Brain Tumor in Hindi आज के समय में ब्रेन ट्यूमर एक बढ़ती हुई गंभीर समस्या है, जिसकी पहचान और उपचार समय पर किया जाना आवश्यक होता है। लोगों के मन में ये गलत धारणा होती है, की ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव नहीं है। यदि ब्रेन ट्यूमर का पता उसकी प्रारम्भिक अवस्था में लगा लिया जाये, तो उसका इलाज संभव है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि ब्रेन ट्यूमर क्या है, इसके कारण क्या होते है, ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, प्रकार, निदान और उपचार के बारे में।
1. ब्रेन ट्यूमर क्या है – What is Brain Tumor in Hindi
2. ब्रेन ट्यूमर के संकेत और लक्षण – Brain Tumor Symptoms in Hindi
3. ब्रेन ट्यूमर के कारण – Brain Tumor Causes in Hindi
4. ब्रेन ट्यूमर के प्रकार – Types of Brain Tumor in Hindi
5. ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ाने वाले कारक – Risk Factors of Brain Tumor in Hindi
6. ब्रेन ट्यूमर का निदान – Diagnose of Brain Tumor in Hindi
7. ब्रेन ट्यूमर का उपचार – Brain Tumor Treatment in Hindi
8. ब्रेन ट्यूमर की रोकथाम – Brain tumor prevention in Hindi
Brain Tumor ब्रेन ट्यूमर वह समस्या है जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होती है। मस्तिष्क (ब्रेन) बहुत कठोर खोपड़ी के अंदर होता है। अतः खोपड़ी के अंदर कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकती है।
ब्रेन ट्यूमर अलग-अलग प्रकार के होते हैं। कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर मुक्त (कम घातक) (noncancerous) (benign) होते हैं, और कुछ ब्रेन ट्यूमर कैंसर सम्बन्धी (घातक) (cancerous, malignant) होते हैं। ब्रेन ट्यूमर जब मस्तिष्क से शुरू होता हैं तो उसे प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर कहते है और यदि कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों से शुरू होकर मस्तिष्क तक पहुँचता है, तब इस प्रकार के कैंसर से होने वाले ब्रेन ट्यूमर को सेकेंडरी, या मेटास्टैटिक (metastatic) ब्रेन ट्यूमर कहते है।
Brain Tumor ब्रेन ट्यूमर जितनी तेज़ी से बढ़ता है, वह उतनी ही तेजी से तंत्रिका तंत्र के कार्यों को प्रभावित करता है। ब्रेन ट्यूमर का उपचार उसके आकार, प्रकार और स्थान पर निर्भर करता है।
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Brain Tumor ब्रेन ट्यूमर के संकेत और लक्षण अन्य बीमारी के लक्षणों से काफी भिन्न होते हैं। ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के आकार, जगह और ब्रेन ट्यूमर के बढ़ने की दर पर निर्भर करते हैं। ब्रेन ट्यूमर का पता निम्न लक्षणों से लगाया जा सकता है।
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मस्तिष्क या इसके आस-पास के ऊतकों जैसे मस्तिष्क को कवर करने वाली झिल्ली (meninges), क्रैनियल नसों (cranial nerves), पिट्यूटरी ग्रंथि (pituitary gland) या पाइनल ग्रंथि (pineal gland) से प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर का जन्म होता है
सामान्य कोशिकाओं के डीएनए में उत्परिवर्तन (mutations) की क्रिया होती है, जो कोशिकाओं के विभाजन और वृद्धि करने में सहायक होती है जिससे प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर की शुरूआत होती है। कोशिका विभाजन के कारण असामान्य कोशिकाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि होती है, जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है, जो ब्रेन ट्यूमर का प्रमुख कारण है।
वयस्कों में सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर बहुत अधिक होता हैं, सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर में कैंसर शरीर के किसी भी अंग से प्रारम्भ होता है और फिर मस्तिष्क तक पहुँचता है।
सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर अकसर उन लोगों में होते हैं जिन्हें कैंसर की बीमारी होती है। लेकिन सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर में मेटास्टैटिक (metastatic) ब्रेन ट्यूमर कैंसर का शुरुआती दौर होता है जो आपके शरीर में कहीं से भी शुरू होकर ब्रेन तक पहुँचता है।
वयस्कों में सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर, प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर की तुलना में अधिक होता हैं। जिसका कारण स्तन कैंसर, पेट का कैंसर, गुर्दे का कैंसर और फेफड़ों का कैंसर होता है।
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ब्रेन ट्यूमर मुख्यता दो प्रकार का होता है, प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर (Primary brain tumors) और सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर (Secondary brain tumors)।
