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ब्रोंकाइटिस के कारण, लक्षण और बचने के उपाय – Bronchitis Causes, Symptoms And Treatment In Hindi

Bronchitis in Hindi ब्रोंकाइटिस वह रोग है, जिसमें फेफड़ों में हवा को लाने, ले जाने वाली नलियों (ब्रोन्कियल ट्यूब) में सूजन आ जाती है। इस स्थिति में बार बार खांसी आना और बलगम के जमाव की समस्या उत्पन्न होती है। श्वास नली में सूजन आने के कारण सामान्य से अधिक बलगम का निर्माण होता है। इससे फेफड़ों में वायु प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है और फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। आइये जानते है ब्रोंकाइटिस रोग के कारण, लक्षण, प्रकार, जाँच, इलाज, घरेलू उपचार, परहेज और बचने के उपाय (Bronchitis causes symptoms and treatment in Hindi) के बारें में।

ब्रोंकाइटिस क्या है – What is Bronchitis in Hindi

श्वास नली में सूजन की बीमारी को ब्रोंकाइटिस के नाम से जाना जाता है। ब्रोंकाइटिस तब होता है जब संक्रमण या अन्य स्थिति के कारण ब्रोन्कियल ट्यूब (bronchial tubes) के अस्तर में सूजन आ जाती है। ब्रोन्कियल ट्यूब आपके फेफड़ों से हवा को अंदर और बाहर ले जाती है। ब्रोंकाइटिस की स्थिति में फेफड़ों में हवा का आदान प्रदान कठिन हो जाता है। जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस होता है, वे अक्सर गाढ़ा बलगम और खांसी जैसे लक्षणों से ग्रस्त होते हैं।

ब्रोंकाइटिस की बीमारी दो प्रकार की होती है: एक्यूट और क्रोनिक। आमतौर पर एक्यूट ब्रोंकाइटिस को ही “ब्रोंकाइटिस” कहा जाता है। एक्यूट और क्रोनिक दोनों प्रकार के ब्रोंकाइटिस के लक्षण समान है, लेकिन क्रोनिक ब्रोंकाइटिस वाले व्यक्ति सर्दी के कुछ लक्षणों जैसे- बुखार आना और ठंड लगने का अनुभव नहीं करते हैं। एक सताती खांसी ब्रोंकाइटिस का एक प्रमुख संकेत है।

एक्यूट ब्रोंकाइटिस के लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं और इसका उपचार किया जा सकता है। क्रोनिक ब्रॉनकाइटिस फेफड़ों की लंबे समय से चली आ रही बीमारी है, यह फेफड़ों में होने वाले रोग सीओपीडी (COPD) या क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में से एक है।

और पढ़ें: श्वसन संबंधी रोग के कारण, लक्षण, जांच, इलाज और बचाव…)

ब्रोंकाइटिस के प्रकार – Bronchitis types in Hindi

ब्रोंकाइटिस तीन तरह का होता है:

एक्यूट ब्रोंकाइटिस – एक्यूट ब्रोंकाइटिस (Acute bronchitis) कुछ दिनों की सर्दी और फ्लू जैसे वायरल संक्रमण होने के बाद उत्पन्न होने वाली खांसी का कारण बनता हैं। एक्यूट ब्रोंकाइटिस के लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहते हैं और इसका उपचार किया जा सकता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं:

यह लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों या हफ्तों के बाद चले जाते हैं।

क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस – क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस (Chronic bronchitis) रोग, जो सिगरेट आदि के पीने की वजह से सांस की नली में सिकुड़न के कारण होती है। यह स्थिति लगातार दो वर्षों तक, प्रति वर्ष कम-से-कम तीन माह तक चलने वाली खांसी का कारण बनती है।

एलर्जिक ब्रोंकाइटिस – एलर्जिक ब्रोंकाइटिस (Allergic bronchitis) को ही अस्थमा (दमा) के नाम से जाना जाता है। यह तंबाकू के धुएं, प्रदूषण या धूल जैसे एलर्जी ट्रिगर करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने के कारण हो सकता है। यह क्रोनिक ब्रोंकाइटिस का ही एक रूप है।

(और पढ़ें – खांसी के घरेलू उपाय और इलाज)

ब्रोंकाइटिस के लक्षण Bronchitis symptoms in Hindi

इस बीमारी का मुख्य लक्षण खांसी के साथ लार का बाहर आना है। ब्रोंकाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को खांसी चल सकती है, जो कई हफ्तों या कुछ महीनों तक रहती है। एक्यूट और क्रोनिक दोनों तरह के ब्रोंकाइटिस में निम्न लक्षण प्रकट हो सकते है।

