Bladder infection in Hindi मूत्राशय या ब्लैडर में संक्रमण अधिकांशतः मूत्राशय के भीतर बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में अमूमन यीस्ट के कारण मूत्राशय का संक्रमण होता है। मूत्राशय में संक्रमण एक प्रकार का यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) है। मूत्रामार्ग में कहीं भी संक्रमण हो सकता है, जैसे-ब्लैडर, किडनी एवं मूत्रपथ। यह बीमारी महिलाओं में अधिक होती है। अधिकांश मामलों में ब्लैडर इंफेक्शन गंभीर होता है और वह अचानक ही हो जाता है। जबकि कई मामलों में यह बीमारी काफी पुरानी होती है और कई बार उभर जाती है। शुरू में ही इस संक्रमण को अधिक फैलने से रोकने के लिए अतिआवश्यक है।
1. मूत्राशय संक्रमण के कारण – Causes of bladder infection in Hindi
2. मूत्राशय संक्रमण होने के लक्षण – Symptoms of bladder infection in Hindi
3. मूत्राशय संक्रमण का इलाज – Treatment of bladder infection in Hindi
4. मूत्राशय संकमण से बचाव – Prevention of bladder infections in Hindi
मूत्रमार्ग (urethra) से होकर बैक्टीरिया मूत्राशय के अंदर प्रवेश कर जाते हैं जिसकी वजह से ब्लैडर में इंफेक्शन हो जाता है। आमतौर पर पेशाब के दौरान ब्लैडर में मौजूद बैक्टीरिया शरीर से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन कुछ बैक्टीरिया मूत्राशय की दीवारों से चिपके हुए होते हैं और ब्लैडर के अंदर ही अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप ब्लैडर इंफेक्शन हो जाता है। ज्यादातर ब्लैडर इंफेक्शन ई-कोलाई (E-ccoli) बैक्टीरिया के कारण होता है।
इस तरह के बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से शरीर की बड़ी आंत में मौजूद रहते हैं। यही बैक्टीरिया जब मल के रास्ते बाहर आते हैं और त्वचा पर चिपक कर मूत्रमार्ग में प्रवेश कर जाते हैं तो संक्रमण उत्पन्न करने लगते हैं। महिलाओं में मूत्रमार्ग बहुत छोटा होता है और मुख बाहर की ओर खुला होता है एवं एनल ( गुदा) के बिल्कुल समीप होता है। यही कारण है कि जीवाणु बहुत ही आसानी से शरीर के अंदर ब्लैडर में प्रवेश कर जाते हैं।
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ब्लैडर में संक्रमण होने के बाद इसके लक्षण बहुत ही सामान्य रूप से दिखाई देते हैं। जब व्यक्ति पेशाब करता है तो मूत्र में कुछ परिवर्तन या शरीर के किसी अंग में असामान्य महसूस होने के आधार पर इसके लक्षणों का पता लगाया जा सकता है।
ब्लैडर का संक्रमण जब अधिक फैल जाता है तब इसके कारण पीठ में भी दर्द होने लगता है। यह दर्द किडनी में इंफेक्शन से जुड़ा होता है। पीठ की मांसपेशियों में दर्द के साथ ही अन्य अंगों में भी यह दर्द निरंतर बना रहता है। किडनी में संक्रमण के कारण अक्सर बुखार रहता है, ठंड लगती है, मिचली और उल्टी आती है। इससे व्यक्ति खुद को अधिक बीमार महसूस करता है। किडनी में इंफेक्शन ब्लैडर के इंफेक्शन से कहीं अधिक गंभीर होता है और इसे ठीक करने के लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।
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यूटीआई अर्थात् मूत्राशय में संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दिया जाता है ताकि किडनी में इंफेक्शन न फैल पाये। एंटीबायोटिक लेना शुरू करने के दो दिनों बाद ही ब्लैडर इंफेक्शन के लक्षण कम होने लगते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का डोज डॉक्टर के बताए अनुसार लें और निर्धारित अवधि तक लें।
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि ब्लैडर इंफेक्शन की समस्या महिलाओं में अधिक होती है। यदि आपको यूटीआई की समस्या हो तो अधिक से अधिक पानी और अन्य पेय पदार्थ पीएं। कैफीन युक्त पेय पदार्थ पीने से परहेज करें। महिलाओं को सेक्स से पहले भी एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करना चाहिए।
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जीवनशैली में बदलाव करके मूत्राशय में संक्रमण होने की संभावना को कम किया जा सकता है। मूत्राशय के संक्रमण में डॉक्टर रोगनिरोधक उपचार की सलाह देते हैं। इसके लिए नियमित एंटीबायोटिक की खुराक लेने की सलाह दी जाती है ताकि मूत्राशय के संक्रमण (bladder infection)को नियंत्रित किया जा सके। आइये जानते हैं कि ब्लैडर इंफेक्शन से बचने के लिए जीवनशैली (lifestyle) में क्या बदलाव करना चाहिए।
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