Brain Me Sujan (Encephalitis) In Hindi एन्सेफलाइटिस की समस्या मस्तिष्क की तीव्र सूजन के कारण होती है। अधिकांश मामलों में या तो यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण होता है या प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण गलती से मस्तिष्क के ऊतकों पर हमला होने की वजह से होता है। लगभग 15 प्रतिशत इंसेफेलाइटिस के मामले एचआईवी संक्रमित आबादी में पाए जाते हैं। एन्सेफलाइटिस वैसे तो जानलेवा नहीं होता है और सही उपचार और समय पर निदान करने से यह ठीक भी हो जाता है परन्तु यह कहना मुश्किल है की एन्सेफलाइटिस किस व्यक्ति पर कैसे प्रभाव करेगा।
एन्सेफलाइटिस से केवल हल्के फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते है जैसे बुखार या सिरदर्द या कभी कभी कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है। परन्तु कभी-कभी फ्लू जैसे लक्षण भी अधिक गंभीर होते हैं। एन्सेफलाइटिस में व्यक्ति को भ्रमित सोच (confused thinking), दौरे (seizures) या इंद्रियों की समस्या हो सकती है।
आज इस लेख में हम जानेंगे की एन्सेफलाइटिस क्या होता है इसके क्या लक्षण कारण जांच इलाज जटिलताएं और बचाव क्या है।
1. एन्सेफलाइटिस क्या होता है – What is Encephalitis in Hindi
2. एन्सेफलाइटिस के प्रकार – Encephalitis ke prakaar in hindi
3. मस्तिष्क की सूजन (इंसेफेलाइटिस) के लक्षण – Brain me sujan (Encephalitis) ke lakshan in Hindi
4. दिमाग में सूजन (एन्सेफलाइटिस) के कारण – Dimag me sujan (Encephalitis) ke karan in hindi
4. मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) की जांच – Mastishk me sujan (Encephalitis) ki janch in hindi
5. दिमागी सूजन (एन्सेफलाइटिस) का इलाज – Dimagi sujan (Encephalitis) ka ilaj in hindi
6. मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) से होने वाली जटिलताएं – Encephalitis (mastishk me sujan) Complications in Hindi
7. एन्सेफलाइटिस (ब्रेन में सूजन) से बचाव – Brain me sujan (Encephalitis) se bachav in hindi
एन्सेफलाइटिस मस्तिष्क में उत्पन्न एक तीव्र सूजन (acute) है जो ज्यादातर वायरल संक्रमण की वजह से उत्पन्न होती है। चिकित्सा भाषा में, तीव्र (acute) का अर्थ है की यह अचानक आता है और तेजी से विकसित होने लगता है, आमतौर पर इस स्थिति में तत्काल देखभाल की आवश्यकता होती है।
एन्सेफलाइटिस का सबसे आम कारण वायरल संक्रमण होता है। वायरस से लड़ने की कोशिश करने की वजह से मस्तिष्क फूल जाता है।
एन्सेफलाइटिस में आमतौर पर सिर्फ बुखार और सिरदर्द होता है। परन्तु जब यह लक्षण तेजी से बिगड़ने लगते हैं तो दौरे (फिट), भ्रम, उनींदापन (drowsiness) और चेतना की हानि (loss of consciousness) जैसी परेशानी उत्पन्न होती है और कभी कभी तो व्यक्ति कोमा में भी चला जाता हैं। एन्सेफलाइटिस जानलेवा हो सकता है, परन्तु ऐसा बहुत ही दुर्लभ स्थिति में होता है। बीमारी और उम्र की गंभीरता सहित अन्य कारक पर भी मृत्यु दर निर्भर करती है। बुजुर्गों में जटिलताओं और जोखिम की समस्या ज्यादा होती है जबकि युवा बिना किसी उपचार के भी ठीक हो जाते है। जब मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में सीधा वायरल संक्रमण होता है, तो इसे प्राथमिक एन्सेफलाइटिस कहा जाता है। माध्यमिक इन्सेफेलाइटिस में संक्रमण शरीर के किसी और अंग में होता है और फिर मस्तिष्क में फैल जाता है।
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एन्सेफलाइटिस के विभिन्न प्रकार होते है और सबके अलग-अलग कारण होते हैं जैसे-