ब्रोंकाइटिस के लिए डॉक्टर को कब दिखाएं – When to see a doctor for bronchitis in Hindi

यदि आपको खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें, क्योंकि यह कोरोनावायरस के कारण होने वाली बीमारी COVID-19 हो सकती है। डॉक्टर के पास तुरंत जाएँ , यदि आप निम्न लक्षण महसूस करते हैं:

  • 101 डिग्री फ़ारेनहाइट से ज्यादा बुखार रहना और ठंड लगना
  • साँस लेने में दिक्कत होना
  • सीने की बलगम का अधिक परेशान करना
  • आपके नाखूनों या उंगलियों की त्वचा पर नीले या भूरे धब्बे पड़ना
  • बोलने अथवा सामान्य गतिविधियों में तकलीफ महसूस करना
  • रात में सोते हुए साँस लेने में परेशानी होना।

(और पढ़ें: छाती (सीने) में कफ जमने के लक्षण, कारण, इलाज और उपचार..)

ब्रोंकाइटिस के कारण – Bronchitis causes in Hindi

अक्सर वायरस इन्फेक्शन, जो सर्दी या फ्लू उत्पन्न करता है, वह एक्यूट ब्रोंकाइटिस का कारण बनता है। लेकिन कभी-कभी, बैक्टीरिया इन्फेक्शन भी ब्रोंकाइटिस की समस्या उत्पन्न कर सकता है। बैक्टीरियल और वायरल, दोनों ही मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कीटाणुओं से लड़ती है, जिसके कारण ब्रोन्कियल ट्यूब में सूजन आ जाती है और अधिक बलगम का निर्माण होने लगता है। इसके अलावा ब्रोंकाइटिस का कारण बनने वाली स्थितियों में निम्न को शामिल किया जा सकता है:

  • धूम्रपान जैसे की सिगरेट या बीड़ी के धुएं का सिकार होना (सेकंड हैंड स्मोकिंग)
  • वायु प्रदूषण जिसमें औद्योगिक धुआं भी सामिल है
  • वायु में किसी चीज से एलर्जी जैसे पराग कण भी ब्रोंकाइटिस के कारण हो सकते हैं।
  • फेफड़ों के रोग जैसे दमा (अस्थमा),  एलर्जी अथवा वातस्फीति से पीड़ित होना
  • जेनेटिक कारक
  • रसायन और विषैली गैस के संपर्क में आना भी ब्रोंकाइटिस का कारण हो सकता है।

ब्रोंकाइटिस की जाँच – Bronchitis diagnosis in Hindi

आमतौर पर डॉक्टर शारीरिक परीक्षण और लक्षणों के आधार पर बता सकते हैं कि आपको ब्रोंकाइटिस है या नहीं। हालाँकि एक्यूट और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के बीच अंतर स्पष्ट करने के लिए डॉक्टर कुछ परीक्षण की मदद ले सकता है। इन परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

ब्रोंकाइटिस का इलाज – Bronchitis treatment in Hindi

डॉक्टर ब्रोंकाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को इलाज के दौरान निम्न की सिफारिस कर सकता है:

  • पर्याप्त आराम करें
  • अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें
  • खांसी और दर्द से राहत दिलाने के लिए ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाएं जैसे- इबुप्रोफेन

क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के इलाज के दौरान लक्षणों को दूर करने के लिए निम्न तरीके अपनाएं जा सकते हैं:

  • वायुमार्ग (airways) को खोलने और बलगम को बाहर निकालने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और ब्रोन्कोडायलेटर जैसी दवाएं।
  • ऑक्सीजन थेरेपी
  • ह्यूमिडिफायर का उपयोग – बलगम को ढीला करने और वायु प्रवाह में सुधार कर घरघराहट से राहत दिलाने के लिए।
  • पल्मोनरी पुनर्वसन (pulmonary rehabilitation), यह एक व्यायाम है, जो आपको अधिक आसानी से सांस लेने और अधिक व्यायाम करने में मदद कर सकता है।

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ब्रोंकाइटिस में क्या खाएं और ब्रोंकाइटिस का घरेलू इलाज – What to eat and Home remedies for Bronchitis in Hindi