प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क से प्रारम्भ होता हैं। यह ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क की कोशिकाओं, ब्रेन को चारों ओर से घेरने वाली झिल्ली (meninges), तंत्रिका कोशिका और ग्रंथियों (glands) को बहुत अधिक प्रभावित करता है। ग्लिओमा (gliomas) और मेनिंगियोमास (meningiomas) प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर (Primary brain tumors) के प्रकार हैं।
ग्लियोमास ट्यूमर (Gliomas tumor), ग्लियल कोशिकाओं (glial cells) से विकसित होता है। ये ग्लियल कोशिकाएं सामान्य रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की संरचना का समर्थन करने, अपने केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को पोषण प्रदान करने, कोशिका अपशिष्ट तथा मृत न्यूरॉन्स को तोड़ने (break down dead neurons) का काम करती है।
मेनिंगिओमा एक ट्यूमर का प्रकार होता है जो मेनिंग (meninges) अर्थात आपके दिमाग और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर से उत्पन्न होता है। हालांकि इसे तकनीकी रूप से एक ब्रेन ट्यूमर की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, क्योंकि यह मस्तिष्क, नसों और vessels को संकुचित करता है या दबाता है। मेनिंगिओमा ट्यूमर का सबसे आम प्रकार है जो सिर में बनता है। मेनिंगियोमा, बिना किसी लक्षणों के साथ बहुत धीरे-धीरे बढ़ता हैं।
इसके आलावा प्राथमिक ब्रेन ट्यूमर के कुछ अन्य प्रकार भी है जैसे-
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इन ट्यूमर की शुरुआत शरीर के किसी हिस्से से कैंसर के मस्तिष्क तक फैलने से होती है। Secondary brain tumors अधिक घातक होता है क्योकि इसका निर्माण मस्तिष्क में कैंसर के फेलने के कारण होता हैं। निम्नलिखित कैंसर इस तरह के ब्रेन ट्यूमर का कारण बनते है:
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मस्तिष्क में ट्यूमर बनने के पीछे कुछ कारक होते है जो इसके खतरे को बढ़ा सकते है आइये जानते है इनके बारे में।
परिवार का इतिहास (Family history) – सभी 5 से 10 प्रतिशत कैंसर वंशानुगत होते है या आनुवंशिक रूप से विरासत में मिले होते हैं। ब्रेन ट्यूमर का आनुवंशिक रूप से विकसित होन बहुत ही कम मामलों में देखा गया है इसलिए ऐसा होना दुर्लभ होता है।
आयु (Age) – उम्र के साथ अधिकांश प्रकार के ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ता जाता है। सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर अधिकतर 40 बर्ष की उम्र के बाद कैंसर के कारण होता है।
विकिरण का एक्सपोजर (Exposure to radiation) – जो लोग हानिकारक विकिरण के संपर्क में आते हैं, उनमें मस्तिष्क ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। उच्च विकिरण के संपर्क में आने का कारण मुख्य रूप से कैंसर उपचार में , परमाणु हमला के दौरान, परमाणु ऊर्जा संयंत्र की घटनाएं, आदि लोगों को हानिकारक विकिरण से प्रभावित कर सकती है जो आंगे चलकर ब्रेन ट्यूमर का कारण बनती है।
रसायनों के संपर्क में आना (Chemical exposure) – कुछ रसायनों के संपर्क में आने से मस्तिष्क का कैंसर बढ़ता हैं।
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शारीरिक परीक्षण के आधार पर ही ब्रेन ट्यूमर के निदान की प्रारम्भिक प्रक्रिया शुरू की जाती है। शारीरिक परीक्षण में न्यूरोलॉजिकल (neurological) परीक्षण शामिल होते है।
यह देखने के लिए कि आपका क्रैनियल तंत्रिका सुरक्षित है या नहीं, डॉक्टर मरीज का एक परीक्षण करेगा। न्यूरोलॉजिकल परीक्षण के आधार पर डॉक्टर मरीज के मस्तिष्क की क्रैनियल तंत्रिका की जानकारी ले लेता है।
डॉक्टर द्वारा ऑप्थाल्मोस्कोप (ophthalmoscope) का उपयोग, ब्रेन ट्यूमर की जानकारी प्राप्त करने में किया जाता है। ऑप्थाल्मोस्कोप एक ऐसा उपकरण है, जो आपकी आंखों की पुतलियों के माध्यम से रेटिना पर प्रकाश डालता है। इसके आधार पर यह जाँचा जाता है कि आपकी रेटिना प्रकाश डालने पर क्या प्रतिक्रिया करती हैं। इस आधार पर जब खोपड़ी या मस्तिष्क के अंदर दबाव बढ़ता है, तब ऑप्टिक तंत्रिका (Optic nerve) में परिवर्तन होता है।
चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) तकनीक आमतौर पर ब्रेन ट्यूमर का निदान करने के लिए प्रयोग लाई जाती है। MRI परीक्षण के दौरान आपकी बांह की नस में एक dye इंजेक्शन दी जा सकती है।
यदि आपको ब्रेन ट्यूमर शरीर के किसी अन्य अंग में कैंसर के कारण हुआ है, तो डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए कि कैंसर का जन्म कहां हुआ है, विभिन्न परीक्षण और प्रक्रियाओं की सिफारिश कर सकता है । फेफड़ों के कैंसर को देखने के लिए सीटी स्कैन या पीईटी स्कैन भी होता है।