अगर कोई फंगस, वायरस या बैक्टीरिया मस्तिष्क को संक्रमित करता है तो यह प्राथमिक या संक्रामक एन्सेफलाइटिस का परिणाम हो सकता है। यह स्थिति तब होती है जब कोई वायरस या अन्य एजेंट सीधे मस्तिष्क को संक्रमित करते हैं। मस्तिष्क में संक्रमण एक क्षेत्र तक सिमित रह सकता है या व्यापक रूप से फैल भी सकता है।
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यह संक्रमण तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली पिछले संक्रमण के प्रति कोई प्रतिक्रिया देती है और गलती से मस्तिष्क पर उस प्रतिक्रिया का प्रभाव डाल देती है। यह स्थिति तब होतीं है जब केवल संक्रमण पैदा करने वाली कोशिकाओं पर हमला करने के बजाय, प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से मस्तिष्क में स्वस्थ कोशिकाओं पर भी हमला कर देती है। माध्यमिक इन्सेफेलाइटिस अक्सर प्रारंभिक संक्रमण के दो से तीन सप्ताह बाद होता है।
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मस्तिष्क की सूजन (एन्सेफलाइटिस) वाले ज्यादातर लोगों में हल्के फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे-
यदि आपको एन्सेफलाइटिस से जुड़े किसी भी गंभीर लक्षण का अनुभव हो रहा है, तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। गंभीर सिरदर्द
, बुखार आदि में तुरन्त डॉक्टर को दिखाने की आवश्यकता होती है। शिशुओं और छोटे बच्चों में इंसेफेलाइटिस के किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।(और पढ़े – ब्रेन स्ट्रोक के कारण लक्षण और बचाव…)
एन्सेफलाइटिस या दिमाग में सूजन किसी वायरस, जीवाणु, या फंगस द्वारा विकसित हो सकता है। दिमाग में सूजन के कई कारण हो सकते है जैसे-
प्राथमिक (संक्रामक) एन्सेफलाइटिस के वायरस को तीन मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
इसमें एचएसवी (हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस) और ईबीवी (एपस्टीन-बार वायरस) आते हैं।
इनमें खसरा (measles) और गलसुआ (mumps) शामिल है।
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यह मच्छरों, टिक्स और अन्य कीड़ों द्वारा फैलने वाले वायरस होते है जैसे जापानी इंसेफेलाइटिस, वेस्ट नाइल इंसेफेलाइटिस और टिक-जनित एन्सेफलाइटिस।
माध्यमिक एन्सेफलाइटिस- यह एक वायरल संक्रमण की जटिलताओं के कारण हो सकता है। रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती।
एन्सेफलाइटिस के 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में, बीमारी का सटीक कारण का पता नहीं चलता है। एन्सेफलाइटिस बच्चों, वृद्ध ,वयस्कों, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों और उन लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है, जो उन क्षेत्रों में रहते हैं जहां आमतौर पर मच्छर और टिक्स सबसे विशिष्ट वायरस फैलाते हैं।
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एन्सेफलाइटिस या मस्तिष्क की सूजन की जांच करने के लिए डॉक्टर कई तरीके अपना सकते है, जैसे-
मस्तिष्क इमेजिंग (Brain Imaging) – एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT Scan) से मस्तिष्क की किसी भी सूजन या अन्य स्थिति का पता किया जा सकता हैं जो आपके मस्तिष्क सूजन के लक्षणों का कारण बन सकती हैं, जैसे कि ट्यूमर।
स्पाइनल टेप (Spinal tap) – इस प्रक्रिया में आपकी पीठ के निचले हिस्से में एक सुई डाली जाती है जो मस्तिष्कमेरु द्रव (Cerebrospinal Fluid) को हटाती है, यह मस्तिष्क और स्पाइनल कॉलम को घेरने वाला एक सुरक्षात्मक तरल पदार्थ है। इस द्रव में परिवर्तन होने से मस्तिष्क में संक्रमण और सूजन का संकेत मिल सकता हैं। कभी-कभी वायरस या अन्य किसी संक्रामक एजेंट की पहचान करने के लिए CSF के नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है।
