आयुर्वेदिक उपचार

शरीर की सारी ब्‍लॉक नसें खुल जाएंगी इस दवाई को लेते ही – Open Blocked Veins (DVT)Natural Treatment in Hindi

आपकी लाइफ स्‍टाइल की कुछ खराब आदतों की वजह से जैसे, देर तक बैठे रहना या स्‍मोकिंग आदि की वजह से DVT होने (नसों का ब्‍लॉक होना) का खतरा होता है। कारण जो भी हो, हम आपके लक्षणों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं हम आज जो नुस्‍खा ले कर आए हैं, वो शरीर की नसों को खोलने में मदद करेंगा। यह ऐसा चूर्ण है जिससे शरीर की सारी ब्‍लॉक नसें खुल जाएंगी, जो कि प्राकृतिक चीजों से बनाया गया है।

क्या होता है नसों का ब्‍लॉक होना – Deep vein thrombosis (DVT) in Hindi

डीप वेन थ्रोम्बोसिस (Deep vein thrombosis (DVT) ) की समस्‍या होने पर दिल को रक्त वापिस ले जाने वाली गहरी नाड़ियों में रूकावट हो जाती है। डीवीटी दरअसल तब होता है जब एक गहरी शिरा में खून का थक्का जम जाता है और सामान्य रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा करता है। आसान भाषा में समझा जाए तो दिल को वापस रक्त दो तरह की नाड़ियां ले जाती हैं। एक तो वे जो चमड़ी की उपरी सतह पर होती हैं और कभी-कभी दिखाई भी देती हैं और दूसरी वे जो गहरी होती हैं और ऊपर से दिखाई नहीं देती।

दिल को रक्त वापिस ले जाने वाली इन गहरी नाड़ियों में (विशेषतौर पर पैरों की नाड़ियों में) होने वाली किसी रूकावट को ही चिकित्सकीय भाषा में डीप वैन थ्रोंबोसिस कहा जाता है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इससे होने वाली सालाना मौतों की संख्या छाती के कैंसर, सड़क दुर्घटनाओं और एड्स से होने वाली मौतों से अधिक हैं। यह ज्‍यादातर जांघ या पैरों में ही होती हैं, पर हां, यह शरीर के अन्‍य हिस्‍सों में भी हो सकती है। इन्‍हें ठीक होने में थोड़ा समय जरुर लगता है पर इसे घरेलू उपचारों से ठीक की जा सकता है।

(और पढ़े – हार्ट अटेक कारण और बचाव)

ब्‍लॉक नसों के लक्षण – Symptoms of Deep vein thrombosis in Hindi

अगर लगातार कुछ घण्टों के लिये टांग/पिण्डलियों में हरकत न हो और इनमें खून का दौरा कम हो जाए तो इस समस्या की शुरुआत हो सकती है। हालांकि कई बार तुरंत तो इस समस्या का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता लेकिन गम्भीर होने पर निम्‍न लक्षण हो सकते हैं।

  • पैर में दर्द
  • एक या दोनो पैर में अकड़न
  • पैर में सुजन
  • टांग के रंग में बदलाव
  • फेफड़े में श्वास की तकलीफ
  • सीने में दर्द या palpitations
  • खून वाली खाँसी होना

डीप वेन थ्रोम्बोसिस (DVT) का निदान – Deep-Vein Thrombosis (DVT) Diagnosis in Hindi

हालांकि परीक्षणों के लिए कई वर्षों से मूल्यांकन किया जाता है, केवल तीन DVT परीक्षण रोगियों में निदान के लिए विशेष रूप से  उपयोग किये जाते  है:

  • Venous Ultrasonography,
  • Venography
  • plethysmography (IPG)

शरीर की ब्लाक नसों का आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic treatment of  Deep vein thrombosis in Hindi

हम जो नुस्‍खा ले कर आए हैं, वो शरीर की नसों को खोलने में मदद करेंगा। यह ऐसा चूर्ण है जो कि प्राकृतिक चीजों से बनाया गया है।

इसे छोटे छोटे हिस्‍सों में ले कर आप शरीर की ब्‍लॉक नसों को खोल सकते हैं।

ये नुस्खा उस समय भी काफी फायदा पहुंचाता है जब किसी व्यक्ति की एंजिओयोप्लास्टिक या फिर बाई पास सर्जरी की गई हो। इस चूर्ण को बनाने के लिये जो जो सामग्रियां चाहिये होंगी वह आपको या तो आपके घर में मिल जाएगी या फिर आप किसी पंसारी की दुकान से इन्हें ले सकते हैं।

दोस्‍तों यह एक नेचुरल चूर्ण है, इसका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होता। तो इसे लेने से पहले आपको घबराने की आवश्‍यकता नहीं है। अब आइये जानते हैं कि यह चूर्ण कैसे बनाया जाता है और इसे कैसे लेना चाहिये।

(और पढ़े – हाथ और पैरों के तलवों में जलन से निजात पाने के लिए असरदार घरेलु उपाय)

जरूरी सामग्री – Material needed in Hindi

  • दाल चीनी – 1 ग्राम
  • काली मिर्च साबुत – 10 ग्राम
  • तेज पत्ता – 10 ग्राम
  • मगज – 10 ग्राम
  • मिश्री डला – 10 ग्राम
  • अखरोट गिरी – 10 ग्राम
  • अलसी – 10 ग्राम

औषधी बनाने की विधि- Method of making medicines in Hindi

इन सभी सामग्रियों को किसी मिक्‍सर जार में डाल कर महीन पीस लें। जब यह पाउडर बन जाए तब इसकी दस पेकेट बना लें। लीजिये आपकी देसी दवाई तैयार है।

औषधी लेने का तरीका – How to take medicines in Hindi

आपको एक पेकेट हर रोज़ खाली पेट सादे पानी के साथ लेनी होगी। दवाई खाने के एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं।

इस दवाई को लेने से आपके शरीर की सारी बंद नसें खुल जाएंगी। यही नहीं हार्ट पेशंट भी इसे खा सकते हैं। इससे उन्‍हें काफी आराम मिलेगा। ये नुस्‍खा इतना कारगार व फायदेमंद है की आपके शरीर की हर ब्लॉकनसों को खोल देगा। आपको हार्ट अटैक व लकवे जैसी बीमारियों का समाना नहीं करना पड़ेगा।

डीवीटी से बचाव के तरीके – DVT prevention methods in Hindi

इस समस्या से बचने के लिये घंटो तक बिना हिले एक ही जगह बैठे रहने से बचें। अगर सिटिंग जॉब है तो बीच-बीच में उठकर कुछ मिनट के लिये चहलकदमी करें, टांगों को बहुत देर तक एक दूसरे के ऊपर चढ़ा कर न बैठें, कभी-कभी टांगों की मालिश भी किया करें, महिलाएं शिशु के जन्म के बाद थोड़ी देर के लिये रोज़ चहल कदमी शुरू करें। इसके अलावा स्वस्थ जीवन शैली अपनायें और अपने वजन को नियंत्रिण में रखें। इसके लिये नियमित एक्सरसाइज करें और पौष्टिक और ताजा भोजन करें। एक खास बात का ख्‍याल रखें कि आप पानी प्रयाप्त मात्रा में पियें।

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