ब्रोंकाइटिस की स्थिति में कुछ घरेलू उपचार अपनाकर लक्षणों से छुटकारा पाया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • बलगम की मात्रा घटाने के लिए जौ का गर्म सूप पी सकते है।
  • तरल पदार्थ, हर्बल चाय (herbal tea), और सूप अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
  • काली मिर्च, तुलसीलौंग से बनी चाय पीने से गले में खराश और कफ से निजात मिलती है।
  • गर्म नीबू पानी ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए लाभकारी होता है।
  • फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे अखरोट, मछली का सेवन कर सकते है। यह ब्रोंकाइटिस से उत्पन्न हुई सूजन को कम करने में मदद करते है।
  • बेरीज, ब्रोकोली, पालक और गाजर का सेवन करें, क्योंकि यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं।
  • पानी का अधिक मात्रा में सेवन, शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक होता है।
  • प्याज, लहसुन और अदरक का उपयोग सूजन को कम करने के साथ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए लाभदायक होता है।
  • थोड़ी सी हल्दी, दूध में डालकर उबाल लें। दूध तब तक उबालें जब तक हल्दी पक न जाएं। फिर इसे कप में लेकर चाय की चुस्कियां लेते हुए पिएं। इससे गले के दर्द में और खराश में काफी राहत मिलेगी।

(और पढ़े – हल्दी और दूध के फायदे और नुकसान)

ब्रोंकाइटिस में परहेज – Do not eat in bronchitis in Hindi

यदि आपको ब्रोंकाइटिस है, तो आपको कुछ पदार्थों के सेवन से परहेज करने की जरुरत होती है, जिससे लक्षणों को बढ़ने से रोका जा सके।

  • कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध आहार अपच और पेट फूलने का कारण बन सकते हैं, अतः इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • केला बलगम को बढ़ाता है, इसलिए उनके सेवन से बचना चाहिए।
  • मांस, चीनी, कॉफ़ी, मसाले, अचार, रिफाइंड और प्रोसेस्ड आहार, ठंडा पेय, आइसक्रीम और व मैदे से बने पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए।

ब्रोंकाइटिस से बचने के उपाय – Bronchitis prevention in Hindi

एक्यूट ब्रोंकाइटिस या क्रोनिक ब्रोंकाइटिस होने की संभावना को कम करने के लिए निम्न बचाव सम्बन्धी उपाय अपनाए जा सकते हैं, जैसे:

  • धूम्रपान न करें – धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को ब्रोंकाइटिस होने का सबसे अधिक जोखिम होता है। लंबे समय तक रहने वाले ब्रोंकाइटिस से होने वाली क्षति को धीमा करने का एकमात्र तरीका धूम्रपान छोड़ना है।
  • शराब न पियें – शराब का सेवन आपके वायु मार्ग को साफ करने के लिए खांसने और छींकने की इच्छा कम करता है। यह आपके शरीर में द्रवों की कमी करता है, जिससे आपके फेफड़ों में बलगम कठोर हो जाता है तथा बलगम को बाहर आना मुश्किल बनाता है।
  • निमोनिया और फ्लू का टीका लगवाएं, क्योंकि फ्लू वायरस से आपको ब्रोंकाइटिस हो सकता है।
  • ऐसी चीजों से बचें जो आपके फेफड़ों के लिए हानिकारक है जैसे वायु प्रदूषण, धूल और जहरीली गैस।
  • अपने शरीर का ऊपरी हिस्सा उठाकर सोएँ। अपना सिर बिस्तर से ऊँचा रखने के लिए फोम के बड़े टुकडों का प्रयोग करें।
  • वायरस और अन्य संक्रमण फैलने से रोकने के लिए अपने हाथों को नियमित धोएं। तरल पदार्थों का सेवन अधिक करें।

(और पढ़ें – स्मोकिंग की आदत कैसे लगती है, इसके नुकसान और छोड़ने के तरीके)

ब्रोंकाइटिस के लिए योग और व्यायाम – Bronchitis Yoga and Exercise in Hindi

ब्रोंकाइटिस की स्थिति में स्ट्रेचिंग और कम प्रभाव वाले कार्डियोवस्कुलर वर्कआउट बेहद लाभदायक होते हैं, जिसमें मांसपेशियों पर अधिक जोर नहीं पड़ता है, जैसे कि पैदल चलना, तैरना आदि। साथ ही साथ योग जैसे आधे मेरुदंड को मोड़ना (half spinal cord twist) और सुखासन ब्रोंकाइटिस की आरंभिक स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक होते है।

(और पढ़ें – व्यायाम (एक्सरसाइज) के प्रकार, महत्व, करने का तरीका, लाभ और हानि)

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