।
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इस प्रकार की बायोप्सी में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैनर की सहायता से घाव में सूई की स्थिति का निर्धारण करते हैं।
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हड्डियों में कैंसर का पता लगाने के लिए इस प्रकार की बायोप्सी की जाती है। यह सीटी स्कैन (CT scan) तकनीक के माध्यम से या ऑर्थोपेडिक सर्जन द्वारा किया जाता है।
इस प्रकार की बायोप्सी में अस्थि मज्जा एकत्रित करने के लिए पेल्विस बोन (pelvis bone) में एक लंबी सूई प्रवेश करायी जाती है। यह ल्यूकीमिया और लिम्फोमा (lymphoma) जैसी रक्त से संबंधित बीमारियों का पता लगाता है।
पेट की त्वचा के माध्यम में लिवर में इंजेक्शन दिया जाता है और लिवर के ऊतकों (tissue) को पकड़ा जाता है।
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यह लिवर बायोप्सी की तरह होता है और इसमें त्वचा के माध्यम से पीछे की तरफ से किडनी में इंजेक्शन दिया जाता है।
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इसमें पंच बायोप्सी मुख्य होती है। इसमें एक गोलाकार ब्लेड की मदद से त्वचा कोशिकाओं का बेलनाकार सैंपल लिया जाता है।
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Biopsy (बायोप्सी) का नुकसान और दुष्प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर के किस हिस्से से सैंपल लिया जा रहा है और किस प्रकार की बायोप्सी की जा रही है। हालांकि यह प्रक्रिया ज्यादा जोखिम भरी (riskful) नहीं होती है फिर भी यदि सावधानी न बरती जाये तो नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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