कभी बहुत ज़्यादा ख़ुश रहना तो कभी डिप्रेशन में चले जाना ही बाइपोलर डिसऑर्डर कहलाता है। बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर मानिसिक विकार है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है। बाइपोलर डिसऑर्डर की स्थिति में रोगी में अक्सर मूड स्विंग, गुस्सा, उदास रहना आदि विकार उत्पन्न होते है। यह एक साइक्लिक डिसऑर्डर होता है जिसमें कभी दुख का एपिसोड होता है, तो कभी खुशी का एपिसोड चलता है। पीड़ित व्यक्ति द्वारा इसकी पहचान कर पाना काफी कठिन होता है। अतः यह लेख आपको बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है कारण, लक्षण, इलाज, रोकथाम और बाइपोलर डिसऑर्डर से कैसे बचा जा सकता है? के बारे में जानकारी देगा।
बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इसको मैनिक डिप्रेशन या द्विध्रुवी विकार भी कहते है। बाइपोलर डिसऑर्डर की वजह से मिजाज (मूड) में अचानक बदलाव आता रहता है। इस बीमारी में व्यक्ति का मन कभी बहुत खुश होती है, तो कभी बिना किसी बात के उदास हो जाता है। बाइपोलर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें व्यक्ति के मूड के दो रूपों को दिखाया गया है।
द्विध्रुवी विकार (bipolar disorder) में दो तरह की स्थिति होती है। पहली स्थिति में प्रसन्नता, ऊर्जावान जैसे भावनात्मक विचार उच्च होते हैं, जिसे मैनिक एपिसोड या मेनिया कहा जाता है। तथा दूसरी स्थिति जिसमें उदासी,निराशाजनक, सुस्ती जैसे भावनात्मक विचार उच्च होते हैं, जो कि डिप्रेस्ड एपिसोड की स्थिति होती है। उदासी होने पर व्यक्ति इतना ज़्यादा डिप्रेस हो जाता है कि आत्महत्या जैसी ख़तरनाक कोशिश भी कर बैठता है। ख़ुशी के फेज़ में व्यक्ति बहुत ज़्यादा आत्मविश्वाश से भर जाता है। दोनों ही स्थिति में व्यक्ति अपने आपे में नहीं रहता। इसका असर कई हफ़्ते, महीने या फिर सालों तक बना रहता है।
व्यवहार में परिवर्तन को काफी समय तक न समझ पाने के कारण अक्सर इस बीमारी की पहचान नहीं हो पाती और व्यक्ति इससे वर्षों तक पीड़ित रहता है। नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोगों में भी यह बीमारी पाई जाती है। इसके अलावा मौसम में बदलाव भी इस बीमारी में बड़ा अहम रोल अदा करता है। सर्दी और पतझड़ के मौसम में इस बीमारी से पीड़ित लोगों में तनाव के लक्षण देखे जा सकते हैं।
पीड़ित व्यक्तियों में द्विध्रुवी विकार के विभिन्न प्रकार देखने को मिलते हैं, जिनमें शामिल हैं:
बाइपोलर II डिसऑर्डर, बाइपोलर I डिसऑर्डर का मामूली रूप नहीं है, बल्कि यह एक अलग नैदानिक विकार है। बाइपोलर II डिसऑर्डर वाले व्यक्ति लंबे समय तक उदास रहते हैं, जबकि बाइपोलर I डिसऑर्डर के मैनिक एपिसोड गंभीर और खतरनाक हो सकते हैं।
द्विध्रुवी विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर) में, मूड के उच्च और निम्न भावनात्मक एपिसोड एक निर्धारित पैटर्न का पालन नहीं करते हैं। ये एपिसोड हफ्तों, महीनों और कभी-कभी सालों में भी उत्पन्न हो सकते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) में दो तरह की फेज़ अर्थात स्थितियां होती है, जिसमें अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते है।
मैनिक एपिसोड (मेनिया) और हाइपोमेनिया दो अलग-अलग प्रकार के एपिसोड हैं, लेकिन इनके लक्षण समान हैं। अंतर केवल इस बात का है कि मेनिया में हाइपोमेनिया की तुलना में अधिक गंभीर लक्षण प्रगट होते हैं।
मैनिक और हाइपोमेनिक दोनों ही स्थितियों में तीन या इससे अधिक लक्षण शामिल होते हैं, जो कि निम्न हैं:
बाइपोलर डिसऑर्डर का दूसरा फेज़ डिप्रेशन का होता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति हमेशा दुखी और निराश रहता है। डिप्रेशन फेज़ के प्रत्येक एपिसोड में नीचे दिए गए लक्षणों में से पांच या अधिक लक्षण शामिल होते हैं, जो कि निम्न हैं:
किशोरों और बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है। अक्सर यह बताना मुश्किल होता है कि ये सामान्य लक्षण और मूड में उतार-चढ़ाव द्विध्रुवी विकार (द्विध्रुवी विकार के अलावा) के अलावा किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या या तनाव के संकेत हैं।
बच्चों में डिप्रेसिव या मैनिक एपिसोड के पैटर्न बाइपोलर डिसऑर्डर वाले वयस्कों से भिन्न हो सकते हैं। और एपिसोड के दौरान मूड तेजी से बदल सकता है।
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इस बीमारी का कोई एक कारण नहीं है. लेकिन कभी-कभी निम्न स्थितियां बाइपोलर डिसऑर्डर का कारण बन सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
कुछ कारक द्विध्रुवी विकार (Bipolar Disorder) के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं तथा पहले एपिसोड के लिए ट्रिगर के रूप में कार्य कर सकते हैं, इन कारकों में निम्न शामिल हैं:
समय पर उपचार न किया गया तो, बाइपोलर डिसऑर्डर कुछ गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है, जो पीड़ित व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर की जटिलताओं में निम्न को शामिल किया जा सकता है, जैसे:
उच्च मिजाज परिवर्तन के बावजूद भी बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति यह पहचानने में असमर्थ होते हैं, कि उनके भावनात्मक उतार चढ़ाव के कारण उनका जीवन कितना छतिग्रस्त हुआ है। जागरूकता और बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों की जानकारी ही व्यक्ति को जटिलताओं से बचा सकती है। अतः यदि कोई व्यक्ति डिप्रेशन और मैनिक एपिसोड के लक्षणों का अनुभव करता है तो उसे अपने डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। चूँकि बाइपोलर डिसऑर्डर अपने आप ठीक नहीं होता है। इसलिए पीड़ित व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक होता है।
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डॉक्टर द्विध्रुवी विकार (Bipolar Disorder) की समस्या का निदान करने के लिए निम्न मूल्यांकन प्रक्रियाओं का सहारा ले सकता है:
बाइपोलर डिसऑर्डर का पूरी तरह से इलाज संभव है। मनोचिकित्सक की मदद से पीड़ित व्यक्ति फिर से पहले जैसा हो सकता है। जिन व्यक्तियों को एक वर्ष में चार या अधिक बार मूड एपिसोड या मिजाज में परिवर्तन होते हैं, तथा साथ ही साथ जिन्हें ड्रग या अल्कोहल लेने की लत है, उनका इलाज काफी कठिन होता है।
डॉक्टर द्विध्रुवी विकार की समस्या का इलाज निम्न तरीके से कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
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बाइपोलर डिसऑर्डर की रोकथाम का कोई विशेष तरीका नहीं है। फिर भी मानसिक विकार के शुरुआती लक्षणों का पता लगाकर समय पर उपचार प्राप्त कर व्यक्ति मानसिक स्थितियों को बिगड़ने से रोक सकता है। कुछ रणनीतियाँ और उपाय द्विध्रुवी विकार के लक्षणों को नियंत्रित करने और स्थिति को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
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बहुत से लोगों का मानना है कि द्विध्रुवी विकार से ग्रसित व्यक्ति नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकता। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी से ग्रसित लोग पूरी तरह से नॉर्मल और फैमिली लाइफ एंजॉय करते हैं। ऑफिस से लेकर घर तक की सभी ज़िम्मेदारियों को वो बख़ूबी निभाते हैं। इन्हें देखकर अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है कि ये किसी तरह की बामारी से पीड़ित हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है कारण, लक्षण और बचाव (What is bipolar disorder, symptoms and prevention in hindi) का यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट्स कर जरूर बताएं।
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