Breastfeeding tips in Hindi बच्चे को दूध पिलाने (स्तनपान कराने) का सही तरीका जानना उन महिलाओं के लिए जरूरी होता है जो पहली बार माँ बनी है जन्म के बाद हर मां अपने बच्चे को आवश्यक रूप से स्तनपान कराती है। माना जाता है कि मां का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान होता है और मां का दूध पीकर ही बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास होता है। लेकिन आमतौर पर ज्यादातर मांओं को यह नहीं मालूम होता है कि बच्चे को दूध पिलाने का भी कोई सही तरीका होता है, इसके अलावा उन्हें बच्चे को स्तनपान कराते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए या बच्चे के जन्म के बाद स्तनपान कराने में महिलाओं को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में हम आपको स्तनपान से संबंधित सभी जानकारियां दे रहे हैं।
विषय सूची
1. स्तनपान कराने का सही तरीका – Breast feeding positions in Hindi
2. बच्चे को स्तनपान कराने के लिए महत्वपूर्ण टिप्स – Breastfeeding tips in Hindi
3. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं को होने वाली परेशानी – Breastfeeding problem in Hindi
4. बच्चे को माँ का दूध कब तक पिलाना चाहिए – kis umar tak bache ko breastfeeding karni chahiye in Hindi
वैसे तो बच्चे को स्तनपान कई तरह के पोजीशन में कराया जा सकता है लेकिन मां को जिस पोजीशन में अपने बच्चे को दूध पिलाने में ज्यादा सहजता और आसानी महसूस हो उसे उसी पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। लेकिन फिर भी स्तनपान कराने के लिए कुछ सही पोजीशन के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
इस पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराने में शुरूआत में मां को थोड़ा अजीब जरूर लगता है लेकिन जब वह बच्चे को सही तरह से उठाकर इस पोजीशन में दूध पिलाना सीख जाती है तो तब कोई परेशानी नहीं होती है।
क्रास क्रैडल होल्ड पोजीशन में बच्चे को दूध पिलाने के लिए एक कुर्सी पर आराम से सीधे बैठ जाएं। अपने बच्चे को आराम से उठाकर अपने शरीर के सामने लाएं, बच्चे का पेट आपके पेट से चिपका होना चाहिए। इसके बाद बच्चे के सिर के नीचे अपने एक हाथ की हथेली को लगाकर पकड़े और उसी हाथ की भुजाओं या कोहनी में बच्चे के पैरों को टिकाएं। दूसरे हाथ से अपने स्तन को पकड़ें और बच्चे के मुंह में स्तन का निप्पल डालें। यह स्तनपान कराने की एक बेहतर पोजीशन मानी जाती है।
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बच्चे को स्तनपान कराने का यह पोजीशन भी क्रास क्रैडल जैसा ही है लेकिन इस पोजीशन में बच्चे के सिर को हाथ की भुजाओं पर रखते हैं और हाथ की कलाई से बच्चे के पीठ के नीचे सहारा देकर उसे पकड़े रहते हैं और दूसरे हाथ से अपने स्तन को उठाकर बच्चे के मुंह में डालकर स्तनपान कराते हैं। यदि इस पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराने में परेशानी हो रही हो तो तकिये का सहारा लिया जा सकता है।
यदि आपकी सी सेक्शन डिलीवरी हुई हो तो इस पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराना सर्वोत्तम होता है क्योंकि इससे सी सेक्शन के दौरान होने वाले अंदरूनी जख्म जल्दी भर जाते हैं। फुटबाल होल्ड पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराने के लिए बच्चे के शरीर को उस तरह से पकड़ें जिस तरह से कोहनी और कलाई के सहारे फुटबाल पकड़ते हैं। बच्चे के पैरों को अपनी भुजाओं के नीचे सहारा देकर टिकाएं और बच्चे के सिर के नीचे अपने एक हाथ की कलाई रखें और दूसरे हाथ से अपने स्तन को पकड़कर बच्चे के मुंह में डालें। इस पोजीशन में खड़े होकर भी दूध पिलाया जा सकता हैै।