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ऊतक के नमूने को एकत्रित करना और परीक्षण करना बायोप्सी कहलाती है। मस्तिष्क ट्यूमर का पता लगाने के लिए बायोप्सी परीक्षण, ऑपरेशन या फिर सुई का उपयोग करके की जाती है।
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इस परीक्षण में एक डाई (रंजक) का उपयोग इंजेक्शन के तौर पर किया जाता है। डाई (रंजक) आपके मस्तिष्क की धमनियों में प्रवाहित किया जाता है। इसके आधार पर डॉक्टर यह पता करते है कि ट्यूमर तक रक्त की पूर्ति कैसे होती है। सर्जरी के समय यह जानकारी उपयोगी होती है।
ब्रेन ट्यूमर खोपड़ी की हड्डियों में फ्रैक्चर का कारण भी बन सकता है। एक्स-रे का उपयोग खोपड़ी की हड्डियों में फ्रैक्चर का पता लगाने के लिए किया जाता है।
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मस्तिष्क में ट्यूमर का उपचार ट्यूमर के प्रकार, आकार और स्थान के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इस आधार पर निम्न उपचार शामिल किये जा सकते है।
Surgery – यदि ब्रेन ट्यूमर ऐसी जगह पर स्थित है जहाँ ऑपरेशन करना आसन हो, तो आपके ब्रेन ट्यूमर को Surgery द्वारा हटाया जाता है। ट्यूमर का छोटा आकर और मस्तिष्क ऊतक में कैंसर के कम प्रभाव के आधार पर, ब्रेन ट्यूमर को पूर्ण शल्य चिकित्सा द्वारा हटाना संभव होता है।
Radiation therapy – ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए एक्स-रे विकिरण या प्रोटॉन जैसे उच्च ऊर्जा विकिरण का उपयोग रेडिएशन थेरेपी में किया जाता है। विकिरण की बाहरी बीम (External beam) केवल आपके मस्तिष्क के ट्यूमर प्रभावित क्षेत्र पर डाली जाती है। सम्पूर्ण ब्रेन विकिरण (Whole-brain radiation) का प्रयोग एक साथ कई ट्यूमर कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है, जो शरीर के अन्य भाग से मस्तिष्क में फैले है।
Radiosurgery – रेडियो सर्जरी, शल्य चिकित्सा से संबंधित नहीं है, इस प्रक्रिया में बहुत छोटे क्षेत्र के ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च उर्जा विकिरण का उपयोग किया जाता है। ब्रेन ट्यूमर में ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए रेडियो विकिरणों को अधिक संख्या में एक ही जगह पर डाला जाता है।
Chemotherapy – कीमोथेरेपी के अंतर्गत ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। ब्रेन ट्यूमर का इलाज करने के लिए अक्सर कीमोथेरेपी दवा temozolomide (Temodar) का उपयोग किया जाता है। इस दवा को गोली के रूप में दिया जाता है। कीमोथेरेपी दवाएं स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव भी डाल सकती हैं।
Targeted drug therapy – Targeted drug कैंसर कोशिकाओं के भीतर मौजूद असामान्यताओं और उनकी अनावश्यक वृद्धि को रोककर ब्रेन ट्यूमर को नष्ट करने का काम करती है।
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मस्तिष्क के कैंसर (ब्रेन ट्यूमर) को होने से रोकने के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है। लेकिन ट्यूमर की प्रारम्भिक में ही निदान और उपचार से कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोका जा सकता है। ब्रेन ट्यूमर के खतरे को कम करने में निम्नलिखित उपाय करना फायदेमंद हो सकता हैं-
प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में नींद लेना जरूरी है, इससे आपका दिमाग स्वस्थ्य रहता है।
फ्रैंकेंसेंस ऑयल Frankincense Oil – योग, ध्यान, और श्वास अभ्यास (व्यायाम) आपके तनाव को कम कर सकता है। अभ्यास (व्यायाम) करते समय, फ्रैंकेंसेंस तेल की सुगंध को सांस के माध्यम से अंदर तक खींचना चाहिए, इससे मस्तिष्क की सूजन कम हो सकती है।
हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी (HBOT) – एक छोटी उम्र में शुरू होने वाली हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी (HBOT) मस्तिष्क के कैंसर (ब्रेन ट्यूमर) के जोखिम को कम कर सकती है।
ब्रेन ट्यूमर को रोकने और इसके इलाज के लिए कैंसर से लड़ने वाले पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना आवश्यक है।
किटोजेनिक आहार (Ketogenic Diet) – एक किटोजेनिक आहार मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव (stress) और सूजन को कम करता है, और ट्यूमर को बढ़ने से रोकता है।
मोबाइल उपकरणों का कम उपयोग – सेल फोन का उपयोग ब्रेन ट्यूमर के खतरे को बढ़ाता है, युवा लोग अधिक विकिरण को अवशोषित करते हैं, विकिरण अवशोषण कैंसर का कारण हो सकता है।
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