लेबोरेटरी टेस्ट (Laboratory Test) –इस प्रक्रिया में वायरस या अन्य संक्रामक एजेंटों का पता करने के लिए गले के पीछे से रक्त, मूत्र या मल का नमूना लेकर परीक्षण किया जाता है।
इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (Electroencephalogram)(EEG) – इस प्रक्रिया में आपके स्कैल्प से इलेक्ट्रोड को जोड़ा जाता है जो मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं और कुछ असामान्य पैटर्न दिखाई देने पर यह एन्सेफलाइटिस के लक्षणों का संकेत देते हैं।
मस्तिष्क की बायोप्सी (Brain Biopsy) – यह प्रक्रिया बहुत ही कम इस्तेमाल की जाती है इसमें मस्तिष्क के ऊतकों (tissues) का एक छोटा सा नमूना परीक्षण के लिए लिया जाता है। ब्रेन बायोप्सी आमतौर पर केवल तभी की जाती है जब एन्सेफलाइटिस के लक्षण बहुत बिगड़ रहे हों और अन्य तरह के उपचार का भी कोई प्रभाव न हो रहा हो। इन सभी जांचो से आप एन्सेफलाइटिस का परिक्षण करके सही समय पर इलाज प्राप्त कर सकते है।
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आमतौर पर हल्के इन्सेफेलाइटिस के उपचार नीचे दिए गए तरीको से ठीक किये जा सकते हैं,जैसे-
एंटीवायरल ड्रग्स (Antiviral Drugs) – कुछ वायरस के कारण होने वाले एन्सेफलाइटिस में आमतौर पर एंटीवायरल उपचार लिया जा सकता है।
अनुवर्ती चिकित्सा (Follow up Therapy) – यदि आपको एन्सेफलाइटिस की जटिलताओं का अनुभव होता हैं, तो आपको अतिरिक्त चिकित्सा की आवश्यकता होती है, जैसे-
फिजिकल थेरेपी- इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करके आप अपने शरीर में शक्ति ला सकते है, लचीलापन, संतुलन और गतिशीलता में भी सुधार कर सकते है।
स्पीच थेरेपी- इसका इस्तेमाल आप मांसपेशियों को नियंत्रित करने के लिए और भाषण उत्पादन के समन्वय के लिए कर सकते है।
इन सभी तरीको का इस्तेमाल करके दिमागी सूजन का इलाज संभव हो सकता है।
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मस्तिष्क की सूजन से होने वाली जटिलताएं कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे-
अक्सर एन्सेफलाइटिस के हल्के लक्षण वाले लोग कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाते है और आगे चल कर उन्हें किसी जटिलता का सामना नहीं करना पड़ता है।
मस्तिष्क में होने वाली सूजन अंदर से मस्तिष्क को घायल कर सकती है, जिसका परिणाम कोमा या मृत्यु भी हो सकती है।
मस्तिष्क सूजन की अन्य जटिलताएं-
कुछ जटिलताएं महीनों तक बनी रह सकती है या स्थायी भी हो सकती है। इन जटिलताओं में शामिल हैं-
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ब्रेन में सूजन से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि वायरस के संपर्क से बचने के लिए सावधानी बरती जाए जो बीमारी का कारण बन सकती है, जैसे-
स्वच्छता का अभ्यास करें – साबुन और पानी से हाथों को अच्छी तरह से धोएं, खासकर शौचालय का उपयोग करने के बाद और भोजन करने से पहले।
बर्तन साझा न करें – टेबलवेयर और पेय पदार्थों को साझा करने से बचें।
अपने बच्चों को अच्छी आदतें सिखाएं – ध्यान दें की वह अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें और घर और स्कूल कहीं पर भी बर्तन साझा करने से बचें।
टीकाकरण करवाएं – समय समय पर अपने और अपने बच्चों का टीकाकरण करवाएं। और यात्रा करने से पहले, अपने डॉक्टर से विभिन्न जगहों के हिसाब से अनुशंसित (recommended) टीकाकरण के बारे में बात करें।
मच्छरों और टिक के खिलाफ अपने जोखिम को कम करने के लिए यह बचाव कर सकते है-
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