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यदि आपको अधिक थकान महसूस हो रही हो तो इस स्थिति में लेटकर बच्चे को स्तनपान कराना बेहतर होता है। लेकिन स्तनपान कराने वाली मां को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि उसे इस दौरान सोना नहीं चाहिए। इस पोजीशन में बच्चे को स्तनपान कराने के लिए बच्चे की तरफ मुंह करके एकतरफा लेट जाएं और बच्चे के चेहरे को अपने स्तन की तरह घुमाएं और एक हाथ से स्तन को पकड़कर बच्चे के मुंह के पास ले जाएं और दूसरे हाथ से बच्चे के सिर को सहारा दें।
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यदि आप भी अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं या स्तनपान कराना शुरू करने वाली हैं तो आपको यह महत्वपूर्ण टिप्स जरूर पढ़नी चाहिए।
बच्चे को स्तनपान कराने से पहले इस बात का ध्यान रखें की बच्चे का पेट आपके पेट से चिपका होना चाहिए। आपके स्तन का निप्पल बच्चे के नाक के पास होना चाहिए, न कि उसके मुंह के पास ताकि बच्चा अपना सिर हल्का सा ऊपर उठाकर आपके निप्पल को अपने मुंह से पकड़ सके। इससे वह काफी अच्छी तरह से स्तनपान कर पाता है।
यदि आप सीधे बैठकर अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं तो यह कोशिश करें कि बच्चा पूरा मुंह खोलकर निप्पल को मुंह में ले। इसके लिए आप बच्चे के कंधे को हल्का सा दबाकर उसे सहारा दे सकती हैं या अपने स्तन को हाथों से पकड़कर उसके मुंह में डाल सकती हैं लेकिन यदि बच्चा पूरा मुंह खोलकर निप्पल पकड़ता है तो यह इस बात का संकेत है कि वह सही तरीके से दूध पीना सीख गया है।
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बच्चे को स्तनपान कराते समय ज्यादातर महिलाएं बच्चे के सिर के पीछे हाथ लगाकर उसका सिर ऊपर उठाकर निप्पल पकड़ाती हैं। वास्तव में यह बहुत गलत तरीका है। इससे बच्चा को निप्पल पकड़ने में काफी परेशानी होती है और वह दूध नहीं पीता है। अगर संभव हो तो बच्चे के गर्दन के पीछे हाथ लगाकर उसे निप्पल पकड़ाएं और छाती से लगाकर दूध पिलाएं।
कई महिलाओं के स्तन का निप्पल एकदम चिपटा या उल्टी तरह झुका होता है जिससे बच्चा ठीक तरह से स्तनपान नहीं कर पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए मां अपने स्तन पर निप्पल शिल्ड लगाकर बच्चे को दूध पिला सकती है। निप्पल शिल्ड स्तन को उत्तेजित और सीधा रखने में मदद करता है जिससे बच्चा अच्छी तरह से दूध पीने में सक्षम हो पाता है।
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ज्यादातर महिलाएं इस भ्रम में रहती हैं कि निप्पल को रगड़ने से अच्छी तरह से दूध निकलता है। यदि आप बच्चे को स्तनपान कराने जा रही हैं तो आपको यह गलती कभी नहीं करनी चाहिए। मां के शरीर में दूध प्राकृतिक रूप से बनता है और निप्पल से अपने आप निकलता है। इसलिए बच्चे को सुरक्षित स्तनपान कराएं और अपने निप्पल को किसी तरह का नुकसान न पहुंचाएं।
ज्यादातर महिलाएं बच्चे को जन्म देने के बाद स्तन से दूध न आने पर परेशान हो जाती हैं। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि ऐसी स्थिति आने पर थोड़ा धैर्य रखें और दूध बनने के लिए किसी तरह की दवा न खाएं। बच्चे को जन्म देने के बाद मां के शरीर में कोलोस्ट्रम (colostrum) बनता है। कोलोस्ट्रम पोषक तत्वों से समृद्ध, गाढ़ा द्रव होता है जो जन्म के पहले घंटे में बच्चे के लिए वरदान होता है। इसके बाद दो या तीन दिन के अंदर शरीर अपने आप स्तन में दूध बनाना शुरू कर देता है। कुछ महिलाओं में दूध बनने में हफ्ते भर का भी समय लग सकता है।
