Breast cancer in Hindi आज के इस लेख में आप जानेगे ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) क्या है यह कैसे होता है, स्तन कैंसर के कारण क्या होते है, ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण क्या होते है और इन्हें कैसे पहचाने, ब्रैस्ट कैंसर की जांच कैसे की जाती है, स्तन कैंसर कितने प्रकार का होता है, ब्रैस्ट कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है, ब्रैस्ट कैंसर में क्या खाये और ब्रैस्ट कैंसर के बचाव के तरीकों के बारे में।
स्तन कैंसर या ब्रैस्ट कैंसर (Breast Cancer) सबसे सामान्य कैंसर में से एक है जो दुनिया में महिलओं के लिए एक घातक बीमारी बनती जा रही है स्तन कैंसर एक प्रकार का त्वचा कैंसर ही होता है जिसे स्तन की कोशिकाएं अनियंत्रित वृद्धि करने लगती है जो एक गांठ जिसे ट्यूमर कहा जाता है के रूप में होती है।
भारतीय औरतों में स्तन कैंसर होने की औसत आयु घटती जा रही है। 22 में से एक महिला को जीवन के किसी भी समय में स्तन कैंसर से ग्रस्त होने का खतरा होता है अगर स्तन कैंसर का पता पहले या दुसरे चरण (stage) में लगा लिया जाता है तो इसके ठीक होने की सम्भावना अधिक होती है इसके लिए जागरूकता का होना बहुत जरूरी होता है इसके साथ ही स्तन की नियमित जांच और जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर स्तन कैंसर से बचा जा सकता है।
1. ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) क्या है – What is Breast Cancer in hindi
2. ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के कारण – Causes of Breast Cancer in Hindi
3. ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण – Symptoms of Breast cancer in Hindi
4. ब्रैस्ट कैंसर के निदान – Diagnosis of Breast cancer in Hindi
5. ब्रैस्ट कैंसर के प्रकार – Types of Breast cancer in Hindi
6. ब्रैस्ट कैंसर की स्टेज – Stages of Breast cancer in Hindi
7. ब्रैस्ट कैंसर के इलाज – Treatment of Breast cancer in Hindi
8. ब्रैस्ट कैंसर में क्या खाये – Foods to eat of Breast cancer in Hindi
9. ब्रैस्ट कैंसर के बचाव – Prevention of Breast cancer in Hindi
ब्रैस्ट कैंसर वह समस्या है जिसमें स्तन कोशिकाओं और ऊतकों में अनावश्यक रूप से वृद्धि होती है, जिससे स्तन में ट्यूमर बढ़ने लगता है यह ट्यूमर ही आंगे चलकर ब्रैस्ट कैंसर का कारण बनता है।
स्तन कैंसर (ब्रैस्ट कैंसर )सामान्यता महिलाओं को होने वाला त्वचा का कैंसर है जो ज्यादातर महिलाओं की मौत का कारण बनता है। ब्रैस्ट कैंसर महिलाओं केअलावा पुरुषों में भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं में ही देखने को मिलता है।
ब्रैस्ट कैंसर सामान्यता दूध उत्पादक ग्रंथियों (नलिकाओं) से शुरु होता है। यह कैंसर पुरुषों की तुलना मे महिलाओं में 100 गुना अधिक पाया जाता है।
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डॉक्टरों के अनुसार ब्रैस्ट कैंसर का प्रमुख कारण स्तन कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ना है। स्तन कैंसर, कोशिकाओं के डीएनए में आनुवंशिक परिवर्तन होने पर भी होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार हार्मोनल परिवर्तन, जीवन शैली में परिवर्तन और पर्यावरणीय कारक भी ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर समस्या को जन्म देते है। लेकिन यह अभी तक पता नहीं लगाया जा सका कि यह कारक किस तरह ब्रैस्ट कैंसर की समस्या को बढ़ाते है |
आइये अब हम ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के कुछ प्रमुख कारणों के बारे में जाने।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का खतरा ज्यादा होता है ज्यादातर ब्रैस्ट कैंसर 40 साल के बाद वाली महिलाओं में सबसे अधिक होता है।
ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाला रोग है, परिवार में स्तन कैंसर से पीड़ित सदस्य के साथ रक्त संबंध रखने वाले सदस्य को भी यह रोग हो सकता है। ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित महिला की बेटी को भी यह कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है।
ज्यादातर 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर का खतरा अधिक होता है मादा हार्मोन एस्ट्रोजन से ही महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) होता है। यह मादा हार्मोन्स स्तन की कोशिकाओं और ऊतकों में अनावश्यक वृद्धि करता है जिससे ट्यूमर बढ़ता है। हार्मोन थेरेपी का उपयोग रजोनिवृत्ति के बाद किये जाने पर यह ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) होता है।
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रजोनिवृत्ति के बाद मोटापा और अधिक वजन ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का कारण बनता है। रजोनिवृत्ति के बाद अधिक मोटापा और अधिक वजन के कारण वसा कोशिकाओं द्वारा एस्ट्रोजेन की मात्रा बढ़ जाने से और रक्त में इंसुलिन की मात्रा बढ़ने से ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) अधिक प्रभावी हो जाता है।
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दिन में अधिक शराब के सेवन से ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का ख़तरा अधिक होता है, इसके अतिरिक्त अल्कोहल अन्य मादक पैय पदार्थ कैंसर को भी बढ़ाने में मदद करते है। अतः महिलाओं को शराब के सेवन से बचना चाहिये।
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जिन महिलाओं ने अपने बचपन या युवा अवस्था में किसी रोग के निवारण के लिए अपनी छाती पर एक्स-रे विकिरण का सामना किया है उनमें आगे चलकर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
किसी महिला को 30 वर्ष के बाद पहला बच्चा होने से उस महिला में ब्रैस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही ऐसी महिलाये जिन्होंने बच्चे को जन्म नहीं दिया है उनमे भी स्तन कैंसर का खतरा अधिक होता है।
जिन महिलाओं ने गर्भपात रोकने के लिए प्रतिबंधित दवा डाइथिलस्टिलबेस्ट्रॉल का सेवन किया था, और उसके बाद बेटी का जन्म हुआ तो उस महिला की बेटी को कुछ दशकों बाद ब्रैस्ट कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
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स्तन कैंसर के लक्षण भिन्न-भिन्न व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकते है अतः ब्रैस्ट कैंसर के लक्षणों का पता स्तन को देखकर और महसूस कर लगाया जा सकता है। वैसे तो कुछ भी महसूस किये बिना भी आपको ब्रैस्ट कैंसर हो सकता है, पर यदि स्तन में बढ़ी हुई दर्द रहित गांठ, स्तन के आकर में बदलाव और एक बढ़ी अंडरार्म लिम्फ नोड है तो वह ब्रैस्ट कैंसर का लक्षण है। अतः ऐसा होने पर आपको चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
नीचे दी गई निम्न बातों के जरिये हम ब्रैस्ट कैंसर के लक्षणों का पता लगा सकते है, जैसे-
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ब्रैस्ट कैंसर के निदान के लिए अनेक प्रकार के परीक्षण (test) किये जा सकते है जिन्हें हम यहाँ समझेंगे –
स्तन परीक्षण (Breast exam) – स्तन कैंसर के परीक्षण के लिए डॉक्टर द्वारा स्तन में गांठ की जाँच, और लिम्फ नोड्स की जांच की जाती है।
