Breast Self-Examination In Hindi: ब्रैस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन आज हर महिला की जरूरत बन गया है, क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर के केस दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है आज हम आपको बता रहे हैं कैसे अपने स्तन की जांच घर पर स्वयं की जा सकती है और अपने स्तन की जांच कैसे करें के बारे में। स्तन का स्वतः परीक्षण (Breast Self-Exam) एक स्क्रीनिंग टेक्निक है, जिसमें महिलाएं अपने स्तन में गांठ या अन्य प्रकार के परिवर्तन की खुद जांच करती हैं। आमतौर पर स्तन का स्वतः परीक्षण स्तन में ट्यूमर, सिस्ट (cysts) और अन्य अनियमितताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
लोगों का मानना है कि ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए स्तन की जांच खुद करना फायदेमंद होता है जबकि डॉक्टरों का मानना है कि स्तन की जांच खुद करने से सिर्फ असामान्यताओं का ही पता चल पाता है। इससे स्तन से जुड़ी गंभीर बीमारियों का पता नहीं चल पाता है। स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए मैमोग्राम (mammograms) और स्तन की एमआरआई (MRI) कराने की जरूरत पड़ती है।
विषय सूची
1. स्तन की जांच खुद करने का उद्देश्य – Purposes Of Breast Self-Examination In Hindi
2. घर पर स्तन की जांच करने का बेहतर तरीका – Best Ways To Breast Self-Examination In Hindi
3. ब्रैस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन इन हिंदी – Breast Self-Examination In Hindi
4. स्तन की जांच करने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स – Breast Self-Exam Tips in Hindi
महिलाओं के स्तन शरीर का एक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील अंग (sensitive organ) है। इसलिए महिलाओं को समय-समय पर घर पर ही अपने स्तन की जांच करनी चाहिए ताकि समय रहते स्तन में गांठ, कैंसर या अन्य समस्याओं का पता लगाया जा सके। स्तन की जांच करने के कई कारण होते हैं। आइये जानते हैं कि खुद से स्तन की जांच करने का क्या उद्देश्य होता है।
शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए स्तन की जांच की जाती है।
स्तन में असमान्यताओं का पता लगाने, स्तन में गांठ, सूजन और निप्पल से तरल पदार्थों के स्राव का पता लगाने के लिए स्तन की जांच की जाती है।
कुछ महिलाओं का स्तन सामान्य से कुछ अधिक बड़ा(large) होता है लेकिन यदि आपको लगता है कि आपके स्तन में अचानक और अनियमित रूप से बदलाव हो रहा है तो यह वास्तव में चिंता(concern) का विषय है। इसलिए आपको स्तन की जांच करने की जरूरत पड़ सकती है।
कुछ महिलाओं के स्तन के निप्पल पर रैशेज हो जाते हैं और निप्पल का रंग नारंगी दिखायी देने लगता है। इसके अलावा निप्पल फूलकर बड़ा हो जाता है और इसमें खुजली के साथ ही तेजी से तरल पदार्थों (fluid)का स्राव होता है। इनकी अनदेखी करने के बजाय अकेले में स्तन की जांच करके यह पता कर लेना चाहिए कि इसकी वजह से क्या परेशानी हो सकती है।
(और पढ़ें –निप्पल में दर्द के 7 बड़े कारण और घरेलू इलाज)
आमतौर पर स्तन से जुड़ी समस्याएं होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए लेकिन इससे पहले घर पर ही महिलाओं को एक बार खुद अपने स्तन की जांच कर लेनी चाहिए। इसका कारण यह होता है कि अपने स्तन को छूने पर जो असामान्यता(abnormality) कोई महिला महसूस कर सकती है, वह डॉक्टर महसूस नहीं कर सकते हैं। इसलिए पहले स्तन की जांच खुद करनी चाहिए और कोई गंभीर असामान्यता या लक्षण (signs) दिखायी दे तो फिर डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए।