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आमतौर पर स्तनपान कराने वाली हर महिला को शुरूआत में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आइये जानते हैं उन्हें क्या परेशानियां होती हैं।
स्तनपान के दौरान निप्पल में दर्द होना एक सामान्य समस्या है। विशेषरूप से बच्चे के जन्म के पहले तिमाही में यह परेशानी ज्यादातर महिलाओं को होती है। लेकिन बच्चे के दूध पीने के बाद यदि निप्पल में दर्द तीन मिनट से ज्यादा देर तक रहे तो आप स्तनपान कराने की पोजीशन बदलें।
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बच्चे को स्तनपान शुरू कराने के पहले हफ्ते में ज्यादातर महिलाओं के स्तन के निप्पल फटे हुए दिखायी देते हैं। यह कई कारणों से होता है और कभी-कभी स्तनपान कराते समय निप्पल से खून भी आने लगता है, हालांकि इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। फटे हुए निप्पलों को सामान्य अवस्था में लाने के लिए इसे पानी से अच्छी तरह साफ करें और निप्पल के ऊपर दूध न सूखने दें। दर्द से राहत पाने के लिए स्तनपान कराने से आधे घंटे पहले इबुप्रोफेन नामक दवा खा सकती हैं।
मास्टीटिस एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। इस समस्या से पीड़ित होने पर महिला का स्तन एकदम गर्म हो जाता है इसमें काफी दर्द होता है। इसके अलावा स्तन का निप्पल लाल भी हो जाता है। हालांकि बच्चे को जन्म देने के कुछ हफ्तों तक यह समस्या होना सामान्य बात है और आमतौर पर यह निप्पल में दरार पड़ने, दूध नलिका अवरूद्ध होने के कारण होता है। इस इंफेक्शन से बचने के लिए स्तनपान कराने वाली मां को एंटीबायोटिक्स दवाएं लेनी चाहिए।
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ज्यादातर महिलाएं इस बात से परेशान होती हैं कि उनका बच्चा स्तनपान करने के दौरान ही सो जाता है। यह एक सामान्य बात है और जन्म के कुछ महीनों तक बच्चा स्तनपान करते हुए सो सकता है। यदि आप चाहती हैं कि स्तनपान कराते समय बच्चा सोए न तो एक ही स्तन से देर तक दूध पिलाने की बजाय थोड़ी देर पर दूसरे स्तन से दूध पिलाएं। इस तरह से बच्चे की दूध पीने की गति धीमी नहीं पड़ेगी और वह सोएगा नहीं।
बच्चे को जन्म देने के बाद कुछ मांएं इस बात से परेशान रहती हैं कि उनके स्तन में पर्याप्त दूध नहीं बन पा रहा है। मां के शरीर में दूध बनने के लिए संतुलित भोजन और अन्य पोषक पदार्थों की जरूरत पड़ती है। इसलिए बच्चे को जन्म देने के बाद सही, संतुलित और पौष्टिक भोजन करें। इससे स्तन में पर्याप्त दूध बनेगा।
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बच्चे के जन्म के बाद छह महीनों तक उसे मां का दूध ही पिलाना चाहिए। इससे बच्चा स्वस्थ तो होता ही है साथ में उसकी इम्युनिटी बेहतर होती है और उसमें अन्य चीजों को पचा पाने की क्षमता विकसित होती है। छह महिने के बाद आप चाहें तो बच्चे को फॉर्मूला मिल्क या गाय का दूध पिलाना शुरू कर सकती हैं। चूंकि शुरूआत के छह महिने बच्चे को पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ नहीं दिया जाता है इसलिए इस दौरान बच्चे को जितनी बार भूख लगे, उसे उतनी बार स्तनपान कराना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर मां को अपने बच्चे को कम से कम दो साल तक स्तनपान कराना चाहिए। लेकिन कुछ महिलाएं इससे लंबी अवधि तक बच्चे को स्तनपान कराती हैं तो कुछ महिलाएं इससे पहले भी स्तनपान कराना बंद कर देती हैं। हालांकि एक वर्ष का होने के बाद जब बच्चे को दांत निकलना शुरू होता है तब स्तनपान कराने के दौरान बच्चा निप्पल को दांतों से काट लेता है। इसलिए बच्चा यदि एक साल का हो जाए तो दूध स्तनपान कराना कुछ कम किया जा सकता है।
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