मैमोग्राम (Mammogram) – स्तन का एक्स-रे लेना ही मैमोग्राफी कहलाती है। इसमें स्तन की पिक्चर लेने के लिए मैमोग्राम का उपयोग करते है। यदि मैमोग्राम में स्तन से संबंधित कोई समस्या पाई जाती तो डॉक्टर डायग्नोस्टिक मैमोग्राम परीक्षण की सलाह दे सकते है।
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ब्रैस्ट अल्ट्रासाउंड (Breast ultrasound) – अल्ट्रासाउंड का उपयोग शरीर के भीतर हिस्से की संरचनाओं की पिक्चर लेने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में ध्वनि तरंगों का उपयोग कर स्तन में गांठ का पता लगाने और द्रव के जमाव का पता लगाने में किया जाता है।
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ब्रैस्ट चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Breast magnetic resonance imaging) (MRI) – एक MIR मशीन की सहायता से स्तन के आंतरिक हिस्सों की तस्वीरें लेने के लिए चुंबक और रेडियो तरंगों का उपयोग किया जाता है। यह सबसे उपयोगी परीक्षण विधि है, जिसमें विकिरण का उपयोग नहीं किया जाता है।
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बायोप्सी (biopsy) – बायोप्सी में स्तन कोशिकाओं या ऊतक का एक नमूना लेकर उसे परीक्षण के लिए भेजा जाता है, इस परीक्षण में डॉक्टर प्रभावित हिस्से में एक्स-रे या अन्य इमेजिंग परीक्षण की मदद से एक विशेष सुई डिवाइस का उपयोग कर प्रभावित हिस्से का नमूना ले लेता है, और उसे परीक्षण के लिए लैब भेज देता है। परीक्षण के दौरान नमूने में कैंसर का पता किया जाता है।
स्तन कैंसर के इलाज के लिए यह पता करना जरूरी है की कैंसर किस प्रकार का है, कहाँ से शुरु हुआ और किन कारणों से एस्ट्रोजन या प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन इसको बढ़ाने में मदद करते है। महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर निम्न प्रकार के होते है –
यह प्रारम्भिक कैंसर है जिसका इलाज अत्यधिक जरूरी होता है। इसे स्टेज-0 ब्रैस्ट कैंसर कहा जाता है। यह कैंसर स्तन नलिका (milk duct) से प्रारम्भ होता है। लेकिन आस-पास की कोशिकाओं और ऊतकों पर इसका प्रभाव नहीं होता। भविष्य में इस कैंसर के फैलने की सम्भावना रहती है।
यह सबसे सामान्य ब्रैस्ट कैंसर है, जिसका निदान 80% तक किया जा सकता है, इस प्रकार के कैंसर से प्रभावित स्तन नलिका आस-पास के स्तन उतकों को भी कैंसर से प्रभावित कर देती है।
स्तन नलिकाओं में दूध उत्पादन करने वाले लोब्यूल से इस कैंसर की शुरुआत होती है LCIS को लोबुलर नेओप्लासिया भी कहा जाता है। इस प्रकार के कैंसर में कोशिकाएं असामान्य तरीके से जुड़ जाती है और ट्यूमर को जन्म देती है।
इस प्रकार का स्तन कैंसर दूध उत्पादक ग्रंथियों से शुरू होता है, जिसे लॉब्यूल कहा जाता है। इस कैंसर को ” लोबुलर कार्सिनोमा” के रूप में भी जाना जाता है, यह स्तन कैंसर स्तन ऊतक में फैलता है।
इस प्रकार के ब्रैस्ट कैंसर में स्तन में लाली, स्तन गर्म महसूस होना, स्तन का भारी होना और सूजन आ जाने के कारण यह अन्य कैंसर की तुलना में खतरनाक है। अतः स्तन में इस तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
यह कैंसर निप्पल की त्वचा और त्वचा के गहरे चक्र जिसे इरोला कहा जाता है, को प्रभावित करता है। इरोला में खुजली होना, इरोला का लाल होना और खून का निकलना, स्तन कैंसर के लक्षणों का संकेत देते हैं।
यह बहुत अधिक फैलने बाला स्तन कैंसर है, जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में ट्यूमर का निर्माण होता है, जिसका निदान कठिन हो सकता हैं।
Angiosarcoma of the breast- यह तेजी से फैलने वाला ब्रैस्ट कैंसर है, इस कैंसर के होने का कारण पूर्व विकिरण उपचार होता है।
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कैंसर की गंभीरता के आधार पर स्तन कैंसर को निम्न चरणों में विभाजित किया गया है,