(और पढ़े – कैंसर क्या है कारण लक्षण और बचाव के उपाय)
अपने स्तन की जांच अपने आप करना कुछ महिलाओं को अधिक कठिन काम लगता है लेकिन इसे बहुत आसानी से घर पर ही किया जा सकता है। स्तन की जांच खुद से करने के लिए सबसे पहले कपड़े उतारकर एक बंद कमरे शीशे के सामने खड़े हो जाएं और अपने कंधे को सीधा अपनी भुजाओं को कूल्हों के ऊपर रखें।
सबसे पहले हल्के (lightly) हाथों से अपने स्तन को चारों तरफ से दबाकर यह महसूस करने की कोशिश करें कि आपको कुछ असामान्य अनुभव तो नहीं हो रहा है। इसके बाद अपने स्तन पर अपने हाथों से दबाव बनाकर स्तन का परीक्षण करें और देखें कि स्तन का आकार और रंग सामान्य है या नहीं।
स्तन में सूजन तो नहीं है, कहीं स्तन का आकार(shape) सूजन के कारण तो बड़ा नहीं दिखायी दे रहा है।
स्तन को दबाने पर उसमें गड्ढे तो नहीं पड़ रहे, स्तन अपने आप सिकुड़ तो नहीं रहा या असामान्य रूप से अधिक तो नहीं उभर रहा है।
निप्पल का आकार असामान्य तो नहीं दिख रहा या उभार असामान्य रूप से तो नहीं बढ़ रहा है।
निप्पल या स्तन पर लालिमा(Redness) दर्द या सूजन तो नहीं है।
नोड्यूल्स (nodules) स्तन के आसपास के स्किन को कितना प्रभावित कर रहा है।
स्तन की जांच करने के लिए अब अपनी एक बांह को ऊपर उठाएं। इस दौरान यदि स्तन में कोई परिवर्तन हो रहा होगा तो नोड्यूल्स के कारण स्तन के आसपास की त्वचा में कुछ परिवर्तन दिखायी देगा। इसके अलावा स्तन के निचले हिस्से का भी परीक्षण करना बहुत जरूरी है क्योंकि सामान्य रूप से निचले भाग का परिवर्तन दिखायी नहीं देता है। स्तन को अगल-बगल से दबाकर देखें कि दोनों निप्पल से पानी(watery), दूधिया(milky), पीला या खूनी रंग का तरल पदार्थ तो नहीं निकल रहा है।
चौथे स्टेप में लेटकर अपने स्तन की जांच करें। बिस्तर पर आराम से लेटने के बाद बाएं हाथ से दाएं स्तन को और दाएं हाथ से बाएं स्तन को छूएं और असामान्यताओं का पता लगाएं। अपने हाथों की उंगलियों के पोरों को अपने स्तन को नीचे से ऊपर तक दबाव देकर चलाएं और महसूस करने की कोशिश करें कि स्तन में क्या परिवर्तन महसूस हो रहा है। इसके बाद सर्कुलर मोशन में स्तन के एक चौथाई हिस्से पर हाथों को फिराएं।
इसके बाद ऊपर से नीचे तक और अगल-बगल से कॉलरबोन(collarbone) से लेकर पेट के ऊपर तक और अपनी आर्मपिट(armpit) के नीचे से स्तन के क्लिवेज तक अच्छे से हाथों से दबाकर परीक्षण करें। निप्पल को भी सर्कुलर मोशन में दबाकर और छूकर जांच करें कि किसी तरह का दर्द तो नहीं हो रहा है। आपको यह भी देखना है कि निप्पल के ऊपर से टिश्यू तो नहीं निकल रहा है। उंगलियों से दबाव देने पर कोशिकाओं बाहर निकलती है और इससे असामान्यताओं के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है।
अंत में बैठकर या खड़े होकर भी अपने स्तन की एक बार जांच कर लें। ज्यादातर महिलाओं के स्तन जब गीले होते हैं या भीगे होने के कारण इसपर उंगलियां फिसलती हैं तो उस दौरान स्तन की जांच करना बहुत आसान होता है। इसलिए शॉवर में बैठकर या खड़े होकर भी स्तन पर अगल-बगल और ऊपर नीचे उंगलियां फिराकर स्तन में असमान्यताओं का पता लगाएं।
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