यह चरण डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (DCIS) है। DCIS में कैंसर कोशिकाएं स्तन में नलिकाओं तक ही सीमित रहती हैं, और पास के ऊतकों में कैंसर को नहीं फैलाती है।
चरण 1 के अंतर्गत ब्रैस्ट कैंसर के दो चरण आते है ।
stage 1A- इस चरण के अंतर्गत वे कैंसर आते है जिनमें ट्यूमर का आकर 2 से.मी. या उससे कम होता है तथा लिम्फ नोड्स पर कैंसर का कोई प्रभाव नहीं होता ।
stage 1B- यह कैंसर लिम्फ नोड्स में पाया जाता है इसमें ट्यूमर का आकर 2से.मी. से छोटा होता है, या फिर ट्यूमर अनुपस्थित रहता है।
इसे दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं,
stage 2A- ट्यूमर 2 सेंटीमीटर से छोटा है और 1 से 3 लिम्फ नोड्स में 2 से 5 सेंटीमीटर के बीच होती है।
stage 2B- ट्यूमर का आकर 2 से 5 सेंटीमीटर के बीच होता है। और 1 से 3 लिम्फ नोड्स में 5 सेंटीमीटर से ज्यादा बढ़ जाता है ।
इस चरण के अंतर्गत स्तन कैंसर के तीन मुख्य प्रकार हैं।
stage 3A- इसमें ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है। और लिम्फ नोड्स में संक्रमण फैला होता है ।
स्टेज 3B – इसमें ट्यूमर छाती की त्वचा पर प्रभाव डालता है तथा 9 लिम्फ नोड्स पर भी प्रभाव पढ़ सकता है ।
stage 3C- इस चरण में कैंसर, 10 या अधिक अक्षीय लिम्फ नोड्स, कॉलरबोन के पास लिम्फ नोड्स या आंतरिक स्तन नोड्स में पाया जाता है।
इस ब्रैस्ट कैंसर में ट्यूमर का आकार कुछ भी हो सकता है, और इस कैंसर से प्रभावित कोशिकाएं पास और दूर के लिम्फ नोड्स के साथ-साथ शरीर के अन्य अंगों में फैली हुई होती हैं।
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स्तन कैंसर के चरणों or प्रकारों के आधार पर इसका प्रारम्भिक इलाज शुरू किया जाता है इसके उपचार में सर्जरी का उपयोग आमतौर पर किया जाता है। सर्जरी के दौरान कैंसर प्रभावित भाग (लिम्फ नोड्स) को हटा दिया जाता है ।
Radiation therapy : रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने और ट्यूमर को कम करने के लिए किया जाता है, इसमें उच्च ऊर्जा तरंगों का उपयोग कर शरीर के अन्य हिस्सों में फैले कैंसर को हटा दिया जाता है।
Lumpectomy : एक लम्पेक्टोमी (lumpectomy) का प्रयोग छोटे ट्यूमर को हटाने के लिए किया जा सकता है। सर्जरी से पहले ट्यूमर को कम करने के लिए लम्पेक्टोमी का सहारा लिया जा सकता है ।
Chemotherapy : बड़े ट्यूमर के लिए कीमोथेरेपी (Chemotherapy) की सुविधा उपलब्ध हैं । कीमोथेरेपी दवाएं जो सर्जरी के पहले कैंसर के इलाज के लिए दी जाती है, स्तन कैंसर के इलाज में सहायक है।
Hormone therapy : हार्मोन थेरेपी (Hormone therapy) के माध्यम से एस्ट्रोजेन के स्तर को कम किया जाता है या हार्मोन के कारण कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जाता है।
Mastectomy : एक मास्टक्टोमी आपके सभी स्तन ऊतक को हटाने के लिए एक ऑपरेशन है। कैंसर प्रभावित स्तन ऊतकों को जैसे – फैटी ऊतक और कुछ त्वचा, निप्पल और इरोला हटा दिया जाता है।
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स्तन कैंसर को बढ़ने से रोकने के लिए कुछ खाद्य पदार्थों को सामान्य रूप से एक स्वस्थ आहार माना जाता है। कुछ खाद्य पदार्थ जो स्तन कैंसर रोकने के लिए उपयोग में लाये जाते, निम्न तरह के हो सकते है –
फल और सब्जियां में फ्लेवोनोइड्स और कैरोटीनोइड अधिक मात्रा में पाया जाता हैं, जो विभिन्न चिकित्सा लाभों से जुड़ी होती हैं मुख्य रूप से पौधों सहित आहार के सेवेन से स्तन कैंसर का खतरा 15 प्रतिशत तक कम हो सकता है,
स्तन कैंसर के निवारण के लिए बहुत से तरीके अपनाये जा सकते है।
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